12-11-2020 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - बाप जो पढ़ाते हैं, उसे अच्छी रीति पढ़ो तो 21 जन्मों के लिए सोर्स आफ इनकम हो जायेगी, सदा सुखी बन जायेंगे

प्रश्नः-

तुम बच्चों के अतीन्द्रिय सुख का गायन क्यों है?

उत्तर:-

क्योंकि तुम बच्चे ही इस समय बाप को जानते हो, तुमने ही बाप द्वारा सृष्टि के आदि मध्य अन्त को जाना है।

तुम अभी संगम पर बेहद में खड़े हो।

जानते हो अभी हम इस खारी चेनल से अमृत के मीठे चेनल में जा रहे हैं।

हमें स्वयं भगवान पढ़ा रहे हैं, ऐसी खुशी ब्राह्मणों को ही रहती है इसलिए अतीन्द्रिय सुख तुम्हारा ही गाया हुआ है।

  • ओम् शान्ति।
  • रूहानी बेहद का बाप रूहानी बेहद के बच्चों प्रति समझा रहे हैं - यानी अपनी मत दे रहे हैं।
    • यह तो जरूर समझते हो कि हम जीव आत्मायें हैं।
    • परन्तु निश्चय तो अपने को आत्मा करना है ना।
    • यह कोई हम नया स्कूल नहीं पढ़ते हैं।
    • हर 5 हजार वर्ष के बाद पढ़ते आते हैं।
    • बाबा पूछते हैं ना आगे कभी पढ़ने आये हो?
    • तो सब कहते हैं हम हर 5 हजार वर्ष बाद पुरूषोत्तम संगमयुगे बाबा के पास आते हैं।
    • यह तो याद होगा ना कि यह भी भूल जाते हो?
    • स्टूडेन्ट को स्कूल तो जरूर याद आयेगा ना।
    • एम आब्जेक्ट तो एक ही है।
    • जो भी बच्चे बनते हैं फिर दो दिन का बच्चा हो या पुराना हो परन्तु एम आब्जेक्ट एक है।
    • कोई को भी घाटा नहीं हो सकता।
  • पढ़ाई में इनकम है।
    • वह भी ग्रंथ बैठ पढ़कर सुनाते हैं तो कमाई होती है, झट शरीर निर्वाह निकल आयेगा।
    • साधू बना एक दो शास्त्र बैठ सुनाया, इनकम हो जायेगी।
    • अभी यह सब सोर्स आफ इनकम है। हर एक बात में इनकम चाहिए ना।
    • पैसे हैं तो कहाँ भी घूम फिर आओ।
    • तुम बच्चे जानते हो - बाबा हमको बहुत अच्छी पढ़ाई पढ़ाते हैं जिससे 21 जन्मों की इनकम मिलती है।
    • यह इनकम ऐसी है जो हम सदा सुखी बन जायेंगे।
    • कभी बीमार नही होंगे, सदा अमर रहेंगे।
    • यह निश्चय करना होता है।
    • ऐसे-ऐसे निश्चय रखने से तुमको हुल्लास आयेगा।
    • नहीं तो कोई न कोई बात में घुटका आता रहेगा।
    • अन्दर में सिमरण करना चाहिए - हम बेहद के बाप से पढ़ रहे हैं।
  • भगवानुवाच - यह तो गीता है।
    • गीता का भी युग आता है ना।
    • सिर्फ भूल गये हैं - यह है पाचवां युग।
    • यह संगम बहुत छोटा है।
    • वास्तव में चौथाई भी नहीं कहेंगे।
    • परसेन्टेज़ लगा सकते हैं।
    • सो भी आगे चल बाप बतलाते रहेंगे।
    • कुछ तो बाप के बतलाने की भी नूँध है ना।
    • तुम सभी आत्माओं में पार्ट की नूंध है जो रिपीट हो रही है।
    • तुम जो सीखते हो वह भी रिपीटेशन है ना।
    • रिपीटेशन के राज़ का तुम बच्चों को मालूम हुआ है।
  • कदम-कदम पर पार्ट बदलता जा रहा है।
    • एक सेकेण्ड न मिले दूसरे से।
    • जूँ मिसल टिक-टिक चलती रहती है। टिक हुई सेकेण्ड पास हुआ।
    • अभी तुम बेहद में खड़े हो।
    • दूसरा कोई भी मनुष्य मात्र बेहद में नहीं खड़ा है।
    • कोई को भी बेहद की अर्थात् आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज नहीं है।
    • अभी तुमको फ्युचर का भी मालूम है।
  • हम नई दुनिया में जा रहे हैं।
    • यह है संगमयुग, जिसको क्रास करना है।
    • खारी चेनल है ना।
    • यह है मीठे-मीठे अमृत की चेनल।
    • वह है विष की।
    • अभी तुम विष के सागर से क्षीर सागर में जाते हो।
    • यह है बेहद की बात।
    • दुनिया में इन बातों का कुछ भी पता नहीं है।
    • नई बात है ना।
  • यह भी तुम जानते हो भगवान किसको कहा जाता है।
    • वह क्या पार्ट बजाते हैं।
    • टॉपिक में भी बताते हो, आओ तो परमपिता परमात्मा की बायोग्राफी तुमको समझायें।
    • यूँ तो बच्चे बाप की बायोग्राफी सुनाते हैं।
    • कॉमन है।
    • यह तो फिर बापों का बाप है ना।
    • तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार जानते हैं।
    • अब तुमको यथार्थ रीति बाप का परिचय देना है।
    • तुमको भी बाप ने दिया है तब तो समझाते हो और तो कोई बेहद के बाप को जान न सकें।
    • तुम भी संगम पर ही जानते हो।
    • मनुष्य मात्र देवता हो वा शूद्र हो, पुण्य आत्मा हो, पाप आत्मा हो, कोई भी नहीं जानते सिर्फ तुम ब्राह्मण जो संगमयुग पर हो, तुम ही जान रहे हो।
    • तो तुम बच्चों को कितनी खुशी होनी चाहिए।
    • तब तो गायन भी है - अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप गोपियों से पूछो।
  • बाबा बाप भी है, टीचर, सतगुरू भी है, सुप्रीम अक्षर तो जरूर डालना है।
    • कभी-कभी बच्चे भूल जाते हैं।
    • यह सब बातें बच्चों की बुद्धि में रहनी चाहिए।
    • शिवबाबा की महिमा में यह अक्षर जरूर डालने हैं।
    • सिवाए तुम्हारे और तो कोई जानते ही नहीं।
    • तुम समझा सकते हो तो गोया तुम्हारी विजय हुई ना।
    • तुम जानते हो बेहद का बाप सर्व का शिक्षक, सर्व का सद्गति दाता है।
    • बेहद का सुख, बेहद का ज्ञान देने वाला है।
    • फिर भी ऐसे बाप को भूल जाते हो।
    • माया कितनी समर्थ है।
    • ईश्वर को तो समर्थ कहते हैं परन्तु माया भी कम नहीं है।
    • तुम बच्चे अभी एक्यूरेट जानते हो - इनका तो नाम ही रखा है रावण।
    • रामराज्य और रावणराज्य।
    • इस पर भी एक्यूरेट समझाना चाहिए।
  • राम राज्य है तो जरूर रावण राज्य भी है।
    • सदैव रामराज्य तो हो न सके।
    • राम राज्य, श्रीकृष्ण का राज्य कौन स्थापन करते हैं, यह बेहद का बाप बैठ समझाते हैं।
    • तुमको भारत खण्ड की बहुत महिमा करनी चाहिए।
    • भारत सचखण्ड था, कितनी महिमा थी।
    • बनाने वाला बाप ही है।
    • तुम्हारा बाप के साथ कितना लव है।
    • एम आब्जेक्ट बुद्धि में है।
    • यह भी जानते हो हम स्टूडेन्ट को अपनी पढ़ाई का नशा होना चाहिए।
    • कैरेक्टर का भी ख्याल होना चाहिए।
  • विवेक कहता है जबकि गाडली पढ़ाई है तो उसमें एक दिन भी मिस नहीं करना चाहिए और टीचर के आने बाद लेट भी नहीं पहुँचना चाहिए।
    • टीचर के बाद आना यह भी एक इनसल्ट है।
    • स्कूल में भी पिछाड़ी में आते हैं तो उनको टीचर बाहर में खड़ा कर देते हैं।
    • बाबा अपने छोटेपन का मिसाल भी बताते हैं।
    • हमारा टीचर तो बहुत सख्त था।
    • अन्दर आने भी नहीं देता था।
    • यहाँ तो बहुत हैं जो देरी से आते हैं।
  • सर्विस करने वाला सपूत बच्चा जरूर बाप को प्यारा लगता है ना।
    • अभी तुम समझते हो - आदि सनातन देवी देवता धर्म तो यह था ना।
    • इनका धर्म कब स्थापन हुआ।
    • जरा भी किसकी बुद्धि में नहीं है।
    • तुम्हारी बुद्धि से भी घड़ी-घड़ी खिसक जाता है।
    • तुम अभी देवी देवता बनने के लिए पुरूषार्थ कर रहे हो।
    • कौन पढ़ा रहे हैं?
    • खुद परमपिता परमात्मा।
    • तुम समझते हो हमारा यह ब्राह्मण कुल है।
    • डिनायस्टी नहीं होती है।
    • यह है सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल।
  • बाप भी सर्वोत्तम है ना।
    • ऊचं ते ऊंच है तो जरूर उनकी आमदनी भी ऊंची होगी।
    • उनको ही श्री श्री कहते हैं।
    • तुमको भी श्रेष्ठ बनाते हैं।
    • तुम बच्चे ही जानते हो कि हमको श्रेष्ठ बनाने वाला कौन है?
    • और कुछ भी नहीं समझते।
    • तुम कहेंगे - हमारा बाप, बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है, पढ़ा रहे हैं।
    • हम आत्मायें हैं।
    • हम आत्माओं को बाप ने स्मृति दिलाई है।
    • तुम हमारी सन्तान हो।
    • ब्रदरहुड है ना।
    • बाप को याद भी करते हैं।
    • समझते हैं वह निराकारी बाप है तो जरूर आत्मा को भी निराकार ही कहेंगे।
  • आत्मा ही एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
    • फिर पार्ट बजाती है।
    • मनुष्य फिर आत्मा के बदले अपने को शरीर समझ लेते हैं।
    • मैं आत्मा हूँ, यह भूल जाते हैं।
    • मैं कभी भूलता नहीं हूँ।
    • तुम आत्मायें सभी हो सालिग्राम।
    • मैं हूँ परमपिता माना परम आत्मा। उनके ऊपर कोई दूसरा नाम नहीं है।
    • उस परम आत्मा का नाम है शिव।
    • हो तुम भी ऐसे ही आत्मा परन्तु तुम सब सालिग्राम हो।
    • शिव के मन्दिर में जाते हो, वहाँ भी सालिग्राम बहुत रखते हैं।
    • शिव की पूजा करते हैं तो सालिग्राम की भी साथ में करते हैं ना।
    • तब बाबा ने समझाया था कि तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों की पूजा होती है।
    • हमारी तो सिर्फ आत्मा की ही होती है।
    • शरीर है नहीं।
    • तुम कितना ऊंच बनते हो।
    • बाबा को तो खुशी होती है ना।
  • बाप गरीब होता है, बच्चे पढ़कर कितना चढ़ जाते हैं।
    • क्या से क्या बन जाते हैं।
    • बाप भी जानते हैं तुम कितने ऊंच थे।
    • अब कितने आरफन बन गये हो, बाप को ही नहीं जानते।
    • अभी तुम बाप के बने हो तो सारे विश्व के मालिक बन जाते हो।
    • बाप कहते हैं - मुझे कहते ही हो - हेविनली गॉड फादर।
    • यह भी तुम जानते हो अभी स्वर्ग की स्थापना हो रही है।
    • वहाँ क्या-क्या होगा - यह सिवाए तुम्हारे और कोई की बुद्धि में नहीं है।
    • तुम्हारी बुद्धि में है कि हम विश्व के मालिक थे, अब बन रहे हैं।
    • प्रजा भी ऐसे कहेगी ना कि हम मालिक हैं।
    • यह बातें तुम बच्चों की ही बुद्धि में हैं तो खुशी रहनी चाहिए ना!
    • यह बातें सुनकर फिर दूसरों को भी सुनानी है, इसलिए सेन्टर वा म्यूज़ियम खोलते रहते हैं।
  • जो कल्प पहले हुआ था वही होता रहेगा।
    • म्युज़ियम सेन्टर्स आदि के लिए तुमको बहुत ऑफर करेंगे, फिर बहुत निकल पड़ेंगे।
    • सबकी हड्डियां नर्म होती जाती हैं।
    • सारी दुनिया की अब तुम हड्डियां नर्म करते जाते हो।
    • तुम्हारे योग में ताकत कितनी जबरदस्त है।
    • बाप कहते हैं तुम्हारे में ताकत बहुत है। भोजन तुम योग में रहकर बनाओ, खिलाओ तो बुद्धि इस तरफ खीचेंगी।
  • भक्ति मार्ग में तो गुरूओं का जूठा भी खाते हैं।
    • तुम बच्चे समझते हो भक्ति मार्ग का विस्तार तो बहुत है, उनका वर्णन नहीं कर सकते।
    • यह बीज वह झाड़ है।
    • बीज का वर्णन कर सकते हैं।
    • बाकी कोई को बोलो पेड़ के पत्ते गिनती करो तो कर नहीं सकेंगे।
    • अथाह पत्ते होते हैं।
    • बीज में तो पत्ते की निशानी दिखाई नहीं पड़ती है।
    • वन्डर है ना।
  • इनको भी कुदरत कहेंगे।
    • जीव जन्तु कितने वन्डरफुल हैं।
    • अनेक प्रकार के कीड़े हैं, कैसे पैदा होते हैं, बहुत वन्डरफुल ड्रामा है, इसको कहा ही जाता है नेचर।
    • यह भी बना बनाया खेल है।
    • सतयुग में क्या-क्या देखेंगे।
    • वह भी नई चीजें ही होंगी, एवरीथिंग न्यु होता है।
    • मोर के लिए तो बाबा ने समझाया है उनको भारत का नेशनल बर्ड कहते हैं क्योंकि श्रीकृष्ण के मुकुट में मोर का पंख दिखाते हैं।
    • मोर और डेल खूबसूरत भी होते हैं।
    • गर्भ भी आंसू से होता है, इसलिए नेशनल बर्ड कहते हैं।
    • ऐसे खूबसूरत पक्षी विलायत के तरफ भी होते हैं।
  • अब तुम बच्चों को सारे सृष्टि के आदि मध्य अन्त का राज़ समझाया है जो और कोई नहीं जानते।
    • बोलो, हम आपको परमपिता परमात्मा की बॉयोग्राफी बताते हैं।
    • रचता है तो जरूर उनकी रचना भी होगी।
    • उनकी हिस्ट्री-जॉग्राफी हम जानते हैं।
    • ऊंच ते ऊंच बेहद के बाप का क्या पार्ट है यह हम जानते हैं, दुनिया तो कुछ भी नहीं जानती।
    • यह बहुत छी-छी दुनिया है।
    • इस समय खूबसूरती में भी मुसीबत है।
    • बच्चियों को देखो कैसे-कैसे भगाते रहते हैं।
    • तुम बच्चों को इस विकारी दुनिया से तो ऩफरत होनी चाहिए।
    • यह छी-छी दुनिया, छी-छी शरीर हैं।
  • हमको तो अब बाप को याद कर अपनी आत्मा को पवित्र बनाना है।
    • हम सतोप्रधान थे, सुखी थे।
    • अभी तमोप्रधान बने हैं तो दु:खी हैं फिर सतोप्रधान बनना है।
    • तुम चाहते हो हम पतित से पावन बनें।
    • भल गाते भी हैं पतित-पावन परन्तु ऩफरत कुछ भी नहीं आती।
    • तुम बच्चे समझते हो - यह छी-छी दुनिया है।
    • नई दुनिया में हमको शरीर भी गुल-गुल मिलेगा।
    • अभी हम अमरपुरी के मालिक बन रहे हैं।
    • तुम बच्चों को सदैव खुश, हर्षितमुख रहना चाहिए।
    • तुम बहुत स्वीट चिल्ड्रेन हो।
    • बाप 5 हजार वर्ष बाद उन्हीं बच्चों से आकर मिलते हैं।
    • तो जरूर खुशी होगी ना।
    • हम फिर से आये हैं बच्चों से मिलने।
  • अच्छा - मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) हम गॉडली स्टूडेन्ट हैं, इसलिए पढ़ाई का नशा भी रहे तो अपने कैरेक्टर्स पर भी ध्यान हो।
    • एक दिन भी पढ़ाई मिस नहीं करनी है।
    • देर से क्लास में आकर टीचर की इनसल्ट नहीं करना है।
  • 2) इस विकारी छी-छी दुनिया से ऩफरत रखनी है, बाप की याद से अपनी आत्मा को पवित्र सतोप्रधान बनाने का पुरूषार्थ करना है।
    • सदैव खुश, हर्षितमुख रहना है।
  • वरदान:-
  • अन्त:वाहक शरीर द्वारा सेवा करने वाले कर्मबन्धन मुक्त डबल लाइट भव
  • जैसे स्थूल शरीर द्वारा साकारी ईश्वरीय सेवा में बिजी रहते हो ऐसे अपने आकारी शरीर द्वारा अन्त:वाहक सेवा भी साथ-साथ करनी है।
  • जैसे ब्रह्मा द्वारा स्थापना की वृद्धि हुई वैसे अभी आपके सूक्ष्म शरीरों द्वारा, शिव शक्ति के कम्बाइन्ड रूप के साक्षात्कार द्वारा साक्षात्कार और सन्देश मिलने का कार्य होना है।
  • लेकिन इस सेवा के लिए कर्म करते भी किसी भी कर्मबन्धन से मुक्त सदा डबल लाइट रूप में रहो।
  • स्लोगन:-
  • मान के त्याग में सर्व के माननीय बनने का भाग्य समाया हुआ है।