03-12-2020 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - तुम्हें मन्सा-वाचा-कर्मणा बहुत-बहुत खुशी में रहना है, सबको खुश करना है, किसी को भी दु:ख नहीं देना है

प्रश्नः-

डबल अहिंसक बनने वाले बच्चों को कौन सा ध्यान रखना है?

उत्तर:-

1. ध्यान रखना है कि ऐसी कोई वाचा मुख से न निकले जिससे किसी को भी दु:ख हो क्योंकि वाचा से दु:ख देना भी हिंसा है।

2. हम देवता बनने वाले हैं, इसलिए चलन बहुत रॉयल हो।

खान-पान न बहुत ऊंचा, न नीचा हो।

गीत:- निर्बल से लड़ाई बलवान की...


  • ओम् शान्ति। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों को बाप रोज़-रोज़ पहले समझाते हैं कि अपने को आत्मा समझ बैठो और बाप को याद करो।
    • कहते हैं ना अटेन्शन प्लीज़!
    • तो बाप कहते हैं एक तो अटेन्शन दो बाप की तरफ।
    • बाप कितना मीठा है, उनको कहा जाता है प्यार का सागर, ज्ञान का सागर।
    • तो तुमको भी प्यारा बनना चाहिए।
    • मन्सा-वाचा-कर्मणा हर बात में तुमको खुशी रहनी चाहिए।
  • कोई को भी दु:ख नहीं देना है।
    • बाप भी किसी को दु:खी नहीं करते हैं।
    • बाप आये ही हैं सुखी करने।
    • तुमको भी कोई प्रकार का किसको दु:ख नहीं देना है।
      • कोई भी ऐसा कर्म नहीं करना चाहिए।
      • मन्सा में भी नहीं आना चाहिए।
        • परन्तु यह अवस्था पिछाड़ी में होगी।
    • कुछ न कुछ कर्मेन्द्रियों से भूल होती है।
    • अपने को आत्मा समझेंगे, दूसरे को भी आत्मा भाई देखेंगे तो फिर किसको दु:ख नहीं देंगे।
    • शरीर ही नहीं देखेंगे तो दु:ख कैसे देंगे।
      • इसमें गुप्त मेहनत है।
        • यह सारा बुद्धि का काम है।
    • अभी तुम पारस बुद्धि बन रहे हो।
    • तुम जब पारसबुद्धि थे तो तुमने बहुत सुख देखे।
    • तुम ही सुखधाम के मालिक थे ना।
    • यह है दु:खधाम।
    • यह तो बहुत सिम्पुल है।
  • वह शान्तिधाम है हमारा स्वीट होम।
    • फिर वहाँ से पार्ट बजाने आये हैं, दु:ख का पार्ट बहुत समय बजाया है, अब सुखधाम में चलना है इसलिए एक-दो को भाई-भाई समझना है।
    • आत्मा, आत्मा को दु:ख नहीं दे सकती।
    • अपने को आत्मा समझ आत्मा से बात कर रहे हैं।
    • आत्मा ही तख्त पर विराजमान है।
  • यह भी शिवबाबा का रथ है ना।
    • बच्चियाँ कहती हैं - हम शिवबाबा के रथ को श्रृंगारते हैं, शिवबाबा के रथ को खिलाते हैं।
    • तो शिवबाबा ही याद रहता है।
  • वह है ही कल्याणकारी बाप।
    • कहते हैं मैं 5 तत्वों का भी कल्याण करता हूँ।
  • Comparision Iron Age - Golden Age...
  • वहाँ कोई भी चीज़ कभी तकलीफ नहीं देती है।
    • यहाँ तो कभी तूफान, कभी ठण्डी, कभी क्या होता रहता है।
    • वहाँ तो सदैव बहारी मौसम रहता है।
      • दु:ख का नाम नहीं।
    • वह है ही हेविन।
      • बाप आये हैं तुमको हेविन का मालिक बनाने।
        • ऊंच ते ऊंच भगवान है, ऊंच ते ऊंच बाप ऊंच ते ऊंच सुप्रीम टीचर भी है तो जरूर ऊंच ते ऊंच ही बनायेंगे ना।
    • तुम यह लक्ष्मी-नारायण थे ना।
      • यह सब बातें भूल गये हो।
      • यह बाप ही बैठ समझाते हैं।
    • ऋषियों-मुनियों आदि से पूछते थे - आप रचयिता और रचना को जानते हो तो नेती-नेती कह देते थे, जबकि उनके पास ही ज्ञान नहीं था तो फिर परम्परा कैसे चल सकता।
    • बाप कहते हैं यह ज्ञान मैं अभी ही देता हूँ।
    • तुम्हारी सद्गति हो गई फिर ज्ञान की दरकार नहीं।
      • दुर्गति होती ही नहीं।
    • सतयुग को कहा जाता है सद्गति।
    • यहाँ है दुर्गति।
    • परन्तु यह भी किसको पता नहीं है कि हम दुर्गति में हैं।
    • बाप के लिए गाया जाता है लिबरेटर, गाइड, खिवैया।
    • विषय सागर से सबकी नैया पार करते हैं, उसको कहते हैं क्षीरसागर।
    • विष्णु को क्षीर सागर में दिखाते हैं।
    • यह सब है भक्ति मार्ग का गायन।
    • बड़ा-बड़ा तलाव है, जिसमें विष्णु का बड़ा चित्र दिखाते हैं।
    • बाप समझाते हैं, तुमने ही सारे विश्व पर राज्य किया है।
      • अनेक बार हार खाई और जीत पाई है।
  • बाप कहते हैं काम महाशत्रु है, उन पर जीत पाने से तुम जगतजीत बनेंगे, तो खुशी से बनना चाहिए ना।
    • भल गृहस्थ व्यवहार में, प्रवृत्ति मार्ग में रहो परन्तु कमल फूल समान पवित्र रहो।
    • अभी तुम कांटों से फूल बन रहे हो।
    • समझ में आता है यह है फॉरेस्ट ऑफ थार्न्स (कांटों का जंगल) एक दो को कितना तंग करते हैं, मार देते हैं।
  • तो बाप मीठे-मीठे बच्चों को कहते हैं तुम सबकी अब वानप्रस्थ अवस्था है।
    • छोटे-बड़े सबकी वानप्रस्थ अवस्था है।
    • तुम वाणी से परे जाने के लिए पढ़ते हो ना।
    • तुमको अभी सद्गुरू मिला है।
    • वह तो वानप्रस्थ में तुमको ले ही जायेंगे।
  • यह है युनिवर्सिटी।
    • भगवानुवाच है ना।
    • मैं तुमको राजयोग सिखलाकर राजाओं का राजा बनाता हूँ।
    • जो पूज्य राजायें थे वही फिर पुजारी राजायें बनते हैं।
    • तो बाप कहते हैं - बच्चे, अच्छी रीति पुरुषार्थ करो।
    • दैवीगुण धारण करो।
  • भल खाओ, पियो, श्रीनाथ द्वारे में जाओ।
    • वहाँ घी के माल ढेर मिलते हैं, घी के कुएं ही बने हुए हैं।
    • खाते फिर कौन हैं? पुजारी।
    • श्रीनाथ और जगन्नाथ दोनों को काला बनाया है।
    • जगन्नाथ के मन्दिर में देवताओं के गन्दे चित्र हैं, वहाँ चावल का हाण्डा बनाते हैं।
      • वह पक जाने से 4 भाग हो जाते हैं।
      • सिर्फ चावल का ही भोग लगता है क्योंकि अभी साधारण है ना।
  • इस तरफ गरीब और उस तरफ साहूकार।
      • अभी तो देखो कितने गरीब हैं।
    • खाने-पीने को कुछ नहीं मिलता है।
    • सतयुग में तो सब कुछ है।
    • तो बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं।
  • शिवबाबा बहुत मीठा है।
    • वह तो है निराकार, प्यार आत्मा को किया जाता है ना।
  • आत्मा को ही बुलाया जाता है।
    • शरीर तो जल गया।
    • उनकी आत्मा को बुलाते हैं, ज्योति जगाते हैं, इससे सिद्ध है आत्मा को अन्धियारा होता है।
    • आत्मा है ही शरीर रहित तो फिर अन्धियारे आदि की बात कैसे हो सकती है।
      • वहाँ यह बातें होती नहीं।
      • यह सब है भक्ति मार्ग।
    • बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
  • ज्ञान बहुत मीठा है।
    • इसमें आंखे खोलकर सुनना होता है।
    • बाप को तो देखेंगे ना।
    • तुम जानते हो शिवबाबा यहाँ विराजमान है तो आंखे खोलकर बैठना चाहिए ना।
    • बेहद के बाप को देखना चाहिए ना।
    • आगे बच्चियाँ बाबा को देखने से ही ध्यान में चली जाती थी, आपस में भी बैठे-बैठे ध्यान में चले जाते थे।
    • आंखें बन्द और दौड़ती रहती थी।
      • कमाल तो थी ना।
    • बाप समझाते रहते हैं एक-दो को देखते हो तो ऐसे समझो - हम भाई (आत्मा) से बात करते हैं, भाई को समझाते हैं।
  • तुम बेहद के बाप की राय नहीं मानेंगे?
    • तुम यह अन्तिम जन्म पवित्र बनेंगे तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
    • बाबा बहुतों को समझाते हैं।
    • कोई तो फट से कह देते हैं बाबा हम जरूर पवित्र बनेंगे।
    • पवित्र रहना तो अच्छा है।
      • कुमारी पवित्र है तो सब उनको माथा टेकते हैं।
        • शादी करती है तो पुजारी बन पड़ती है।
        • सबको माथा टेकना पड़ता है।
  • तो प्योरिटी अच्छी है ना।
    • प्योरिटी है तो पीस प्रासपर्टी है।
    • सारा मदार पवित्रता पर है।
    • बुलाते भी हैं हे पतित-पावन आओ।
  • पावन दुनिया में रावण होता ही नहीं।
    • वह है ही रामराज्य, सब क्षीरखण्ड रहते हैं।
    • धर्म का राज्य है फिर रावण कहाँ से आया।
    • रामायण आदि कितना प्रेम से बैठ सुनाते हैं।
      • यह सब है भक्ति।
    • तो बच्चियाँ साक्षात्कार में डांस करने लग पड़ती हैं।
    • सच की बेड़ी का तो गायन है - हिलेगी लेकिन डूबेगी नहीं।
      • और कोई सतसंग में जाने की मना नहीं करते।
        • यहाँ कितना रोकते हैं।
  • बाप तुमको ज्ञान देते हैं।
    • तुम बनते हो बी.के.।
    • ब्राह्मण तो जरूर बनना है।
    • बाप है ही स्वर्ग की स्थापना करने वाला तो जरूर हम भी स्वर्ग के मालिक होने चाहिए।
    • हम यहाँ नर्क में क्यों पड़े हैं।
    • अभी समझ में आता है कि आगे हम भी पुजारी थे, अभी फिर पूज्य बनते हैं 21 जन्मों के लिए।
    • 63 जन्म पुजारी बने, अभी फिर हम पूज्य स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
    • यह है नर से नारायण बनने की नॉलेज।
    • भगवानुवाच मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ।
    • पतित राजायें पावन राजाओं को नमन वन्दन करते हैं।
    • हर एक महाराजा के महलों में मन्दिर जरूर होगा।
      • वह भी राधे-कृष्ण का या लक्ष्मी-नारायण का या राम-सीता का।
    • आजकल तो गणेश, हनूमान आदि के भी मन्दिर बनाते रहते हैं।
      • भक्ति मार्ग में कितनी अन्धश्रद्धा है।
    • अभी तुम समझते हो बरोबर हमने राजाई की फिर वाम मार्ग में गिरते हैं, अब बाप समझाते हैं तुम्हारा यह अन्तिम जन्म है।
    • मीठे-मीठे बच्चे पहले तुम स्वर्ग में थे।
    • फिर उतरते-उतरते पट आकर पड़े हो।
    • तुम कहेंगे हम बहुत ऊंच थे फिर बाप हमको ऊंच चढ़ाते हैं।
  • हम हर 5 हज़ार वर्ष बाद पढ़ते ही आते हैं।
    • इसको कहा जाता है वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट।
    • बाबा कहते हैं मैं तुम बच्चों को विश्व का मालिक बनाता हूँ।
    • सारे विश्व में तुम्हारा राज्य होगा।
      • गीत में भी है ना - बाबा आप ऐसा राज्य देते हो जो कोई छीन न सके।
      • अभी तो कितनी पार्टीशन है।
      • पानी के ऊपर, जमीन के ऊपर झगड़ा चलता रहता है।
    • अपने-अपने प्रान्त की सम्भाल करते रहते हैं।
    • न करें तो छोकरे लोग (बच्चे लोग) पत्थर मारने लग पड़ें।
    • वो लोग समझते हैं यह नव जवान पहलवान बन भारत की रक्षा करेंगे।
      • सो पहलवानी अभी दिखलाते रहते हैं।
      • दुनिया की हालत देखो कैसी है।
      • रावण राज्य है ना।
      • बाप कहते हैं यह है ही आसुरी सम्प्रदाय।
  • तुम अभी दैवी सम्प्रदाय बन रहे हो।
    • देवताओं और असुरों की फिर लड़ाई कैसे होगी।
    • तुम तो डबल अहिंसक बनते हो।
    • वह हैं डबल अहिंसक।
    • देवी-देवताओं को डबल अहिंसक कहा जाता है।
    • अहिंसा परमो देवी-देवता धर्म कहा जाता है।
      • बाबा ने समझाया - किसको वाचा से दु:ख देना भी हिंसा है।
  • तुम देवता बनते हो तो हर बात में रॉयल्टी होनी चाहिए।
    • खान-पान आदि न बहुत ऊंचा, न बहुत हल्का।
      • एकरस।
    • राजाओं आदि का बोलना बहुत कम होता है।
    • प्रजा का भी राजा में बहुत प्यार रहता है।
      • यहाँ तो देखो क्या लगा पड़ा है।
      • कितने आन्दोलन हैं।
      • बाप कहते हैं जब ऐसी हालत हो जाती है तब मैं आकर विश्व में शान्ति करता हूँ।
    • गवर्मेन्ट चाहती है - सब मिलकर एक हो जाएं।
    • भल सब ब्रदर्स तो हैं परन्तु यह तो खेल है ना।
    • बाप कहते हैं बच्चों को, तुम कोई फिक्र नहीं करो।
      • अनाज की अभी तकलीफ है।
  • वहाँ तो अनाज इतना हो जायेगा, बिगर पैसे जितना चाहे उतना मिलता रहेगा।
    • अभी वह दैवी राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
    • हम हेल्थ को भी ऐसा बना देते हैं जो कभी कोई रोग होवे ही नहीं, गैरन्टी है।
    • कैरेक्टर भी हम इन देवताओं जैसा बनाते हैं।
    • जैसा-जैसा मिनिस्टर हो ऐसा उनको समझा सकते हैं।
    • युक्ति से समझाना चाहिए।
    • ओपीनियन में बहुत अच्छा लिखते हैं।
      • परन्तु अरे तुम भी तो समझो ना।
      • तो कहते हैं फुर्सत नहीं।
      • तुम बड़े लोग कुछ आवाज़ करेंगे तो गरीबों का भी भला होगा।
  • बाप समझाते हैं अभी सबके सिर पर काल खड़ा है।
    • आजकल करते-करते काल खा जायेगा।
    • तुम कुम्भकरण मिसल बन पड़े हो।
    • बच्चों को समझाने में बहुत मज़ा भी आता है।
      • बाबा ने ही यह चित्र आदि बनवाये हैं।
      • दादा को थोड़ेही यह ज्ञान था।
  • तुमको वर्सा लौकिक और पारलौकिक बाप से मिलता है।
    • अलौकिक बाप से वर्सा नहीं मिलता है।
    • यह तो दलाल है, इनका वर्सा नहीं है।
    • प्रजापिता ब्रह्मा को याद नहीं करना है।
      • मेरे से तो तुमको कुछ भी नहीं मिलता है।
      • मैं भी पढ़ता हूँ, वर्सा है ही एक हद का, दूसरा बेहद के बाप का।
      • प्रजापिता ब्रह्मा क्या वर्सा देंगे।
    • बाप कहते हैं - मामेकम् याद करो, यह तो रथ है ना।
    • रथ को तो याद नहीं करना है ना।
  • ऊंच ते ऊंच भगवान कहा जाता है।
    • बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं।
  • आत्मा ही सब कुछ करती है ना।
    • एक खाल छोड़ दूसरी लेती है।
    • जैसे सर्प का मिसाल है।
  • भ्रमरियाँ भी तुम हो।
    • ज्ञान की भूं-भूं करो।
    • ज्ञान सुनाते-सुनाते तुम किसी को भी विश्व का मालिक बना सकते हो।
  • बाप जो तुम्हें विश्व का मालिक बनाते हैं ऐसे बाप को क्यों नहीं याद करेंगे।
    • अब बाप आया हुआ है तो वर्सा क्यों नहीं लेना चाहिए।
      • ऐसे क्यों कहते कि फुर्सत नहीं मिलती है।
  • अच्छे-अच्छे बच्चे तो सेकेण्ड में समझ जाते हैं।
      • बाबा ने समझाया है - मनुष्य लक्ष्मी की पूजा करते हैं, अब लक्ष्मी से क्या मिलता है और अम्बा से क्या मिलता है?
    • लक्ष्मी तो है स्वर्ग की देवी।
    • उनसे पैसे की भीख मांगते हैं।
    • अम्बा तो विश्व का मालिक बनाती है।
    • सब कामनायें पूरी कर देती है।
    • श्रीमत द्वारा सब कामनायें पूरी हो जाती हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) इन कर्मेन्द्रियों से कोई भूल न हो इसके लिए मैं आत्मा हूँ, यह स्मृति पक्की करनी है।
    • शरीर को नहीं देखना है।
    • एक बाप की तरफ अटेन्शन देना है।
  • 2) अभी वानप्रस्थ अवस्था है इसलिए वाणी से परे जाने का पुरूषार्थ करना है, पवित्र जरूर बनना है।
    • बुद्धि में रहे - सच की नईया हिलेगी, डूबेगी नहीं... इसलिए विघ्नों से घबराना नहीं है।
  • वरदान:-
  • अहम् और वहम को समाप्त कर रहमदिल बनने वाले विश्व कल्याणकारी भव
    • कैसी भी अवगुण वाली, कड़े संस्कार वाली, कम बुद्धि वाली, सदा ग्लानि करने वाली आत्मा हो लेकिन जो रहमदिल विश्व कल्याणकारी बच्चे हैं वे सर्व आत्माओं के प्रति लॉफुल के साथ लवफुल होंगे।
    • कभी इस वहम में नहीं आयेंगे कि यह तो कभी बदल ही नहीं सकते, यह तो हैं ही ऐसे....या यह कुछ नहीं कर सकते, मैं ही सब कुछ हूँ..यह कुछ नहीं हैं।
    • इस प्रकार का अहम् और वहम छोड़, कमजोरियों वा बुराइयों को जानते हुए भी क्षमा करने वाले रहमदिल बच्चे ही विश्व कल्याण की सेवा में सफल होते हैं।
  • स्लोगन:-
  • जहाँ ब्राह्मणों के तन-मन-धन का सहयोग है वहाँ सफलता साथ है।