16-12-2020 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - पापों से हल्का होने के लिए व़फादार, ऑनेस्ट बन अपनी कर्म कहानी बाप को लिखकर दो तो क्षमा हो जायेगी

प्रश्नः-

संगमयुग पर तुम बच्चे कौन-सा बीज नहीं बो सकते हो?

उत्तर:-

देह-अभिमान का।

इस बीज से सब विकारों के झाड़ निकल पड़ते हैं।

इस समय सारी दुनिया में 5 विकारों के झाड़ निकले हुए हैं।

सब काम-क्रोध के बीज बोते रहते हैं।

तुम्हें बाप का डायरेक्शन है बच्चे योगबल से पावन बनो।

यह बीज बोना बन्द करो।

 

गीत:- तुम्हें पा के हमने जहाँ पा लिया है ...


  • ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना!
    • अभी तो थोड़े हैं, अनेकानेक बच्चे हो जायेंगे।
    • इस समय थोड़े प्रैक्टिकल में बने हो फिर भी इस प्रजापिता ब्रह्मा को जानते तो सब हैं ना।
  • नाम ही है प्रजापिता ब्रह्मा।

    • कितनी ढेर प्रजा है।
    • सब धर्म वाले इनको मानेंगे जरूर।
    • उन द्वारा ही मनुष्य मात्र की रचना हुई है ना।
  • बाबा ने समझाया है लौकिक बाप भी हद के ब्रह्मा हैं क्योंकि उनका भी सिजरा बनता है ना।
  • सरनेम से सिजरा चलता है।
  • वह होते हैं हद के, यह है बेहद का बाप।
  • इनका नाम ही है प्रजापिता।
  • वो लौकिक बाप तो लिमिटेड प्रजा रचते हैं।
    • कोई नहीं भी रचते।
  • यह तो जरूर रचेंगे।
  • ऐसे कोई कहेंगे कि प्रजापिता ब्रह्मा को सन्तान नहीं है?
  • इनकी सन्तान तो सारी दुनिया है।
  • पहले-पहले है ही प्रजापिता ब्रह्मा। मुसलमान भी आदम बीबी जो कहते हैं सो जरूर किसको तो कहते होंगे ना।
  • एडम ईव, आदि देव, आदि देवी यह प्रजापिता ब्रह्मा के लिए ही कहेंगे।
  • जो भी धर्म वाले हैं सब इनको मानेंगे।
  • बरोबर एक है हद का बाप, दूसरा है बेहद का।
    • यह बेहद का बाप है बेहद का सुख देने वाला।
    • तुम पुरूषार्थ भी करते हो बेहद स्वर्ग के सुख के लिए।
  • यहाँ बेहद के बाप से बेहद के सुख का वर्सा पाने आये हो।
    • स्वर्ग में बेहद का सुख, नर्क में बेहद का दु:ख भी कह सकते हैं।
      • दु:ख भी बहुत आने वाले हैं।
      • हाय-हाय करते रहेंगे।
  • बाप ने तुमको सारे विश्व के आदि-मध्य-अन्त का राज़ समझाया है।

    • तुम बच्चे सामने बैठे हो और पुरूषार्थ भी करते हो।
    • यह तो मात-पिता दोनों हुए ना।
    • इतने ढेर बच्चे हैं।
    • बेहद के मात-पिता से कभी कोई दुश्मनी रखेंगे नहीं।
    • मात-पिता से कितना सुख मिलता है।
    • गाते भी हैं तुम मात-पिता.... यह तो बच्चे ही समझते हैं।
  • दूसरे धर्म वाले सब फादर को ही बुलाते हैं।
    • मात-पिता नहीं कहेंगे।
    • सिर्फ यहाँ ही गाते हैं तुम मात-पिता हम...... तुम बच्चे जानते हो हम पढ़कर मनुष्य से देवता, कांटे से फूल बन रहे हैं।
  • बाप खिवैया भी है, बागवान भी है।
      • बाकी तुम ब्राह्मण सब अनेक प्रकार के माली हो।
      • मुगल गार्डन का भी माली होता है ना।
        • उनकी पगार भी कितनी अच्छी होती है।
        • माली भी नम्बरवार हैं ना।
        • कोई-कोई माली कितने अच्छे-अच्छे फूल बनाते हैं।
  • फूलों में एक किंग ऑफ फ्लावर भी होता है।
      • सतयुग में किंग क्वीन फ्लावर भी हैं ना।
      • यहाँ भल महाराजा-महारानी हैं परन्तु फ्लावर्स नहीं हैं।
      • पतित बनने से कांटे बन जाते हैं।
      • रास्ते चलते-चलते कांटा लगाकर भाग जाते हैं।
        • अजामिल भी उनको कहा जाता है।
  • सबसे जास्ती भक्ति भी तुम करते हो।
    • वाम मार्ग में गिरने वाले चित्र देखो कैसे-कैसे गन्दे बनाये हुए हैं।
      • देवताओं के ही चित्र दिये हैं।
    • अब वह हैं वाम मार्ग के चित्र।
    • अभी तुम बच्चों ने यह बातें समझ ली हैं।
  • तुम अभी ब्राह्मण बने हो।
    • हम विकारों से बहुत दूर-दूर जाते हैं।
    • ब्राह्मणों में भाई-बहिन के साथ विकार में जाना - यह तो बहुत बड़ा क्रिमिनल एसाल्ट हो जाए।
    • नाम ही खराब हो जाता है, इसलिए छोटेपन से ही कुछ खराब काम किया है तो वह भी बाबा को सुनाते हैं तो आधा माफ हो जाता है।
      • याद तो रहता है ना।
      • फलाने समय यह हमने गंदा काम किया।
      • बाबा को लिखकर देते हैं।
      • जो बहुत व़फादार ऑनेस्ट होते हैं वह बाबा को लिखते हैं - बाबा हमने यह-यह गंदा काम किया।
      • क्षमा करो।
      • बाप कहते हैं क्षमा तो होती नहीं, बाकी सच बताते हो तो वह हल्का हो जायेगा।
      • ऐसे नहीं, भूल जाता है।
        • भूल नहीं सकता।
      • आगे फिर ऐसा कोई काम न हो उसके लिए खबरदार करता हूँ।
        • बाकी दिल खाती जरूर है।
          • कहते हैं बाबा हम तो अजामिल थे।
          • इस जन्म की ही बात है।
  • यह भी अभी तुम जानते हो।
    • कब से वाम मार्ग में आकर पाप आत्मा बने हो?
    • अब बाप फिर हमको पुण्य आत्मा बनाते हैं।
    • पुण्य आत्माओं की दुनिया ही अलग है।
    • भल दुनिया एक ही है परन्तु समझ गये हो कि दो भाग में है।
    • एक है पुण्य आत्माओं की दुनिया जिसको स्वर्ग कहा जाता है।
    • दूसरी है पाप आत्माओं की दुनिया जिसको नर्क दु:खधाम कहा जाता है।
    • सुख की दुनिया और दु:ख की दुनिया।
    • दु:ख की दुनिया में सब चिल्लाते रहते हैं हमको लिबरेट करो, अपने घर ले जाओ।
    • यह भी बच्चे समझते हैं कि घर में जाकर बैठना नहीं है, फिर पार्ट बजाने आना है।
    • इस समय सारी दुनिया पतित है।
  • अभी बाप द्वारा तुम पावन बन रहे हो।
    • एम ऑब्जेक्ट सामने खड़ी है।
    • और कोई भी यह एम ऑब्जेक्ट नहीं दिखायेंगे कि हम यह बन रहे हैं।
    • बाप कहते हैं बच्चे तुम यह थे, अब नहीं हो।
    • पूज्य थे अब पुजारी बन गये हो फिर पूज्य बनने के लिए पुरूषार्थ चाहिए।
    • बाप कितना अच्छा पुरूषार्थ कराते हैं।
  • यह बाबा समझते हैं ना हम प्रिन्स बनूँगा।
    • नम्बरवन में है यह, फिर भी हर वक्त याद नहीं ठहरती है।
      • भूल जाते हैं।
    • कितना भी कोई मेहनत करे परन्तु अभी वह अवस्था होगी नहीं।
    • कर्मातीत अवस्था तब होगी जब लड़ाई का समय होगा।
    • पुरूषार्थ तो सबको करना है ना।
    • इनको भी करना है।
    • तुम समझाते भी हो चित्र में देखो बाबा का चित्र कहाँ है?
    • एकदम झाड़ के पिछाड़ी में खड़ा है, पतित दुनिया में और नीचे में फिर तपस्या कर रहे हैं।
      • कितना सहज समझाया जाता है।
    • यह सब बातें बाप ने ही समझाई हैं।
      • यह भी नहीं जानते थे।
  • बाप ही नॉलेजफुल है, उसको ही सब याद करते हैं - हे परमपिता परमात्मा आकर हमारे दु:ख हरो।
    • ब्रह्मा-विष्णु-शंकर तो देवतायें हैं।
    • मूलवतन में रहने वाली आत्माओं को देवता थोड़ेही कहा जाता है।
    • ब्रह्मा-विष्णु-शंकर का भी राज़ बाप ने समझाया है।
    • ब्रह्मा, लक्ष्मी-नारायण यह तो सब यहाँ ही हैं ना।
    • सूक्ष्मवतन का सिर्फ तुम बच्चों को अभी साक्षात्कार होता है।
    • यह बाबा भी फरिश्ता बन जाते हैं।
    • यह तो बच्चे जानते हैं जो सीढ़ी के ऊपर में खड़ा है वही फिर नीचे तपस्या कर रहे हैं।
      • चित्र में बिल्कुल क्लीयर दिखाया है।
      • वह अपने को भगवान कहाँ कहलाते हैं।
      • यह तो कहते हैं हम वर्थ नाट ए पेनी थे, ततत्वम्।
      • अभी वर्थ पाउण्ड बन रहे हो ततत्वम्।
        • कितनी सहज समझने की बातें हैं।
    • कभी कोई बोले तो कहो देखो यह तो कलियुग के अन्त में खड़ा है ना।
  • बाप कहते हैं जब जड़जड़ीभूत अवस्था, वानप्रस्थ होती है तब मैं इनमें प्रवेश करता हूँ।

    • अभी राजयोग की तपस्या कर रहे हैं।
    • तपस्या करने वाले को देवता कैसे कहेंगे? राजयोग सीखकर यह बनेंगे।
    • तुम बच्चों को भी ऐसा ताज वाला बनाते हैं ना।
      • यह सो देवता बनते हैं।
      • ऐसे तो 10-20 बच्चों के चित्र भी रख सकते हैं।
      • दिखलाने के लिए कि यह बनते हैं।
        • आगे सबके ऐसे फोटो निकले हुए हैं।
        • यह समझाने की बात है ना।
    • एक तरफ साधारण, दूसरे तरफ डबल सिरताज।
    • तुम समझते हो हम यह बन रहे हैं।
    • बनेंगे वह जिनकी लाइन क्लीयर होगी और बहुत मीठा भी बनना है।
  • इस समय मनुष्यों में काम-क्रोध आदि का बीज कितना हो गया है।

    • सबमें 5 विकार रूपी बीज के झाड़ निकल पड़े हैं।
    • अभी बाप कहते हैं ऐसा बीज नहीं बोना है।
      • संगमयुग पर तुमको देह-अभिमान का बीज नहीं बोना है।
      • काम का बीज नहीं बोना है।
    • आधाकल्प के लिए फिर रावण ही नहीं रहेगा।
    • हर एक बात बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
  • मुख्य तो एक ही बात है मनमनाभव।
    • बाप कहते हैं मुझे याद करो।
    • सबसे पिछाड़ी में यह है, फिर सबसे पहले भी यह है।
    • योगबल से कितना पावन बनते हैं।
    • शुरू में तो बच्चों को बहुत साक्षात्कार होते थे।
      • भक्ति मार्ग में जब नौधा भक्ति करते हैं तब साक्षात्कार होता है।
      • यहाँ तो यह बैठे-बैठे ध्यान में चले जाते थे, इसको जादू समझते थे।
      • यह तो फर्स्टक्लास जादू है।
        • मीरा ने तो बहुत तपस्या की, साधू-सन्त आदि का संग किया।
  • यहाँ साधू आदि कहाँ हैं।
    • यह तो बाप है ना।
    • सबका बाप है शिवबाबा।
    • कहते हैं गुरू जी से मिलें।
      • यहाँ तो गुरू है नहीं।
      • शिवबाबा तो है निराकार फिर किससे मिलना चाहते हो?
      • उन गुरूओं के पास तो जाकर भेंटा रखते हैं।
    • यह तो बाप बेहद का मालिक है।
      • यहाँ भेंटा आदि चढ़ाने की बात नहीं।
      • यह पैसा क्या करेंगे?
    • यह ब्रह्मा भी समझते हैं हम विश्व का मालिक बनते हैं।
      • बच्चे जो कुछ पैसा आदि देते हैं तो उन्हों के लिए ही मकान आदि बना देते हैं।
      • पैसे तो न शिवबाबा के काम के हैं, न ब्रह्मा बाबा के काम के हैं।
    • यह मकान आदि बनाया ही है बच्चों के लिए, बच्चे ही आकर रहते हैं।
    • कोई गरीब हैं, कोई साहूकार हैं, कोई तो दो रूपये भी भेज देते हैं - बाबा हमारी एक ईट लगा दो।
      • कोई हजार भेज देते हैं।
    • भावना तो दोनों की एक है ना।
    • तो दोनों का इक्वल बन जाता है।
    • फिर बच्चे आते हैं जहाँ चाहें रहें।
      • जिसने मकान बनवाया है वह अगर आते हैं तो उनको जरूर सुख से रहायेंगे।
        • कई फिर कह देते बाबा के पास भी खातिरी होती है।
        • अरे वह तो जरूर करनी पड़ेगी ना।
    • कोई कैसे हैं, कोई तो कहाँ भी बैठ जाते हैं।
    • कोई बहुत नाज़ुक होते हैं, विलायत में रहने वाले, बड़े-बड़े महलों में रहने वाले होते हैं, हर एक नेशन में बड़े-बड़े साहूकार निकलते हैं तो मकान आदि ऐसे बनाते हैं।
    • यहाँ तो देखो कितने ढेर बच्चे आते हैं।
    • और किसी बाप को ऐसे ख्यालात थोड़ेही होंगे।
      • करके 10-12-20 पोत्रे-पोत्रियाँ हों।
      • अच्छा, किसको 200-500 भी हों इनसे जास्ती तो नहीं होंगे।
      • इस बाबा की फैमिली तो कितनी बड़ी है, और ही वृद्धि को पानी है।
      • यह तो राजधानी स्थापन हो रही है।
      • बाप की फैमिली कितनी बनेंगी।
      • फिर प्रजापिता ब्रह्मा की फैमिली कितनी हो गई।
  • कल्प-कल्प जब आते हैं तब ही वन्डरफुल बातें तुम्हारे कानों में पड़ती है।
    • बाप के लिए ही कहते हो ना - हे प्रभु तुम्हारी गति-मत सबसे न्यारी शुरू होती है।
    • भक्ति और ज्ञान में फ़र्क देखो कितना है।
    • बाप तुमको समझाते हैं - स्वर्ग में जाना है तो दैवीगुण भी धारण करने चाहिए।
      • अभी तो कांटे हैं ना।
      • गाते रहते हैं मैं निर्गुण हारे में कोई गुण नाही।
      • बाकी 5 विकारों के अवगुण हैं, रावण राज्य है।
  • अभी तुमको कितनी अच्छी नॉलेज मिलती है।
    • वह नॉलेज इतनी खुशी नहीं देती है, जितनी यह।
    • तुम जानते हो हम आत्मायें ऊपर मूलवतन में रहने वाली हैं।
    • सूक्ष्मवतन में ब्रह्मा-विष्णु-शंकर, वह भी सिर्फ साक्षात्कार होता है।
    • ब्रह्मा भी यहाँ, लक्ष्मी-नारायण भी यहाँ के हैं।

      • यह सिर्फ साक्षात्कार होता है।
    • व्यक्त ब्रह्मा सो फिर सूक्ष्मवतनवासी ब्रह्मा फरिश्ता कैसे बन जाते हैं, वह निशानी है।
      • बाकी है कुछ नहीं।
    • अभी तुम बच्चे सब बातें समझते जाते हो, धारणा करते जाते हो।
      • नई बात नहीं है।
    • तुम अनेक बार देवता बने हो, डीटी राज्य था ना।
      • यह चक्र फिरता रहता है।
    • वह विनाशी ड्रामा होता है, यह है अनादि अविनाशी ड्रामा।

      • यह तुम्हारे सिवाए और कोई की बुद्धि में नहीं है।
    • यह सब बाप बैठ समझाते हैं।
    • ऐसे नहीं कि परम्परा से चला आया है।
    • बाप कहते हैं यह ज्ञान अभी तुमको सुनाते हैं।
      • फिर यह प्राय: लोप हो जाता है।
      • तुम राजाई पद प्राप्त कर लेते हो फिर सतयुग में यह नॉलेज होती नहीं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सदा स्मृति रहे कि हम अभी ब्राह्मण हैं इसलिए विकारों से बहुत-बहुत दूर रहना है।
    • कभी भी क्रिमिनल एसाल्ट न हो। बाप से बहुत-बहुत ऑनेस्ट, वफादार रहना है।
  • 2) डबल सिरताज देवता बनने के लिए बहुत मीठा बनना है, लाइन क्लीयर रखनी है। राजयोग की तपस्या करनी है।
  • वरदान:-
  • ईश्वरीय नशे द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव
    • जैसे वह नशा सब कुछ भुला देता है, ऐसे यह ईश्वरीय नशा दुखों की दुनिया को सहज ही भुला देता है।
    • उस नशे में तो बहुत नुकसान होता है, अधिक पीने से खत्म हो जाते हैं लेकिन यह नशा अविनाशी बना देता है।
    • जो सदा ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं वह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाते हैं।
    • एक बाप दूसरा न कोई - यह स्मृति ही नशा चढ़ाती है।
    • इसी स्मृति से समर्थी आ जाती है।
  • स्लोगन:-
  • एक दो को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो।