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ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने यह गीत सुना।
- वो है भक्ति मार्ग का गाया हुआ।
- इस समय बाप इसका रहस्य
समझाते हैं।
- बच्चे भी समझते हैं - अब हम बाप से बेहद का वर्सा पा रहे हैं।
- वह राज्य हमारा कोई छीन न सके।
- भारत
का राज्य बहुतों ने छीना है ना।
- मुसलमानों ने छीना, अंग्रेजों ने छीना।
- वास्तव में पहले तो रावण ने छीना है, आसुरी मत
पर।
- यह जो बन्दरों का चित्र बनाते हैं - हियर नो ईविल, सी नो ईविल.... इनका भी कोई रहस्य होगा ना।
- बाप समझाते
हैं एक तरफ है रावण की आसुरी सम्प्रदाय, जो बाप को नहीं जानते हैं।
- दूसरी तरफ हो तुम बच्चे।
- तुम भी पहले नहीं
जानते थे।
- बाप इनके लिए भी सुनाते हैं कि इसने भी बहुत भक्ति की है, इनका यह है बहुत जन्मों के अन्त का जन्म।
- यही पहले पावन थे, अब पतित बने हैं। इनको मैं जानता हूँ।
- अभी तुम और किसकी मत सुनो।
- बाप कहते हैं, मैं तुम
बच्चों से बात करता हूँ।
- हाँ, कभी कोई मित्र-सम्बन्धियों आदि को ले आते हैं तो थोड़ी बात कर लेता हूँ।
- पहली बात तो है
पवित्र बनना है तब ही बुद्धि में धारणा होगी।
- यहाँ के कायदे बहुत कड़े हैं।
- आगे कहते थे 7 रोज़ भट्ठी में रहना है, और
कोई की याद न आये, न पत्र आदि लिखना है।
- रहो भल कहाँ भी।
- परन्तु सारा दिन भट्ठी में रहना पड़े।
- अभी तो तुम भट्ठी
में पड़कर फिर बाहर निकलते हो।
- कोई तो आश्चर्यवत् सुनन्ती, कथन्ती, अहो माया फिर भागन्ती हो गये।
- यह है बड़ी
भारी मंजिल।
- बाप का कहना नहीं मानते।
- बाप कहते हैं तुम तो वानप्रस्थी हो।
- तुम क्यों मुफ्त में फँस पड़े हो।
- तुम तो
इस रूहानी सर्विस में लग जाओ।
- तुम्हें और कोई की याद नहीं आनी चाहिए।
- आप मुये मर गई दुनिया तब ऊंच पद मिल
सकता है।
- तुम्हारा पुरुषार्थ ही है - नर से नारायण बनने का।
- कदम-कदम बाप के डायरेक्शन पर चलना पड़े।
- परन्तु इसमें
भी हिम्मत चाहिए।
- सिर्फ कहने की बात नहीं है।
- मोह की रग कम नहीं है, नष्टोमोहा होना है।
- मेरा तो एक शिवबाबा,
दूसरा न कोई।
- हम तो बाबा की शरण लेते हैं।
- हम विष कभी नहीं देंगे।
- तुम ईश्वर तरफ आते हो तो माया भी तुमको
छोड़ेगी नहीं, खूब पछाड़ेगी।
- जैसे वैद्य लोग कहते हैं - इस दवाई से पहले सारी बीमारी बाहर निकलेगी।
- डरना नहीं।
- यह
भी ऐसे है।
- माया खूब सतायेगी, वानप्रस्थ अवस्था में भी विकार के संकल्प ले आयेगी।
- मोह उत्पन्न हो जायेगा।
- बाबा
पहले से ही बता देते हैं कि यह सब होगा।
- जहाँ तक जियेंगे, यह माया की बॉक्सिंग चलती रहेगी।
- माया भी पहलवान बन
तुमको छोड़ेगी नहीं।
- यह ड्रामा में नूँध है।
- मैं थोड़ेही माया को कहूँगा कि विकल्प न लाओ।
- बहुत लिखते हैं बाबा कृपा
करो।
- मैं थोड़ेही किस पर कृपा करुँगा।
- यहाँ तो तुमको श्रीमत पर चलना है।
- कृपा करूँ फिर तो सब महाराजा बन जाएं।
- ड्रामा में भी है नहीं।
- सब धर्म वाले आते हैं।
- जो और-और धर्म में ट्रान्सफर हो गये होंगे वह निकल आयेंगे।
- यह सैपलिंग
लगता है, इसमें बड़ी मेहनत है।
- नये जो आते हैं तो सिर्फ कहना है बाप को याद करो।
- शिव भगवानुवाच।
- कृष्ण कोई
भगवान नहीं है।
- वह तो 84 जन्मों में आते हैं।
- अनेक मत, अनेक बातें हैं।
- यह बुद्धि में पूरा धारण करना है।
- हम पतित
थे।
- अब बाप कहते हैं तुम पावन कैसे बनो।
- कल्प पहले भी कहा था - मामेकम् याद करो।
- अपने को आत्मा समझ देह
के सब धर्म छोड़ जीते जी मरो।
- मुझ एक बाप को ही याद करो।
- मैं सर्व की सद्गति करने आया हूँ।
- भारतवासी ही ऊंच
बनते हैं फिर 84 जन्म ले नीचे उतरते हैं।
- बोलो, तुम भारतवासी ही इन देवी-देवताओं की पूजा करते हो।
- यह कौन हैं?
- यह स्वर्ग के मालिक थे ना।
- अभी कहाँ हैं
- 84 जन्म कौन लेते हैं?
- सतयुग में तो यही देवी-देवता थे।
- अभी फिर इस
महाभारत लड़ाई द्वारा सबका विनाश होना है।
- अभी सब पतित तमोप्रधान हैं।
- मैं भी इनके बहुत जन्मों के अन्त में ही
आकर प्रवेश करता हूँ।
- यह पूरा भक्त था।
- नारायण की पूजा करता था।
- इनमें ही प्रवेश कर फिर इनको नारायण बनाता
हूँ।
- अब तुमको भी पुरुषार्थ करना है।
- यह डीटी राजधानी स्थापन हो रही है।
- माला बनती है ना।
- ऊपर में है निराकार फूल,
फिर मेरू युगल।
- शिवबाबा के नीचे एकदम यह खड़े हैं।
- जगतपिता ब्रह्मा और जगत अम्बा सरस्वती।
- अभी तुम इस
पुरुषार्थ से विष्णुपुरी के मालिक बनते हो।
- प्रजा भी तो कहती है ना - भारत हमारा है।
- तुम भी समझते हो हम विश्व के
मालिक हैं।
- हम राजाई करेंगे, और कोई धर्म होगा ही नहीं।
- ऐसे नहीं कहेंगे - यह हमारी राजाई है, और कोई राजाई है
नहीं।
- यहाँ बहुत हैं तो हमारा तुम्हारा चलता है।
- वहाँ यह बातें ही नहीं।
- तो अब बाप समझाते हैं - बच्चे, और सब बातें
छोड़ मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
- ऐसे नहीं कोई सामने बैठ निष्ठा (योग) कराये, दृष्टि दे।
- बाप तो कहते हैं
चलते-फिरते बाप को याद करना है।
- अपना चार्ट रखो - सारे दिन में कितना याद किया?
- सवेरे उठ कितना समय बाप से
बातें की?
- आज बाबा की याद में बैठे?
- ऐसे-ऐसे अपने से मेहनत करनी है।
- नॉलेज तो बुद्धि में है फिर औरों को भी
समझाना है।
- यह किसकी बुद्धि में नहीं आता है कि काम महाशत्रु है।
- 2-4 वर्ष रहकर फिर माया का थप्पड़ जोर से लगने
से गिर पड़ते हैं।
- फिर लिखते हैं बाबा हमने काला मुँह कर दिया।
- बाबा लिख देते काला मुँह करने वाले को 12 मास यहाँ
आने की दरकार नहीं है।
- तुम बाप से प्रतिज्ञा कर फिर भी विकार में गिरे, मेरे पास कभी नहीं आना।
- बड़ी मंजिल है।
- बाप
आये ही हैं पतित से पावन बनाने।
- बहुत बच्चे शादी कर पवित्र रहते हैं।
- हाँ, किसी बच्ची पर मार पड़ती है तो उनको
बचाने लिए गन्धर्वी विवाह कर पवित्र रहते हैं।
- उसमें भी कोई-कोई को तो नाक से माया पकड़ लेती है।
- हार खा लेते हैं।
- स्त्रियां भी बहुत हार खा लेती हैं।
- बाप कहते हैं तुम तो सूपनखा हो, यह सब नाम इस समय के ही हैं।
- यहाँ तो बाबा कोई
विकारी को बैठने भी न दे।
- कदम-कदम पर बाप से राय लेनी पड़े।
- सरेन्डर हो जाए तो फिर बाप कहेंगे अब ट्रस्टी बनो।
- राय पर चलते रहो।
- पोतामेल बतायेंगे तब तो राय देंगे।
- यह बड़ी समझने की बातें हैं।
- तुम भोग भल लगाओ परन्तु मैं
खाता नहीं हूँ।
- मैं तो दाता हूँ।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को
नमस्ते।
- रात्रि क्लास 15-6-68
- पास्ट जो हो गया है उनको रिवाईज करने से जिनकी कमज़ोर दिल है तो उन्हों के दिल की कमज़ोरी भी रिवाईज हो जाती
है इसलिये बच्चों को ड्रामा के पट्टे पर ठहराया गया है।
- मुख्य फायदा है ही याद से। याद से ही आयु बड़ी होनी है।
- ड्रामा
को बच्चे समझ जायें तो कब ख्याल न हो।
- ड्रामा में इस समय ज्ञान सीखने और सिखाने का चल रहा है।
- फिर पार्ट बन्द
हो जायेगा।
- न बाप का, न हमारा पार्ट रहेगा।
- न उनका देने का पार्ट, न हमारा लेने का पार्ट होगा।
- तो एक हो जायेंगे ना।
- हमारा पार्ट नई दुनिया में हो जायेगा।
- बाबा का पार्ट शान्तिधाम में होगा।
- पार्ट का रील भरा हुआ है ना, हमारा प्रारब्ध का
पार्ट, बाबा का शान्तिधाम का पार्ट।
- देने और लेने का पार्ट पूरा हुआ, ड्रामा ही पूरा हुआ।
- फिर हम राज्य करने आयेंगे, वह
पार्ट चेंज होगा।
- ज्ञान स्टाप हो जायेगा, हम वह बन जायेंगे।
- पार्ट ही पूरा तो बाकी फर्क नहीं रहेगा।
- बच्चे और बाप का भी
पार्ट नहीं रहेगा।
- यह भी ज्ञान को पूरा ले लेते हैं।
- उनके पास भी कुछ रहता ही नहीं है।
- न देने वाले पास रहे, न लेने वाले
में कमी रही तो दोनों एक दो के समान हो गये।
- इसमें विचार सागर मंथन करने की बुद्धि चाहिए।
- खास पुरुषार्थ है याद
की यात्रा का।
- बाप बैठ समझाते हैं।
- सुनाने में तो मोटी बात हो जाती है, बुद्धि में तो सूक्ष्म है ना।
- अन्दर में जानते हैं
शिव बाबा का रूप क्या है।
- समझाने में मोटा रूप हो जाता है।
- भक्ति मार्ग में बड़ा लिंग बना देते हैं।
- आत्मा है तो छोटी
ना।
- यह है कुदरत।
- कहाँ तक अन्त पायेंगे?
- फिर पिछाड़ी में बेअन्त कह देते।
- बाबा ने समझाया है सारा पार्ट आत्मा में
भरा हुआ है।
- यह कुदरत है।
- अन्त नहीं पाया जा सकता।
- सृष्टि चक्र का अन्त तो पाते हैं।
- रचयिता और रचना के आदि
मध्य अन्त को तुम ही जानते हो।
- बाबा नॉलेजफुल है।
- फिर हम भी फुल हो जायेंगे।
- पाने लिये कुछ रहेगा नहीं।
- बाप
इसमें प्रवेश कर पढ़ाते हैं।
- वह है बिन्दी।
- आत्मा का वा परमात्मा का साक्षात्कार होने से खुशी थोड़ेही होती है।
- मेहनत कर
बाप को याद करना है तो विकर्म विनाश होंगे।
- बाप कहते हैं मेरे में ज्ञान बन्द हो जायेगा तो तेरे में भी बन्द हो जायेगा।
- नॉलेज ले ऊंच बन जाते हैं।
- सभी कुछ ले लेते हैं फिर भी बाप तो बाप है ना।
- तुम आत्मायें आत्मा ही रहेंगे, बाप होकर
तो नहीं रहेंगे।
- यह तो ज्ञान है।
- बाप बाप है, बच्चे बच्चे हैं।
- यह सभी विचार सागर मंथन कर डीप में जाने की बातें हैं।
- यह भी जानते हैं जाना तो सभी को है।
- सभी चले जाने वाले हैं।
- बाकी आत्मा जाकर रहेगी।
- सारी दुनिया ही खत्म होनी
है।
- इसमें निडर रहना होता है।
- पुरुषार्थ करना है निडर हो रहने का।
- शरीर आदि का कोई भी भान न आवे। उसी अवस्था
में जाना है।
- बाप आप समान बनाते हैं, तुम बच्चे भी आप समान बनाते रहते हो।
- एक बाप की ही याद रहे ऐसा पुरुषार्थ
करना है।
- अभी टाइम पड़ा है।
- यह रिहर्सल तीखी करनी पड़े।
- प्रैक्टिस नहीं होगी तो खड़े हो जायेंगे।
- टांगे थिरकने लग
पड़ेगी और हार्ट फेल अचानक होता रहेगा।
- तमोप्रधान शरीर को हार्टफेल होने में देरी थोड़ेही लगती है।
- जितना अशरीरी होते
जायेंगे, बाप को याद करते रहेंगे उतना नज़दीक आते जायेंगे।
- योग वाले ही निडर रहेंगे।
- योग से शक्ति मिलती है, ज्ञान
से धन मिलता है।
- बच्चों को चाहिए शक्ति।
- तो शक्ति पाने लिये बाप को याद करते रहो। बाबा है अविनाशी सर्जन।
- वह
कब पेशेन्ट बन न सके।
- अभी बाप कहते हैं तुम अपनी अविनाशी दवाई करते रहो।
- हम ऐसी संजीवनी बूटी देते हैं जो कब
कोई बीमार न पड़े।
- सिर्फ पतित-पावन बाप को याद करते रहो तो पावन बन जायेंगे।
- देवतायें सदैव निरोगी पावन हैं ना।
- बच्चों को यह तो निश्चय हो गया है हम कल्प कल्प वर्सा लेते हैं।
- इम्मेमोरियल टाइम बाप आया है जैसे अभी आया है।
- बाबा जो सिखलाते, समझाते हैं यही राजयोग है।
- वह गीता आदि सभी भक्ति मार्ग के हैं।
- यह ज्ञान मार्ग बाप ही बताते
हैं।
- बाप ही आकर नीचे से ऊपर उठाते हैं।
- जो पक्के निश्चय बुद्धि हैं वही माला का दाना बनते हैं।
- बच्चे समझते हैं भक्ति
करते करते हम नीचे गिरते आये हैं।
- अभी बाप आकर सच्ची कमाई कराते हैं।
- लौकिक बाप इतनी कमाई नहीं कराते
जितनी पारलौकिक बाप कराते हैं।
- अच्छा बच्चों को गुडनाईट और नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) माया पहलवान बन सामने आयेगी, उससे डरना नहीं है।
- मायाजीत बनना है।
- कदम-कदम श्रीमत पर चल अपने ऊपर
आपेही कृपा करनी है।
- 2) बाप को अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल बताना है।
- ट्रस्टी होकर रहना है।
- चलते-फिरते याद का अभ्यास करना है।
- वरदान:-
- अपने स्वरूप द्वारा भक्तों को लाइट के क्राउन का साक्षात्कार कराने वाले इष्ट देव भव
- जबसे आप बाप के बच्चे बने, पवित्रता की प्रतिज्ञा की तो रिटर्न में लाइट का ताज प्राप्त हो गया।
- इस लाइट के ताज के
आगे रत्न जड़ित ताज कुछ भी नहीं है।
- जितना-जितना संकल्प, बोल और कर्म में प्योरिटी को धारण करते जायेंगे उतना
यह लाइट का क्राउन स्पष्ट होता जायेगा और इष्ट देव के रूप में भक्तों के आगे प्रत्यक्ष होते जायेंगे।
- स्लोगन:-
- सदा बापदादा की छत्रछाया के अन्दर रहो तो विघ्न-विनाशक बन जायेंगे।
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