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ओम् शान्ति। बच्चों ने गीत सुना।
- जब कोई मरते हैं तो
बाप के पास जन्म लेंगे।
- कहने में यही आता है कि बाप
के पास जन्म लिया, माँ का नाम नहीं लेंगे।
- बधाईयाँ बाप
को दी जाती हैं।
- अभी तुम बच्चे जानते हो हम आत्मायें
हैं, वह हो गई शरीर की बात।
- एक शरीर छोड़ फिर दूसरे
बाप के पास जाते हैं।
- तुमने 84 जन्मों में 84 साकारी
बाप किये हैं।
- वास्तव में असुल हो निराकार बाप के बच्चे।
- तुम आत्मा परमपिता परमात्मा के बच्चे हो।
- रहने वाले
भी वहाँ के हो जिसको निर्वाणधाम वा शान्तिधाम कहते
हैं।
- असुल तुम वहाँ के रहने वाले हो।
- बाप भी वहाँ रहते
हैं।
- यहाँ आकर तुम लौकिक बाप के बच्चे बनते हो तो
फिर उस बाप को भूल जाते हो।
- सतयुग में भी तुम सुखी
बन जाते हो तो उस पारलौकिक बाप को भूल जाते हो।
- सुख में उस बाप का कोई सिमरण नहीं करते हैं।
- दु:ख में
याद करते हैं।
- और याद भी आत्मा करती है।
- जब लौकिक
बाप को याद करते हैं तो बुद्धि शरीर तरफ रहती है।
- यह
बाबा उनको याद करेंगे तो कहेंगे ओ बाबा।
- हैं दोनों बाबा।
- राइट अक्षर बाबा ही है।
- यह भी फादर, वह भी फादर।
- आत्मा उस रूहानी बाप को याद करती है तो बुद्धि वहाँ
जाती है।
- यह बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
- अभी तुम
यह जानते हो बाबा आया हुआ है, हमको अपना बनाया है।
- बाप कहते हैं पहले-पहले हमने तुमको स्वर्ग में भेजा।
- तुम
बहुत-बहुत साहूकार थे फिर 84 जन्म ले ड्रामा प्लैन
अनुसार अभी तुम दु:खी हुए हो।
- अब ड्रामा अनुसार पुरानी
दुनिया खत्म होनी है।
- तुम्हारी आत्मा और शरीर रूपी
वस्त्र सतोप्रधान थे फिर गोल्डन एज से सिलवर एज में
आत्मा आई तो शरीर भी सिलवर एज में आया फिर
कॉपर एज में आया।
- अभी तो तुम्हारी आत्मा बिल्कुल ही
पतित हो गई है तो शरीर भी पतित है।
- जैसे 14 कैरेट का
सोना कोई पसन्द नहीं करते हैं।
- काला पड़ जाता है।
- तुम
भी अभी काले आइरन एजेड बन गये हो।
- अब आत्मा और
शरीर जो ऐसे काले बन गये हैं तो फिर प्योर कैसे बनें।
- आत्मा प्योर बने तो शरीर भी प्योर मिले।
- वह कैसे होगा?
- क्या गंगा स्नान करने से? नहीं।
- पुकारते ही हैं - हे
पतित-पावन... यह आत्मा कहती है।
- बुद्धि पारलौकिक बाप
तरफ चली जाती है - हे बाबा।
- देखो बाबा अक्षर ही कितना
मीठा है।
- भारत में ही बाबा-बाबा कहते हैं।
- अभी तुम
आत्म-अभिमानी बन बाबा के बने हो।
- बाप कहते हैं मैंने
तुमको स्वर्ग में भेजा था।
- नया शरीर धारण किया था।
- अब तुम क्या बन गये हो।
- यह बातें हमेशा अन्दर रहनी
चाहिए।
- बाबा को ही याद करना चाहिए।
- याद भी करते हैं
ना - हे बाबा हम आत्मायें पतित बन गई हैं।
- अब आप
आकर पावन बनाओ।
- ड्रामा में भी यह पार्ट है तब तो
बुलाते हैं।
- ड्रामा प्लैन अनुसार आयेंगे भी तब जब पुरानी
दुनिया से नई बननी है तो जरूर संगम पर ही आयेंगे।
- तुम बच्चों को निश्चय है बील्वेड मोस्ट बाबा है।
- कहते भी
हैं स्वीट, स्वीटर, स्वीटेस्ट।
- अब स्वीट कौन है?
- लौकिक
सम्बन्ध में पहले है फादर, जो जन्म देते हैं।
- फिर टीचर।
- वह अच्छा होता है।
- उससे पढ़कर मर्तबा पाते हो।
- नॉलेज
इज़ सोर्स ऑफ इनकम कहा जाता है।
- ज्ञान है नॉलेज।
- योग है याद।
- तो बेहद का बाप जिसने तुमको स्वर्ग का
मालिक बनाया था, उनको तुम अभी भूल गये हो।
- शिवबाबा कैसे आया किसको पता नहीं।
- चित्रों में भी
क्लीयर दिखाया है।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना शिवबाबा कराते
हैं।
- कृष्ण कैसे राजयोग सिखायेगा?
- राजयोग सिखलाते ही
हैं सतयुग के लिए।
- तो जरूर संगम पर बाप ने ही
सिखाया होगा।
- सतयुग की स्थापना करने वाला है बाबा।
- शिवबाबा इन द्वारा कराते हैं, करनकरावनहार है ना।
- वो
लोग त्रिमूर्ति ब्रह्मा कह देते हैं।
- ऊंच ते ऊंच शिव है ना।
- यह साकार है, वह निराकार है।
- सृष्टि भी यहाँ ही है।
- इस
सृष्टि का ही चक्र है जो फिरता रहता है, रिपीट होता
रहता है।
- सूक्ष्मवतन की सृष्टि का चक्र नहीं गाया जाता
है।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी मनुष्यों की रिपीट होती है।
- सूक्ष्मवतन में कोई चक्र आदि नहीं होता।
- गाते भी हैं वर्ल्ड
की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट।
- वह यहाँ की बात है।
- सतयुग-त्रेता..... बीच में जरूर संगमयुग चाहिए।
- नहीं तो
कलियुग को सतयुग कौन बनाये।
- नर्कवासियों को
स्वर्गवासी बनाने बाप संगम पर आते हैं।
- यह तो हाइएस्ट
अथॉरिटी गॉड फादरली गवर्नमेन्ट है।
- साथ में धर्मराज भी
है।
- आत्मा कहती है मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही।
- कोई भी देवता के मन्दिर में जायेंगे तो उनके आगे ऐसे
कहेंगे।
- कहना चाहिए बाप को।
- उनको छोड़ ब्रदर्स
(देवताओं) को आकर लगे हैं।
- यह देवतायें ब्रदर्स ठहरे ना।
- ब्रदर्स से तो कुछ भी मिलना नहीं है।
- भाइयों की पूजा
करते-करते नीचे गिरते आये हैं।
- अब तुम बच्चे जानते हो
बाबा आया हुआ है, उनसे हमको वर्सा मिलता है।
- बाप को
ही नहीं जानते, सर्वव्यापी कह देते हैं।
- कोई फिर कहते
अखण्ड ज्योति तत्व है।
- कोई कहते वह नाम-रूप से न्यारा
है।
- जब अखण्ड ज्योति स्वरूप है तो फिर नाम-रूप से
न्यारा कैसे कहते हो।
- बाप को न जानने कारण ही पतित
बन पड़े हैं।
- तमोप्रधान भी बनना ही है।
- फिर जब बाप
आते हैं तब आकर सभी को सतोप्रधान बनाते हैं।
- आत्मायें
निराकारी दुनिया में सब बाप के साथ रहती हैं फिर यहाँ
सतो-रजो-तमो में आकर पार्ट बजाती हैं।
- आत्मा ही बाप
को याद करती है।
- बाप आते भी हैं, कहते भी हैं ब्रह्मा
तन का आधार लेता हूँ।
- यह है भाग्यशाली रथ।
- बिगर
आत्मा रथ थोड़ेही होता है।
- अभी तुम बच्चों को समझाया
है, यह है ज्ञान की वर्षा।
- नॉलेज है, इससे क्या होता है?
- पतित दुनिया से पावन दुनिया बनती है।
- गंगा-जमुना तो
सतयुग में भी होते हैं।
- कहते हैं कृष्ण जमुना के कण्ठे पर
खेलपाल करते हैं।
- ऐसी कोई बातें हैं नहीं।
- वह तो सतयुग
का प्रिन्स है।
- बहुत अच्छी रीति उनको सम्भाला जाता है
क्योंकि फूल है ना।
- फूल कितने अच्छे सुन्दर होते हैं।
- फूल
से सब आकर खुशबू लेते हैं।
- कांटों की थोड़ेही खुशबू लेंगे।
- अभी तो यह है कांटों की दुनिया।
- कांटों के जंगल को बाप
आकर गार्डन ऑफ फ्लावर बनाते हैं इसलिए उनका नाम
बबुलनाथ भी रख दिया है।
- कांटों को बैठ फूल बनाते हैं
इसलिए महिमा गाते हैं - कांटों को फूल बनाने वाले बाबा।
- अब तुम बच्चों का बाप के साथ कितना लव होना चाहिए।
- वो लौकिक बाप तो तुमको गटर में डालते हैं।
- यह बाप 21
जन्मों के लिए तुमको गटर से निकाल पावन बनाते हैं।
- वह तुमको पतित बनाते हैं तब तो लौकिक बाप होते भी
पारलौकिक बाप को आत्मा याद करती है।
- अभी तुम जानते हो आधाकल्प बाप को याद किया है।
- बाप आते भी जरूर हैं।
- शिवजयन्ती मनाते हैं ना।
- तुम
जानते हो हम बेहद के बाप के बने हैं।
- अभी हमारा संबंध
उनसे भी है तो लौकिक से भी है।
- पारलौकिक बाप को
याद करने से तुम पावन बनेंगे।
- आत्मा जानती है वह
हमारा लौकिक और यह पारलौकिक बाप है।
- भक्ति मार्ग
में भी यह आत्मा जानती है।
- तब तो कहते हैं - हे
भगवान, ओ गॉड फादर।
- अविनाशी फादर को याद करते
हैं।
- वह बाप आकर हेविन स्थापन करते हैं।
- यह किसको
पता नहीं हैं।
- शास्त्रों में तो युगों को भी बहुत लम्बी-चौड़ी
आयु दे दी है।
- यह किसके ख्याल में नहीं आता कि बाप
आते ही हैं पतितों को पावन बनाने।
- तो जरूर संगम पर
आयेंगे।
- कल्प की आयु लाखों वर्ष लिख मनुष्यों को
बिल्कुल घोर अन्धियारे में डाल दिया है।
- धक्के खाते रहते
हैं, बाप को पाने के लिए।
- कहते हैं जो बहुत भक्ति करते
हैं तो भगवान मिलता है।
- सबसे जास्ती भक्ति करने वाले
को जरूर पहले मिलना चाहिए।
- बाप ने हिसाब भी बताया
है, सबसे पहले भक्ति तुम करते हो।
- तो तुमको ही
पहले-पहले भगवान द्वारा ज्ञान मिलना चाहिए जो फिर
तुम ही नई दुनिया में राज्य करो।
- बेहद का बाप तुम
बच्चों को ज्ञान दे रहे हैं, इसमें तकलीफ की कोई बात
नहीं है।
- बाप कहते हैं तुमने आधाकल्प याद किया है।
- सुख
में तो कोई याद करते ही नहीं।
- अन्त में जब दु:खी हो
जाते हैं तब हम आकर सुखी बनाते हैं।
- अभी तुम बहुत
बड़े आदमी बनते हो।
- देखो चीफ मिनिस्टर, प्राइम
मिनिस्टर आदि के बंगले कितने फर्स्टक्लास होते हैं।
- वहाँ
फिर गायें आदि सारा फर्नीचर ऐसा फर्स्टक्लास होगा।
- तुम
तो कितने बड़े आदमी (देवता) बनते हो।
- दैवीगुणों वाले
देवता स्वर्ग के मालिक बनते हो।
- वहाँ तुम्हारे लिए महल
भी हीरे-जवाहरातों के होते हैं।
- वहाँ तुम्हारा फर्नीचर सोने
के जड़ित का फर्स्टक्लास होगा।
- यहाँ तो झूले आदि सब
बेगरी हैं।
- वहाँ तो फर्स्टक्लास हीरे-जवाहरातों की सब चीजें
होंगी।
- यह है रूद्र ज्ञान यज्ञ।
- शिव को रूद्र भी कहते हैं।
- जब भक्ति पूरी होती है तो फिर भगवान रूद्र यज्ञ रचते
हैं।
- सतयुग में यज्ञ अथवा भक्ति की बात ही नहीं।
- इस
समय ही बाप यह अविनाशी रूद्र ज्ञान यज्ञ रचते हैं,
जिसका फिर बाद में गायन चलता है।
- भक्ति सदैव तो
नहीं चलती रहेगी।
- भक्ति और ज्ञान।
- भक्ति है रात, ज्ञान
है दिन।
- बाप आकर दिन बनाते हैं तो बच्चों का बाप के
साथ कितना लव होना चाहिए।
- बाबा हमको विश्व का
मालिक बनाते हैं।
- मोस्ट बील्वेड बाबा है।
- उनसे ज्यादा
प्यारी वस्तु कोई हो न सके।
- आधाकल्प से याद करते
आये हो।
- बाबा आकर हमारे दु:ख हरो।
- अब बाप आये हैं।
- समझाते हैं तुमको अपने गृहस्थ व्यवहार में तो रहना ही
है।
- यहाँ बाबा पास कहाँ तक बैठेंगे।
- बाप के साथ तो
परमधाम में ही रह सकते।
- यहाँ इतने सब बच्चे तो नहीं
रह सकते।
- टीचर सवाल कैसे पूछेंगे।
- लाउडस्पीकर पर
रेसपान्ड कैसे दे सकेंगे इसलिए थोड़े-थोड़े स्टूडेन्ट्स को
पढ़ाते हैं।
- कॉलेज तो बहुत होते हैं फिर सबके इम्तहान
होते हैं।
- लिस्ट निकलती है।
- यहाँ तो एक ही बाप पढ़ाते
हैं।
- यह भी समझाना चाहिए दु:ख में सिमरण सब उस
पारलौकिक बाप का करते हैं।
- अब यह बाप आया हुआ है।
- महाभारी महाभारत लड़ाई भी सामने खड़ी है।
- वह समझते
हैं महाभारत लड़ाई में कृष्ण आया।
- यह तो हो न सके।
- बिचारे मूँझे हुए हैं ना।
- फिर भी कृष्ण-कृष्ण याद करते
रहते हैं।
- अब मोस्ट बील्वेड शिव भी है तो कृष्ण भी है।
- परन्तु वह है निराकार, वह है साकार।
- निराकार बाप सब
आत्माओं का बाप है।
- हैं दोनों मोस्ट बील्वेड।
- कृष्ण भी
विश्व का मालिक है ना।
- अभी तुम जज कर सकते हो -
जास्ती प्यारा कौन?
- शिवबाबा ही तो ऐसा लायक बनाते हैं
ना।
- कृष्ण क्या करते हैं?
- बाप ही तो उनको ऐसा बनाते हैं,
तो गायन भी जास्ती उस बाप का होना चाहिए।
- शंकर का
डांस दिखाते हैं।
- वास्तव में डांस आदि की तो बात नहीं।
- बाप ने समझाया है तुम सब पार्वतियां हो।
- यह शिव
अमरनाथ तुमको कथा सुना रहे हैं।
- वह है वाइसलेस वर्ल्ड।
- विकार की बात नहीं।
- बाप विकारी दुनिया थोड़ेही रचेंगे।
- विकार में ही दु:ख है।
- मनुष्य हठयोग आदि बहुत सीखते
हैं।
- गुफाओं में जाकर बैठते हैं, आग से भी चले जाते हैं।
- रिद्धि-सिद्धि भी बहुत है।
- जादूगरी से बहुत चीज़ों निकालते
हैं।
- भगवान को भी जादूगर, रत्नागर, सौदागर कहते हैं तो
जरूर चैतन्य है ना।
- कहते भी हैं मैं आता हूँ, जादूगर है
ना।
- मनुष्य को देवता, बेगर से प्रिन्स बनाते हैं।
- ऐसा जादू
कभी देखा।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का
याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों
को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) फूलों के बगीचे में चलना है इसलिए खुशबूदार फूल
बनना है।
- किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
- एक पारलौकिक
बाप से सर्व संबंध जोड़ने हैं।
- 2) शिवबाबा प्यारे से प्यारा है उस एक को ही प्यार करना
है।
- सुखदाता बाप को याद करना है।
- वरदान:-
- इस लोक के लगाव से मुक्त बन अव्यक्त वतन का सैर
करने वाले उड़ता पंछी भव
- बुद्धि रूपी विमान से अव्यक्त वतन व मूलवतन का सैर
करने के लिए उड़ता पंछी बनो।
- बुद्धि द्वारा जब चाहो,
जहाँ चाहो पहुंच जाओ।
- यह तब होगा जब बिल्कुल इस
लोक के लगाव से परे रहेंगे।
- यह असार संसार है, इस
असार संसार से जब कोई काम नहीं, कोई प्राप्ति नहीं तो
बुद्धि द्वारा भी जाना बन्द करो।
- यह रौरव नर्क है इसमें
जाने का संकल्प और स्वप्न भी न आये।
- स्लोगन:-
- अपने चेहरे और चलन से सत्यता की सभ्यता का अनुभव
कराना ही श्रेष्ठता है।
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