11-01-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - मोस्ट बील्वेड शिवबाबा आये हैं तुम बच्चों को विश्व का मालिक बनाने, तुम उनकी श्रीमत पर चलो

प्रश्नः-

मनुष्य परमात्मा के बारे में कौनसी दो बातें एक-दूसरे से भिन्न बोलते हैं?

उत्तर:-

एक ओर कहते - परमात्मा अखण्ड ज्योति है और दूसरी ओर कहते वह तो नाम-रूप से न्यारा है।

यह दोनों बातें एक-दूसरे से भिन्न हो जाती हैं।

यथार्थ रूप से न जानने कारण ही पतित बनते जाते हैं।

बाप जब आते हैं तो अपनी सही पहचान देते हैं।

गीत:- मरना तेरी गली में....


  • ओम् शान्ति। बच्चों ने गीत सुना।
  • जब कोई मरते हैं तो बाप के पास जन्म लेंगे।
  • कहने में यही आता है कि बाप के पास जन्म लिया, माँ का नाम नहीं लेंगे।
  • बधाईयाँ बाप को दी जाती हैं।
  • अभी तुम बच्चे जानते हो हम आत्मायें हैं, वह हो गई शरीर की बात।
  • एक शरीर छोड़ फिर दूसरे बाप के पास जाते हैं।
  • तुमने 84 जन्मों में 84 साकारी बाप किये हैं।
  • वास्तव में असुल हो निराकार बाप के बच्चे।
  • तुम आत्मा परमपिता परमात्मा के बच्चे हो।
  • रहने वाले भी वहाँ के हो जिसको निर्वाणधाम वा शान्तिधाम कहते हैं।
  • असुल तुम वहाँ के रहने वाले हो।
  • बाप भी वहाँ रहते हैं।
  • यहाँ आकर तुम लौकिक बाप के बच्चे बनते हो तो फिर उस बाप को भूल जाते हो।
  • सतयुग में भी तुम सुखी बन जाते हो तो उस पारलौकिक बाप को भूल जाते हो।
  • सुख में उस बाप का कोई सिमरण नहीं करते हैं।
  • दु:ख में याद करते हैं।
  • और याद भी आत्मा करती है।
  • जब लौकिक बाप को याद करते हैं तो बुद्धि शरीर तरफ रहती है।
  • यह बाबा उनको याद करेंगे तो कहेंगे ओ बाबा।
  • हैं दोनों बाबा।
  • राइट अक्षर बाबा ही है।
  • यह भी फादर, वह भी फादर।
  • आत्मा उस रूहानी बाप को याद करती है तो बुद्धि वहाँ जाती है।
  • यह बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
  • अभी तुम यह जानते हो बाबा आया हुआ है, हमको अपना बनाया है।
  • बाप कहते हैं पहले-पहले हमने तुमको स्वर्ग में भेजा।
  • तुम बहुत-बहुत साहूकार थे फिर 84 जन्म ले ड्रामा प्लैन अनुसार अभी तुम दु:खी हुए हो।
  • अब ड्रामा अनुसार पुरानी दुनिया खत्म होनी है।
  • तुम्हारी आत्मा और शरीर रूपी वस्त्र सतोप्रधान थे फिर गोल्डन एज से सिलवर एज में आत्मा आई तो शरीर भी सिलवर एज में आया फिर कॉपर एज में आया।
  • अभी तो तुम्हारी आत्मा बिल्कुल ही पतित हो गई है तो शरीर भी पतित है।
  • जैसे 14 कैरेट का सोना कोई पसन्द नहीं करते हैं।
  • काला पड़ जाता है।
  • तुम भी अभी काले आइरन एजेड बन गये हो।
  • अब आत्मा और शरीर जो ऐसे काले बन गये हैं तो फिर प्योर कैसे बनें।
  • आत्मा प्योर बने तो शरीर भी प्योर मिले।
  • वह कैसे होगा?
  • क्या गंगा स्नान करने से? नहीं।
  • पुकारते ही हैं - हे पतित-पावन... यह आत्मा कहती है।
  • बुद्धि पारलौकिक बाप तरफ चली जाती है - हे बाबा।
  • देखो बाबा अक्षर ही कितना मीठा है।
  • भारत में ही बाबा-बाबा कहते हैं।
  • अभी तुम आत्म-अभिमानी बन बाबा के बने हो।
  • बाप कहते हैं मैंने तुमको स्वर्ग में भेजा था।
  • नया शरीर धारण किया था।
  • अब तुम क्या बन गये हो।
  • यह बातें हमेशा अन्दर रहनी चाहिए।
  • बाबा को ही याद करना चाहिए।
  • याद भी करते हैं ना - हे बाबा हम आत्मायें पतित बन गई हैं।
  • अब आप आकर पावन बनाओ।
  • ड्रामा में भी यह पार्ट है तब तो बुलाते हैं।
  • ड्रामा प्लैन अनुसार आयेंगे भी तब जब पुरानी दुनिया से नई बननी है तो जरूर संगम पर ही आयेंगे।
  • तुम बच्चों को निश्चय है बील्वेड मोस्ट बाबा है।
  • कहते भी हैं स्वीट, स्वीटर, स्वीटेस्ट।
  • अब स्वीट कौन है?
  • लौकिक सम्बन्ध में पहले है फादर, जो जन्म देते हैं।
  • फिर टीचर।
  • वह अच्छा होता है।
  • उससे पढ़कर मर्तबा पाते हो।
  • नॉलेज इज़ सोर्स ऑफ इनकम कहा जाता है।
  • ज्ञान है नॉलेज।
  • योग है याद।
  • तो बेहद का बाप जिसने तुमको स्वर्ग का मालिक बनाया था, उनको तुम अभी भूल गये हो।
  • शिवबाबा कैसे आया किसको पता नहीं।
  • चित्रों में भी क्लीयर दिखाया है।
  • ब्रह्मा द्वारा स्थापना शिवबाबा कराते हैं।
  • कृष्ण कैसे राजयोग सिखायेगा?
  • राजयोग सिखलाते ही हैं सतयुग के लिए।
  • तो जरूर संगम पर बाप ने ही सिखाया होगा।
  • सतयुग की स्थापना करने वाला है बाबा।
  • शिवबाबा इन द्वारा कराते हैं, करनकरावनहार है ना।
  • वो लोग त्रिमूर्ति ब्रह्मा कह देते हैं।
  • ऊंच ते ऊंच शिव है ना।
  • यह साकार है, वह निराकार है।
  • सृष्टि भी यहाँ ही है।
  • इस सृष्टि का ही चक्र है जो फिरता रहता है, रिपीट होता रहता है।
  • सूक्ष्मवतन की सृष्टि का चक्र नहीं गाया जाता है।
  • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी मनुष्यों की रिपीट होती है।
  • सूक्ष्मवतन में कोई चक्र आदि नहीं होता।
  • गाते भी हैं वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट।
  • वह यहाँ की बात है।
  • सतयुग-त्रेता..... बीच में जरूर संगमयुग चाहिए।
  • नहीं तो कलियुग को सतयुग कौन बनाये।
  • नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाने बाप संगम पर आते हैं।
  • यह तो हाइएस्ट अथॉरिटी गॉड फादरली गवर्नमेन्ट है।
  • साथ में धर्मराज भी है।
  • आत्मा कहती है मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही।
  • कोई भी देवता के मन्दिर में जायेंगे तो उनके आगे ऐसे कहेंगे।
  • कहना चाहिए बाप को।
  • उनको छोड़ ब्रदर्स (देवताओं) को आकर लगे हैं।
  • यह देवतायें ब्रदर्स ठहरे ना।
  • ब्रदर्स से तो कुछ भी मिलना नहीं है।
  • भाइयों की पूजा करते-करते नीचे गिरते आये हैं।
  • अब तुम बच्चे जानते हो बाबा आया हुआ है, उनसे हमको वर्सा मिलता है।
  • बाप को ही नहीं जानते, सर्वव्यापी कह देते हैं।
  • कोई फिर कहते अखण्ड ज्योति तत्व है।
  • कोई कहते वह नाम-रूप से न्यारा है।
  • जब अखण्ड ज्योति स्वरूप है तो फिर नाम-रूप से न्यारा कैसे कहते हो।
  • बाप को न जानने कारण ही पतित बन पड़े हैं।
  • तमोप्रधान भी बनना ही है।
  • फिर जब बाप आते हैं तब आकर सभी को सतोप्रधान बनाते हैं।
  • आत्मायें निराकारी दुनिया में सब बाप के साथ रहती हैं फिर यहाँ सतो-रजो-तमो में आकर पार्ट बजाती हैं।
  • आत्मा ही बाप को याद करती है।
  • बाप आते भी हैं, कहते भी हैं ब्रह्मा तन का आधार लेता हूँ।
  • यह है भाग्यशाली रथ।
  • बिगर आत्मा रथ थोड़ेही होता है।
  • अभी तुम बच्चों को समझाया है, यह है ज्ञान की वर्षा।
  • नॉलेज है, इससे क्या होता है?
  • पतित दुनिया से पावन दुनिया बनती है।
  • गंगा-जमुना तो सतयुग में भी होते हैं।
  • कहते हैं कृष्ण जमुना के कण्ठे पर खेलपाल करते हैं।
  • ऐसी कोई बातें हैं नहीं।
  • वह तो सतयुग का प्रिन्स है।
  • बहुत अच्छी रीति उनको सम्भाला जाता है क्योंकि फूल है ना।
  • फूल कितने अच्छे सुन्दर होते हैं।
  • फूल से सब आकर खुशबू लेते हैं।
  • कांटों की थोड़ेही खुशबू लेंगे।
  • अभी तो यह है कांटों की दुनिया।
  • कांटों के जंगल को बाप आकर गार्डन ऑफ फ्लावर बनाते हैं इसलिए उनका नाम बबुलनाथ भी रख दिया है।
  • कांटों को बैठ फूल बनाते हैं इसलिए महिमा गाते हैं - कांटों को फूल बनाने वाले बाबा।
  • अब तुम बच्चों का बाप के साथ कितना लव होना चाहिए।
  • वो लौकिक बाप तो तुमको गटर में डालते हैं।
  • यह बाप 21 जन्मों के लिए तुमको गटर से निकाल पावन बनाते हैं।
  • वह तुमको पतित बनाते हैं तब तो लौकिक बाप होते भी पारलौकिक बाप को आत्मा याद करती है।
  • अभी तुम जानते हो आधाकल्प बाप को याद किया है।
  • बाप आते भी जरूर हैं।
  • शिवजयन्ती मनाते हैं ना।
  • तुम जानते हो हम बेहद के बाप के बने हैं।
  • अभी हमारा संबंध उनसे भी है तो लौकिक से भी है।
  • पारलौकिक बाप को याद करने से तुम पावन बनेंगे।
  • आत्मा जानती है वह हमारा लौकिक और यह पारलौकिक बाप है।
  • भक्ति मार्ग में भी यह आत्मा जानती है।
  • तब तो कहते हैं - हे भगवान, ओ गॉड फादर।
  • अविनाशी फादर को याद करते हैं।
  • वह बाप आकर हेविन स्थापन करते हैं।
  • यह किसको पता नहीं हैं।
  • शास्त्रों में तो युगों को भी बहुत लम्बी-चौड़ी आयु दे दी है।
  • यह किसके ख्याल में नहीं आता कि बाप आते ही हैं पतितों को पावन बनाने।
  • तो जरूर संगम पर आयेंगे।
  • कल्प की आयु लाखों वर्ष लिख मनुष्यों को बिल्कुल घोर अन्धियारे में डाल दिया है।
  • धक्के खाते रहते हैं, बाप को पाने के लिए।
  • कहते हैं जो बहुत भक्ति करते हैं तो भगवान मिलता है।
  • सबसे जास्ती भक्ति करने वाले को जरूर पहले मिलना चाहिए।
  • बाप ने हिसाब भी बताया है, सबसे पहले भक्ति तुम करते हो।
  • तो तुमको ही पहले-पहले भगवान द्वारा ज्ञान मिलना चाहिए जो फिर तुम ही नई दुनिया में राज्य करो।
  • बेहद का बाप तुम बच्चों को ज्ञान दे रहे हैं, इसमें तकलीफ की कोई बात नहीं है।
  • बाप कहते हैं तुमने आधाकल्प याद किया है।
  • सुख में तो कोई याद करते ही नहीं।
  • अन्त में जब दु:खी हो जाते हैं तब हम आकर सुखी बनाते हैं।
  • अभी तुम बहुत बड़े आदमी बनते हो।
  • देखो चीफ मिनिस्टर, प्राइम मिनिस्टर आदि के बंगले कितने फर्स्टक्लास होते हैं।
  • वहाँ फिर गायें आदि सारा फर्नीचर ऐसा फर्स्टक्लास होगा।
  • तुम तो कितने बड़े आदमी (देवता) बनते हो।
  • दैवीगुणों वाले देवता स्वर्ग के मालिक बनते हो।
  • वहाँ तुम्हारे लिए महल भी हीरे-जवाहरातों के होते हैं।
  • वहाँ तुम्हारा फर्नीचर सोने के जड़ित का फर्स्टक्लास होगा।
  • यहाँ तो झूले आदि सब बेगरी हैं।
  • वहाँ तो फर्स्टक्लास हीरे-जवाहरातों की सब चीजें होंगी।
  • यह है रूद्र ज्ञान यज्ञ।
  • शिव को रूद्र भी कहते हैं।
  • जब भक्ति पूरी होती है तो फिर भगवान रूद्र यज्ञ रचते हैं।
  • सतयुग में यज्ञ अथवा भक्ति की बात ही नहीं।
  • इस समय ही बाप यह अविनाशी रूद्र ज्ञान यज्ञ रचते हैं, जिसका फिर बाद में गायन चलता है।
  • भक्ति सदैव तो नहीं चलती रहेगी।
  • भक्ति और ज्ञान।
  • भक्ति है रात, ज्ञान है दिन।
  • बाप आकर दिन बनाते हैं तो बच्चों का बाप के साथ कितना लव होना चाहिए।
  • बाबा हमको विश्व का मालिक बनाते हैं।
  • मोस्ट बील्वेड बाबा है।
  • उनसे ज्यादा प्यारी वस्तु कोई हो न सके।
  • आधाकल्प से याद करते आये हो।
  • बाबा आकर हमारे दु:ख हरो।
  • अब बाप आये हैं।
  • समझाते हैं तुमको अपने गृहस्थ व्यवहार में तो रहना ही है।
  • यहाँ बाबा पास कहाँ तक बैठेंगे।
  • बाप के साथ तो परमधाम में ही रह सकते।
  • यहाँ इतने सब बच्चे तो नहीं रह सकते।
  • टीचर सवाल कैसे पूछेंगे।
  • लाउडस्पीकर पर रेसपान्ड कैसे दे सकेंगे इसलिए थोड़े-थोड़े स्टूडेन्ट्स को पढ़ाते हैं।
  • कॉलेज तो बहुत होते हैं फिर सबके इम्तहान होते हैं।
  • लिस्ट निकलती है।
  • यहाँ तो एक ही बाप पढ़ाते हैं।
  • यह भी समझाना चाहिए दु:ख में सिमरण सब उस पारलौकिक बाप का करते हैं।
  • अब यह बाप आया हुआ है।
  • महाभारी महाभारत लड़ाई भी सामने खड़ी है।
  • वह समझते हैं महाभारत लड़ाई में कृष्ण आया।
  • यह तो हो न सके।
  • बिचारे मूँझे हुए हैं ना।
  • फिर भी कृष्ण-कृष्ण याद करते रहते हैं।
  • अब मोस्ट बील्वेड शिव भी है तो कृष्ण भी है।
  • परन्तु वह है निराकार, वह है साकार।
  • निराकार बाप सब आत्माओं का बाप है।
  • हैं दोनों मोस्ट बील्वेड।
  • कृष्ण भी विश्व का मालिक है ना।
  • अभी तुम जज कर सकते हो - जास्ती प्यारा कौन?
  • शिवबाबा ही तो ऐसा लायक बनाते हैं ना।
  • कृष्ण क्या करते हैं?
  • बाप ही तो उनको ऐसा बनाते हैं, तो गायन भी जास्ती उस बाप का होना चाहिए।
  • शंकर का डांस दिखाते हैं।
  • वास्तव में डांस आदि की तो बात नहीं।
  • बाप ने समझाया है तुम सब पार्वतियां हो।
  • यह शिव अमरनाथ तुमको कथा सुना रहे हैं।
  • वह है वाइसलेस वर्ल्ड।
  • विकार की बात नहीं।
  • बाप विकारी दुनिया थोड़ेही रचेंगे।
  • विकार में ही दु:ख है।
  • मनुष्य हठयोग आदि बहुत सीखते हैं।
  • गुफाओं में जाकर बैठते हैं, आग से भी चले जाते हैं।
  • रिद्धि-सिद्धि भी बहुत है।
  • जादूगरी से बहुत चीज़ों निकालते हैं।
  • भगवान को भी जादूगर, रत्नागर, सौदागर कहते हैं तो जरूर चैतन्य है ना।
  • कहते भी हैं मैं आता हूँ, जादूगर है ना।
  • मनुष्य को देवता, बेगर से प्रिन्स बनाते हैं।
  • ऐसा जादू कभी देखा।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) फूलों के बगीचे में चलना है इसलिए खुशबूदार फूल बनना है।
  • किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
  • एक पारलौकिक बाप से सर्व संबंध जोड़ने हैं।
  • 2) शिवबाबा प्यारे से प्यारा है उस एक को ही प्यार करना है।
  • सुखदाता बाप को याद करना है।
  • वरदान:-
  • इस लोक के लगाव से मुक्त बन अव्यक्त वतन का सैर करने वाले उड़ता पंछी भव
  • बुद्धि रूपी विमान से अव्यक्त वतन व मूलवतन का सैर करने के लिए उड़ता पंछी बनो।
  • बुद्धि द्वारा जब चाहो, जहाँ चाहो पहुंच जाओ।
  • यह तब होगा जब बिल्कुल इस लोक के लगाव से परे रहेंगे।
  • यह असार संसार है, इस असार संसार से जब कोई काम नहीं, कोई प्राप्ति नहीं तो बुद्धि द्वारा भी जाना बन्द करो।
  • यह रौरव नर्क है इसमें जाने का संकल्प और स्वप्न भी न आये।
  • स्लोगन:-
    • अपने चेहरे और चलन से सत्यता की सभ्यता का अनुभव कराना ही श्रेष्ठता है।