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ओम् शान्ति। बच्चे याद की यात्रा में बैठे हैं, जिसको कहते हैं नेष्ठा में अथवा
शान्ति में बैठे हैं।
- सिर्फ शान्ति में नहीं बैठते हैं, कुछ कर रहे हैं।
- स्वधर्म में टिके
हुए हैं।
- परन्तु यात्रा पर भी हो।
- यह यात्रा सिखलाने वाला बाप साथ में भी ले जाते
हैं।
- वह होते हैं जिस्मानी ब्राह्मण, जो साथ ले जाते हैं।
- तुम हो रूहानी ब्राह्मण,
ब्राह्मणों का वर्ण अथवा कुल कहेंगे।
- अब बच्चे याद की यात्रा में बैठे हो और
सतसंगों में बैठते होंगे तो गुरू की याद आयेगी।
- गुरू आकर प्रवचन सुनाये।
- वह है
सारा भक्ति मार्ग।
- यह याद की यात्रा है, जिससे विकर्म विनाश होते हैं।
- तुम याद में
बैठते हो, जंक अर्थात् कट निकालने के लिए।
- बाप का डायरेक्शन है याद से कट
निकलेगी क्योंकि पतित-पावन मैं ही हूँ।
- मैं किसी की याद से नहीं आता हूँ।
- मेरा
आना भी ड्रामा में नूँध है।
- जब पतित दुनिया बदलकर पावन दुनिया होनी है, आदि
सनातन देवी देवता धर्म जो प्राय: लोप है, उसकी स्थापना फिर से ब्रह्मा द्वारा
करते हैं।
- जिस ब्रह्मा के लिए ही समझाया है - ब्रह्मा सो विष्णु, सेकेण्ड में बनते
हैं।
- फिर विष्णु से ब्रह्मा बनने में 5 हजार वर्ष लगते हैं।
- यह भी बुद्धि से समझने
की बातें हैं।
- तुम जो शूद्र थे, अब ब्राह्मण वर्ण में आये हो।
- तुम ब्राह्मण बनते हो
तो शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा तुमको यह याद की यात्रा सिखलाते हैं, खाद निकालने के
लिए।
- यह रचना का चक्र कैसे फिरता है सो तो समझ गये।
- इसमें कोई देरी नहीं
लगती है।
- अभी है भी बरोबर कलियुग।
- वह सिर्फ कहते हैं - कलियुग की अभी आदि
है और बाप बतलाते हैं कलियुग का अन्त है।
- घोर अन्धियारा है।
- बाप कहते हैं,
तुमको इन सब वेद शास्त्रों का सार समझाता हूँ।
- तुम बच्चे सुबह को जब यहाँ बैठते हो तो याद में बैठना होता है।
- नहीं तो माया के
तूफान आयेंगे।
- धन्धे-धोरी तरफ बुद्धियोग जायेगा।
- यह सब बाहर की पंचायत है ना।
- जैसे मकड़ी कितने जाल निकालती है।
- सारा हप भी कर लेती है।
- देह का कितना
प्रपंच है।
- काका, चाचा, मामा, गुरू गोसांई...कितनी जाल दिखाई पड़ती है।
- वह सारी
हप करनी है देह सहित।
- अकेला देही बनना है।
- मनुष्य शरीर छोड़ते हैं - तो सब
कुछ भूल जाते हैं।
- आप मुये मर गई दुनिया।
- यह तो बुद्धि में ज्ञान है कि यह
दुनिया खत्म होनी है।
- बाप समझाते हैं - जिसका मुख नहीं खुलता है तो सिर्फ याद
करो।
- जैसे यह (ब्रह्मा) बाप को याद करता है।
- कन्या, पति को याद करती है
क्योंकि पति, परमेश्वर हो जाता है इसलिए बाप से बुद्धि निकल पति में चली जाती
है।
- यह तो पतियों का पति है, ब्राइडग्रूम है ना।
- तुम सब हो ब्राइड्स, भगवान की
सब भक्ति करते हैं।
- सब भक्तियाँ रावण के पहरे में कैद हैं तो बाप को जरूर तरस
पड़ेगा ना।
- बाप रहमदिल है, उनको ही रहमदिल कहा जाता है।
- इस समय गुरू तो
बहुत प्रकार के हैं।
- जो कुछ शिक्षा देते हैं, उनको गुरू कह देते हैं।
- यहाँ तो बाप
प्रैक्टिकल में राजयोग सिखलाते हैं।
- यह राजयोग किसको सिखलाना आयेगा ही नहीं,
परमात्मा के सिवाए।
- परमात्मा ने ही आकर राजयोग सिखाया था।
- फिर उससे क्या
हुआ?
- यह किसको पता नहीं है।
- गीता का प्रमाण तो बहुत देते हैं, छोटी कुमारियाँ
भी गीता कण्ठ कर लेती हैं, तो कुछ न कुछ महिमा होती है।
- गीता कोई गुम नहीं
हुई है।
- गीता की बड़ी महिमा है।
- गीता ज्ञान से ही बाप सारी दुनिया को रिज्युवनेट
करते हैं।
- तुम्हारी काया कल्पतरू, कल्प वृक्ष समान अथवा अमर बना देते हैं।
- तुम बच्चे बाप की याद में रहते हो, बाबा का आह्वान नहीं करते।
- तुम बाप की याद
में रह अपनी उन्नति कर रहे हो।
- बाप के डायरेक्शन पर चलने का भी शौक होना
चाहिए।
- हम शिवबाबा को याद करके ही भोजन खायेंगे।
- गोया शिवबाबा के साथ
खाते हैं।
- दफ्तर में भी कुछ न कुछ टाइम मिलता है।
- बाबा को लिखते हैं, कुर्सी पर
बैठते हैं तो याद में बैठ जाते हैं।
- आफीसर आकर देखते हैं, वह बैठे-बैठे गुम हो जाते
हैं अर्थात् अशरीरी हो जाते हैं।
- किसी की ऑख बन्द हो जाती है, किसकी खुली रहती
है।
- कोई ऐसा बैठा होगा - कुछ भी जैसे देखेगा नहीं।
- जैसे गुम रहते हैं।
- ऐसे-ऐसे
होता है।
- बाबा ने रस्सी खींच ली और मौज में बैठा है।
- उनसे पूछेंगे तुमको क्या
हुआ?
- कहेंगे - हम तो बाप की याद में बैठे थे।
- बुद्धि में रहता है हमको जाना है
बाबा के पास।
- बाप कहते हैं, सोल कान्सेस बनने से तुम हमारे पास आ जायेंगे।
- वहाँ पवित्र होने बिगर थोड़ेही जा सकेंगे।
- अब पवित्र बने कैसे?
- वह बाप ही बता
सकते हैं।
- मनुष्य बता न सकें।
- तुमने कुछ न कुछ समझा हुआ होगा तो औरों का
भी कल्याण करेंगे।
- तुमको कोई का कल्याण करने, बाप का परिचय देने का पुरूषार्थ
जरूर करना है।
- भक्ति मार्ग में भी ओ गॉड फादर कह याद करते हैं।
- गॉड फादर
रहम करो।
- पुकारने की एक आदत हो गई है।
- बाप तुम बच्चों को अपने समान
कल्याणकारी बनाते हैं।
- माया ने सबको कितना बेसमझ बना दिया है।
- लौकिक बाप
भी बच्चों की चलन ठीक नहीं देखते हैं तो कहते हैं कि तुम तो बेसमझ हो।
- एक
वर्ष में बाप की सारी मिलकियत उड़ा देंगे।
- तो बेहद का बाप भी कहते हैं, तुमको
क्या बनाया था, अभी अपनी चलन तो देखो।
- अब तुम बच्चे समझते हो कैसा
वन्डरफुल खेल है।
- भारत का कितना डाउनफाल हो जाता है।
- डाउन फाल ऑफ
भारतवासी।
- वह अपने को ऐसे समझते नहीं हैं कि हम गिरे हैं, हम कलियुगी
तमोप्रधान बने हैं।
- भारत स्वर्ग था अर्थात् मनुष्य स्वर्गवासी थे, वही मनुष्य अब
नर्कवासी हैं।
- यह ज्ञान कोई में है नहीं।
- यह बाबा भी नहीं जानता था।
- अभी बुद्धि में
चमत्कार आया है।
- 84 जन्म लेते-लेते सीढ़ी तो जरूर उतरनी पड़ेगी, ऊपर चढ़ने की
जगह भी नहीं है।
- उतरते-उतरते पतित बनना है।
- यह बात कोई की बुद्धि में नहीं है।
- बाप ने तुम बच्चों को समझाया है, तुम फिर भारतवासियों को समझाते हो कि तुम
स्वर्गवासी थे अब नर्कवासी बने हो।
- 84 जन्म भी तुमने लिए हैं।
- पुनर्जन्म तो
मानते हैं ना।
- तो जरूर नीचे उतरना है।
- कितने पुनर्जन्म लिये हैं, वह भी बाप ने
समझाया है।
- इस समय तुम फील करते हो, हम पावन देवी देवता थे फिर रावण ने
पतित बनाया।
- बाप को आकर पढ़ाना पड़ता है, शूद्र से देवता बनाने के लिए।
- बाप
को लिबरेटर, गाइड कहते हैं, परन्तु अर्थ नहीं समझते हैं।
- अभी वह समय जल्दी
आयेगा जो सबको पता पड़ेगा, देखो क्या से क्या बन गये हैं!
- ड्रामा कैसे बना हुआ
है, किसको स्वप्न में भी नहीं था कि हम लक्ष्मी-नारायण जैसा बन सकते हैं।
- बाप
कितना स्मृति में ले आते हैं।
- अब बाप से वर्सा लेना है तो श्रीमत पर चलना है।
- याद की यात्रा की प्रैक्टिस करनी है।
- तुमको मालूम है कि पादरी लोग पैदल करने
जाते हैं, कितना साइलेन्स में ऐसे चलते हैं।
- वह क्राइस्ट की याद में रहते हैं।
- उन्हों
का क्राइस्ट के साथ लव है।
- तुम रूहानी पण्डों की प्रीत बुद्धि है परमप्रिय परमपिता
परमात्मा के साथ।
- बच्चे जानते हैं, नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार कल्प पहले मुआफिक
राजधानी जरूर स्थापन होगी, जितना पुरूषार्थ कर श्रीमत पर चलेंगे।
- बाप तो बहुत
अच्छी-अच्छी मत देते हैं।
- फिर भी ग्रहचारी ऐसी बैठ जाती है जो श्रीमत पर चलते
ही नहीं हैं।
- तुम जानते हो श्रीमत पर चलने में ही विजय है।
- निश्चय में ही विजय
है।
- बाप कहते हैं तुम मेरी मत पर चलो।
- क्यों समझते हो कि यह ब्रह्मा मत देते
हैं?
- हमेशा समझो शिवबाबा राय देते हैं।
- वह तो सर्विस की ही मत देंगे।
- कोई कहेंगे,
बाबा यह व्यापार धंधा करूँ?
- बाबा कोई इन बातों के लिए मत नहीं देंगे।
- बाप कहते
हैं, मैं आया हूँ पतित से पावन बनाने की युक्ति बताने, न कि इन बातों के लिए।
- मुझे बुलाते भी हैं - हे पतित-पावन आकर हमें पावन बनाओ तो मैं वह युक्ति
बताता हूँ, बहुत सहज।
- तुम्हारा नाम ही है गुप्त सेना।
- उन्होंने फिर हथियार बाण
आदि दिखलाये हैं।
- परन्तु इसमें बाण आदि की कोई बात ही नहीं है।
- यह सब है
भक्ति मार्ग।
- बाप आकर सच्चा मार्ग बताते हैं - जिससे आधाकल्प तुम सचखण्ड में चले जाते
हो।
- वहाँ दूसरा कोई खण्ड होता ही नहीं।
- किसको समझाओ तो भी मानते नहीं कि
यह कैसे हो सकता है कि सिर्फ भारत ही था।
- क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत
स्वर्ग था ना, तब और कोई धर्म नहीं था।
- फिर झाड़ वृद्धि को पाता रहता है।
- तुम
सिर्फ अपने बाप को, अपने धर्म, कर्म को भूल गये हो।
- देवी-देवता धर्म का अपने
को समझते तो गन्दी चीजें आदि कुछ भी नहीं खाते।
- परन्तु खाते हैं - क्योंकि वह
गुण नहीं हैं इसलिए अपने को हिन्दू कह देते हैं।
- नहीं तो लज्जा आनी चाहिए, हमारे
बड़े ऐसे पवित्र और हम ऐसे पतित बन गये हैं।
- परन्तु अपने धर्म को भूल गये हैं।
- अभी तुम ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को अच्छी रीति समझ गये हो।
- कोई भी ऐसी
बात हो तो तुम कह सकते हो कि यह प्वाइंट्स अभी बाबा ने बताई नहीं है। बस।
- नहीं तो मुफ्त मूँझ पड़ते हैं।
- बोलो, हम पढ़ रहे हैं।
- सब कुछ अभी ही जान लें फिर
तो विनाश हो जाए।
- परन्तु नहीं।
- अभी मार्जिन है।
- हम पढ़ रहे हैं।
- अन्त में सम्पूर्ण
पवित्र हो जायेंगे।
- नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार कट निकलती जायेगी तो सतोप्रधान
बन जायेंगे।
- फिर इस पतित दुनिया का विनाश हो जायेगा।
- आजकल कहते भी हैं
कि परमात्मा कहाँ जरूर आया है।
- परन्तु गुप्त है।
- समय तो बरोबर विनाश का है
ना।
- बाप ही लिबरेटर, गाइड है जो वापस ले जायेंगे, मच्छरों सदृश्य मरेंगे।
- यह भी
जानते हैं, सब एकरस याद में नहीं बैठते हैं।
- कोई का एक्यूरेट योग रहता है, कोई
का आधा घण्टा, कोई का 15 मिनट।
- कोई तो एक मिनट भी याद में नहीं रहते हैं।
- कोई कहते हम सारा समय बाप की याद में रहते हैं, तो जरूर उनका चेहरा खुशनुम:
चमकता रहेगा।
- अतीन्द्रिय सुख ऐसे बच्चों को रहता है।
- कहाँ भी बुद्धि भटकती नहीं
है।
- वह सुख फील करते होंगे।
- बुद्धि भी कहती है एक माशूक की याद में बैठा रहे तो
कितनी कट उतर जाये।
- फिर आदत पड़ जायेगी।
- याद की यात्रा से तुम एवरहेल्दी,
एवरवेल्दी बनते हो।
- चक्र भी याद आ जाता है।
- सिर्फ याद में रहने की मेहनत है।
- बुद्धि में चक्र भी फिरता रहेगा।
- अभी तुम मास्टर बीजरूप बनते हो।
- याद के साथ स्वदर्शन चक्र को भी फिराना है।
- तुम भारतवासी लाइट हाउस हो।
- स्प्रीचुअल लाइट हाउस सबको रास्ता बताते हो घर
का।
- वह भी समझाना पड़े ना।
- तुम मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता बताते हो इसलिए
तुम हो स्प्रीचुअल लाइट हाउस।
- तुम्हारा स्वदर्शन चक्र फिरता रहता है।
- नाम लिखना
है तो समझाना भी पड़े।
- बाबा समझाते रहते हैं, तुम सम्मुख बैठे हो।
- जो पिया के
साथ हैं उनके लिए सम्मुख बरसात है।
- सबसे जास्ती मज़ा सम्मुख का है।
- फिर
सेकेण्ड नम्बर है टेप।
- थर्ड नम्बर मुरली।
- शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा सब कुछ समझाते
हैं।
- यह (ब्रह्मा) भी जानते तो हैं ना।
- फिर भी तुम यही समझो कि "शिवबाबा कहते
हैं'', यह न समझने कारण बहुत अवज्ञा करते हैं।
- शिवबाबा जो कहते हैं, वह
कल्याणकारी ही है।
- भल अकल्याण हो जाए, वह भी कल्याण के रूप में बदल
जायेगा।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बाप के हर डायरेक्शन पर चलकर अपनी उन्नति करनी है।
- एक बाप से
सच्ची-सच्ची प्रीत रखनी है।
- याद में ही भोजन बनाना और खाना है।
- 2) स्प्रीचुअल लाइट हाउस बन सबको मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताना है।
- बाप
समान कल्याणकारी जरूर बनना है।
- वरदान:-
- एक बाप में सारे संसार का अनुभव करने वाले बेहद के वैरागी भव
- बेहद के वैरागी वही बन सकते जो बाप को ही अपना संसार समझते हैं।
- जिनका
बाप ही संसार है वह अपने संसार में ही रहेंगे, दूसरे में जायेंगे ही नहीं तो किनारा
स्वत: हो जायेगा।
- संसार में व्यक्ति और वैभव सब आ जाता है।
- बाप की सम्पत्ति
सो अपनी सम्पत्ति - इसी स्मृति में रहने से बेहद के वैरागी हो जायेंगे।
- कोई को
देखते हुए भी नहीं देखेंगे।
- दिखाई ही नहीं देंगे।
- स्लोगन:-
- पावरफुल स्थिति का अनुभव करने के लिए एकान्त और रमणीकता का बैलेन्स रखो।
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