03-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - तुम बाप की याद में एक्यूरेट रहो तो तुम्हारा चेहरा सदा चमकता हुआ खुशनुम: रहेगा

प्रश्नः-

याद में बैठने की विधि कौन सी है तथा उससे लाभ क्या-क्या होता है?

उत्तर:-

जब याद में बैठते हो तो बुद्धि से सब धन्धेधोरी आदि की पंचायत को भूल अपने को देही (आत्मा) समझो।

देह और देह के सम्बन्धों की बड़ी जाल है, उस जाल को हप करके देह-अभिमान से परे हो जाओ अर्थात् आप मुये मर गई दुनिया।

जीते जी सब कुछ भूल एक बाप की याद रहे, यह है अशरीरी अवस्था, इससे आत्मा की कट उतरती जायेगी।

गीत:- रात के राही...

 

गीत:- रात के राही...


  • ओम् शान्ति। बच्चे याद की यात्रा में बैठे हैं, जिसको कहते हैं नेष्ठा में अथवा शान्ति में बैठे हैं।
  • सिर्फ शान्ति में नहीं बैठते हैं, कुछ कर रहे हैं।
  • स्वधर्म में टिके हुए हैं।
  • परन्तु यात्रा पर भी हो।
  • यह यात्रा सिखलाने वाला बाप साथ में भी ले जाते हैं।
  • वह होते हैं जिस्मानी ब्राह्मण, जो साथ ले जाते हैं।
  • तुम हो रूहानी ब्राह्मण, ब्राह्मणों का वर्ण अथवा कुल कहेंगे।
  • अब बच्चे याद की यात्रा में बैठे हो और सतसंगों में बैठते होंगे तो गुरू की याद आयेगी।
  • गुरू आकर प्रवचन सुनाये।
  • वह है सारा भक्ति मार्ग।
  • यह याद की यात्रा है, जिससे विकर्म विनाश होते हैं।
  • तुम याद में बैठते हो, जंक अर्थात् कट निकालने के लिए।
  • बाप का डायरेक्शन है याद से कट निकलेगी क्योंकि पतित-पावन मैं ही हूँ।
  • मैं किसी की याद से नहीं आता हूँ।
  • मेरा आना भी ड्रामा में नूँध है।
  • जब पतित दुनिया बदलकर पावन दुनिया होनी है, आदि सनातन देवी देवता धर्म जो प्राय: लोप है, उसकी स्थापना फिर से ब्रह्मा द्वारा करते हैं।
  • जिस ब्रह्मा के लिए ही समझाया है - ब्रह्मा सो विष्णु, सेकेण्ड में बनते हैं।
  • फिर विष्णु से ब्रह्मा बनने में 5 हजार वर्ष लगते हैं।
  • यह भी बुद्धि से समझने की बातें हैं।
  • तुम जो शूद्र थे, अब ब्राह्मण वर्ण में आये हो।
  • तुम ब्राह्मण बनते हो तो शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा तुमको यह याद की यात्रा सिखलाते हैं, खाद निकालने के लिए।
  • यह रचना का चक्र कैसे फिरता है सो तो समझ गये।
  • इसमें कोई देरी नहीं लगती है।
  • अभी है भी बरोबर कलियुग।
  • वह सिर्फ कहते हैं - कलियुग की अभी आदि है और बाप बतलाते हैं कलियुग का अन्त है।
  • घोर अन्धियारा है।
  • बाप कहते हैं, तुमको इन सब वेद शास्त्रों का सार समझाता हूँ।
  • तुम बच्चे सुबह को जब यहाँ बैठते हो तो याद में बैठना होता है।
  • नहीं तो माया के तूफान आयेंगे।
  • धन्धे-धोरी तरफ बुद्धियोग जायेगा।
  • यह सब बाहर की पंचायत है ना।
  • जैसे मकड़ी कितने जाल निकालती है।
  • सारा हप भी कर लेती है।
  • देह का कितना प्रपंच है।
  • काका, चाचा, मामा, गुरू गोसांई...कितनी जाल दिखाई पड़ती है।
  • वह सारी हप करनी है देह सहित।
  • अकेला देही बनना है।
  • मनुष्य शरीर छोड़ते हैं - तो सब कुछ भूल जाते हैं।
  • आप मुये मर गई दुनिया।
  • यह तो बुद्धि में ज्ञान है कि यह दुनिया खत्म होनी है।
  • बाप समझाते हैं - जिसका मुख नहीं खुलता है तो सिर्फ याद करो।
  • जैसे यह (ब्रह्मा) बाप को याद करता है।
  • कन्या, पति को याद करती है क्योंकि पति, परमेश्वर हो जाता है इसलिए बाप से बुद्धि निकल पति में चली जाती है।
  • यह तो पतियों का पति है, ब्राइडग्रूम है ना।
  • तुम सब हो ब्राइड्स, भगवान की सब भक्ति करते हैं।
  • सब भक्तियाँ रावण के पहरे में कैद हैं तो बाप को जरूर तरस पड़ेगा ना।
  • बाप रहमदिल है, उनको ही रहमदिल कहा जाता है।
  • इस समय गुरू तो बहुत प्रकार के हैं।
  • जो कुछ शिक्षा देते हैं, उनको गुरू कह देते हैं।
  • यहाँ तो बाप प्रैक्टिकल में राजयोग सिखलाते हैं।
  • यह राजयोग किसको सिखलाना आयेगा ही नहीं, परमात्मा के सिवाए।
  • परमात्मा ने ही आकर राजयोग सिखाया था।
  • फिर उससे क्या हुआ?
  • यह किसको पता नहीं है।
  • गीता का प्रमाण तो बहुत देते हैं, छोटी कुमारियाँ भी गीता कण्ठ कर लेती हैं, तो कुछ न कुछ महिमा होती है।
  • गीता कोई गुम नहीं हुई है।
  • गीता की बड़ी महिमा है।
  • गीता ज्ञान से ही बाप सारी दुनिया को रिज्युवनेट करते हैं।
  • तुम्हारी काया कल्पतरू, कल्प वृक्ष समान अथवा अमर बना देते हैं।
  • तुम बच्चे बाप की याद में रहते हो, बाबा का आह्वान नहीं करते।
  • तुम बाप की याद में रह अपनी उन्नति कर रहे हो।
  • बाप के डायरेक्शन पर चलने का भी शौक होना चाहिए।
  • हम शिवबाबा को याद करके ही भोजन खायेंगे।
  • गोया शिवबाबा के साथ खाते हैं।
  • दफ्तर में भी कुछ न कुछ टाइम मिलता है।
  • बाबा को लिखते हैं, कुर्सी पर बैठते हैं तो याद में बैठ जाते हैं।
  • आफीसर आकर देखते हैं, वह बैठे-बैठे गुम हो जाते हैं अर्थात् अशरीरी हो जाते हैं।
  • किसी की ऑख बन्द हो जाती है, किसकी खुली रहती है।
  • कोई ऐसा बैठा होगा - कुछ भी जैसे देखेगा नहीं।
  • जैसे गुम रहते हैं।
  • ऐसे-ऐसे होता है।
  • बाबा ने रस्सी खींच ली और मौज में बैठा है।
  • उनसे पूछेंगे तुमको क्या हुआ?
  • कहेंगे - हम तो बाप की याद में बैठे थे।
  • बुद्धि में रहता है हमको जाना है बाबा के पास।
  • बाप कहते हैं, सोल कान्सेस बनने से तुम हमारे पास आ जायेंगे।
  • वहाँ पवित्र होने बिगर थोड़ेही जा सकेंगे।
  • अब पवित्र बने कैसे?
  • वह बाप ही बता सकते हैं।
  • मनुष्य बता न सकें।
  • तुमने कुछ न कुछ समझा हुआ होगा तो औरों का भी कल्याण करेंगे।
  • तुमको कोई का कल्याण करने, बाप का परिचय देने का पुरूषार्थ जरूर करना है।
  • भक्ति मार्ग में भी ओ गॉड फादर कह याद करते हैं।
  • गॉड फादर रहम करो।
  • पुकारने की एक आदत हो गई है।
  • बाप तुम बच्चों को अपने समान कल्याणकारी बनाते हैं।
  • माया ने सबको कितना बेसमझ बना दिया है।
  • लौकिक बाप भी बच्चों की चलन ठीक नहीं देखते हैं तो कहते हैं कि तुम तो बेसमझ हो।
  • एक वर्ष में बाप की सारी मिलकियत उड़ा देंगे।
  • तो बेहद का बाप भी कहते हैं, तुमको क्या बनाया था, अभी अपनी चलन तो देखो।
  • अब तुम बच्चे समझते हो कैसा वन्डरफुल खेल है।
  • भारत का कितना डाउनफाल हो जाता है।
  • डाउन फाल ऑफ भारतवासी।
  • वह अपने को ऐसे समझते नहीं हैं कि हम गिरे हैं, हम कलियुगी तमोप्रधान बने हैं।
  • भारत स्वर्ग था अर्थात् मनुष्य स्वर्गवासी थे, वही मनुष्य अब नर्कवासी हैं।
  • यह ज्ञान कोई में है नहीं।
  • यह बाबा भी नहीं जानता था।
  • अभी बुद्धि में चमत्कार आया है।
  • 84 जन्म लेते-लेते सीढ़ी तो जरूर उतरनी पड़ेगी, ऊपर चढ़ने की जगह भी नहीं है।
  • उतरते-उतरते पतित बनना है।
  • यह बात कोई की बुद्धि में नहीं है।
  • बाप ने तुम बच्चों को समझाया है, तुम फिर भारतवासियों को समझाते हो कि तुम स्वर्गवासी थे अब नर्कवासी बने हो।
  • 84 जन्म भी तुमने लिए हैं।
  • पुनर्जन्म तो मानते हैं ना।
  • तो जरूर नीचे उतरना है।
  • कितने पुनर्जन्म लिये हैं, वह भी बाप ने समझाया है।
  • इस समय तुम फील करते हो, हम पावन देवी देवता थे फिर रावण ने पतित बनाया।
  • बाप को आकर पढ़ाना पड़ता है, शूद्र से देवता बनाने के लिए।
  • बाप को लिबरेटर, गाइड कहते हैं, परन्तु अर्थ नहीं समझते हैं।
  • अभी वह समय जल्दी आयेगा जो सबको पता पड़ेगा, देखो क्या से क्या बन गये हैं!
  • ड्रामा कैसे बना हुआ है, किसको स्वप्न में भी नहीं था कि हम लक्ष्मी-नारायण जैसा बन सकते हैं।
  • बाप कितना स्मृति में ले आते हैं।
  • अब बाप से वर्सा लेना है तो श्रीमत पर चलना है।
  • याद की यात्रा की प्रैक्टिस करनी है।
  • तुमको मालूम है कि पादरी लोग पैदल करने जाते हैं, कितना साइलेन्स में ऐसे चलते हैं।
  • वह क्राइस्ट की याद में रहते हैं।
  • उन्हों का क्राइस्ट के साथ लव है।
  • तुम रूहानी पण्डों की प्रीत बुद्धि है परमप्रिय परमपिता परमात्मा के साथ।
  • बच्चे जानते हैं, नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार कल्प पहले मुआफिक राजधानी जरूर स्थापन होगी, जितना पुरूषार्थ कर श्रीमत पर चलेंगे।
  • बाप तो बहुत अच्छी-अच्छी मत देते हैं।
  • फिर भी ग्रहचारी ऐसी बैठ जाती है जो श्रीमत पर चलते ही नहीं हैं।
  • तुम जानते हो श्रीमत पर चलने में ही विजय है।
  • निश्चय में ही विजय है।
  • बाप कहते हैं तुम मेरी मत पर चलो।
  • क्यों समझते हो कि यह ब्रह्मा मत देते हैं?
  • हमेशा समझो शिवबाबा राय देते हैं।
  • वह तो सर्विस की ही मत देंगे।
  • कोई कहेंगे, बाबा यह व्यापार धंधा करूँ?
  • बाबा कोई इन बातों के लिए मत नहीं देंगे।
  • बाप कहते हैं, मैं आया हूँ पतित से पावन बनाने की युक्ति बताने, न कि इन बातों के लिए।
  • मुझे बुलाते भी हैं - हे पतित-पावन आकर हमें पावन बनाओ तो मैं वह युक्ति बताता हूँ, बहुत सहज।
  • तुम्हारा नाम ही है गुप्त सेना।
  • उन्होंने फिर हथियार बाण आदि दिखलाये हैं।
  • परन्तु इसमें बाण आदि की कोई बात ही नहीं है।
  • यह सब है भक्ति मार्ग।
  • बाप आकर सच्चा मार्ग बताते हैं - जिससे आधाकल्प तुम सचखण्ड में चले जाते हो।
  • वहाँ दूसरा कोई खण्ड होता ही नहीं।
  • किसको समझाओ तो भी मानते नहीं कि यह कैसे हो सकता है कि सिर्फ भारत ही था।
  • क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था ना, तब और कोई धर्म नहीं था।
  • फिर झाड़ वृद्धि को पाता रहता है।
  • तुम सिर्फ अपने बाप को, अपने धर्म, कर्म को भूल गये हो।
  • देवी-देवता धर्म का अपने को समझते तो गन्दी चीजें आदि कुछ भी नहीं खाते।
  • परन्तु खाते हैं - क्योंकि वह गुण नहीं हैं इसलिए अपने को हिन्दू कह देते हैं।
  • नहीं तो लज्जा आनी चाहिए, हमारे बड़े ऐसे पवित्र और हम ऐसे पतित बन गये हैं।
  • परन्तु अपने धर्म को भूल गये हैं।
  • अभी तुम ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को अच्छी रीति समझ गये हो।
  • कोई भी ऐसी बात हो तो तुम कह सकते हो कि यह प्वाइंट्स अभी बाबा ने बताई नहीं है। बस।
  • नहीं तो मुफ्त मूँझ पड़ते हैं।
  • बोलो, हम पढ़ रहे हैं।
  • सब कुछ अभी ही जान लें फिर तो विनाश हो जाए।
  • परन्तु नहीं।
  • अभी मार्जिन है।
  • हम पढ़ रहे हैं।
  • अन्त में सम्पूर्ण पवित्र हो जायेंगे।
  • नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार कट निकलती जायेगी तो सतोप्रधान बन जायेंगे।
  • फिर इस पतित दुनिया का विनाश हो जायेगा।
  • आजकल कहते भी हैं कि परमात्मा कहाँ जरूर आया है।
  • परन्तु गुप्त है।
  • समय तो बरोबर विनाश का है ना।
  • बाप ही लिबरेटर, गाइड है जो वापस ले जायेंगे, मच्छरों सदृश्य मरेंगे।
  • यह भी जानते हैं, सब एकरस याद में नहीं बैठते हैं।
  • कोई का एक्यूरेट योग रहता है, कोई का आधा घण्टा, कोई का 15 मिनट।
  • कोई तो एक मिनट भी याद में नहीं रहते हैं।
  • कोई कहते हम सारा समय बाप की याद में रहते हैं, तो जरूर उनका चेहरा खुशनुम: चमकता रहेगा।
  • अतीन्द्रिय सुख ऐसे बच्चों को रहता है।
  • कहाँ भी बुद्धि भटकती नहीं है।
  • वह सुख फील करते होंगे।
  • बुद्धि भी कहती है एक माशूक की याद में बैठा रहे तो कितनी कट उतर जाये।
  • फिर आदत पड़ जायेगी।
  • याद की यात्रा से तुम एवरहेल्दी, एवरवेल्दी बनते हो।
  • चक्र भी याद आ जाता है।
  • सिर्फ याद में रहने की मेहनत है।
  • बुद्धि में चक्र भी फिरता रहेगा।
  • अभी तुम मास्टर बीजरूप बनते हो।
  • याद के साथ स्वदर्शन चक्र को भी फिराना है।
  • तुम भारतवासी लाइट हाउस हो।
  • स्प्रीचुअल लाइट हाउस सबको रास्ता बताते हो घर का।
  • वह भी समझाना पड़े ना।
  • तुम मुक्ति जीवनमुक्ति का रास्ता बताते हो इसलिए तुम हो स्प्रीचुअल लाइट हाउस।
  • तुम्हारा स्वदर्शन चक्र फिरता रहता है।
  • नाम लिखना है तो समझाना भी पड़े।
  • बाबा समझाते रहते हैं, तुम सम्मुख बैठे हो।
  • जो पिया के साथ हैं उनके लिए सम्मुख बरसात है।
  • सबसे जास्ती मज़ा सम्मुख का है।
  • फिर सेकेण्ड नम्बर है टेप।
  • थर्ड नम्बर मुरली।
  • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा सब कुछ समझाते हैं।
  • यह (ब्रह्मा) भी जानते तो हैं ना।
  • फिर भी तुम यही समझो कि "शिवबाबा कहते हैं'', यह न समझने कारण बहुत अवज्ञा करते हैं।
  • शिवबाबा जो कहते हैं, वह कल्याणकारी ही है।
  • भल अकल्याण हो जाए, वह भी कल्याण के रूप में बदल जायेगा।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप के हर डायरेक्शन पर चलकर अपनी उन्नति करनी है।
  • एक बाप से सच्ची-सच्ची प्रीत रखनी है।
  • याद में ही भोजन बनाना और खाना है।
  • 2) स्प्रीचुअल लाइट हाउस बन सबको मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताना है।
  • बाप समान कल्याणकारी जरूर बनना है।
  • वरदान:-
  • एक बाप में सारे संसार का अनुभव करने वाले बेहद के वैरागी भव
  • बेहद के वैरागी वही बन सकते जो बाप को ही अपना संसार समझते हैं।
  • जिनका बाप ही संसार है वह अपने संसार में ही रहेंगे, दूसरे में जायेंगे ही नहीं तो किनारा स्वत: हो जायेगा।
  • संसार में व्यक्ति और वैभव सब आ जाता है।
  • बाप की सम्पत्ति सो अपनी सम्पत्ति - इसी स्मृति में रहने से बेहद के वैरागी हो जायेंगे।
  • कोई को देखते हुए भी नहीं देखेंगे।
  • दिखाई ही नहीं देंगे।
  • स्लोगन:-
  • पावरफुल स्थिति का अनुभव करने के लिए एकान्त और रमणीकता का बैलेन्स रखो।