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                            29-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन 
      मीठे बच्चे - पावन बनो तो रूहानी सेवा के लायक बनेंगे, देही-अभिमानी बच्चे रूहानी यात्रा पर रहेंगे और दूसरों को भी यही यात्रा करायेंगे 
       प्रश्नः-         
      
        संगम पर तुम बच्चे जो कमाई करते हो, यही सच्ची कमाई है - कैसे?         
       
      उत्तर:-         
      
        अभी की जो कमाई है वह 21 जन्म तक चलती है, इसका कभी भी देवाला नहीं निकलता। 
         ज्ञान सुनना और सुनाना, याद करना और कराना - यही है सच्ची-सच्ची कमाई, जो सच्चा-सच्चा बाप ही तुम्हें सिखलाता है।  
        ऐसी कमाई सारे कल्प में कोई भी कर न सके। 
         दूसरी कोई भी कमाई साथ नहीं चलती। 
        गीत:-
          
          हमें उन राहों पर चलना है.... 
       
      
      
      
     
     
    
        
      
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      -  
        
      ओम् शान्ति। भक्ति मार्ग में तो बच्चों ने बहुत ठोकरें खाई हुई हैं। 
 
      - भक्ति मार्ग में बहुत ही भावना से यात्रा करने जाते हैं, रामायण आदि सुनते हैं।
 
      -  ऐसे प्रेम से बैठ कहानियाँ सुनते हैं - जो रोना भी आ जाता है। 
 
      - हमारे भगवान की सीता भगवती को रावण डाकू ले गया। 
 
      - फिर सुनने समय बैठ रोते हैं।
 
      -  यह हैं सब दन्त कथायें, जिससे फायदा कुछ भी नहीं। 
 
      - पुकारते भी हैं - हे पतित-पावन आओ, आकर हम दु:खी आत्माओं को सुखी बनाओ। 
 
      - यह नहीं समझते कि आत्मा दु:खी होती है क्योंकि वह तो आत्मा को निर्लेप कह देते हैं।
 
      - समझते हैं आत्मा सुख दु:ख से न्यारी है। यह क्यों कहते हैं?
 
      -  क्योंकि समझते हैं - परमात्मा सुख दु:ख से न्यारा है, तो बच्चे फिर सुख दु:ख में कैसे आयेंगे?
 
      -  इन सब बातों को अब बच्चों ने समझा है।
 
      -  इस ज्ञान मार्ग में भी कभी ग्रहचारी बैठती है, कभी कुछ होता है।
 
      -  कभी प्रफुल्लित रहते, कभी मुरझाया हुआ चेहरा रहता है।
 
      -  यह होती है माया से लड़ाई।
 
      -  माया पर ही जीत पानी है। 
 
      - जब बेहोश होते हैं तब संजीवनी बूटी दी जाती है - मनमनाभव।
 
      -  भक्ति मार्ग में चहचटा बहुत है।
 
      -  देवताओं की मूर्तियों को कितना श्रृंगारते हैं, सच्चे जेवर पहनाते हैं।
 
      -  वह जेवर तो ठाकुर की प्रापर्टी हुई।
 
      -  ठाकुर की प्रापर्टी सो पुजारी वा ट्रस्टी की हो जाती है।
 
      -  तुम बच्चे जानते हो कि हम चैतन्य में बहुत हीरे जवाहरों से सजे हुए थे। 
 
      - फिर जब पुजारी बनते हैं तो भी बहुत जेवर पहनते हैं। 
 
      - अब कुछ भी नहीं है।
 
      -  चैतन्य रूप में भी पहने फिर जड़ रूप में भी पहने।
 
      -  अब नो जेवर। 
 
      - बिल्कुल साधारण हैं। 
 
      - बाप कहते हैं मैं साधारण तन में आता हूँ। 
 
      - कोई राजाई आदि की ठाठ-बाठ नहीं है। 
 
      - संन्यासियों के भी बहुत ठाठ-बाठ होते हैं।
 
      -  अभी तुम समझ गये हो बरोबर सतयुग में कैसे हम आत्मायें पवित्र थीं।
 
      -  शरीर भी हमारे पवित्र थे।
 
      - उन्हों का श्रृंगार भी बहुत अच्छा रहता है।
 
      -  कोई खूबसूरत होते हैं तो उनको श्रृंगार का भी शौक रहता है। 
 
      - तुम भी खूबसूरत थे तो बहुत अच्छे-अच्छे जेवर पहनते थे। 
 
      - हीरों के बड़े हार आदि पहनते थे।
 
      -  यहाँ हर चीज सांवरी है। 
 
      - देखो, गऊयें भी सांवरी होती गई हैं।
 
      -  बाबा जब श्रीनाथ द्वारे गया था तो बहुत अच्छी गऊएं थी।
 
      -  कृष्ण की गऊ बहुत अच्छी दिखाते हैं।
 
      -  यहाँ तो देखो कोई कैसे, कोई कैसे हैं क्योंकि कलियुग है।
 
      -  ऐसी गऊएं वहाँ होती नहीं।
 
      -  तुम बच्चे विश्व के मालिक बनते हो। 
 
      - तुम्हारी सजावट भी वहाँ ऐसी सुन्दर रहती है।
 
      -  विचार करो - गऊएं तो जरूर होनी चाहिए। 
 
      - वहाँ की गऊओं का गोबर भी कैसा होता होगा। 
 
      - कितनी ताकत होगी। 
 
      - जमीन को खाद चाहिए ना।
 
      -  खाद डाली जाती है तो अच्छा अनाज पैदा होता है।
 
      -  वहाँ सब चीज़ें अच्छी ताकत वाली होती हैं।
 
      -  यहाँ तो कोई चीज़ में ताकत नहीं है।
 
      -  हर एक चीज़ बिल्कुल ही पावरलेस हो गई है।
 
      -  बच्चियाँ सूक्ष्मवतन में जाती थी।
 
      -  कितने अच्छे-अच्छे बड़े फल खाती थी, शूबीरस आदि पीती थी।
 
      -  यह सब साक्षात्कार कराते थे। 
 
      - माली वहाँ कैसे फल आदि काटकर देते हैं। 
 
      - सूक्ष्मवतन में तो फल आदि हो न सकें। 
 
      - यह साक्षात्कार होता है।
 
      -  वैकुण्ठ तो फिर भी यहाँ होगा ना। 
 
      - मनुष्य समझते हैं वैकुण्ठ कोई ऊपर में है।
 
      -  वैकुण्ठ न सूक्ष्मवतन में, न मूलवतन में होता है।
 
      -  यहाँ ही होता है। 
 
      - यहाँ जो बच्चियाँ साक्षात्कार करती हैं वह फिर इन ऑखों से देखेंगे।
 
      -  जैसी पोजीशन ऐसी सामग्री भी रहती है। 
 
      - राजाओं के महल देखो कैसे अच्छे-अच्छे होते हैं। 
 
      - जयपुर में बहुत अच्छे-अच्छे महल बने हुए हैं।
 
      -  सिर्फ महल देखने लिए मनुष्य जाते हैं तो भी टिकेट रहती है।
 
      -  खास वह महल देखने लिए रखते हैं।
 
      -  खुद फिर और महलों में रहते हैं।
 
      -  सो भी अभी कलियुग में। 
 
      - यह है ही पतित दुनिया।
 
      -  कोई अपने को पतित समझते थोड़ेही हैं।
 
      -  तुम अभी समझते हो - हम तो पतित थे।
 
      -  कोई काम के नहीं थे फिर हम गोरा बनेंगे।
 
      -  वह दुनिया ही फर्स्टक्लास होगी। 
 
      - यहाँ भल अमेरिका आदि में फर्स्ट क्लास महल हैं।
 
      -  परन्तु वहाँ की भेंट में यह तो कुछ नहीं हैं क्योंकि यह तो अल्पकाल का सुख देने वाले हैं।
 
      -  वहाँ तो फर्स्टक्लास महल होते हैं।
 
      -  फर्स्टक्लास गऊएं होती हैं।
 
      -  वहाँ ग्वाले भी होते हैं।
 
      -  श्रीकृष्ण को ग्वाला कहते हैं ना। 
 
      - यहाँ जो गऊओं को सम्भालने वाले हैं, वह कहते हैं हम गूजर (ग्वाले) हैं। 
 
      - कृष्ण के वंशावली हैं।
 
      -  वास्तव में कृष्ण के वंशावली नहीं कहेंगे। 
 
      - कृष्ण की राजधानी के कहेंगे।
 
      -  साहूकारों के पास गऊएं होंगी तो गूजर सम्भालने वाले भी होंगे।
 
      -  यह गूजर नाम सतयुग का है।
 
      -  कल की बात है।
 
      -  कल हम आदि सनातन देवी देवता धर्म के थे फिर पतित बने हैं तो अपने को हिन्दू कहला देते हैं।
 
      -  पूछो, तुम आदि सनातन देवी देवता धर्म के हो वा हिन्दू धर्म के हो?
 
      -  आजकल सब हिन्दू लिख देते हैं।
 
      -  हिन्दू धर्म किसने स्थापन किया? 
 
      - देवी देवता धर्म किसने स्थापन किया?
 
      -  यह भी कोई नहीं जानते हैं।
 
      -  बाबा यह प्रश्न पूछते हैं बताओ आदि सनातन देवी देवता धर्म किसने स्थापन किया?
 
      -  शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा कर रहे हैं।
 
      -  राम वा शिवबाबा की श्रीमत पर आदि सनातन देवी देवता धर्म स्थापन हुआ।
 
      -  फिर रावण राज्य होता है, विकारों में जाते हैं।
 
      -  भक्ति मार्ग शुरू हो जाता है तब हिन्दू कहलाने लगते हैं। 
 
      - अभी अपने को कोई देवता कह न सके। 
 
      - रावण ने विशश बनाया, बाप आकर वाइसलेस बनाते हैं।
 
      -  तुम ईश्वरीय मत से देवता बनते हो। 
 
      - बाप ही आकर तुम ब्राह्मणों को देवता बनाते हैं।
 
      -  सीढ़ी कैसे उतरते हैं, यह तुम बच्चों की बुद्धि में नम्बरवार बैठता है।
 
      -  तुम जानते हो और सभी मनुष्य आसुरी मत पर चल रहे हैं और तुम ईश्वरीय मत पर चल रहे हो।
 
      -  रावण की मत से सीढ़ी उतरते आये हो।
 
      -  84 जन्मों के बाद फिर पहला नम्बर जन्म होगा। 
 
      - ईश्वरीय बुद्धि से तुम सारे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जान जाते हो। 
 
      - यह तुम्हारा जीवन बहुत अमूल्य है, इनकी बहादुरी है।
 
      -  जबकि बाप आकर हमको इतना पावन बनाते हैं।
 
      -  हम रूहानी सेवा के लायक बनते हैं।
 
      -  वह है जिस्मानी सोशल वर्कर, जो देह-अभिमान में रहते हैं।
 
      -  तुम देही-अभिमानी हो।
 
      -  आत्माओं को रूहानी यात्रा पर ले जाते हो।
 
      -  बाप समझाते हैं तुम सतोप्रधान थे, अभी तमोप्रधान बने हो। 
 
      - सतोप्रधान को पावन, तमोप्रधान को पतित कहा जाता है। 
 
      - आत्मा में ही खाद पड़ी है।
 
      -  आत्मा को ही सतोप्रधान बनाना है।
 
      -  जितना याद में रहेंगे उतना पवित्र बनेंगे।
 
      -  नहीं तो कम पवित्र बनेंगे।
 
      -  पापों का बोझा सिर पर रह जायेगा।
 
      -  आत्मायें तो सभी पवित्र होती हैं फिर हर एक का पार्ट अलग है।
 
      -  सबका एक जैसा पार्ट हो न सके।
 
      -  सबसे ऊंच बाबा का पार्ट फिर ब्रह्मा-सरस्वती का कितना पार्ट है।
 
      -  जो स्थापना करता है, वही पालना भी करता है।
 
      -  बड़ा पार्ट उनका है।
 
      -  पहले है शिवबाबा फिर है ब्रह्मा-सरस्वती, जो पुनर्जन्म में आते हैं। 
 
      - शंकर तो सिर्फ सूक्ष्म रूप धारण करते हैं।
 
      -  ऐसे नहीं कि शंकर कोई शरीर का लोन लेते हैं।
 
      -  कृष्ण को अपना शरीर है।
 
      -  यहाँ सिर्फ शिवबाबा शरीर का लोन लेते हैं। 
 
      - पतित शरीर, पतित दुनिया में आकर सेवा करते हैं, मुक्ति-जीवनमुक्ति में ले जाने की। 
 
      - पहले मुक्ति में जाना पड़े।
 
      -  नॉलेजफुल एक ही बाप पतित-पावन है, उनको ही कहते हैं शिवबाबा।
 
      -  शंकर को बाबा कहते शोभता नहीं है।
 
      -  शिवबाबा अक्षर बहुत मीठा है।
 
      -  शिव के ऊपर कोई अक चढ़ाते हैं, कोई क्या चढ़ाते हैं।
 
      -  कोई दूध भी चढ़ाते हैं।
 
      - बाप बच्चों को अनेक प्रकार की समझानी देते रहते हैं। 
 
      - बच्चों के लिए समझाया जाता है, सारा मदार योग पर है।
 
      -  योग से ही विकर्म विनाश होंगे।
 
      -  योग वाले को ज्ञान की धारणा भी अच्छी होगी।
 
      -  अपनी धारणा में चलते रहेंगे क्योंकि फिर सुनाना भी पड़ता है।
 
      -  यह है नई बात - भगवान ने जिन्हों को डायरेक्ट सुनाया, उन्होंने ही सुना फिर तो यह ज्ञान रहता ही नहीं।
 
      -  अभी बाप तुमको जो सुनाते हैं वह अभी तुम सुनते हो।
 
      -  धारणा होती है फिर तो प्रालब्ध का पार्ट बजाना होता है।
 
      -  ज्ञान सुनना, सुनाना अभी होता है।
 
      -  सतयुग में यह पार्ट नहीं होगा।
 
      -  वहाँ तो है ही प्रालब्ध का पार्ट। 
 
      - मनुष्य बैरिस्टरी पढ़ते हैं फिर बैरिस्टर बन कमाते हैं।
 
      -  यह कितनी बड़ी कमाई है, इनको दुनिया वाले नहीं जानते।
 
      -  तुम जानते हो सच्चा बाबा हमको सच्ची कमाई करा रहे हैं।
 
      - इनका कभी देवाला निकल न सके। 
 
      - अभी तुम सच की कमाई करते हो। 
 
      - वह फिर 21 जन्म साथ रहती है।
 
      -  वह कमाई साथ नहीं देती।
 
      -  यह साथ देने वाली है तो ऐसी कमाई को साथ देना चाहिए।
 
      -  यह बातें तुम्हारे सिवाए और कोई की बुद्धि में नहीं हैं।
 
      -  तुम्हारे में भी घड़ी-घड़ी कोई भूल जाते हैं।
 
      -  बाप और वर्से को भूलना नहीं चाहिए।
 
      -  बस, बात एक ही है।
 
      -  बाप को याद करो।
 
      -  जिस बाप से 21 जन्म का वर्सा मिलता है, 21 जन्म निरोगी काया रहती है।
 
      -  बुढ़ापे तक अकाले मृत्यु नहीं होती। 
 
      - बच्चों को कितनी खुशी होनी चाहिए।
 
      -  बाप की याद है मुख्य, इसमें ही माया विघ्न डालती है। 
 
      - तूफान लाती है।
 
      -  अनेक प्रकार के तूफान आते हैं।
 
      -  तुम कहेंगे - बाप को याद करूँ, परन्तु कर नहीं सकेंगे।
 
      -  याद में ही बहुत फेल होते हैं।
 
      -  योग की बहुतों में कमी है। 
 
      - जितना हो सके, योग में मजबूत होना चाहिए।
 
      -  बाकी बीज और झाड़ का ज्ञान कोई बड़ी बात नहीं है।
 
      -  बाप कहते हैं मुझे याद करो।
 
      -  मुझे याद करने से, मुझे जानने से तुम सब कुछ जान जायेंगे।
 
      -  याद में ही सब कुछ भरा हुआ है।
 
      -  स्वीट बाबा, शिवबाबा को याद करना है।
 
      -  ऊंच ते ऊंच है भगवान।
 
      -  श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ वह है।
 
      -  ऊंचे से ऊंच वर्सा देते हैं 21 जन्म के लिए।
 
      -  सदा सुखी अमर बनाते हैं। 
 
      - तुम अमरपुरी का मालिक बनते हो। 
 
      - तो ऐसे बाप को बहुत याद करना चाहिए। 
 
      - बाप को याद नहीं करेंगे तो और सब कुछ याद आ जायेगा। 
 
      - अच्छा।
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) यह ईश्वरीय जीवन बहुत-बहुत अमूल्य है, इस जीवन में आत्मा और शरीर दोनों को पावन बनाना है। 
 
      - रूहानी यात्रा में रहकर दूसरों को यही यात्रा सिखानी है।
 
      - 2) जितना हो सके - सच की कमाई में लग जाना है। 
 
      - निरोगी बनने के लिए याद में मजबूत होना है।
 
      - वरदान:-
 
      
      -  मास्टर नॉलेजफुल बन अनजानपने को समाप्त करने वाले ज्ञान स्वरूप, योगयुक्त भव
 
      -  मास्टर नॉलेजफुल बनने वालों में किसी भी प्रकार का अनजानपन नहीं रहता, वह ऐसा कहकर अपने को छुड़ा नहीं सकते कि इस बात का हमें पता ही नहीं था। 
 
      - ज्ञान स्वरूप बच्चों में कोई भी बात का अज्ञान नहीं रह सकता और जो योगयुक्त हैं उन्हें अनुभव होता जैसेकि पहले से सब कुछ जानते हैं।
 
      -  वो यह जानते हैं कि माया की छम-छम, रिमझिम कम नहीं है, माया भी बड़ी रौनकदार है, इसलिए उससे बचकर रहना है। 
 
      - जो सभी रूपों से माया की नॉलेज को समझ गये उनके लिए हार खाना असम्भव है।
 
      - स्लोगन:-
 
      
      -  जो सदा प्रसन्नचित हैं, वह कभी प्रश्नचित नहीं हो सकता।
 
      
         
     
   
    
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