बाप को जानना यह
कितनी बड़ी विशेषता है
Avyakt Baapdada - 16.02.1996
"... आज बापदादा
चारों ओर के सेवाधारी डायमण्ड
की माला को देख रहे हैं।
आप सभी माला में हो ना?
बाप के गले में डायमण्ड बन
चमकने वाले माला के दाने हो
या और कोई है?
आप ही हो और नहीं?
लोग कहते हैं कि 108 की माला
लेकिन बापदादा के गले में
आप सभी डायमण्ड्स की
कितनी लम्बी माला है?
108 तो आप नीचे बैठे हुए हो जायेंगे।
पीछे वाले भी हो ना?
पहले पीछे वाले।
देखो ये भी त्याग का
प्रत्यक्ष फल है कि
बापदादा पीछे वालों को
ज्यादा मुबारक देते हैं।
और उससे ज्यादा नीचे वालों को।
बापदादा हर एक बच्चे की
विशेषता को देखते हैं।
चाहे सम्पूर्ण नहीं बने हैं,
पुरूषार्थी हैं लेकिन
ऐसा एक भी बाप का बच्चा नहीं है
जिसमें कोई विशेषता नहीं हो।
सबमें विशेषता है।
सबसे पहली विशेषता तो
कोटो में कोई के लिस्ट में
तो हैं ना।
और विशेषता ये है कि
बड़े-बड़े तपस्वी महान् आत्मायें,
16108 जगत्गुरू,
चाहे शास्त्रवादी हैं,
चाहे महामण्डलेश्वर हैं,
लेकिन बाप को नहीं जाना
और बाप के सभी बच्चों ने
बाप को तो जान लिया ना।
तो बाप को जानना यह
कितनी बड़ी विशेषता है।
दिल से ‘मेरा बाबा’ तो कहते हैं ना।
मेरा कह कर अधिकारी तो बन गये ना।
तो इसको क्या कहेंगे?
जिसने बाप को परख लिया,
पहचान लिया,
तो पहचानना ये भी
बुद्धि की विशेषता है,
परखने की शक्ति है।
तो आप सभी के परखने की
शक्ति श्रेष्ठ है।
आज विशेष
मनाने आये हो ना?
आज मनाने का दिन है या
आज भी सुनने का दिन है?
सुनना भी है? अच्छा। ..."
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