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जरा सोचिए भगवान ने हमें किसलिए अपनाया है? वह हमें वर्तमान में क्या बनाना चाहते हैं ? ...अलौकिक जीवन वाली श्रेष्ठ आत्मा

“...सदा अलौकिक बाप और वर्से की स्मृति रहे।

कभी लौकिक जीवन के स्मृति में तो नहीं चले जाते?

मरजीवा बन गये ना।

जैसे शरीर से मरने वाले कभी भी पिछले जन्म को याद नहीं करते, ऐसे अलौकिक जीवन वाले, जन्म वाले, लौकिक जन्म को याद नहीं कर सकते।

अभी तो युग ही बदल गया।

दुनिया कलियुगी है, आप संगमयुगी हो, सब बदल गया।

कभी कलियुग में तो नहीं चले जाते।

यह भी बार्डर है।

बार्डर क्रास किया और दुश्मन के हवाले हो गये।

तो बार्डर क्रास तो नहीं करते?

सदा संगमयुगी अलौकिक जीवन वाली श्रेष्ठ आत्मा है, इसी स्मृति में रहो। ...

Ref:-

अव्यक्त बापदादा

1985/ 16.01.1985

 

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