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एक मंजिल राही दो फिर प्यार न कैसे हो... |
Godly Versions 29.08.1975
आत्माओं से स्नेह समाप्त हो, साधनों से प्यार बढ़ता जा रहा है। इसलिए कई प्रकार की प्राप्ति के होते हुए भी स्नेह की अप्राप्ति के कारण सन्तुष्ट नहीं। और भी दिन-प्रतिदिन यह असन्तुष्टता बढ़ेगी। महसूस करेंगे कि यह साधन मंज़िल से दूर करने वाले, भटकाने वाले हैं! ..."
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Today's Murli |