18.01.1969
"...भल तुम बच्चे साकार शरीर में साकारी सृष्टि में हो फिर भी साकार में रहते ऐसे ही लाइट माइट रूप
होकर रहना है जो कोई भी देखे तो महसूस करे कि यह कोई फरिश्ते घूम रहे हैं। ..."
02.02.1969
"...या तो प्यारे बनते या तो न्यारे बनते।
लेकिन बापदादा न्यारे और प्यारे साथ-साथ बनते हैं।
यह अन्तर
जो रहा हुआ है इसको जब मिटायेंगे तो क्या बनेंगे?
अन्तर्मुख, अव्यक्त, अलौकिक।
अभी कुछ कुछ
लौकिकपन भी मिल जाता है।
लेकिन जब यह अन्तर खत्म कर देंगे तो बिल्कुल अलौकिक और
अन्तर्मुखी, अव्यक्त फरिश्ते नजर आयेंगे।
इस साकार वतन में रहते हुए भी फरिश्ते बन सकते हो। ..."
20.12.1969
"...अव्यक्ति पालना का प्रभाव।
व्यक्त में होते हुए भी सभी को अव्यक्त फरिश्ते नजर आते थे।
साधारण
रूप में आकर्षण मूर्त और अलौकिक व्यक्तियों देखने में आते थे।..."
25.12.1969
"...संगमगुग की सम्पूर्ण स्टेज की पिक्चर्स क्या है?
फरिश्ते में क्या विशेषता होती है?
एक तो बिल्कुल
हल्कापन होता है।
हल्कापन होने के कारण जैसी भी परिस्थिति हो वैसी अपनी स्थिति बना सकेंगे।
जो
भारी होते हैं, वह कैसी भी परिस्थिति में अपने को सैट नहीं कर सकेंगे।
तो फरिश्तेपन की मुख्य विशेषता
हुई कि वह सभी बातों में हल्के होंगे।
संकल्पों में भी हल्के, वाणी में भी हल्के और कर्म करने में भी
हल्के और सम्बन्ध में भी हल्के रहेंगे।
इन चार बातों में हल्कापन है तो फरिश्ते की अवस्था है। ..."
"...जो हल्के होंगे वे एक सेकेण्ड में कोई भी आत्मा के संस्कारों को परख सकेंगे।
और जो भी परिस्थिति
सामने आयेगी उनको एक सेकेण्ड में निर्णय कर सकेंगे।
यह है फरिश्तेपन की परख।..."
24.01.1970
"...बापदादा तो यही समझते हैं कि स्थूल वतन में रहते भी सूक्ष्मवतनवासी बन जाते, यहाँ जो भी बुलाते
हो यह भी सूक्ष्मवतन के वातावरण में ही सूक्ष्म से सर्विस ले सकते हो।
अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर
मदद ले सकते हो।
व्यक्त रूप में अव्यक्त मदद मिल सकती है।
अभी ज्यादा समय अपने को फ़रिश्ते
ही समझो।
फरिश्तों की दुनिया में रहने से बहुत ही हल्कापन अनुभव होगा जैसे कि सूक्ष्मवतन को ही
स्थूलवतन में बसा दिया है।
स्थूल और सूक्ष्म में अंतर नहीं रहेगा।
तब सम्पूर्ण स्थिति में भी अंतर नहीं
रहेगा।
यह व्यक्त देश जैसे अव्यक्त देश बन जायेगा।
सम्पूर्णता के समीप आ जायेंगे।
जैसे बापदादा
व्यक्त में आते भी हैं तो भी अव्यक्त रूप के अव्यक्त देश के अव्यक्ति प्रवाह में रहते हैं।
वही बच्चों को
अनुभव कराने लिए आते हैं।
ऐसे आप सभी अपने अव्यक्त स्थिति का अनुभव औरों को कराओ।
जब अव्यक्त स्थिति की स्टेज सम्पूर्ण होगी तब ही अपने राज्य में साथ चलना होगा।..."
26.01.1970
"...संकल्प उठा और जो होना है वही होगा।
ऐसी स्थिति में सभी को आना होगा।
मूलवतन जाने के
पहले वाया सूक्ष्मवतन जायेंगे।
वहां सभी को आकर मिलना है फिर अपने घर चलकर फिर अपने राज्य
में आ जायेंगे जैसे साकार वतन में मेला हुआ वैसे ही सूक्ष्मवतन में होगा।
वह फरिश्तों का मेला नजदीक
है।
कहानियाँ बताते हैं ना।
फ़रिश्ते आपस में मिलते थे।
रूह रूहों से बात करते थे।
वही अनुभव करेंगे।
तो जो कहानियाँ गाई हुई हैं उसका प्रैक्टिकल में अनुभव होगा।
उसी मेले के दिनों का इंतज़ार है। ..."
18.06.1970
"... फरिश्तों को फर्श की कभी आकर्षण नहीं होती है।
अभी अभी आया और गया।
कार्य समाप्त हुआ
फिर ठहरते नहीं।
आप लोगों ने भी कार्य के लिए व्यक्त का आधार लिया, कार्य समाप्त किया फिर
अव्यक्त एक सेकंड में।
यह प्रैक्टिस हो जाये फिर फ़रिश्ते कहलायेंगे। ..."
01.11.1970
"...कहावत है ना कि फरिश्तों के पाँव पृथ्वी पर नहीं होते।
तो अभी यह बुद्धि पृथ्वी अर्थात् प्रकृति के
आकर्षण से परे हो जाएगी फिर कोई भी चीज़ नीचे नहीं ला सकती है।
फिर प्रकृति को अधीन करने वाले
हो जायेंगे।..."
31.12.1970
"...सोने को भी परिवर्तन करो।
बेड पर नहीं सोओ।
लेकिन कहाँ सोयेंगे।
बाप की याद की गोदी में सोयेंगे।
फरिश्तों की दुनिया में स्वप्नों में सैर करो तो स्वप्न भी परिवर्तन करो और सोना भी परिवर्तन करो।
आदि से अन्त तक परिवर्तन करो।
समझा – कैसे परिवर्तन शक्ति यूज़ करो।..."
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Angel - Angelic Stage
फरिश्ता स्थिति बनाने के लिए 8 महत्वपूर्ण बापदादा की वाणियां
1975
18.01.1975
05.09.1975
21.09.1975
04.10.1975
1981
07.03.1981
13.03.1981
29.03.1981
17.10.1981
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