"...अपने फीचर्स द्वारा फ्यूचर का साक्षात्कार करने के लिए, जैसे भिन्न-भिन्न पॉइन्ट्स सोचते हुए स्टेज तैयार करते हो वैसे ही इस सूरत के बीच जो भी मुख्य कर्मेन्द्रियाँ हैं, उन कर्मेन्द्रियों द्वारा बाप के चरित्र, बाप के कर्त्तव्य का साक्षात्कार हो, बाप के गुणों का साक्षात्कार हो। यह भिन्न-भिन्न पॉइन्ट्स तैयार करनी पड़े। नयनों द्वारा नजर से निहाल कर सको। अर्थात् नयनों की दृष्टि द्वारा उन आत्माओं की दृष्टि, वृत्ति, स्मृति और कृति चेन्ज कर दो।
मस्तिष्क द्वारा अपने व सभी के स्वरूपों का स्पष्ट साक्षात्कार कराओ।
होंठों द्वारा रूहानी मुस्कराहट से अविनाशी खुशी का अनुभव कराओ।
सारे चेहरे द्वारा वर्तमान श्रेष्ठ पोजीशन और भविष्य पोजीशन (Position) का साक्षात्कार कराओ।
अपने श्रेष्ठ संकल्प द्वारा अन्य आत्माओं के व्यर्थ संकल्पों व विकल्पों की बहती हुई बाढ से और अपनी शक्ति से अल्प समय में किनारा कर दिखाओ।
व्यर्थ संकल्पों को शुद्ध संकल्पों में परिवर्तित कर डालो।
अपने एक बोल द्वारा अनेक समय की तड़पती हुई आत्माओं को अपने निशाने का, अपनी मंजिल के ठिकाने का अनुभव कराओ।
वह एक बोल कौन-सा? ‘शिव बाबा।’
शिव बाबा कहने से ही ठिकाना व निशाना मिल जाय। अपने हर कर्म अर्थात् चरित्र द्वारा, चरित्र सिर्फ बाप के नहीं हैं, आप हर श्रेष्ठ आत्मा के श्रेष्ठ कर्म भी चरित्र हैं। साधारण कर्म को चरित्र नहीं कहेंगे। तो हर श्रेष्ठ कर्म रूपी चरित्र द्वारा बाप का चित्र दिखाओ। ..."
----------- Avyakt BaapDada -25.05.1973 ----------- |