- "19.03.2022
- अच्छे घर में जन्म...
- "...इस ज्ञान से ही मनुष्य से देवता बनते हैं, इस ब्रह्मा की आत्मा भी पढ़ती है। बच्चों की आत्मा भी पढ़ती है। अच्छे वा बुरे संस्कार आत्मा में ही रहते हैं। अच्छे संस्कार होंगे तो अच्छे घर में जन्म लेंगे।..."
- भगवान के घर में...
- "...अभी तुम भगवान के घर में बैठे हो। तुम ब्राह्मण ब्राह्मणियां फिर देवता बनेंगे, फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र.. यह चक्र है।..."
- 18.03.2022
- "...बाबा खुद कहते हैं मैं कल्प-कल्प आकर तुम बच्चों को वापिस घर ले जाता हूँ, फिर विष्णुपुरी में भेज देंगे।..."
- मेरे घर की परवरिश...दादियों की पुरानी डायरी से...
- "...पिता अपने बच्चों को फरमानबरदार देख बहुत हर्षित होता है कि यह मेरा बच्चा बिल्कुल सुपात्र है, जो मेरे सिवाए मेरे घर की परवरिश करता है।..."
- 17.03.2022
- घर गृहस्थ में रहकर...
- "...जीवनबंध कलियुग के अन्त और जीवनमुक्त सतयुग के आदि को कहा जाता है। कहते हैं जनक मिसल घर गृहस्थ में रहकर जीवनमुक्ति को पायें।..."
- 15.03.2022
- भल घर में रहते भी...
- "...भल घर में रहते भी तुम यह नई शिक्षा प्राप्त करो।
यह भगवान की पाठशाला है।..."
- अपने घर में भी मन्दिर...
- "...अब तुम जानते हो हम सो पूज्य बन रहे हैं, फिर पुजारी बनेंगे फिर मन्दिर बनाना शुरू करेंगे। सिर्फ एक मन्दिर तो नहीं होगा। राजायें अपने घर में भी मन्दिर बनाते हैं, जैसे घर में गुरुद्वारा बनाते हैं।..."
- 14.03.2022
- तो घर से वैराग्य आता है...
- "...संन्यासियों को वैराग्य आता है - घरबार से।...और कोई जगह पवित्रता की बात नहीं। ...वह कहते हैं हम घर में इकट्ठा रह नहीं सकते तो उन्हों को घर से वैराग्य होता है और वह जंगल में चले जाते हैं।...वह तो घर से वैराग्य आता है या कुछ चोरी पाप आदि करते हैं तो संन्यास धारण कर लेते हैं इसलिए चोरों को पकड़ने के लिए भी गवर्मेन्ट को संन्यासी सी. आई. डी. आदि रखने पड़ते हैं।"
- भल बैठे घर में हैं परन्तु...
- "...कई लिखते हैं कि भल बैठे घर में हैं परन्तु मूँझते हैं कि क्या करें। ममत्व अगर नहीं रखें तो सम्भाल कैसे हो। बाप कहते हैं बच्चे रहना तो यहॉ ही है।..."
- हम घर जाते हैं फिर आयेंगे...
- "...कोई भी हालत में खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। हम घर जाते हैं फिर आयेंगे नई राजधानी में।..."
- 12.03.2022
- घर के बनकर फिर निंदा कराते...
- "...घर के बनकर फिर निंदा कराते हैं तो महान पाप आत्मा बन जाते हैं इसलिए बाबा समझाते रहते हैं तो यहाँ तुम आये हो बेहद के बाप से सुख का वर्सा लेने, तो खामियां सब निकालनी चाहिए।..."
- 11.03.2022
- घर को याद करो...
- "...अब बाप कहते हैं मुझे याद करो और घर को याद करो।
घर तो जल्दी याद आता है ना। मनुष्य 8-10 वर्ष की मुसाफिरी कर घर लौटते हैं तो खुशी होती है कि अब हम अपने बर्थप्लेस में जा रहे हैं।
अब वह मुसाफिरी होती है थोड़े समय की, इसलिए घर को भूलते नहीं हैं। यहाँ तो 5 हजार वर्ष हो गये हैं इसलिए घर को तो बिल्कुल ही भूल गये हैं। अब बाप ने आकर बतलाया है कि बच्चे यह पुरानी दुनिया है - इनको तो आग लगनी है।..."
- 10.03.2022
- यह है बेहद का घर...
- "...यह है बेहद का घर। बाप ऐसे बैठ समझाते हैं - जैसे हूबहू हद के घर में लौकिक बाप समझाते हैं।..."
- 09.03.2022
- वह सिर्फ घरबार से वैराग्य करते...
- "...यह है बेहद का राइटियस वैराग्य। संन्यासियों का वैराग्य अलग है। वह सिर्फ घरबार से वैराग्य करते हैं।..."
- अब चलो अपने घर...
- "...अब नाटक पूरा होता है, अब चलो अपने घर।..."
- वानप्रस्थी घर बार से किनारा कर...
- "...वानप्रस्थी घर बार से किनारा कर साधुओं के पास जाकर बैठ जाते हैं।
परन्तु यह ज्ञान नहीं कि हमको मिलना क्या है।..."
- घर लौटने का समय...
- "...सतयुग में ऐसे नहीं कहेंगे कि घर जाना है।
नहीं। घर लौटने का समय यह है।..."
- घरबार को छोड़ना नहीं है...
- "...घरबार को छोड़ना नहीं है। सिर्फ ममत्व मिटाना है और पवित्र बनना है।..."
- 05.03.2022
- इसलिए घरबार छोड़ देते हैं...
- "...हाँ काम महाशत्रु है, यह तो संन्यासी भी कहते हैं इसलिए घरबार छोड़ देते हैं।..."
- यह घर से निकाल देंगे...बड़े घर वाले तो... "...मनुष्य तो सुनकर डर जाते हैं कि स्त्री पुरुष इकट्ठे रहते पवित्र रहे, यह हो नहीं सकता। कहते हैं जरूर कुछ जादू है। ऐसे सतसंग में कभी नहीं जाना। शुरू में बच्चियां भागी तो वह नाम हो गया है। भट्ठी जो बनी तो जरूर भागे होंगे ना। बांधेलियों को बहुत राय मिलती है, इसमें बहादुरी भी चाहिए। गरीब तो समझेंगे कोई हर्जा नहीं। इसके कारण हम स्वर्ग की राजाई क्यों गॅवायें। यह घर से निकाल देंगे - अच्छा हम जाकर बर्तन मांजेंगी, झाडू लगायेंगी। बड़े घर वाले तो ऐसे छोड़ न सकें। शुरू में तो बच्चियों का पार्ट था। गरीबों के लिए बहुत सहज है।..."
- 04.03.2022
- उनका घर भी ऐसा ही होगा...
- "...कोई मात-पिता साहूकार होते हैं तो उनका फर्स्टक्लास घर होता है।
कोई मात-पिता गरीब होते हैं तो घर भी ऐसा ही होगा। सतयुग में देखो राधे कृष्ण हैं, उन्हों को पहली-पहली बादशाही मिली है।..."
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03.03.2022
- कोई मासी का घर नहीं है...
- "...फिर प्वाइंटस रिपीट करें, औरों को सुनावें तब ऊंच पद पायें।
राजा बनना कोई मासी का घर नहीं है। समझा। मेहनत करनी है।..."
- 02.03.2022
- यहाँ तो घर में रहने वाले...
- "...मनुष्य पढ़ने के लिए अमेरिका, लन्दन में भी जाते हैं। यहाँ तो घर में रहने वाले पूरा नहीं पढ़ते।..."
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पियरघर से ससुराल घर में...
- "...अन्त में बहुत साक्षात्कार होंगे। जैसे कन्या पियरघर से ससुराल घर में जाती है तो बहुत धूमधाम से बाजे गाजे बजाते हैं। ऐसे अन्त में बहुत साक्षात्कार होंगे।..."
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