देवताओं को सजाकर मस्तक में बल्ब जलाते हैं।
यह सांग क्यों बनाते हैं?
यह किस समय का प्रैक्टिकल रूप है?
इस समय का।
जो फिर आपके यादगार बनाते आते हैं।
तो एक-एक के मस्तक में लाइट देखने में आये।
विनाश के समय भी यह लाइट रूप आपको बहुत मदद देगी।
कोई किस भी वृत्ति वाला आपके सामने आयेंगे।
वह इस देह को न देख आपके चमकते हुए इस बल्ब को देखेंगे।
जो बहुत तेज़ लाइट होती है और उसको जब देखने लगते हैं तो दूसरी सारी चीज़ छिप जाती है।
वैसे ही जितनी-जितनी आप सभी की लाइट तेज़ होगी उतना ही उन्हों को आपकी देह देखते हुए भी नहीं देखने आएगी।
जब देह को देखेंगे ही नहीं तो तमोगुणी दृष्टि और वृत्ति स्वतः ही ख़त्म हो जाएगी।
यह परीक्षाएं आनी हैं।...”