"... अब सूक्ष्मवतन में आने जाने के बजाए स्वयं ही सूक्ष्मवतन वासी बनना है।
यही बापदादा की बच्चों में आशा है।
आना-जाना ज्यादा नहीं होना चाहिए।
यह यथार्थ है? कमाई किसमें है?
तो बाप बच्चों की कमाई को देखते हैं और कमाई के लायक बनाते हैं।
इसलिए यह सभी रहस्य बोलते रहे।
अभी समझा कि क्यों कहा था और अब क्या है?
सूक्ष्मवतन के अव्यक्त अनुभव को अनुभव करो।
सूक्ष्म स्थिति को अनुभव करो।
आने जाने की आशा अल्पकाल की है।
अल्पकाल के बजाए सदा अपने को सूक्ष्मवतनवासी क्यों नहीं बनाते?
और सूक्ष्मवतनवासी बनने से ही बहुत वण्डरफुल अनुभव करेंगे।
खुद आप लोग वर्णन करेंगे कि यह अनुभव और सन्देशियों के अनुभव में कितना फर्क है, वह कमाई नहीं।
यह कमाई भी है और अनुभव भी।
तो एक ही समय दो प्राप्ति हों वह अच्छा या एक ही चाहते हो?"