28.09.1969
"...पहले था सिर्फ चलने का समय।
फिर दौड़ने का समय भी आया।
अभी तो है जम्प का समय अगर दौड़ कर पहुँचने की कोशिश करेंगे तो टू लेट हो
जायेंगे।..."
24.10.1971
"...मुक्ति जीवनमुक्ति धाम के गेट-पास लेने वालों की बड़ी लम्बी क्यू आप लोगों के पास लगने वाली है।
अगर गेट-पास देने में देरी लगाई तो समय टू
लेट हो जायेगा।
इसलिए अपने को सदा स्व-स्वरूप, स्वधर्म, स्वदेशी समझने से, सदा इस स्थिति में स्थित रहने से ही एक सेकेण्ड में किसी आत्मा को
नज़र से निहाल कर सकेंगे।
अपने कल्याण की वृत्ति से उन्हें स्मृति दिलाते हर आत्मा को गेट-पास दे सकेंगे।
बेचारी तड़फती हुई आत्माएं आप श्रेष्ठ
आत्माओं से सिर्फ एक सेकेण्ड में अपने जन्म-जन्म की आशा पूरी करने का दान मांगने आयेंगी। ..."
19.09.1972
"...अभी तो दुनिया अज्ञान की नींद में सोई है और आप अनेकों में से थोड़ी-सी आत्माएं बाप के वर्से के अधिकारी बन रहे हो।
जब वह सभी जाग
जावेंगे, कोशिश करेंगे कि हम भी कुछ कणा-दाना ले आवें, लेकिन क्या होगा?
ले सकेंगे?
जब लेट हो जावेंगे तो क्या ले पावेंगे?
उस समय आप सभी
आत्माओं को भी अपने श्रेष्ठ भाग्य का प्रत्यक्ष रूप में साक्षात्कार होगा।
अभी तो गुप्त है ना।
अभी गुप्त में न बाप को जानते हैं, न आप श्रेष्ठ
आत्माओं को जानते हैं।
साधारण समझते हैं।
लेकिन वह समय दूर नहीं जबकि जागेंगे, तड़पेंगे, रोयेंगे, पश्चाताप करेंगे लेकिन फिर भी पा न सकेंगे।
बताओ, उस समय आपको अपने ऊपर कितना नाज़ होगा कि हम तो पहले से ही पहचान कर अधिकारी बन गये हैं!
ऐसी खुशी में रहना चाहिए।
क्या
मिला है, कौन मिला है और फिर क्या-क्या होने वाला है!
यह सभी जानते हुए सदैव अतिइन्द्रिय सुख में झूमते रहना है।..."
21.07.1973
"...जब तक अपनी कम्पलेन्ट्स हैं, तब तक कम्पलीट नहीं हो सकेंगे।
इसलिये स्वयं ही मास्टर सर्वशक्तिवान् बन अपनी कम्पलेन्ट को कम्पलीट करो।
अभी फिर भी लास्ट चान्स का समय है।
फिर नहीं तो टू लेट का बोर्ड लग जायेगा।
अभी प्राप्ति का समय भी-’बहुत गई, थोड़ी रही है’ -- नहीं तो
पश्चाताप का समय आ जायेगा फिर पश्चाताप के समय प्राप्ति नहीं कर सकेंगे।
इसलिये अभी जो थोड़ी रही हुई है, यह चान्स भी चाहे किसी और के
निमित्त, आप लोगों को भी यह चान्स मिला है।
फिर भी किसी प्रकार का चान्स तो है ना?
तो चान्स को गँवाना वा लेना, अपने प्रयत्न से आप जो
चाहो वह कर सकते हो।
इसलिये अभी से रिवाइज करो।
यह तो सुना दिया कि जब रिवाइज करो व जज़ करो तो किस रूप में करना है।
विधि तो सुना
ही दी है।
क्योंकि विधि-पूर्वक करने से सिद्धि की प्राप्ति तो हो ही जायेगी। ..."
06.02.1976
"... लेफ्ट हैण्ड सहयोगी सदा रहते हैं, लेकिन स्वच्छता के साथ-साथ अस्वच्छता अर्थात् संकल्प, वाणी और कर्म में कभी-कभी कुछ-न-कुछ अशुद्धि भी
रह जाती है अर्थात् सम्पूर्ण स्वच्छ नहीं।
पुरूषार्थ की गति में भी तीव्रता कम रहती है।
करेंगे, सोचेंगे, लेकिन लेफ्ट अर्थात् लेट करेंगे।
साथ देंगे, कार्य
करेंगे, लेकिन पूरी जिम्मेदारी उठाने की हिम्मत नहीं रखेंगे।
सदा उल्लास, हिम्मत रखेंगे, लेकिन निराधार नहीं होंगे।
उनकी स्टेज (Stage) बहुत समय
वकील अर्थात् लॉयर (Lawer) की होती है।
कायदे ज्यादा सोचेंगे लेकिन फायदा कम पायेंगे।
स्वयं, स्वयं के जस्टिस (Justice) नहीं बन सकेंगे।
हर
छोटी बात में भी फाइनल जजमेन्ट (Final Judgement) के लिये जस्टिस की आवश्यकता अनुभव करेंगे।
राइट हैण्ड लॉ फुल (Lawful) है,
जस्टिस है लेकिन लॉयर नहीं। ..."
18.01.1979
"...अभी अपने को तीव्र पुरुषार्थी नहीं बनायेंगे तो आगे चलकर यह समय भी खत्म हो जायेगा फिर टू लेट हो जायेंगे, वंचित रह जायेंगे।
अभी हर शक्ति
से स्वयं को सम्पन्न बनाने का समय है।
अगर स्वयं-स्वयं को सम्पन्न नहीं कर सकते हो तो सहयोग लो, छोड़ नहीं दो। ..."
19.11.1979
"...प्लान लम्बे नहीं बनाओ लेकिन प्रैक्टिकल के जल्दी के बनाओ, उसके लिए यही इशारा है अपना तन-मन-धन शक्तियाँ जितना जल्दी यूज़ करेंगे
उतना फायदा है।
अभी समय है, फिर टू-लेट हो जायेंगे।
करने के लिए डेट का इन्तज़ार नहीं करो, कल भी नहीं, आज भी नहीं अभी करो।..."
09.01.1980
"...अभी की आत्माओं को स्वयं के शक्तियों के सहयोग द्वारा आगे बढ़ाने का समय है।
आपके भेंट में अभी की आत्मायें टू लेट हो गई, क्योंकि लास्ट
पूर हो गया इसलिए स्वयं का हुल्लास देकर उनको चलाना है।..."
05.04.1981
"...बापदादा को भी बच्चों को देख खुशी होती है कि फिर से अपना अधिकार लेने पहुँच गये हैं।
इसलिए खूब रेस करो।
अभी भी टूलेट का बोर्ड नहीं लगा
है।
सब सीट्स खाली है, फिक्स नहीं हुई हैं।
जो नम्बर लेने चाहो वह ले सकते हो, इतना अटेन्शन रखते चलते चलो।
अधिकारी बनते चलो।
योग्यताओं
को धारण कर योग्य बनते चलो।..."
08.10.1981
" ...सेवा के प्लैन में देखो, स्व के परिवर्त्तन में देखो, अभी-अभी जाओ, अभी-अभी करो, ट्रेन का टाइम थोड़ा है तो भी जाओ, ट्रेन लेट हो जायेगी।
तो
क्या संस्कार रहा?
अभी-अभी, कब नहीं लेकिन अब।..."
12.03.1984
"...अपने वर्तमान और भविष्य को श्रेष्ठ बना सकते हो।
अभी भी सर्टिफकेट लेने का समय है।
ले सकते हैं लेकिन ज्यादा समय नहीं है।
अभी लेट हैं
लेकिन टूलेट नहीं हैं।
अभी भी सन्तुष्टता की विशेषता से आगे बढ़ सकते ..."
16.01.1985
"...इस समय अविनाशी बाप द्वारा सर्व प्राप्ति का समय है, यह भूल जाते हैं।
बापदादा फिर भी बच्चों को स्मृति दिलाते, समर्थ बनो।
अब भी टूलेट
नहीं हुआ है।
लेट आये हो लेकिन टूलेट का समय अभी नहीं है।
इसलिए अभी भी दोनों रूप से बाप रूप से वर्सा, सतगुरू के रूप से वरदान मिलने का
समय है।
तो वरदान और वर्से के रूप में सहज श्रेष्ठ भाग्य बना लो।
फिर यह नहीं सोचना पड़े कि भाग्य विधाता ने..."
18.02.1985
"...अभी भी सम्पूर्ण अधिकार पाने का समय है।
सुनाया था ना - अभी टूलेट का बोर्ड नहीं लगा।
लेट अर्थात् पीछे आने वाले आगे बढ़ सकते हैं।
इसलिए
अभी भी गोल्डन चांस है।
जब टूलेट का बोर्ड लग जायेगा फिर गोल्डन चांस के बजाए सिल्वर चांस हो जायेगा।
तो क्या करना चाहिए?
गोल्डन चांस
लेने वाले हो ना।
गोल्डन एज में न आये तो ब्राह्मण बन करके क्या किया?
इसलिए बापदादा स्नेही बच्चों को फिर भी स्मृति दिला रहे हैं, अभी बाप
के स्नेह कारण एक का पद्मगुणा मिलने का चांस है।
अभी जितना और उतना नहीं है।
एक का पद्मगुणा है।
फिर हिसाब-किताब जितना और उतने का
रहेगा।
लेकिन अभी भोलेनाथ के भरपूर भण्डार खुले हुए हैं।
जितने चाहो, जितना चाहो ले सकते हो।
फिर कहेंगे अभी सतयुग के नम्बरवन की सीट
खाली नहीं।..."
25.10.1987
"... बापदादा ने सुनाया था कि अभी लेट हुई है लेकिन टूलेट नहीं हुई है। इसलिए सभी को आगे बढ़ने का चांस है।
विन कर वन में आने का चांस है।
तो सदैव उमंग-उत्साह रहे।
ऐसे नहीं - चलो कोई भी नम्बरवन बने, मैं नम्बर दो ही सही।
इसको कहते हैं कमज़ोर पुरूषार्थ।
आप सभी तो तीव्र पुरूषार्थी
हो ना?..."
05.12.1989
"...ऐसे सब प्राप्तियां वा खज़ाने सबके पास हैं लेकिन कार्य में लगाने की विधि नहीं आती है और समय पर यूज करना नहीं आता है।
फिर कहते - मैं
समझती थी कि यह करना चाहिए, यह नहीं करना चाहिए लेकिन उस समय भूल गया।
अभी समझती हूँ कि ऐसा नहीं होना चाहिए।
उस समय एक
सेकण्ड भी निकल गया तो सफलता की मंजल पर पहुँच नहीं सकते क्योंकि समय की गाड़ी निकल गई।
चाहे एक सेकण्ड लेट किया चाहे एक घण्टा
लेट किया - समय निकल तो गया ना।
और जब समय की गाड़ी निकल जाती है तो फिर स्वयं से दिलशिकस्त हो जाते हैं और अप्रसन्नता के संस्कार
इमर्ज होते हैं - मेरा भाग्य ही ऐसा है, मेरा ड्रामा में पार्ट ही ऐसा है।..."
"...धुलिया वाले अभी-अभी पहुँचे हैं।
(बस खराब हो गई थी इसलिए लेट आये हैं) अच्छा!
धुलिया वालों के पाप धुल गये।
जितना समय लेट हुए उतना
समय बाबा-बाबा ही याद था ना!
तो पाप धुल गये, जो भी पिछला रहा होगा वह धुल गया।
आप तो खुश थे।
दु:ख की लहर तो नहीं आई?
ऐसे टाइम
पर अचल रहे, इसलिए पाप धुलाई हो गये।
अभी सदा ही मौज में चलते उड़ते रहेंगे।..."
14.01.1990
"...सारे कल्प में और कोई युग नहीं है जिसमें जमा कर सको ।
फिर तो खर्च करना पड़ेगा, जमा नहीं कर सकेंगे ।
तो जमा के समय अगर जमा नहीं
तो अन्त में क्या कहना पड़ेगा - '' अब नहीं तो कब नहीं '' फिर टू लेट का बोर्ड लग जायेगा।
अभी तो लेट का बोर्ड है, टू लेट का नहीं ।..."
19.03.1990
"...अभी नये नये बच्चों के लिए लेट हुआ है लेकिन टू लेट का बोर्ड नहीं लगा है।
अभी तो नई दुनिया आने के लिए, नये-नये बच्चों के लिए रूकी हुई
है कि यह भी लास्ट सो फास्ट और फर्स्ट नम्बर तक पहुंच जाएं।
सभी साथ जाने के लिए तैयार हो ना?
जो इस कल्प में पहली बार आये हैं, बापदादा
मुबारक देते हैं।
छोटे-छोटे बच्चों पर बड़ों का प्यार होता है।
तो बाप का और बड़े भाई-बहनों का आप लोगों से विशेष प्यार है।
लाडले हो गये ना।
नये
बच्चे लाडले हैं।
चाहे नये हो वा पुराने हो सभी के लिए फास्ट गति फर्स्ट आने की है - छत्रछाया में रहना, सदा दिल में रहना, यही सबसे सहज
तीव्रगति है।..."
21.11.1992
"...अपने पुरूषार्थ को चेक करो और तीव्र पुरूषार्थ में चेंज करो।
नहीं तो फाइनल समय आने पर चेंज नहीं कर सकेंगे।
उस समय पढ़ाई का समय
समाप्त होने पर, इम्तहान के समय पढ़ाई का चांस नहीं मिलता।
अगर कोई स्टूडेन्ट समझे-एक प्रश्न का उत्तर नहीं आता है, किताब से पढ़कर उत्तर दे
दें-तो राइट होगा या रांग होगा?
तो उस समय अपने को चेंज नहीं कर सकेंगे।
जो है, जैसा है, वैसे ही प्रालब्ध प्राप्त कर लेंगे।
लेकिन अभी चांस है।
अभी टू लेट (Too Late) का बोर्ड नहीं लगा है, लेट का लगा है।
लेट हो गये लेकिन टू लेट नहीं।
इसलिए फिर भी मार्जिन है।
कई स्टूडेन्ट 6 मास में
भी पास विद् ऑनर हो जाते हैं अगर सही पुरूषार्थ करते हैं तो।
लेकिन समय समाप्त होने के बाद कुछ नहीं कर सकते।
बाप भी रहम करना चाहे तो
भी नहीं कर सकते।
चलो, यह अच्छा है, इसको मार्क्स दे दो-यह बाप कर सकता है?
इसलिए अभी से चेक करो और चेंज करो।
अलबेलापन छोड़ दो।
ठीक हैं, चल रहे हैं, पहुँच जायेंगे-यह अलबेलापन है।
अलबेले को इस समय तो मौज लगती है।
जो अल-बेला होता है उसे कोई फिक्र नहीं होता है, वह
आराम को ही सब-कुछ समझता है।
तो अलबेलापन नहीं रखना।
सदा अलर्ट! पाण्डव सेना हो ना।
सेना अलबेली रहती है या अलर्ट रहती है?
सेना माना
अलर्ट, सावधान, खबरदार रहने वाले।
अलबेला रहने वाले को सेना का सैनिक नहीं कहा जायेगा।
तो अलबेलापन नहीं, अटेन्शन!
लेकिन अटेन्शन भी
नेचुरल विधि बन जाये।
कई अटे-न्शन का भी टेन्शन रखते हैं।
टेन्शन की लाइफ सदा तो नहीं चल सकती।
टेन्शन की लाइफ थोड़ा समय चलेगी,
नेचुरल नहीं चलेगी।
तो अटेन्शन रखना है लेकिन ‘नेचुरल अटेन्शन’ आदत बन जाये। ..."
17.11.1994
"...ये परमात्म मिलन कम भाग्य नहीं है!
ये परमात्म मिलन का श्रेष्ठ भाग्य कोटो में कोई आप आत्माओं को ही मिलता है।
अच्छा! मिल लिया ना!
भक्ति में तो जड़ चित्र मिलता है और यहाँ चैतन्य में बाप बच्चों से मिलते भी हैं, रूहरिहान भी करते हैं।
तो ये भाग्य कोई कम है!
फिर भी आप सब
लक्की हो, समय की गति बदलती जाती है।
अभी फिर भी आराम से बैठकर सुन रहे हो।
आगे चलकर वृद्धि होगी तो बदलेगा ना, फिर भी आप लक्की
हो क्योंकि टूलेट के टाइम पर नहीं आये हो।
लेट के टाइम पर आये हो। ..."
31.12.1994
"...सभी लोग पूछते हैं-सिन्धी लोग क्यों नहीं आते?
तो आप कहेंगे आते हैं ना, तो सहयोगी बन गये ना।
टूलेट में नहीं आये, लेट में आये।
फिर भी
लक्की हैं।
(सभी हंसते हैं) अच्छा है रोते तो नहीं हैं ना।
लोग तो रूलाते हैं, आप हंसाते हो तो अच्छा है ना।
रोने वाले को भी हंसा दो।
परवाह नहीं करो,
हंसने दो।
फिर ये हंसने वाले आपको नमस्कार करने वाले हैं।
आज हंसते हैं, कल नमस्कार करेंगे। ..."
25.11.1995
"...पीछे आने वाले को और आगे जाना है।
थोड़े समय में बहुत कमाई कर सकते हो।
फिर भी आप लोगों को पुरूषार्थ का समय मिला है।
आगे चल
करके तो इतना समय भी नहीं मिलेगा।
सुनाया था ना कि अभी लेट का बोर्ड तो लग गया है लेकिन टू लेट का नहीं लगा है।
तो आप सभी लक्की हो।
सिर्फ अपने भाग्य को स्मृति में रखते हुए बढ़ते चलना।
कोई बातों में नहीं जाना।..."
16.02.1996
"...अपने को उमंग-उत्साह में लाओ। अपने आपसे रेस करो, दूसरे से नहीं।
अपने आपसे रेस करो कि आज अगर 8 घण्टे जमा हुए तो कल 10 घण्टे
हो।
दिलशिकस्त नहीं होना।
क्योंकि अभी फिर भी जमा करने का समय है।
अभी टू लेट का बोर्ड नहीं लगा है।
फाइनल रिजल्ट का टाइम अभी
एनाउन्स नहीं हुआ है।
जैसे लौकिक में पेपर की डेट फाइनल हो जाती है तो अच्छे पुरूषार्था क्या करते हैं?
दिलशिकस्त होते हैं या पुरूषार्थ में आगे बढ़ते
हैं?
तो आप भी दिलशिकस्त नहीं बनना।
और ही उमंग-उत्साह में आकरके दृढ़ संकल्प करो कि मुझे अपने जमा का खाता बढ़ाना ही है। ..."
31.01.1998
"...अगर इस समय में - समय का खज़ाना, संकल्प का खज़ाना, बोल का खज़ाना, ज्ञान धन का खज़ाना, योग की शक्तियों का खज़ाना, दिव्य जीवन
के सर्व गुणों का खज़ाना जमा नहीं किया तो फिर ऐसा जमा करने का समय मिलना सहज नहीं होगा।
सारे दिन में अपने इन एक-एक खज़ाने का
एकाउण्ट चेक करो।
जैसे स्थूल धन का एकाउण्ट चेक करते हो ना, इतना जमा है.. ऐसे हर खज़ाने का एकाउण्ट जमा करो।
चेक करो।
सर्व खज़ाने
चाहिए।
अगर पास विद आनर बनने चाहते हो तो हर खज़ाने का जमा खाता इतना ही भरपूर चाहिए जो 21 जन्म जमा हुए खाते से प्रालब्ध भोग
सको।
अभी समय के टू लेट की घण्टी नहीं बजी है, लेकिन बजने वाली है।
दिन और डेट नहीं बतायेंगे।
अचानक ही आउट होगा - टू लेट।
फिर क्या
करेंगे?
उस समय जमा करेंगे?
कितना भी चाहो समय नहीं मिलेगा।
इसलिए बापदादा कई बार इशारा दे रहा है - जमा करो-जमा करो-जमा करो। ..."
31.12.2001
"... जो भी इस कल्प में पहली बार आये हैं, वह उठो।
जो पहली बार आये हैं, उन बच्चों को बापदादा कहते हैं कि आये पीछे हैं लेकिन जाना आगे है,
इतना आगे बढ़ो जो सब आपको देख करके खुश होवें और सबके मुख से यही शब्द निकले - कमाल है, कमाल है, कमाल है।
ऐसी हिम्म्त है?
पहली
बार आने वालों में हिम्मत है ना!
नया वर्ष मनाने आये हो, तो नये वर्ष में कोई कमाल करेंगे ना!
फिर भी बापदादा को सभी बच्चे अति प्यारे हैं।
फिर
भी बहुत अक्ल का काम किया है, टू लेट के पहले आ गये हो।
अभी फिर भी इस हाल में बैठने की सीट तो मिली है ना!
रहने का पलंग या पट तो
मिला है ना!
और जब टू लेट का बोर्ड लग जायेगा तो क्यू में खड़ा करना पड़ेगा।
इसीलिए फिर भी अच्छे समय पर बापदादा को पहचान लिया, यह
अक्ल का काम किया।
अच्छा।..."
30.11.2002
"...अभी जो आपके भारत में या विश्व में बाप के बच्चे, आपकी बहनें सोई हुई हैं, उनको जगाओ।
गीत तो बहुत गाते हो - जागो, जागो...तो अभी सोई
हुई आत्माओं को जल्दी-जल्दी जगाओ।
कुछ तो अपना थोड़ा सा अंचली का वर्सा भी ले लें क्योंकि अभी तक टू लेट का बोर्ड नहीं लगा है।
लेट हैं लेकिन
टू लेट नहीं है।
तो टू लेट के पहले सोये हुए हमजिन्स को जगाओ।
जगायेंगे ना?
अपने-अपने स्थान पर जहाँ भी सेवा करते हो वहाँ जगाओ और ऐसे
जगाओ जो पूरे परवाने बन शमा तक पहुंच जायें। ..."
30.11.2004
"...जो पहले बारी आये है वह हाथ उठाओ।
बहुत है।
अच्छा है टू लेट के बोर्ड के पहले आ गये हो, अच्छा है, चांस लो।
कमाल करके दिखाओ। हिम्मत
रखो, बापदादा की मदद हर बच्चे के साथ है।
अच्छा- बापदादा चारों ओर के साकार सम्मूख बैठे हुए बच्चों को और अपने-अपने स्थान पर, देश में बाप
से मिलन मनाने वाले चारों ओर के बच्चों को बहुत-बहुत सेवा की, स्नेह की और पुरूषार्थ की मुबारक तो दे रहे हैं लेकिन पुकषार्थ में तीव्र पुरुषार्थी बन
अब आत्माओं को दुःख अशान्ति से छुडाने का और तीव्र पुरुषार्थ करो।
दुःख, अशान्ति, भ्रष्टाचार अति में जा रहा है, अभी अति का अन्त कर सभी को
मुक्तिधाम का वर्सा बाप से दिलाओ।..."
03.02.2005
"...जो पहले बारी आये हैं - वह हाथ उठाओ।
तो जो पहली बारी आये हैं उन्हों के लिए विशेष बापदादा कहते हैं कि ऐसे समय पर आये हो जब समय
बहुत कम बचा है लेकिन पुरुषार्थ इतना तीव्र करो जो लास्ट सो फास्ट, फास्ट सो फर्स्ट नम्बर आ जाओ क्योंकि अभी चेयर्स गेम चल रही है।
अभी
किसकी जीत है, वह आउट नहीं हुआ है।
लेट तो आये हो लेकिन फास्ट चलने से पहुँच जायेंगे।
सिर्फ अपने आपको अमृतवेले अमर भव का वरदान याद
दिलाना।
अच्छा - सभी कोई दूर से कोई नजदीक से आये हैं।
बापदादा कहते हैं भले पधारे अपने घर में।
संगठन अच्छा लगता है।
टी वी में देखते हो
ना, सभा कुल होने से कितना अच्छा लगता है।
अच्छा। तो एवररेडी?
एवररेडी का पाठ पढ़ेंगे ना। ..."
15.12.2005
"... इस बारी भी नये-नये बच्चे बहुत आये हैं।
अच्छा है।
बापदादा खुश होते हैं कि जो भी कोने-कोने में छिपे हुए कल्प पहले वाले बच्चे हैं, वह पहुँच
रहे हैं।
अभी पीछे आने वाले भी ऐसा लक्ष्य रखो समय कम है इसलिए तीव्र पुरूषार्थ द्वारा नम्बर आगे ले सकते हो।
अभी भी टूलेट का बोर्ड नहीं लगा
है, लेट का लगा है।
इसलिए जितना पुरूषार्थ करने चाहो उतना आगे बढ़ सकते हो।
तो पहले बारी आने वाले हाथ उठाओ। अच्छा।
सभी ने, जिन्होंने भी
हाथ उठाया है, तीव्र पुरूषार्थ करना है ना!
अभी ढीले पुरूषार्थ का समय गया, चलने का गया, अभी उड़ने का समय है।
तो डबल लाइट बनके उड़ो।
जो
भी बनने चाहो, बन सकते हो।
उलाहना नहीं देना - बाबा हमको पीछे बुलाया, अभी भी डबल लाइट बनके उड़ सकते हो।
इतना उमंग है?
जिन्होंने हाथ
उठाया, इतना उमंग है?
जिसको इतना उमंग है, आगे जाकर ही दिखाना है, वह हाथ उठाओ।
बापदादा तो इन्हें एडवांस मुबारक दे रहे हैं।
अच्छा।"
31.10.2006
"...अनुभवी मूर्त हर सब्जेक्ट के अनुभवी मूर्त, हर शक्तियों के अनुभवी मूर्त।
तो स्वयं में भी अनुभव को और बढ़ाओ, है, ऐसे नहीं कि नहीं है, लेकिन
कभी-कभी है, समटाइम।
तो बापदादा समटाइम नहीं चाहते हैं, समाथिंग हो जाता है, तो समटाइम भी हो जाता है क्योंकि आप सबका लक्ष्य है, पूछते हैं
क्या बनने का लक्ष्य है?
तो कहते हो बाप समान।
एक ही जवाब सभी देते हो।
तो बाप समान, तो बाप समटाइम और समाथिंग नहीं था, ब्रह्मा बाप
सदा राज़युक्त, योगयुक्त, हर शक्ति में सदा, कभी-कभी नहीं।
अनुभव जो होता है, वह सदाकाल चलता है, वह सम टाइम नहीं होता है।
तो स्वयं
अनुभवी मूर्त बन हर बात में, हर सबजेक्ट में अनुभवी, ज्ञान स्वरूप में अनुभवी, योगयुक्त में अनुभवी, धारणा स्वरूप में अनुभवी।
आलराउण्ड सेवा
मन्सा वाचा कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क सबमें अनुभवी, तब कहेंगे पास विद आनर।
तो क्या बनने चाहते हो?
पास होने चाहते हो या पास विद ऑनर
बनने चाहते हो?
पास करने वाले तो पीछे भी आयेंगे, आप तो टूलेट से पहले आ गये हो, चाहे अभी नये भी आये हैं लेकिन टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है।
लेट का लगा है, टूलेट का नहीं लगा है।
इसीलिए चाहे कोई नये भी हैं लेकिन अभी भी तीव्र पुरूषार्थ करे, पुरूषार्थ नहीं तीव्र, तो आगे जा सकता है।
क्योंकि नम्बर आउट नहीं हुआ है।
सिर्फ दो नम्बर आउट हुए हैं, बाप और माँ।
अभी कोई भी भाई बहन का तीसरानम्बर आउट नहीं हुआ है।
भले आप
कहेंगे दादियों से बहुत प्यार है, बाप का भी दादियों से प्यार है, लेकिन नम्बर आउट नहीं हुआ है।
इसीलिए आप बहुत-बहुत सिकीलधे, लाडले भाग्यवान
हो, जितना उड़ने चाहो उड़ो क्योंकि देखो जो छोटे बच्चे होते हैं ना उसको बाप अपनी अंगुली देके चलाता है, एकस्ट्रा प्यार करता है, और बड़े को अंगुली
से नहीं चलाता है, अपने पांव से चलता है।
तो नया भी कोई मेकप कर सकता है।
गोल्डन चांस है।
लेकिन जल्दी में जल्दी टूलेट का बोर्ड लगना है,
इसलिए पहले ही कर लो।
नये जो आये हैं पहली बारी, वह हाथ उठाओ।
अच्छा। मुबारक हो।
पहले बारी अपने घर मधुबन में पहुंच गये हो, इसलिए
बापदादा और सारे परिवार चाहे देश वाले, चाहे विदेश वाले सबकी तरफ से पदम-पदमगुणा मुबारक हो।..."
30.11.2007
"... जो नये नये बच्चे आये हैं, जो पहले बारी आये हैं वह हाथ उठाओ।
अच्छा जो नये नये बच्चे हैं, मुबारक हो नये पहली बार आने वालों को क्योंकि
बापदादा कहते हैं कि भले लेट तो आये हो लेकिन टू लेट में नहीं आये हो।
और नये बच्चों को बापदादा का वरदान है कि लास्ट वाला भी फास्ट पुरूषार्थ
कर फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं।
फर्स्ट नम्बर नहीं लेकिन फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं।
तो नये बच्चों को इतनी हिम्मत है, हाथ उठाओ जो फर्स्ट
आयेंगे।
देखना टी.वी. में आपका हाथ दिखाई दे रहा है।
अच्छा।
हिम्मत वाले हैं।
मुबारक हो हिम्मत की।
और हिम्मत है तो बाप की तो मदद है ही
लेकिन सर्व ब्राह्मण परिवार की भी शुभ भावना, शुभ कामना आप सबके साथ है।
इसलिए जो भी नये पहले बारी आये हैं उन सबके प्रति बापदादा और
परिवार की तरफ से दुबारा पदमगुणा बधाई हो, बधाई हो, बधाई हो।
आप सभी जो पहले आने वाले हैं उन्हों को भी खुशी हो रही है ना!
बिछुड़ी हुई
आत्मायें फिर से अपने परिवार में पहुंच गये हैं।
तो बापदादा भी खुश हो रहे हैं और आप सब भी खुश हो रहे हैं।..."
15.11.2008
"... आज पहली बारी कौन आये हैं वह खड़े हो जाओ।
अच्छा आधा क्लास तो पहले बारी का है बहुत अच्छा बैठ जाओ।
फिर भी बापदादा खुश होते हैं
कि लेट का बोर्ड तो लग गया है लेकिन टूलेट का नहीं लगा है।
इसलिए आये पीछे हैं लेकिन तीव्र पुरूषार्थी बन आगे जाना है।
अगर इस संगम के
समय को एक-एक सेकण्ड सफल करेंगे तो सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है लेकिन अटेन्शन प्लीज़।
सेकण्ड भी व्यर्थ न जाये।
अटेन्शन को भी
अण्डरलाइन करके चलना पड़े।
ऐसे उमंग है जो पहले बारी आने वाले हैं वह हिम्मत रखते हैं कि हम आगे जायेंगे?
वह हाथ उठाओ।
टी.वी. में दिखा लो
हिसाब-किताब पूछेंगे।
फिर भी बापदादा आप सभी के ऊपर यही शुभ संकल्प रखते हैं कि पीछे आते भी आगे जाकर दिखायेंगे।
दिखायेंगे ना!
जितने सारे
उठे उतने ताली बजाओ।
अच्छा उमंग है उमंग में ही चलते रहना। ..."
30.11.2008
"...पहली बारी आने वालों को विशेष मुबारक दे रहे हैं।
लेट आये हो, टूलेट में नहीं आये हो।
लेकिन तीव्र पुरूषार्थ का वरदान सदा याद रखना, तीव्र
पुरूषार्थ करना ही है।
करेंगे, गे गे नहीं करना, करना ही है।
लास्ट सो फास्ट और फर्स्ट आना है। ..."
15.12.2008
"...अभी फिर भी बापदादा पहले से ही अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि अभी फिर भी चेक करके चेन्ज करने का तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तो मार्जिन है लेकिन
कुछ समय के बाद अचानक टूलेट का बोर्ड लगना ही है।
फिर नहीं कहना कि बाबा ने तो बताया ही नहीं।
इसलिए अभी पुरूषार्थ का समय तो गया
लेकिन तीव्र पुरूषार्थ का समय अभी भी है तो चेक करो लेकिन सिर्फ चेक नहीं करना, चेन्ज करो साथ में।
कई चेक करते हैं लेकिन चेन्ज करने की
शक्ति नहीं है।
चेक और चेन्ज दोनों साथ-साथ होना चाहिए ..."
31.12.2008
"...जो पहली बारी आये हैं वह उठकर खड़े हो जाओ।
तो पहली बारी आने वालों को अपना जन्म दिन मनाने की मुबारक हो।
अभी जैसे पहले बारी आये
हो ऐसे ही नम्बर भी पहला लेना है।
बापदादा का वायदा है कि भले अभी लास्ट में आये हैं लेकिन अभी लेट का बोर्ड लगा है टूलेट का नहीं लगा है।
तो
कोई भी लास्ट इज फास्ट और फास्ट इज फर्स्ट ले सकते हो।
यह नहीं समझो तो हम तो बहुत देरी से आये हैं लेकिन अगर अभी भी डबल तीव्र
पुरूषार्थ लक्ष्य और लक्षण दोनों समान बनायेंगे लक्ष्य ऊंचा और लक्षण कम तो फर्स्ट नहीं हो सकते।
लेकिन अगर लक्ष्य और लक्षण समान बनाते
चलेंगे तो आप एक्जैम्पुल बन सकते हो लास्ट और फर्स्ट का।
इसीलिए पुरूषार्थ का लक्ष्य रखो।
फिर अगर टूलेट का बोर्ड लग गया तो फर्स्ट नम्बर नहीं
आ सकेंगे।
बापदादा खुश है फिर भी हिम्मत रखकर उमंग उत्साह से सम्मुख पहुंच गये।
और अभी भी सदा कहाँ भी रहो लेकिन मर्यादापूर्वक चलते चलो
और बाप के दिल के समीप रहो तो बहुत थोड़े समय में भी अनुभव कर सकते हो।
अभी गोल्डन चांस है कोई भी कर सकता है।
चाहे भारत में हैं चाहे
विदेश में हैं।
तो समझा डबल ट्रिपल पुरूषार्थ करना पड़ेगा। सदा बाप के साथ कम्बाइन्ड रहना पड़ेगा।
कोई भी मुश्किल आये बोझ आवे तो बाप को देने
आता है तो बेफिकर बादशाह बन उड़ते रहेंगे।
दिल में बोझ नहीं रखो।
कई बच्चे कहते हैं एक मास हो गया है 15 दिन हो गये हैं चलता ही रहता है
और उस 15 दिन में अगर आपका काल आ जाए तो?
उसी समय बोझ बाप को दे दो देना आता है?
देना जरूर सीखो।
लेना तो आता है देना भी
सीखो।
तो क्या करेंगे?
देना सीखा है?
बापदादा आया ही किसलिए है?
बच्चों का बोझ लेने के लिए।
कौन है जो इतनी हिम्मत रखता है वह हाथ
उठाओ।
शरीर का हाथ उठा रहे हो या मन का हाथ उठा रहे हो?
मन का हाथ उठाना।
अच्छा।
बापदादा ऐसे बच्चों को पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं।
अच्छा। ..."
05.02.2009
"...अच्छा आज जो पहली बारी आये हैं वह उठो।
अच्छा।
पौनी सभा तो उठी हुई है।
अच्छा जो भी पहली बारी आये हैं उन सभी को बाप से साकार में
मिलने की, पहले बारी की जन्म की मुबारक हो।
बापदादा का सभी आये हुए बच्चों को यही वरदान है कि आये, टूलेट के समय हैं लेकिन नये आये हुए
बच्चों प्रति एक विशेष वरदान है कि कभी भी यह संकल्प नहीं करना कि हम आगे कैसे जा सकते?
टूलेट आने वालों को अभी तो लेट में आये हो टूलेट
में नहीं आये हो।
और अभी आप सबको विशेष बापदादा और निमित्त बने हुए ब्राह्मण परिवार के भाई बहिनों की विशेष सहयोग की भावना है कि
अगर आप थोड़े समय को एक एक सेकण्ड को सफल करने का, क्योंकि थोड़े समय में बहुत पाना है, एक सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं गंवाना, कर्मयोगी बनके
चलना, कर्म नहीं छोड़ना है लेकिन कर्म में योग एड करते, कर्म और योग का बैलेन्स रखना है।
तो बैलेन्स रखने वाले को ब्लैसिंग एकस्ट्रा मिलती है।
तो जो भी लेट में आये हो, टूलेट अभी आगे लगना है, आपको चांस है, थोड़े समय में बहुत पुरूषार्थ कर सकते हो।
बापदादा वरदान देते हैं कि हिम्मते
बच्चे मददे बाप है ही।..."
05.02.2009
"...कई बार कहते हैं बाबा आज मुझे बाबा भूल गया।
बापदादा को सुनके कितना आश्चर्य लगता होगा!
भूल गया!
63 जन्म भूले, अभी भी भूल गये।
एक जन्म और छोटा सा जन्म!
21 फुल जन्म भूल गये, अभी भी भूलना रहा हुआ है क्या?
इसीलिए अभी माया की चतुराई को समझ जाओ।
माया
की कभी-कभी खातिरी भी कर देते हैं।
कहते हैं हम समय पर तैयार हो जायेंगे।
अभी तो टाइम पड़ा है ना थोड़ा!
अभी टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है ना!
हम हो जायेंगे और माया भी सहारा देकरके, खातिरी देकरके चाय पानी पीती रहती है।
बाप को फॉलो फादर करने के बजाए, माया को फॉलो कर लेते हैं।
पुरूषार्थी हैं ना, सम्पूर्ण थोड़ेही बने हैं, यह तो होता ही है ना!
यह है माया के फॉलोअर बनना।
तो अभी बापदादा कभी भी चक्र लगाने आये तो सदा
शक्ल देखे तो कैसी शक्ल देखे!
कभी कभी शक्ल अच्छी नहीं होती है।
सोच में, सोच बहुत करते हैं।
क्या करूं, यह करूं, नहीं करूं, फायदा होगा, ठीक
होगा, सोचते बहुत हैं।
बाप को फॉलो करो, ब्रह्मा बाप पहुंच गया ना!
ज्यादा सोचते क्यों हो?
सिर्फ फॉलो फादर।
व्यर्थ संकल्प आते हैं, लहर आ जाती
है।
यह सिर्फ फारेनर्स को नहीं सुना रहे हैं, सबको सुना रहे हैं।..."
22.02.2009
"...बाप देखते हैं कि कई कई बच्चे माया को आने तो देते ही लेकिन खातिरी भी कर लेते, चाय पानी भी पिला लेते, पता है, कौन सी खातिरी करते हैं?
माया के प्रभाव में आके यही सोचते कि अभी तो टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है, अभी तो समय पड़ा है।
पुरूषार्थ कर रहे हैं, पहुंच जायेंगे।
तो माया भी
समझती है एक तो आने दिया, दूसरा यह तो हमारे को साथ दे रहे हैं, खातिरी कर रहे हैं, तो जो माया को पहचान लेते हैं क्योंकि कोई कोई बच्चे
पहचानने में भी गलती कर लेते हैं, माया की मत है वा बाप की मत है, न पहचानने के कारण माया के प्रभाव में आ जाते हैं।
लेकिन बापदादा अपने
लक्की महावीर विजयी बच्चों को कहते हैं आने नहीं दो, अब आवे और फिर भगाओ, इसमें समय नहीं लगाओ क्योंकि समय कम है और आपका जो
वायदा है, विश्व परिवर्तक बन विश्व सेवक बन विश्व की आत्माओं को बाप का परिचय दे मुक्ति का वर्सा दिलायेंगे, वह कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ
है।
उस कार्य को समाप्त करने में समय लगाना, अगर माया को भगाने में समय लगायेंगे तो विश्व परिवर्तक का जो वायदा है वह पूरा कैसे करेंगे!
बाप
के साथी हैं ना, जन्म से ही वायदा किया है, साथ रहेंगे अब भी, साथ चलेंगे…इसलिए अभी जो बाप से शक्तियां मिली हैं उस शक्तियों के आधार से
माया को दूर से भगाओ।
इसमें टाइम नहीं लगाओ।
देखो, 70 वर्ष पुरूषार्थ करते रहे हो, अभी माया का आना और भगाना, अभी इसका समय नहीं है
क्योंकि जानते भी हो, नॉलेजफुल तो हो ना।
सारे ड्रामा की नॉलेज है, इसीलिए नॉलेजफुल बच्चे अभी समय किसमें लगाना है, दो खज़ाने बहुत जमा
करने हैं।
कौन से दो खज़ाने?
एक संकल्प और दूसरा समय।
दोनों खज़ाने महान हैं और आप सब जानते हो क्योंकि नॉलेजफुल बाप के नॉलेजफुल बच्चे
हो। ..."
22.02.2009
"... बापदादा सभी लास्ट आने वाले बच्चों को, पहले बारी आने की पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं।
लेकिन एक भाग्य भी बता रहे हैं, भाग्य बनाने की
मार्जिन है क्योंकि टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है।
अगर कोई लास्ट भी फास्ट पुरूषार्थ करे लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं,
फर्स्ट नम्बर नहीं, वह तो प्रसिद्ध हो गये हैं, लेकिन फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं।
पसन्द है?
आने वाले नये बच्चों को पसन्द है?
चांस है, बापदादा
सीट दे देंगे लेकिन कुछ करना भी तो पड़ेगा।
एक-एक श्वांस, एक-एक संकल्प अटेन्शन, हर श्वांस, हर संकल्प समर्थ हो।
व्यर्थ न हो क्योंकि आप
सबका चाहे पहले वालों का, चाहे पीछे वालों का लेकिन टाइटिल क्या है?
समर्थ बच्चे हैं, कमज़ोर बच्चे नहीं।
बापदादा यादप्यार क्या देते हैं?
रोज़ का
यादप्यार लाडले, सिकीलधे, दिलतख्तनशीन बच्चे, इसलिए बाप यह गोल्डन चांस दे रहा है लेकिन वाले लो।
बाप देगा, बंधा हुआ है।
है कोई तीव्र
पुरूषार्थी।
चांस है।
टूलेट का बोर्ड लग गया फिर फिनिश।
लेकिन बापदादा को जन्म की सौगात क्या देगी?
जन्म उत्सव मनाने आये हो ना!
बापदादा ने
तो आप बच्चों के जन्म दिन पर आप सब बच्चों को विशष सौगात दी है कि 90 परसेन्ट आपका तीव्र पुरूषार्थ आज से अन्त तक अगर है तो 10
परसेन्ट बापदादा बढ़ा के देगा।
मंजूर है।
अभी व्यर्थ खत्म।
जैसे देखो सतयुग के देवतायें आते हैं ना, तो उन्हों को पता नहीं यहाँ की भाषा क्या बोलते
हैं।
पुरूषार्थ शब्द कहेंगे ना, तो वो कहेंगे पुरूषार्थ क्या, क्योंकि प्रालब्ध वाले हैं ना।
ऐसे आप तीव्र पुरूषार्थियों को स्वप्न में वा संकल्प में वा प्रैक्टिकल
कर्म में व्यर्थ क्या होता है, उसकी समाप्ति हो।
है हिम्मत?
10 परसेन्ट बाप ग्रेस में देंगे।
है मंजूर।
हाथ उठाओ।
कितना परसेन्ट पक्का?
100 परसेन्ट,
नहीं 101 परसेन्ट, क्योंकि बापदादा को बच्चों के बिना, बच्चों के साथ के बिना अच्छा नहीं लगता।
बाप समझते हैं जब मेरा बाबा कह दिया, बाबा ने
कह दिया मेरा बच्चा, तो बाप समान तो बनना पड़े।
अभी दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। ..."
09.03.2009
"...बापदादा फिर भी सभी बच्चों को प्यार देकर कहते हैं कि अपना वर्तमान और भविष्य निर्विघ्न बनाओ।
संगदोष में नहीं आओ।
संगदोष में आ जाते
हैं टैम्पटेशन है संगदोष में नहीं आओ।
हद की प्राप्तियों के आकर्षण में नहीं आओ क्योंकि बापदादा को तरस पड़ता है कि कहता है मेरा बाबा कहता है
मेरा बाबा और करता क्या है?
इसलिए आज होली का दिन है ऐसी ऐसी बातें समझदार बनके जला दो।
फिर भी टूलेट के बोर्ड से आगे बदल जाओ
बापदादा मदद करेगा लेकिन सच्ची दिल को।
साफ दिल मुराद हांसिल करके देखो दिल से।
सच्ची दिल और मुराद हांसिल नहीं हो हो नहीं सकता।
होली
में रंग लगाते हैं ना उल्टा सुल्टा भी लगा देते हैं।
तो आज होली मनाओ उल्टे रंग को बाप के रंग में रंग लो।
अच्छा।
आज होली है ना तो बापदादा ने
भी कह दिया है तरस पड़ता है।
अच्छा - ओम् शान्ति।..."
07.04.2009
"...बापदादा ने समय प्रति समय इशारा तो दे दिया है लेकिन आज विशेष बापदादा एक तो बेहद के वैराग्य तरफ इशारा दे रहा है इसके लिए अभी अपने
को चेक करके देही अभिमानी का जो विघ्न है देह अभिमान अनेक प्रकार के देह अभिमान का अनुभव है इसका परिवर्तन करो।
और दूसरी बात बहुत
समय का भी अपना सोचो।
बहुत समय का अभ्यास चाहिए।
बहुत समय पुरूषार्थ बहुत समय का प्रालब्ध।
अगर अभी बहुतकाल का अटेन्शन कम देंगे
तो अन्तिम काल में बहुतकाल जमा नहीं कर सकेंगे।
टूलेट का बोर्ड लग जायेगा इसलिए बापदादा आज दूसरे वर्ष के लिए होमवर्क दे रहे हैं।
यह देह
अभिमान सब समस्याओं का कारण बनता है और फिर बच्चे रमणीक हैं ना तो बाप को भी दिलासा दिलाते हैं कि समय पर हम ठीक हो जायेंगे।
बापदादा कहते हैं कि क्या समय आपका टीचर है?
समय पर ठीक हो जायेंगे तो आपका टीचर कौन हुआ?
आपकी क्रियेशन समय आपका टीचर हो यह
अच्छा लगेगा?
इसलिए समय को आपको नजदीक लाना है।
आप समय को नजदीक लाने वाले हैं।
समय पर रहने वाले नहीं।
समय को टीचर नहीं
बनाओ।
तो बापदादा आज यही बार-बार इशारा दे रहे हैं कि स्वयं को चेक करो बार-बार चेक करो और परिवर्तन करो।
बहुतकाल का परिवर्तन बहुतकाल के
प्रालब्ध का अधिकारी बनाता है।
तो बापदादा चाहे अब तक ढीला-ढाला पुरूषार्थी हो लेकिन लास्ट नम्बर वाले बच्चे से भी बाप का स्नेह है।
स्नेह है तब
तो बाप का बना है बाप को पहचाना है मेरा बाबा तो कहता है इसलिए समय पर नहीं छोड़ो।
समय आयेगा नहीं समय सम्पूर्णता का हमको लाना है।
बापदादा के विश्व परिवर्तन के कार्य के आप सभी साथी हो।
अकेला बाप कार्य नहीं कर सकता बच्चों का साथ है।
बाप तो कहते हैं पहले बच्चे आगे
बच्चे।
तो अभी अगर दूसरे वर्ष में आना ही है तो यह होम वर्क करके रखेंगे!
करेंगे?
हाँ हाथ उठाओ।
अच्छा।
पीछे वाले भी हाथ उठा रहे हैं। ..."
31.12.2009
"...अच्छा जो इस बारी नये आये हैं वह उठ खड़े हो जाओ।
अच्छा।
बहुत आये हैं।
आधा संगठन तो नया है।
तो आपको सभी नये आने वालों को, सारे
ब्राह्मण परिवार, बापदादा सबके तरफ से मधुबन आने का मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है।
मुबारक के साथ एक बात याद रखना तो अभी कामन
पुरूषार्थ का समय गया, अभी समय है तीव्र पुरूषार्थ का, तो आप सभी लेट आये हो लेकिन बापदादा के प्यारे हो।
टू लेट के बजाए लेट आये हो,
बापदादा खुश है कि फिर भी लक के समय पहुंच गये हो इसलिए जो भी आये हो, बापदादा के प्यारे हो इसलिए चलना नहीं उड़ना।
अभी चलेंगे ना तो
नम्बर आगे नहीं ले सकेंगे इसीलिए उड़ती कला में चलना।
चलना नहीं उड़ना।
तो उड़ना तो फास्ट होता है ना।
तो उड़ती कला से आगे जा सकते हो।
यह मार्जिन है।
इसी को ही तीव्र पुरूषार्थ कहते हैं।
तो क्या करेंगे?
उड़ेंगे। उड़ेंगे?
अच्छा।
जो भी बातें ऐसी आवे जो बेकार हैं, आनी नहीं चाहिए लेकिन
आ जाती हैं क्योंकि पेपर तो होना है ना!
तो क्या करेंगे?
अगर ऐसी कोई बात आवे तो बापदादा को दे देना।
देना आता है ना!
लेना तो आता है लेकिन
देना भी आता है ना।
छोटे बन जाना।
जैसे छोटे बच्चे होते हैं ना वह क्या करते हैं कोई भी चीज़ पसन्द नहीं आती है तो क्या करते हैं?
मम्मी यह
आप सम्भालो।
ऐसे ही छोटे बनके बाप को दे दो।
फिर अगर आवे, आयेगी, बापदादा ने देखा है कि बहुत समय रखी है ना, तो छोडने से फिर आती भी
है लेकिन अगर आवे भी तो यही सोचना कि दी हुई चीज़ यूज की जाती है क्या!
देना अर्थात् आपके पास आई, तो अमानत आई।
आपने तो दे दी ना!
तो आपकी रही नहीं।
अमानत में ख्यानत नहीं करना चाहिए।
आपको मदद मिलेगी तो यह मेरी नहीं है, यह अमानत है।
मैंने दे दी इसमें फायदा हो
जायेगा।
क्योंकि समय कम है और पुरूषार्थ आपको तीव्र करना है।
तो जो भी नये आये हैं बापदादा उन्हों को लक्की और लवली कहते हैं, जो आ तो
गये अभी मेरा बाबा कहा है ना। ..."
18.01.2010
"...बापदादा यही चाहते कि अभी-अभी कोई भी पेपर आ जाए तो हर एक बच्चा फुल पास हो जाए।
हो सकता है?
हो सकता है?
फुल पास होना है?
अच्छा।
आज जो पहली बार आये हैं वह उठो।
पहले बारी आने वालों को बापदादा आने की बहुत-बहुत मुबारक दे रहे हैं और वरदान दे रहे हैं कि तीव्र
पुरूषार्थी बन आप चाहो तो आगे से आगे आ सकते हो।
यह वरदान प्रैक्टिकल में लाने चाहे तो बापदादा का वरदान है।
इसके लिए पहले आने वालों के
लिए बापदादा खुशखबरी सुना रहे हैं कि लास्ट सो फास्ट, फास्ट सो फर्स्ट, यह दिल खुश मिठाई खा लो।
बापदादा को यह खुशी है कि फिर भी टू लेट के बोर्ड के पहले आ गये, यह बहुत खुशी की बात है।
आप लोग अगर आगे गये तो हम सब खुश होंगे यह
नहीं कहेंगे कि आप क्यों, हम क्यों नहीं, नहीं।
पहले आप।
अच्छा - बैठ जाओ, दिलखुश मिठाई खाई!..."
30.01.2010
"...आज जो पहली बार आये हैं वह उठके खड़े हो।
हाथ हिलाओ।
बापदादा पहले बारी आने वालों को विशेष मुबारक दे रहे हैं क्योंकि टूलेट के बजाए लेट
में भी आ तो गये।
और बापदादा सभी आने वालों को यह खुशखबरी सुनाते हैं कि अगर देरी से आने वाले भी तीव्र पुरूषार्थ अर्थात् उड़ती कला का
पुरूषार्थ कर आगे बढ़ने चाहे तो तीव्र पुरूषार्थ द्वारा आगे जा सकते हो।
लेकिन तीव्र पुरूषार्थ।
साधारण पुरूषार्थी नहीं।
हर बारी बापदादा पहले बारी आने
वालों को देख खुश भी होते हैं और सभी आने वाले को परिवार, सारा ही परिवार आपको देख करके खुश होते हैं।
आ तो गये हैं, कुछ न कुछ वर्सा लेने
के अधिकारी तो बनेंगे इसलिए बापदादा भी कहते हैं भले पधारे, बाप के बिछुडे हुए बच्चे भले पधारे।
अच्छा।
बैठे जाओ। ..."
31.03.2010
"...अच्छा जो नये हैं वह उठो और सभी बैठ जाओ।
अच्छा।
नयों की भी संख्या तो काफी है, बापदादा खुश होते हैं कि टूलेट के पहले आ गये हो।
इसीलिए आप सभी आने वालों को मुबारक है।
आने वालों को बापदादा यही वरदान देते हैं कि थोड़े समय में फास्ट पुरूषार्थ तीव्र पुरूषार्थ कर आगे बढ़
सकते हो।
अगर हर समय अटेन्शन रखेंगे, परिवर्तन करने का और सारे दिन में अपने पढ़ाई और प्राप्ति इकट्ठीकरते रहेंगे तो आप भी आगे बढ़ सकते
हो।
चांस है।
अभी टूलेट नहीं है, लेट है इसीलिए आप जितना हो सके उतना अपने चार ही सबजेक्ट में, पढ़ाई में अटेन्शन देते रहना।
बाप भी देखते
रहते हैं कौन-कौन लास्ट वाला भी फास्ट जाता है।
ऐसे नहीं है कि नहीं जाते हैं, जाते हैं।
तो बाप की तो एक एक बच्चे में यही आशा है कि हर एक
बच्चा आगे से आगे जाये और अपना स्वराज्य और बापदादा के दिल का तख्त ले।
अच्छा।..."
24.10.2010
"...तो बापदादा हर एक बच्चे को दिल के प्यार की गिफ्ट दे रहे हैं।
जो फर्स्ट टाइम आये हैं वह उठो।
आप सबको अपने आध्यात्मिक जन्म दिन की
मुबारक हो मुबारक हो क्योंकि आप हर एक परिवार की शोभा हो श्रृंगार हो।
इसीलिए बापदादा यही चाहते कि भले लेट आये हो लेकिन टूलेट के पहले
आये हो इसकी विशेष परिवार को आपके आने की खुशी है।
आ गये हमारे बिछुड़े हुए परिवार के साथी आ गये।
अभी समय अनुसार आपको तीव्र
पुरूषार्थ करना पड़ेगा।
स्लो पुरूषार्थ ढीला पुरूषार्थ नहीं करना तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तो लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट आ सकते हैं।
करेंगे ना!
करेंगे?
अच्छा है।
बहुत बहुत परिवार की तरफ से बापदादा की तरफ से बहुत-बहुत-बहुत यादप्यार लेते रहना और बढ़ते रहना।
अच्छा। ..."
30.11.2010
"...जो आज पहली बारी आये हैं वह उठो।
देखो कितने आये हैं।
बापदादा मुबारक देते हैं।
मधुबन में आने की मुबारक है मुबारक है मुबारक है।
बापदादा
फिर भी ऐसे समझते हैं कि टूलेट का बोर्ड लगने के पहले आ गये हो इसलिए सारे परिवार की बापदादा की तो है सारे परिवार की भी आप सभी में यही
शुभ आशा है कि सदा डबल पुरूषार्थ कर लास्ट आते हुए भी फास्ट जा सकते हो।
है हिम्मत!
जो आज आये हैं उन्हों में यह हिम्मत है!
कि लास्ट आते
भी फास्ट जाकर फर्स्ट आ जाओ।
फर्स्ट नम्बर में।
एक फर्स्ट नहीं फर्स्टक्लास में फर्स्ट आओ हो सकता है!
जो समझते हैं हम फास्ट जाके फर्स्ट हो
सकते हैं वह हाथ उठाओ।
अपने में निश्चय है?
अच्छा।
पीछे वाले हाथ ऊंचा करो हो सकता है तो!
अच्छा।
थोड़े हैं।
फिर भी सारा परिवार और बापदादा
आपको सहयोग देके आगे बढ़ाने चाहते हैं इसलिए जिस भी सेन्टर के तरफ से आये हो उस सेन्टर पर यह अपना वायदा बार-बार याद करना।
हो सकता
है असम्भव नहीं है है सम्भव लेकिन डबल अटेन्शन।
अगर लास्ट और फास्ट जाके दिखायेंगे तो सेन्टर पर आपका तीव्र पुरूषार्थ का दिन मनायेंगे।
फंक्शन करेंगे।
सभी के दिल में उमंग तो है कि जल्दी से जल्दी बाप समान बनके ही दिखायें।
बापदादा भी अमृतवेले जब बच्चे बाप से बातें करते हैं तो
खुश होते हैं।
वाह बच्चे वाह!
और बाप हर बच्चे को चाहे पुराना है चाहे नया है हर बच्चे को बहुत-बहुत दिल की दुआयें देते हैं।
एक कदम आपका हजार
कदम बाप की मदद का क्योंकि अब समय का परिवर्तन फास्ट गति में जा रहा है।
अच्छा। ..."
15.12.2010
"...पहले बारी जो बच्चे आये हैं वह उठो।
पहले बारी आये!
आधा क्लास तो नया है।
आये हैं बापदादा आने वालों का स्वागत कर रहे हैं।
फिर भी मुबारक
हो।
पहले बार आने की मुबारक हो।
भले लेट आये हो लेकिन फिर भी टूलेट के पहले आये हो।
अभी यह अटेन्शन रखना कि थोड़े समय में तीव्र
पुरूषार्थी बन अपना भविष्य जितना बढ़ाने चाहो तीव्र पुरूषार्थ द्वारा आगे बढ़ सकते हो क्योंकि फिर भी अभी भी पुरूषार्थ करने की मार्जिन है।
जितना
आगे बढ़ने चाहो उतना आगे बढ़ सकते हो।
बापदादा और यह दैवी परिवार आपको साथ-साथ आगे बढ़ने का वायब्रेशन देंगे इसलिए आगे बढ़ो हिम्मत
रखो।
हिम्मत आपकी और मदद बापदादा और परिवार की आगे बढ़ो।
ठीक है ना!
हाँ करो आगे बढ़ो।
अच्छा। ..."
31.12.2010
"... नये नये भी उठा रहे हैं।
मुबारक हो।
निश्चयबुद्धि विजयी होते हैं।
बापदादा भी जानते हैं कि जो निश्चयबुद्धि हैं वह आगे जा सकते हैं जायेंगे।
अच्छा
यहाँ बैठे हैं ना सामने।
हाथ उठाओ जो पहली बारी आये हैं।
सभी की तरफ से बापदादा आप लोगों को मुबारक दे रहे हैं।
निश्चय जो किया है ना वह
अमृतवेले सदा इसको रिवाइज करते रहना।
अच्छा।
बापदादा को बच्चों को देख खुशी होती है कि समय टूलेट के पहले अपने वर्से के अधिकारी बन गये।
इसीलिए सर्व परिवार यहाँ आये हुए या अपने-अपने सेन्टरों पर रहने वाले सभी बच्चों की तरफ से भी बापदादा आप सबको मुबारक दे रहे हैं।
अभी आप
कमाल करना एक हिम्मत है बोलें?
हिम्मत है?
आप लोग पहले से ही निर्विघ्न रहना।
निश्चय और नशा में नम्बरवन जाना।
बापदादा को खुशी होती है
कि पुराने तो पुराने हैं लेकिन नये थोड़े समय में कमाल दिखायेंगे।
अच्छा। ..."
02.02.2011
"... आज पहले बारी कौन आये हैं वह हाथ उठाओ।
खड़े हो जाओ।
बहुत हैं।
अच्छा जैसे पहले बारी आये हो वैसे पहला नम्बर जाना है ना।
जाना है?
बाबा का वरदान है कि जो हिम्मत रखेगा उसको बाप की मदद भी मिलेगी और हिम्मत से जितना भी आगे बढ़ने चाहो वह चांस है क्योंकि टूलेट का
बोर्ड नहीं लगा है।
याद में रहो और जो प्राप्त हुआ है उससे औरों की सेवा करो।
जितनी सेवा करेंगे उतनी दुआयें मिलेंगी और वह दुआयें आपको आगे
बढ़ाती रहेंगी।
सन्देश देते जाओ बाकी हर एक की तकदीर।
लेकिन आप सन्देश दे दो।
पुण्य अपना जमा करते रहो।
तो पुण्य आपको आगे बढ़ाता रहेगा।
अच्छा है। ..."
31.03.2011
"...बापदादा को पता है कि आज के दिन मधुबन में भी छोटी छोटी गीता पाठशालायें लग गई हैं।
बच्चे आये हैं बापदादा बहुत बहुत बहुत नीचे बैठने
वालों को कहाँ कहाँ बैठने वालों को सबसे पहले दिल का दुलार और यादप्यार दे रहे हैं।
(आज शान्तिवन में 28 हजार से भी अधिक भाई बहिनें पहुंचे
हुए हैं) बापदादा ने देखा कि बच्चों को थोड़ी तकलीफ तो देखनी पड़ी है लेकिन यह तकलीफ खुशी में अनुभव नहीं करते हैं।
फिर भी आराम से सोने के
लिए तीन पैर पृथ्वी तो मिली है ना।
जो पटरानी बने हैं उन बच्चों को बापदादा विशेष यादप्यार दे रहे हैं।
अच्छा जो आज पहले बारी मधुबन में आये हैं
या बापदादा से मिलने आये हैं वह उठो।
आज पहले बारी आने वाले बच्चों को बापदादा नये ब्राह्मण परिवार में आने की अपने तरफ से और ब्राह्मण
परिवार की तरफ से बहुत-बहुत बधाई दे रहे हैं क्योंकि फिर भी टूलेट आये हो लेकिन आ तो गये।
बापदादा और परिवार को देख तो लिया।
बापदादा
समझते हैं कि आप चाहो तो आज आने वालों को विशेष वरदान है कि अगर दिल से चाहो तो लास्ट सो फास्ट फास्ट सो आगे आ सकते हो।
बापदादा
और परिवार का आप सब आत्माओं से प्यार है।
सहयोगी बनेंगे स्नेह देंगे और आपको आगे बढ़ायेंगे।
चांस देंगे।
इसीलिए आज आने वालों को आगे
बढ़ने का चांस बहुत अच्छा ड्रामा में मिल सकता है।
सारा परिवार जहाँ से भी आये हो तो वह परिवार आपका सहयोगी बनेगा आप सहज योगी बनना।
अच्छा।..."
18.01.2012
"... सभी खुश तो हैं ना!
खुश हैं?
देखो नये-नये भी कितने आते हैं।
जो नये पहली बार आये हैं वह हाथ उठाओ।
देखो कितने हैं?
आधा क्लास नये
आये हैं।
बापदादा आये हुए नये बच्चों को देख खुश है क्योंकि लास्ट समाप्ति के समय से तो पहले आ गये हैं।
लेकिन जितना लेट आये हो इतना ही
तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा क्योंकि इस थोड़े टाइम में आपको पूरे 21 जन्मों का भविष्य बनाना है।
इतना अटेन्शन रखना पड़ेगा।
समय को बचाना,
सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं गंवाना।
तीव्र पुरूषार्थी रहना, साधारण पुरूषार्थ से पहुंचना मुश्किल है।
फिर भी बापदादा आये हुए बच्चों को दिल से मुबारक दे रहे
हैं।
मुबारक दे रहे हैं।
अच्छा। ..."
05.04.2013
"...बापदादा भी बच्चो को देख खुश हो रहे हैं और दिल से बधाई दे रहे हैं।
सदा खुश आबाद रहो और आज तो बापदादा देख रहे हैं कि नये-नये भी बहुत
आये है।
जो आज पहली बार आये हैं वह हाथ उठाना, देखो कितने हैं!
बापदादा आने वालों को मुबारक दे रहे है।
टू लेट के समय के पहले आ गये, लेकिन
कमाल करके दिखाना।
है हिम्मत।
पहले बारी आने वाले उठो, देखो।
सभी ने देखा कितने आये हैं।
अच्छा।..."
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