1.
विनाश के समय अन्तिम पेपर में पास कौन होगा?
अन्तिम पेपर में पास वही हो सकता है जिसे बाप के सिवाए पुरानी दुनिया की कोई भी चीज़ याद न आये।
2.
तुम विश्व में शान्ति स्थापन करने के लिए निमित्त बने हुए हो, श्रीमत पर।
3.
बच्चे बाप का शुक्रिया क्या मानेंगे! बाप आपेही आकर हाथ में बहिश्त (स्वर्ग) देते हैं।
4.
भक्ति मार्ग में बाबा-बाबा करते रहते हैं। जरूर बाप से कुछ वर्सा मिलेगा।
5.
रहना भी अपने घर में है। मत पर चलने में ही विघ्न पड़ते हैं।
6.
बच्चे समझते हैं पढ़ाई में खास पुरूषार्थ जरूर चाहिए।
7.
ऐसे बाबा को याद करने से आत्मा में जो किचड़ा भरा हुआ होगा, वह सब भस्म हो जायेगा। आत्मा में है तो शरीर में भी कहेंगे।
8.
उस पवित्र दुनिया में तुम बच्चे ही तो पहले-पहले राज्य करने आते हो। तो बाप तुम्हारे लिए तुम्हारे देश में आये हैं। भक्ति और ज्ञान में बहुत फ़र्क है।
9.
कल्याण तो है ही अपने स्वधर्म में टिकने में और बाप को याद करने में।
10.
सतयुग में सतोप्रधान थे अब फिर सतोप्रधान बनाने बाप आया है।
11.
नई दुनिया में हैं ही पवित्र देवतायें। बेहद का बाप है ही नई दुनिया का वर्सा देने वाला।
12.
प्रदर्शनी में जो लोग आते हैं, उनको भी पहले शिवबाबा के चित्र के सामने लाकर खड़ा करो।
13.
बाप को याद करो तो याद से ही विकर्म विनाश होंगे और तुम स्वर्ग में चले जायेंगे।
14.
बाप कहते हैं मैं तुम बच्चों का कितना उपकार करता हूँ। तुम तो अपकार ही करते आये हो। वह भी ड्रामा में नूँध है, किसका दोष नहीं है।
15.
कलियुग में हैं ही तमोप्रधान। अगर कलियुग की आयु बढ़ा देंगे तो और ही तमोप्रधान बनेंगे।
16.
पुरूषोत्तम संगमयुग भी एक ही है। इस समय बाप तुम बच्चों को पढ़ाते हैं। भक्ति में फिर यादगार चलता है।
17.
कथा कहना रांग है क्योंकि कथा में एम ऑब्जेक्ट नहीं होती है। पढ़ाई में एम आब्जेक्ट है।
18.
तुम्हारी आत्मा याद की यात्रा में तत्पर हो जायेगी।
19.
तुम बच्चों में बहुत गुण भरे जाते हैं। तुम बच्चों को बाप आकर क्वालिफिकेशन सिखलाते हैं।
20.
भारत की सेवा में ही पैसे लगाते हैं। बाबा कहते हैं देहली में सेवा का घेराव डालो, विस्तार करो।
21.
अभी तक किसी को घायल किया नहीं है, घायल करने में योगबल चाहिए।
22.
अन्दर खुशी में नाचना चाहिए, यह खुशी का डांस है।
23.
बाप की याद में रहते-रहते तुम अशरीरी बन जाते हो।
24.
बुद्धि में ज्ञान चाहिए। अब घर जाना है फिर राजाई में आयेंगे।
25.
अब घर जाना है इसलिए शरीर में भी कोई ममत्व नहीं रहना चाहिए।
26.
कोई भी चीज़ में आसक्ति नहीं हो।
27.
देह-अभिमान में आने से कुछ न कुछ घाटा पड़ता है। देही-अभिमानी होने से घाटा नहीं पड़ेगा।
28.
ट्रेन में किसको बैज पर समझा सकते हो। बैठकर एक-दो से पूछो तुमको कितने बाप हैं?
29.
अन्त समय में पास होने के लिए इस शरीर और दुनिया से उपराम रहना है, किसी भी चीज़ में आसक्ति नहीं रखनी है। बुद्धि में रहे कि अब हम ट्रान्सफर हुए कि हुए।
30.
बाप और सेवा में मग्न रहने वाले निर्विघ्न, निरन्तर सेवाधारी भव
31.
एक बाप और सेवा में मग्न रहो तो निर्विघ्न, निरन्तर सेवाधारी, सहज मायाजीत बन जायेंगे।
32.
सम्पन्नता की स्थिति में स्थित हो, प्रकृति की हलचल को चलते हुए बादलों के समान अनुभव करो।
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