1.00 | में...

हमें याद की यात्रा में रहकर पावन जरूर बनना है।

तुम बच्चों की बुद्धि में है बाबा मधुबन में है।

बच्चे समझेंगे हम जाते हैं मधुबन में मुरली सुनने।

तुम सतयुग में कितने समझदार, विश्व के मालिक थे। यह लक्ष्मी-नारायण विश्व के मालिक थे, इतने समझदार थे तब तो भक्ति मार्ग में पूजे जाते हैं।

तुम बच्चों में कइयों ने वेद-शास्त्र आदि कुछ भी पढ़े नहीं है।

कथा सुनने समय यह कोई को बुद्धि में नहीं होता है कि हम नर से नारायण बनेंगे।

पानी में स्नान करने से कोई पावन नहीं बनते।

सबसे ज्यादा गुरू आदि इसने किये हैं, शास्त्र भी बहुत पढ़े। इस जन्म में जैसे पण्डित था लेकिन उससे फायदा तो कुछ भी नहीं हुआ।

बाप ने समझाया है जो अपने को बच्चे समझते हैं तो इस जन्म में जो पाप आदि किये हैं, जबकि सम्मुख बाप आया है तो पाप कर्म बता देने चाहिए, तो हल्का हो जायेगा। इस जन्म में हल्के हो जायेंगे। यह बातें तुम अभी सुनते हो। सतयुग में यह बातें कोई सुना न सके।

जो समझाते हैं उनके फिर भक्ति मार्ग में त्योहार मनाये जाते हैं।

कितने मेले मलाखड़े आदि होते हैं। मेले मलाखड़े में तो कितने मैले होते हैं, शरीर को मिट्टी मलते हैं। समझते हैं पाप मिट जायेंगे।

नासिक में पानी बहुत गन्दा होता है। विलायत में कोई बड़े महाराजा आदि जाते थे तो गंगा जल का मटका साथ ले जाते थे फिर स्टीमर में वही पानी पीते थे।

100-150 वर्षों में क्या-क्या बन गया है! सतयुग आदि में यह साइन्स आदि काम में आती है। वहाँ तो महल आदि बनाने करने में देरी नहीं लगती।

बरोबर स्वर्ग में सोने की इंटें हैं। उसको कहा ही जाता है गोल्डन एज।

घर-घर में मैसेज देना है फिर कोई माने या न माने।

सूक्ष्मवतन में भी तुम फ़रिश्ते देखते हो ना!

जो बाबा में नॉलेज है वह तुम बच्चों में भी है। जब ऊपर में जाते हो तो नॉलेज का पार्ट भी पूरा हो जाता है।

तुम बच्चे कहाँ भी जाते हो तो मैसेन्जर की निशानी - यह बैज साथ में जरूर चाहिए। भल कोई हंसी करे। इस पर क्या हंसी करेंगे। तुम तो यथार्थ बात सुनाते हो।

बाप बच्चों को कहते हैं कोई भी बात में संशय नहीं होना चाहिए।

सुबह को भी बैठ बच्चों को याद की यात्रा में मदद करता हूँ।

बाप सभी बच्चों पर नज़र रखते हैं ना। सब शान्तिधाम में चले जायें। बाप तो बेहद में ही बैठेंगे। मैं आया हूँ सारी दुनिया को पावन बनाने।

बाबा अभी बैठकर याद की यात्रा सिखला रहे हैं, जिससे विश्व में शान्ति होती है।

बच्चे भी याद में रहते हैं तो मदद मिलती है।

हम विश्व को पवित्र बनाकर फिर सारे विश्व पर राज्य करेंगे। बुद्धि में जब ऐसा निश्चय होगा तब नशा चढ़ेगा।

खाते-पीते, चलते-फिरते यह क्या बाप को याद नहीं कर सकते, कपड़ा सिलाई करते, बुद्धियोग बाप की याद में रहे।

हर एक को ड्रामा में पार्ट मिला हुआ है, वह बजाते रहते हैं। तुम्हारी बुद्धि में अब यही है कि हम आत्मा सतोप्रधान बनें क्योंकि वापिस घर जाना है। सतयुग में ऐसे नहीं कहेंगे।

 

2.00 | पाप और पाप कर्म ...

सबसे ज्यादा गुरू आदि इसने किये हैं, शास्त्र भी बहुत पढ़े। इस जन्म में जैसे पण्डित था लेकिन उससे फायदा तो कुछ भी नहीं हुआ।

पुण्य आत्मा तो बनते ही नहीं। पाप ही करते आये। बाप ने समझाया है जो अपने को बच्चे समझते हैं तो इस जन्म में जो पाप आदि किये हैं, जबकि सम्मुख बाप आया है तो पाप कर्म बता देने चाहिए, तो हल्का हो जायेगा। इस जन्म में हल्के हो जायेंगे। फिर पुरूषार्थ करना है, जन्म-जन्मान्तर के पाप कर्म का बोझा जो सिर पर है उसे उतारना है।

बाप योग की बात समझाते हैं। योग से ही विकर्म विनाश होंगे। यह बातें तुम अभी सुनते हो।

बाप को याद करते-करते पाप कटते जायेंगे, अन्त मती सो गति हो जायेगी।

मेले मलाखड़े में तो कितने मैले होते हैं, शरीर को मिट्टी मलते हैं। समझते हैं पाप मिट जायेंगे। बाबा का खुद यह सब किया हुआ है। नासिक में पानी बहुत गन्दा होता है। वहाँ जाकर मिट्टी मलते हैं। समझते हैं पाप विनाश हो जायेंगे। बाप को निरन्तर याद करो तो पाप कटते जायेंगे।