1.01 | पढ़ाई में ... तुम बच्चों को इस पढ़ाई में कोई भी खर्चा नहीं लगता है उस पढ़ाई में खर्चा कितना होता है, यहाँ खर्चा कुछ भी नहीं। पढ़ाई तो है सोर्स ऑफ इनकम। सारा मदार है पढ़ाई पर। बाप बच्चों से पढ़ाई का क्या लेंगे? कोई अमृत वा पानी आदि की बरसात नहीं है। पढ़ाई में पानी की बात नहीं होती। यह एक-एक रत्न लाखों रूपयों का है, इनकी वैल्यु जानकर पढ़ाई पढ़नी है। यह पढ़ाई ही सोर्स ऑफ इनकम है, इसी से ऊंच पद पाना है।
1.02 | गोद में ... बच्चे को खर्चा लगता है क्या? गोद में आया और वर्से का हकदार बना। खर्चा तो बाप करते हैं, न कि बच्चा।
1.03 | ड्रामा में ... ड्रामा में यह भक्ति का पार्ट भी होने का ही है। बाप कहते हैं अब तुमको पावन बन पावन दुनिया में चलना है।
1.04 | मुफ्त में ... तुम जानते हो बाप यह रत्न देते हैं झोली भरने के लिए। यह मुफ्त में मिलते हैं। खर्चा कुछ भी नहीं।
1.05 | वानप्रस्थ में ... जो इस झाड़ का सैपलिंग है, उनको तुम्हारे ज्ञान का तीर लग जाता है। समझते हैं यह तो क्लीयर बात है। बरोबर तुम वानप्रस्थ अवस्था में जाते हो ना। कोई बड़ी बात नहीं है। टीचर के लिए स्कूल में पढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। बाप बुढ़ा हुआ तो फिर उनको वानप्रस्थ में जाने की दिल होती है। परन्तु वानप्रस्थ के अर्थ को कोई जानते नहीं हैं। वाणी से परे हम कैसे जा सकते हैं? बुद्धि में नहीं बैठता है।
1.06 | एक में ... गुरू करते हैं फिर भी एक में पूरा निश्चय नहीं बैठता है इसलिए जांच करते हैं, ऐसा कोई गुरू मिले जो हमको अपने घर अथवा वानप्रस्थ अवस्था में पहुँचाये, उसके लिए बहुत युक्तियां रचते हैं।
1.07 | बुद्धि में ... वानप्रस्थ के अर्थ को कोई जानते नहीं हैं। वाणी से परे हम कैसे जा सकते हैं? बुद्धि में नहीं बैठता है। तुम राम सम्प्रदाय बन जायेंगे फिर यह रावण सम्प्रदाय नहीं रहेगा। यह बुद्धि में ज्ञान है। राम कहेंगे भगवान् को। भगवान ही आकर रामराज्य स्थापन करते हैं अर्थात् सूर्यवंशी राज्य स्थापन करते हैं।
1.08 | पावन दुनिया में ... तुम अपने योगबल से पावन बन रहे हो। जानते हो पावन बन पावन दुनिया में चले जायेंगे। अब राइट यह है या वह? इन सब बातों में बुद्धि चलनी चाहिए। तुम खड़े-खड़े सबको यह रास्ता बता सकते हो कि बाप कहते हैं मामेकम् याद करो, अपने को आत्मा समझो। घड़ी-घड़ी यह याद दिलाकर फिर देखो उनका चेहरा कुछ बदलता है? नैन पानी से भीगते हैं? तब समझो कुछ बुद्धि में बैठता है।
1.09 | धन्धे आदि में... तुम धन्धे आदि में भी भल रहो, बाल बच्चे आदि भी भल सम्भालो, सिर्फ बुद्धियोग और सबसे हटाकर मेरे साथ लगाओ। सबसे बुद्धियोग हटाकर एक बाप में लगाना है।
1.10 | एक में ... गुरू को तो कोई पतित-पावन कह नहीं सकते। गुरू करते हैं फिर भी एक में पूरा निश्चय नहीं बैठता है इसलिए जांच करते हैं, ऐसा कोई गुरू मिले जो हमको अपने घर अथवा वानप्रस्थ अवस्था में पहुँचाये, उसके लिए बहुत युक्तियां रचते हैं।
1.11 | स्कूल में ... स्कूल में टीचर के लिए स्कूल में पढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। उसी अवस्था में तुम समझते हो बरोबर बाप ने ही वर्सा दिया था, जो अब दे रहे हैं फिर उसी अवस्था में आयेंगे, सो तो तुम बच्चे समझते हो। गुरू करते हैं फिर भी एक में पूरा निश्चय नहीं बैठता है इसलिए जांच करते हैं, ऐसा कोई गुरू मिले जो हमको अपने घर अथवा वानप्रस्थ अवस्था में पहुँचाये, उसके लिए बहुत युक्तियां रचते हैं।
1.12 | वानप्रस्थ अवस्था में ... जो इस झाड़ का सैपलिंग है, उनको तुम्हारे ज्ञान का तीर लग जाता है। समझते हैं यह तो क्लीयर बात है। बरोबर तुम वानप्रस्थ अवस्था में जाते हो ना। कोई बड़ी बात नहीं है। समझाने में भगवान ही आकर रामराज्य स्थापन करते हैं अर्थात् सूर्यवंशी राज्य स्थापन करते हैं। रामराज्य भी नहीं कहेंगे, परन्तु समझाने में सहज होता है - रामराज्य और रावण राज्य। वास्तव में है सूर्यवंशी राज्य।
1.13 | सेकण्ड में ... तुम्हारा एक छोटा पुस्तक है - हीरे जैसा जीवन कैसे बनें। अब हीरे जैसा जीवन किसको कहा जाता है - मनुष्य क्या जानें, सिवाए तुम्हारे। लिखना चाहिए हीरे जैसा देवताई जीवन कैसे बनें? देवता अक्षर एड होना चाहिए। तुम फील करते हो हम हीरे जैसा जीवन यहाँ बना रहे हैं। सिवाए बाप के और कोई बना न सके। किताब है अच्छा, उसमें यह अक्षर सिर्फ एड करो। तुम आसुरी कौड़ी जैसे जन्म से देवताई हीरे जैसा जन्म सेकण्ड में प्राप्त कर सकते हो, बिगर कौड़ी खर्चा। शक्तिशाली याद द्वारा सेकण्ड में पदमों की कमाई जमा करने वाले पदमापदम भाग्यशाली भव
1.14 | बाप का बनने में ... बाप का बनने में कोई खर्चा लगता है क्या? नहीं। जैसे लौकिक बाप का बनने में खर्चा नहीं आता, वैसे पारलौकिक बाप का बनने में भी कोई खर्चा नहीं लगता।
1.15 | इस हालत में ... आत्मा कहती है हम अविनाशी हैं, यह शरीर विनाश हो जायेगा। बाल बच्चे आदि सब विनाश हो जायेंगे। अच्छा, फिर इतने पैसे जो इकट्ठे किये हैं वह क्या करेंगे? ख्याल तो होगा ना। कोई साहूकार भी होंगे, समझो उनको कोई है नहीं, ज्ञान मिलता है तो समझते हैं इस हालत में पैसा क्या करेंगे? पढ़ाई तो है सोर्स ऑफ इनकम।
1.16 | पावन दुनिया में ... बाबा ने बताया था एक इब्राहम लिंकन था, बहुत गरीब था। रात को जागकर पढ़ता था। पढ़-पढ़ कर इतना होशियार हो गया जो प्रेज़ीडेन्ट बन गया। खर्चा लगता है क्या? कुछ भी नहीं। बहुत हैं जो गरीब होते हैं, उनसे गवर्मेन्ट पैसे नहीं लेती है पढ़ने के। ऐसे बहुत पढ़ते हैं, तो वह भी बिगर फी प्रेज़ीडेन्ट बन गया। कितना बड़ा पद पा लिया। यह गवर्मेन्ट भी कुछ खर्चा नहीं लेती। समझती है दुनिया में सब गरीब हैं। भल कितने भी साहूकार, लखपति, करोड़पति हैं, वह भी कहेंगे गरीब हैं। हम उनको साहूकार बनाते हैं। भल धन कितना भी हो, तुम जानते हो, बाकी थोड़े दिन के लिए है। यह सब मिट्टी में मिल जायेगा। तुम अपने योगबल से पावन बन रहे हो। जानते हो पावन बन पावन दुनिया में चले जायेंगे। बाप कहते हैं अब तुमको पावन बन पावन दुनिया में चलना है। जो पावन बनेगा वह जायेगा।
1.17 | भविष्य में ... सारा मदार है पढ़ाई पर। बाप बच्चों से पढ़ाई का क्या लेंगे? बाप तो विश्व का मालिक है, बच्चे जानते हैं हम भविष्य में यह बनेंगे। मैं आया हूँ, यह स्थापना करने। बैज में भी यह समझानी है। नई-नई इन्वेन्शन निकलती रहती है।
1.18 | छतों में ... वहाँ तो दीवारों, छतों में भी हीरे जवाहर लगे रहते हैं। उनकी वैल्यु क्या होगी। वैल्यु बाद में होती है। वहाँ तो हीरे जवाहर भी तुम्हारे लिए कुछ नहीं हैं।
1.19 | सब बातों में ... पावन बनने में खर्चे की बात ही नहीं। तुमको अब विवेक मिला है। समझते हो पतित-पावन तो एक ही बाप है। तुम अपने योगबल से पावन बन रहे हो। जानते हो पावन बन पावन दुनिया में चले जायेंगे। सब बातों में अब राइट यह है या वह? इन सब बातों में बुद्धि चलनी चाहिए।
1.20 | ड्रामा में ... ड्रामा में यह भक्ति का पार्ट भी होने का ही है।
1.21 | पिछाड़ी में ... जो यहाँ की सैपलिंग होंगे वह निकल आयेंगे। बाकी थोड़ेही समझेंगे। वह तो दुबन में फँसे ही रहेंगे। जब सुनेंगे तब पिछाड़ी में कहेंगे - अहो प्रभू, तेरी लीला.... आप पुरानी दुनिया को नई कैसे बनाते हो।
1.22 | अखबारों में ... तुम्हारा यह ज्ञान अखबारों में बहुत-बहुत पड़ जायेगा। खास यह चित्र अखबार में रंगीन डाल दो। और लिख दो - शिवबाबा प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा पढ़ाकर स्वर्ग का मालिक यह (लक्ष्मी-नारायण) बनाते हैं। कैसे? याद की यात्रा से।
1.23 | निश्चय में ... ‘बाबा' अक्षर बहुत मीठा है। बाबा और वर्सा। इतना निश्चय में बच्चों को रहना है। यह है ही मनुष्य से देवता बनने का विद्यालय।
1.24 | धन्धे आदि में ... अब तुम मुझे याद करो। इनको ही प्राचीन राजयोग कहा जाता है। तुम धन्धे आदि में भी भल रहो, बाल बच्चे आदि भी भल सम्भालो, सिर्फ बुद्धियोग और सबसे हटाकर मेरे साथ लगाओ। यह है सबसे मुख्य बात। |