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माया की धूल जब आंखों में पड़ती है तो सबसे पहली ग़फलत कौन-सी होती है?
- बाप के बच्चे ही बाप की पढ़ाई को छोड़ देते हैं, यह भी वन्डर है। नहीं तो नॉलेज ऐसी है जो अन्दर ही अन्दर खुशी में नाचते रहें
भल तुम यहाँ बैठे हो परन्तु अन्दर में समझते हो, यह हमारा बेहद का बाबा भी है, बेहद का टीचर भी है।
- स्टूडेन्ट की बुद्धि में तो यह होना चाहिए ना।
फिर साथ में जरूर ले जायेंगे।
- बाबा समझाते हैं बच्चों को अन्दर में जरूर आता होगा कि यह हमारा बेहद का बाप भी है, बेहद की शिक्षा भी देते हैं।
रचना के आदि-मध्य-अन्त का राज़ भी बच्चों की बुद्धि में है।
- बाप इस छी-छी दुनिया से हमको वापस ले जायेंगे।
यह भी अन्दर में याद करने से मनमनाभव ही हैं।
- चलते-फिरते उठते-बैठते बुद्धि में यही याद रहे।
- अच्छी रीति पढ़ने से, याद करने से हम विश्व के मालिक बनते हैं।
यह तो जरूर बुद्धि में चलना चाहिए।
- पहले बाप को याद करना पड़े।
टीचर बाद में मिलता है।
- तुमने जन्म-जन्मान्तर भक्ति, जप, तप आदि बहुत किये हैं। मन्दिरों में जाते हैं, भक्ति करते हैं, समझते हैं हम परम्परा से करते आये हैं।
- सतयुग में तो शास्त्र होते ही नहीं।
यह तो हमारा बाबा है।
इनका कोई माँ-बाप है नहीं।
कोई कह नहीं सकते कि शिवबाबा किसी का बच्चा है।
यह बातें बुद्धि में घड़ी-घड़ी याद रहें - यही मनमनाभव है।
- बाबा आकर हमको वह ज्ञान दे रहे हैं।
बाबा राय देते हैं ऐसे-ऐसे अन्दर में चलना चाहिए।
कोई-कोई बच्चों से माया बहुत ग़फलत कराती है।
एकदम जैसे आंखों मे धूल डाल देती है।
पढ़ाई ही छोड़ देते हैं।
- बच्चों को अन्दर में कितनी खुशी रहनी चाहिए। बाप नॉलेज भी हर बात की देते हैं।
- बाप को याद करते-करते हम पावन बन जायेंगे।
नहीं तो फिर सजायें खानी पड़ेंगी। गर्भ जेल में बहुत सजायें खानी पड़ती हैं।
- पढ़ाई छोड़ देते हैं तो बाप को भी भूल जाते हैं। वास्तव में यह भूलने की चीज़ तो है नहीं।
- यह अपना अनुभव भी सुनाते हैं। छोटेपन में ही वैरागी ख्यालात रहते थे।
कहता था दुनिया में तो बहुत दु:ख है।
- यह बड़ी अच्छी खूबसूरत है, बुद्धि में आया ना।
वास्तव में यह ख्याल भी चलना नहीं चाहिए।
- विश्व का मालिक बनने के लिए दूसरा कोई तो ट्राय भी न कर सके।
कोई की भी बुद्धि में न आ सके।
- तुम्हें गृहस्थ में रह पवित्र बनना है, राजाई लेना है।
भक्ति में बहुत टाइम वेस्ट किया है।
- अन्दर में आता है यह तो बड़ी वन्डरफुल नॉलेज है जिससे हम क्या से क्या बन जाते हैं, पत्थरबुद्धि से पारसबुद्धि।
- गुरूओं के लिए कितना अन्दर में रहता है, उनको हीरों में वज़न करते हैं।
- भल कहाँ भी बैठे रहो, बुद्धि में बाप की याद रहे।
- सतयुग में तो कोई याद नहीं करेंगे, 21 जन्मों के लिए बेड़ा पार हो गया तो तुमको कितनी खुशी होनी चाहिए।
- सारा चक्र बुद्धि में है।
ऐसा चक्र तो कोई बना न सके।
- अब पुरानी दुनिया है फिर जरूर नई दुनिया का मालिक बनेगा। चित्र में भी क्लीयर है।
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