"...लौकिक में कोई कितना भी स्नेही हो लेकिन फिर भी सदा साथ नहीं दे सकता।
यह तो स्वप्न मे भी साथ देता है।
ऐसा साथ निभाने वाला साथी मिला है, इसलिए सृष्टि बदल गई।
अभी लौकिक में भी अलौकिक अनुभव करते हो ना!
लौकिक में जो भी सम्बन्ध देखते तो सच्चा सम्बन्ध स्वत: स्मृति में आता, इससे उन आत्माओं को भी शक्ति मिल जाती।
जब बाप सदा साथ है तो बेफकर बादशाह हो।
ठीक होगा या नहीं यह भी सोचने की जरूरत नहीं रहती।
जब बाप साथ है तो सब ठीक ही ठीक है।
तो साथ का अनुभव करते हुए उड़ते चलो।
सोचना भी बाप का काम है, हमारा काम है साथ में मगन रहना। ..."