है ही सीड़ी से उतरना और चढ़ना-यह प्रैक्टिस करो
तो जहाँ पर भी बुद्धि को लगाना चाहता हूँ,
लगती भी है कि नहीं,
वैसे ही जैसे कि पाँव जहाँ भी चलाने चाहो, चलते हैं ना।
इसी प्रकार से आपकी बुद्धि भी पाँव मिसल हो जायेगी।
अब बुद्धि को लौकिक से अलौकिक बातों में परिवर्तन करना है।
तो अवस्था में भी परिवर्तन आ जायेगा। ...”