जितना हर बात में जो स्पष्ट होगा अर्थात् साफ़ होगा उतना सरल होगा।
जितना सरल होगा उतना सरल याद भी होगी।
और दूसरों को भी सरल पुरुषार्थी बना सकेंगे।
जो जैसा स्वयं होता है वैसे ही उनकी रचना में भी वही संस्कार होते हैं तो हरेक को अपना विशेष यादगार देकर जाना है।..."