01 - अपने को आत्मा समझकर बाप को कितना समय याद किया-इस चार्ट रखने में बड़ी विशाल बुद्धि चाहिए।
देही-अभिमानी हो बाप को याद करो तब विकर्म विनाश हों।
02 - अभी तुम्हें बाप को याद करना पड़े।
बाप कहते हैं मैं जो हूँ, जैसा हूँ, यथार्थ रीति मुझे कोई नहीं जानते।
बच्चों में भी नम्बरवार हैं।
बाप को यथार्थ रीति याद करना है।
वह भी इतनी छोटी बिन्दी है, उनमें यह सारा पार्ट भरा हुआ है।
बाप को यथार्थ रीति जानकर याद करना है, अपने को आत्मा समझना है।
03 - अपने शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है।
आत्मा को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है तो यह सिमरण करना है।
04 - सर्व का सद्गति दाता, सर्व का लिबरेटर, पतित-पावन एक बाप गाया हुआ है, उनको याद करते हैं कि हे गॉड फादर रहम करो।
05 - मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और तुम विष्णुपुरी के मालिक बन जायेंगे।
06 - अब राजयोग कौन सिखलावे?
जो कहते हैं मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश हों।
07 - आत्मा को बाबा की स्मृति आई है इसलिए हम बाप को याद करते हैं कि आकर सच्ची-सच्ची कथा सुनाओ नर से नारायण बनने की।
08 - अब आत्माओं को बाप कहते हैं मुझे याद करो।
09 - अपने को आत्मा समझकर बाप को कितना समय याद किया, इस चार्ट रखने में बड़ी विशालबुद्धि चाहिए।
देही-अभिमानी हो बाप को याद करना पड़े तब विकर्म विनाश हों।
नॉलेज तो बड़ी सहज है, बाकी आत्मा समझ बाप को याद करते अपनी उन्नति करनी है।
यह चार्ट कोई बिरले रखते हैं।
देही-अभिमानी हो बाप की याद में रहने से कभी किसको दु:ख नहीं देंगे।
10 - बाप की याद से सब भूत भागेंगे, बड़ी गुप्त मेहनत है।