03.05.1972 "...प्रात: से लेकर रात तक मंसा स्वरूप में अथवा कर्म में सम्पर्क वा एक दो को सहयोग देने में,वा सेवा में
तो अपने आपको देखो कि मैं न्यु-वर्ल्ड-मेकर वा पीस-मेकर, ला-मेकर हूं वा ला-ब्रेकर हूं? जो स्वयं ला-मेकर हैं वही अगर ला को ब्रेक करता है, तो क्या ऐसे को ला-मेकर कहा जा सकता है? ईश्वरीय लाज (कायदे) वा ईश्वरीय नियम क्या हैं, वह सभी स्पष्ट जान गये हो वा अभी जानना है? जानने का अर्थ क्या होता है? जानना अर्थात् चलना। जानने के बाद मानना होता है, मानने के बाद फिर चलना होता है। ..." |