12-01-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - पढ़ाई और दैवी कैरेक्टर्स का रजिस्टर रखो, रोज़ चेक करो कि हमसे कोई भूल तो नहीं हुई

प्रश्‍न:-

तुम बच्चे किस पुरूषार्थ से राजाई का तिलक प्राप्त कर सकते हो?

उत्तर:-

1. सदा आज्ञाकारी रहने का पुरूषार्थ करो।

संगम पर फ़रमानबरदार का टीका दो तो राजाई का तिलक मिल जायेगा।

बेव़फादार अर्थात् आज्ञा को न मानने वाले राजाई का तिलक नहीं प्राप्त कर सकते।

2. कोई भी बीमारी सर्जन से छिपाओ नहीं।

छिपायेंगे तो पद कम हो जायेगा।

बाप जैसा प्यार का सागर बनो तो राजाई का तिलक मिल जायेगा।

  • ओम् शान्ति। रूहानी बाप रूहानी बच्चों को समझा रहे हैं, पढ़ाई माना समझ।
  • तुम बच्चे समझते हो यह पढ़ाई बहुत सहज और बहुत ऊंची है और बहुत ऊंच पद देने वाली है।
  • यह सिर्फ तुम बच्चे ही जानते हो कि यह पढ़ाई हम विश्व का मालिक बनने के लिए पढ़ रहे हैं।
  • तो पढ़ने वालों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • कितनी ऊंची पढ़ाई है!
  • यह वही गीता एपीसोड भी है।
  • संगमयुग भी है।
  • तुम बच्चे अब जगे हो, बाकी सब सोये पड़े हैं।
  • गायन भी है माया की नींद में सोये पड़े हैं।
  • तुमको बाबा ने आकर जगाया है।
  • सिर्फ एक बात पर समझाते हैं - मीठे बच्चे, याद की यात्रा के बल से तुम सारे विश्व पर राज्य करो।
  • जैसे कल्प पहले किया था।
  • यह स्मृति बाप दिलाते हैं।
  • बच्चे भी समझते हैं हमें स्मृति आई - कल्प-कल्प हम इस योगबल से विश्व का मालिक बनते हैं और फिर दैवीगुण भी धारण किये हैं।
  • योग पर ही पूरा ध्यान देना है।
  • इस योगबल से तुम बच्चों में ऑटोमेटिकली दैवीगुण आ जाते हैं।
  • बरोबर यह इम्तहान है ही मनुष्य से देवता बनने का।
  • तुम यहाँ आये हो योगबल से मनुष्य से देवता बनने के लिए।
  • और यह भी जानते हो कि हमारे योगबल से सारा विश्व पवित्र होना है।
  • पवित्र था, अब अपवित्र बना है।
  • सारे चक्र के राज़ को तुम बच्चों ने समझा है और दिल में भी है।
  • भल कोई नया हो तो भी यह बातें बहुत सहज हैं समझने की।
  • तुम देवता पूज्य थे, फिर पुजारी तमोप्रधान बने और कोई ऐसे बतला भी न सके।
  • बाप क्लीयर बताते हैं वह है भक्ति मार्ग, यह है ज्ञान मार्ग।
  • भक्ति पास्ट हो गई।
  • पास्ट की बात चितवो नहीं।
  • वो तो गिरने की बात है।
  • बाप अब चढ़ने की बातें सुना रहे हैं।
  • बच्चे भी जानते हैं - हमको दैवीगुण धारण करने है जरूर।
  • रोज़ चार्ट लिखना चाहिए - हम कितना समय याद में रहते हैं?
  • हमारे से क्या क्या भूलें हुई?
  • भूल की भारी चोट भी लगती है, उस पढ़ाई में भी कैरेक्टर्स देखे जाते हैं।
  • इसमें भी कैरेक्टर देखा जाता है।
  • बाप तो तुम्हारे कल्याण के लिए ही कहते हैं।
  • उसमें भी रजिस्टर रखते हैं - पढ़ाई का और कैरेक्टर का।
  • यहाँ भी बच्चों का दैवी कैरेक्टर बनाना है।
  • भूल न हो, यह सम्भाल करनी है।
  • मेरे से कोई भूल तो नहीं हुई?
  • इसलिए कचहरी भी करते हैं।
  • और कोई स्कूल आदि में कचहरी नहीं होती।
  • अपने दिल से पूछना है।
  • बाप ने समझाया है माया के कारण कुछ-न-कुछ अवज्ञायें होती रहती हैं।
  • शुरू में भी कचहरी होती थी।
  • बच्चे सच बताते थे।
  • बाप समझाते रहते हैं - अगर सच न बताया तो वह भूलें वृद्धि को पाती रहेंगी।
  • उल्टा और भूल का दण्ड मिल जाता है।
  • भूल न बताने से फिर ऩाफरमानबरदार का टीका लग जाता है।
  • फिर राजाई का तिलक मिल न सके।
  • आज्ञा नहीं मानते हैं, बेव़फादार बनते हैं तो राजाई पा नहीं सकते।
  • सर्जन भिन्न-भिन्न प्रकार से समझाते रहते हैं।
  • सर्जन से अगर बीमारी छिपायेंगे तो पद भी कम हो जायेगा।
  • सर्जन को बताने से कोई मार तो नहीं पड़ती है ना।
  • बाप सिर्फ कहेंगे सावधान।
  • फिर अगर ऐसी भूल करेंगे तो नुकसान को पायेंगे।
  • पद बहुत कम हो जायेगा।
  • वहाँ तो नैचुरल दैवी चलन होगी।
  • यहाँ पुरूषार्थ करना है।
  • घड़ी-घड़ी फेल नहीं होना है।
  • बाप कहते हैं - बच्चे, जास्ती भूल न करो।
  • बाप बहुत प्यार का सागर है।
  • बच्चों को भी बनना है।
  • यथा बाप तथा बच्चे।
  • यथा राजा रानी तथा प्रजा।
  • बाबा तो राजा है नहीं।
  • तुम जानते हो बाबा हमको आप समान बनाते हैं।
  • बाप की जो महिमा करते हैं, वह तुम्हारी भी होनी चाहिए।
  • बाबा समान बनना है।
  • माया बड़ी प्रबल है, तुमको रजिस्टर रखने नहीं देती है।
  • माया के फँदे में तो पूरे फँसे हुए हो।
  • माया की जेल से तुम निकल नहीं सकते हो।
  • सच बताते नहीं हो।
  • तो बाप कहते हैं एक्यूरेट याद का चार्ट रखो।
  • सुबह को उठ बाबा को याद करो।
  • बाप की ही महिमा करो।
  • बाबा, आप हमको विश्व का मालिक बनाते हो तो हम आपकी महिमा करेंगे।
  • भक्ति मार्ग में कितनी महिमा गाते हैं, उनको तो कुछ भी पता नहीं।
  • देवताओं की महिमा है नहीं।
  • महिमा है तुम ब्राह्मणों की।
  • सबको सद्गति देने वाला भी एक बाप है।
  • वह क्रियेटर भी है, डायरेक्टर भी है।
  • सर्विस भी करते हैं और बच्चों को समझाते भी हैं।
  • प्रैक्टिकल में कहते हैं।
  • वो तो सिर्फ भगवानुवाच सुनते रहते हैं शास्त्रों से।
  • गीता पढ़ते आते हैं फिर उनसे मिलता क्या है?
  • कितना प्रेम से बैठ पढ़ते हैं, भक्ति करते हैं, पता नहीं पड़ता कि इनसे क्या होगा!
  • यह नहीं जानते कि हम नीचे ही सीढ़ी उतर रहे हैं।
  • दिन-प्रतिदिन तमोप्रधान बनना ही है।
  • ड्रामा में नूँध ही ऐसी है।
  • इस सीढ़ी का राज़ सिवाए बाप के कोई समझा न सके।
  • शिवबाबा ही ब्रह्मा द्वारा समझाते हैं।
  • यह भी इनसे समझकर फिर तुमको समझाते हैं।
  • मूल बड़ा टीचर, बड़ा सर्जन तो बाप ही है।
  • उनको ही याद करना है।
  • ऐसे नहीं कहते कि ब्राह्मणी को याद करो।
  • याद तो एक की रखनी है।
  • कभी भी किसी के साथ मोह नहीं रखना है।
  • एक बाप से ही शिक्षा लेनी है।
  • निर्मोही भी बनना है।
  • इसमें बड़ी मेहनत चाहिए।
  • सारी पुरानी दुनिया से वैराग्य।
  • यह तो ख़त्म हुई पड़ी है।
  • इसमें लव वा आसक्ति कुछ भी नहीं।
  • कितने बड़े-बड़े मकान आदि बनाते रहते हैं।
  • उन्हों को यह भी पता नहीं कि यह पुरानी दुनिया बाकी कितना समय है।
  • तुम बच्चे अब जगे हो औरों को भी जगाते हो।
  • बाप आत्माओं को ही जगाते हैं, घड़ी-घड़ी कहते हैं अपने को आत्मा समझो।
  • शरीर समझते हो तो जैसे सोये पड़े हो।
  • अपने को आत्मा समझो और बाप को भी याद करो।
  • आत्मा पतित है तो शरीर भी पतित मिलता है।
  • आत्मा पावन तो शरीर भी पावन मिलता है।
  • बाप समझाते हैं तुम ही इस देवी-देवता घराने के थे।
  • फिर तुम ही बन जायेंगे।
  • कितना सहज है।
  • ऐसे बेहद के बाप को हम क्यों नहीं याद करेंगे।
  • सुबह उठकर भी बाप को याद करो।
  • बाबा आपकी तो कमाल है, आप हमको कितना ऊंच देवी-देवता बनाकर फिर निर्वाणधाम में बैठ जाते हो।
  • इतना ऊंच तो कोई बना न सके।
  • आप कितना सहज कर बतलाते हो।
  • बाप कहते हैं - जितना टाइम मिले, कामकाज करते हुए भी बाप को याद कर सकते हो।
  • याद ही तुम्हारा बेड़ा पार करने वाली है अर्थात् कलियुग से उस पार शिवालय में ले जाने वाली है।
  • शिवालय को भी याद करना है, शिवबाबा का स्थापन किया हुआ स्वर्ग - तो दोनों की याद आती है।
  • शिवबाबा को याद करने से हम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
  • यह पढ़ाई है ही नई दुनिया के लिए।
  • बाप भी नई दुनिया स्थापन करने आते हैं।
  • जरूर बाप आकर कोई तो कर्तव्य करेंगे ना।
  • तुम देखते भी हो मैं पार्ट बजा रहा हूँ, ड्रामा के प्लैन अनुसार।
  • तुम बच्चों को 5 हज़ार वर्ष पहले वाली याद की यात्रा और आदि-मध्य-अन्त का राज़ बताता हूँ।
  • तुम जानते हो हर 5 हज़ार वर्ष के बाद बाबा हमारे सम्मुख आता है।
  • आत्मा ही बोलती है, शरीर नहीं बोलेगा।
  • बाप बच्चों को शिक्षा देते हैं - आत्मा को ही प्योर बनाना है।
  • आत्मा को एक बार ही प्योर होना होता है।
  • बाबा कहते हैं मैंने अनेक बार तुमको पढ़ाया फिर भी पढ़ाऊंगा।
  • ऐसे कोई सन्यासी कह न सके।
  • बाप ही कहते हैं - बच्चे, मैं ड्रामा के प्लैन अनुसार पढ़ाने आया हूँ।
  • फिर 5 हज़ार वर्ष के बाद ऐसे ही आकर पढ़ाऊंगा, जैसे कल्प पहले तुमको पढ़ाकर राजधानी स्थापन की थी, अनेक बार तुमको पढ़ाकर राजाई स्थापन की है।
  • यह कितनी वण्‍डरफुल बातें बाप समझाते हैं।
  • श्रीमत कितनी श्रेष्ठ है।
  • श्रीमत से ही हम विश्व के मालिक बनते हैं।
  • बहुत-बहुत बड़ा मर्तबा है!
  • कोई को बड़ी लॉटरी मिलती है तो माथा खराब हो जाता है।
  • कोई चलते-चलते होपलेस हो जाते हैं।
  • हम पढ़ नहीं सकते।
  • हम विश्व की बादशाही कैसे लेंगे।
  • तुम बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • बाबा कहते हैं अतीन्द्रिय सुख और खुशी की बातें मेरे बच्चों से पूछो।
  • तुम जाते हो सबको खुशी की बातें सुनाने।
  • तुम ही विश्व के मालिक थे फिर 84 जन्म भोग गुलाम बने हो।
  • गाते भी हैं मैं गुलाम, मैं गुलाम तेरा।
  • समझते हैं अपने को नीच कहना, छोटा होकर चलना अच्छा है।
  • देखो, बाप कौन है!
  • उनको कोई जानते नहीं।
  • उनको भी सिर्फ तुमने जाना है।
  • बाबा कैसे आकर सबको बच्चा-बच्चा कह समझाते हैं।
  • यह आत्मा और परमात्मा का मेला है।
  • उनसे हमको स्वर्ग की बादशाही मिलती है।
  • बाकी गंगा स्नान आदि करने से कोई स्वर्ग की राजाई नहीं मिलती।
  • गंगा स्नान तो बहुत बार किया।
  • यूँ तो पानी सागर से आता है परन्तु यह बरसात कैसे पड़ती है, इनको भी कुदरत कहेंगे।
  • इस समय बाप तुमको सब कुछ समझाते हैं।
  • धारणा भी आत्मा ही करती है, न कि शरीर।
  • तुम फील करते हो बरोबर बाबा ने हमको क्या से क्या बना दिया है!
  • अब बाप कहते हैं - बच्चे, अपने पर रहम करो।
  • कोई अवज्ञा न करो।
  • देह-अभिमानी मत बनो।
  • मुफ्त अपना पद कम कर देंगे।
  • टीचर तो समझायेंगे ना।
  • तुम जानते हो बाप बेहद का टीचर है।
  • दुनिया में कितनी ढेर भाषायें हैं।
  • कोई भी चीज छपती है तो सब भाषाओं में छपानी चाहिए।
  • कोई लिटरेचर छपाते हो तो सबको एक-एक कापी भेज दो।
  • एक-एक कॉपी लाइब्रेरी में भेज देनी चाहिए।
  • खर्चे की बात नहीं।
  • बाबा का भण्डारा बहुत भर जायेगा।
  • पैसा अपने पास रखकर क्या करेंगे।
  • घर तो नहीं ले जायेंगे।
  • अगर कुछ घर ले जायें तो परमात्मा के यज्ञ की चोरी हो जाये।
  • तोबां-तोबां, ऐसी बुद्धि शल किसकी न हो।
  • परमात्मा के यज्ञ की चोरी!
  • उन जैसा महान् पाप आत्मा कोई हो न सके।
  • कितनी अधमगति हो जाती है।
  • बाप कहते हैं यह सब ड्रामा में पार्ट है।
  • तुम राजाई करेंगे वह तुम्हारे सर्वेन्ट बनेंगे।
  • सर्वेन्ट बिगर राजाई कैसे चलेगी!
  • कल्प पहले भी ऐसे ही स्थापना हुई थी।
  • अब बाप कहते हैं - अपना कल्याण करना चाहते हो तो श्रीमत पर चलो।
  • दैवीगुण धारण करो।
  • क्रोध करना दैवीगुण नहीं है।
  • वह आसुरी गुण हो जाता है।
  • कोई क्रोध करे तो चुप कर देना चाहिए।
  • रेसपान्स नहीं करना चाहिए।
  • हर एक की चलन से समझ सकते हैं, अवगुण तो सबमें हैं।
  • जब कोई क्रोध करते हैं तो उनकी शक्ल तांबे जैसी हो जाती है।
  • मुख से बाम चलाते हैं।
  • अपना ही नुकसान कर देते हैं।
  • पद भ्रष्ट हो जायेगा।
  • समझ होनी चाहिए।
  • बाप कहते हैं जो पाप कर्म करते हो, वह लिख दो।
  • बाबा को बताने से माफ हो जायेगा।
  • बोझ हल्का हो जायेगा।
  • जन्म-जन्मान्तर से तुम विकार में जाने लगे हो।
  • इस समय तुम कोई पाप कर्म करेंगे तो सौगुणा हो जायेगा।
  • बाप के आगे भूल की तो सौगुणा दण्ड पड़ जायेगा।
  • किया और बताया नहीं तो और ही वृद्धि हो जायेगी।
  • बाप तो समझायेंगे कि अपने को नुकसान नहीं पहुँचाओ।
  • बाप बच्चों की बुद्धि सालिम (अच्छी) बनाने आये हैं।
  • जानते हैं यह कैसा पद पायेंगे।
  • वह भी 21 जन्मों की बात है।
  • जो सर्विसएबुल बच्चे हैं, उनका स्वभाव बहुत मीठा चाहिए।
  • कोई झट बाप को बतलाते हैं - बाबा यह भूल हुई।
  • बाबा खुश होते हैं।
  • भगवान् खुश हुआ तो और क्या चाहिए।
  • यह तो बाप टीचर गुरू तीनों ही है।
  • नहीं तो तीनों ही नाराज़ होंगे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) श्रीमत पर चल अपनी बुद्धि सालिम (अच्छी) रखनी है।
  • कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है।
  • क्रोध में आकर मुख से बाम नहीं निकालना है, चुप रहना है।
  • 2) दिल से एक बाप की महिमा करनी है।
  • इस पुरानी दुनिया से आसक्ति वा प्यार नहीं रखना है।
  • बेहद का वैरागी और निर्मोही बनना है।
  • वरदान:- (Blessings of 2021)
  • स्लोगन:-
  • सम्पूर्ण सत्यता ही पवित्रता का आधार है।