- ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चे आते हैं बाप से रिफ्रेश होने क्योंकि बच्चे जानते हैं - बेहद के बाप से बेहद विश्व की बादशाही लेनी है।
- यह कभी भूलना नहीं चाहिए परन्तु भूल जाते हैं।
- माया भुला देती है।
- अगर न भुलावे तो बहुत खुशी रहे।
- बाप समझाते हैं - बच्चों, इस बैज को घड़ी-घड़ी देखते रहो।
- चित्रों को भी देखते रहो।
- घूमते-फिरते बैज को देखते रहो तो पता पड़े, बाप द्वारा बाप की याद से हम यह बन रहे हैं।
- दैवीगुण भी धारण करने हैं।
- यही समय है नॉलेज मिलने का।
- बाप कहते हैं मीठे-मीठे बच्चों.. रात-दिन मीठे-मीठे कहते रहते हैं।
- बच्चे नहीं कह सकते - मीठे-मीठे बाबा।
- कहना तो दोनों को चाहिए।
- दोनों ही मीठे हैं ना।
- बेहद के बापदादा।
- परन्तु कई देह-अभिमानी सिर्फ बाबा को मीठा-मीठा कहते हैं।
- कई बच्चे तो गुस्से में आकर फिर कभी बापदादा को भी कुछ कह देते।
- कभी बाप को कहा तो दादा को भी कहा, बात एक ही हो जाती।
- कभी ब्राह्मणी पर, कभी आपस में नाराज़ हो पड़ते हैं।
- तो बेहद का बाप बैठ बच्चों को शिक्षा देते हैं।
- गांव-गांव में बच्चे तो बहुत हैं, सबको लिखते रहते हैं।
- तुम्हारी रिपोर्ट आती है, तुम गुस्सा करते हो।
- बेहद का बाप इसको देह-अभिमान कहेंगे।
- बाप सबको कहते हैं - बच्चों, देही-अभिमानी भव।
- सब बच्चे नीचे-ऊपर होते रहते हैं, इसमें भी माया जिसको समर्थ पहलवान देखती है, उनसे ही लड़ाई करती है।
- महावीर, हनुमान के लिए दिखाया है कि उनको भी हिलाने की कोशिश की।
- इस समय ही सबकी परीक्षा लेती है।
- माया से हार-जीत सबकी होती रहती है।
- लड़ाई में स्मृति-विस्मृति सब होता है।
- जो जितना स्मृति में रहते हैं, निरन्तर बाप को याद करने की कोशिश करते हैं वह अच्छा पद पा सकते हैं।
- बाप आये हैं बच्चों को पढ़ाने, सो तो पढ़ाते रहते हैं।
- श्रीमत पर चलते रहना है।
- श्रीमत पर चलने से ही श्रेष्ठ बनेंगे, इसमें कोई से बिगड़ने की बात ही नहीं।
- बिगड़ना माना क्रोध करना।
- भूल आदि करते हैं तो बाबा के पास रिपोर्ट करनी है।
- खुद किसको नहीं कहना चाहिए फिर जैसेकि लॉ हाथ में ले लिया।
- गवर्मेन्ट लॉ हाथ में उठाने नहीं देती।
- कोई ने घूँसा मारा तो उनको घूँसा नहीं मारेंगे।
- रिपोर्ट करेंगे फिर उनका केस होगा।
- यहाँ भी बच्चों को कभी सामने कुछ नहीं कहना चाहिए, बाबा को बोलो।
- सबको सावधानी देने वाला एक बाबा है।
- बाबा युक्ति बहुत मीठी बतायेंगे।
- मीठेपन से शिक्षा देंगे।
- देह-अभिमानी बनने से अपना ही पद कम कर देते हैं। घाटा क्यों डालना चाहिए।
- जितना हो सके बाबा को बहुत प्यार से याद करते रहो।
- बेहद के बाप को बहुत प्यार से याद करो, जो बाप विश्व की बादशाही देते हैं।
- सिर्फ दैवीगुण धारण करने हैं।
- किसकी भी निंदा नहीं करनी है।
- देवतायें किसकी निंदा करते हैं क्या?
- कई बच्चे तो निंदा करने के बिगर रहते नहीं।
- तुम बाप को बोलो, तो बाप बहुत प्यार से समझायेंगे!
- नहीं तो टाइम वेस्ट होता है।
- निंदा करने से तो बाप को याद करो तो बहुत-बहुत फ़ायदा होगा।
- कोई से भी वाद-विवाद न करना बहुत अच्छा है।
- तुम बच्चे दिल में समझते हो - हम नई दुनिया की बादशाही स्थापन कर रहे हैं।
- अन्दर में कितना फ़खुर रहना चाहिए।
- मुख्य है ही याद और दैवीगुण।
- बच्चे चक्र को याद करते ही हैं, वह तो सहज याद पड़ेगा।
- 84 का चक्र है ना।
- तुमको सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त, ड्युरेशन का पता है, फिर औरों को भी बहुत प्यार से परिचय देना है।
- बेहद का बाप हमको विश्व का मालिक बना रहे हैं।
- राजयोग सिखला रहे हैं।
- विनाश भी सामने खड़ा है।
- है भी संगमयुग, जबकि नई दुनिया स्थापन होती है और पुरानी दुनिया खलास होती है।
- बाप बच्चों को सावधान करते रहते हैं - सिमर-सिमर सुख पाओ, कलह क्लेष मिटे सब तन के...।
- आधाकल्प के लिए मिट जायेंगे।
- बाप सुखधाम स्थापन करते हैं।
- माया रावण फिर दु:खधाम स्थापन करते हैं।
- यह भी तुम बच्चे जानते हो - नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार।
- बाप का बच्चों में कितना लव होता है।
- शुरू से बाप का लव है।
- बाप को मालूम है, मैं जानता हूँ - बच्चे जो काम चिता पर काले हो गये हैं, उन्हों को गोरा बनाने जाता हूँ।
- बाप तो नॉलेजफुल है, बच्चे धीरे-धीरे नॉलेज लेते हैं।
- माया फिर भुला देती है।
- खुशी आने नहीं देती।
- बच्चों को तो दिन-प्रतिदिन खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए।
- सतयुग में पारा चढ़ा हुआ था।
- अब फिर चढ़ाना है याद की यात्रा से।
- वह धीरे-धीरे चढ़ेगा।
- हार-जीत होते-होते फिर नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार कल्प पहले मिसल अपना पद पा लेंगे।
- बाकी टाइम तो वही लगता है जो कल्प-कल्प लगता है।
- पास भी वही होंगे जो कल्प-कल्प होते होंगे।
- बापदादा साक्षी हो बच्चों की अवस्था को देखते हैं और समझानी देते रहते हैं।
- बाहर सेन्टर्स आदि पर रहते हैं तो इतना रिफ्रेश नहीं रहते हैं।
- सेन्टर से होकर फिर बाहर के वायुमण्डल में चले जाते हैं, इसलिए यहाँ बच्चे आते ही हैं रिफ्रेश होने के लिए।
- बाप लिखते भी हैं - परिवार सहित सबको याद-प्यार देना।
- वह है हद का बाप, यह है बेहद का बाप।
- बाप और दादा दोनों का बहुत लव है क्योंकि कल्प-कल्प लवली सर्विस करते हैं और बहुत प्यार से करते हैं।
- अन्दर तरस पड़ता है।
- नहीं पढ़ते हैं या चलन अच्छी नहीं चलते हैं, श्रीमत पर नहीं चलते हैं तो तरस पड़ता है - यह कम पद पायेंगे।
- और बाबा क्या कर सकते हैं!
- वहाँ और यहाँ रहने में बहुत फ़र्क है।
- परन्तु सब तो यहाँ नहीं रह सकते हैं।
- बच्चे वृद्धि को पाते रहते हैं।
- प्रबन्ध भी करते रहते हैं।
- यह भी बाबा ने समझाया है - यह आबू सबसे भारी तीर्थ है।
- बाप कहते हैं मैं यहाँ ही आकर सारी सृष्टि को, 5 तत्वों सहित सबको पवित्र बनाता हूँ।
- कितनी सेवा है।
- एक ही बाप है जो आकर सर्व की सद्गति करते हैं।
- सो भी अनेक बार किया है।
- यह जानते हुए भी फिर भूल जाते हैं - तब बाप कहते हैं माया बड़ी जबरदस्त है।
- आधाकल्प इनका राज्य चलता है।
- माया हराती है फिर बाप खड़ा करते हैं।
- बहुत लिखते हैं बाबा हम गिर गया।
- अच्छा फिर नहीं गिरना।
- फिर भी गिर पड़ते हैं।
- गिरते हैं तो फिर चढ़ना ही छोड़ देते हैं।
- कितनी चोट लग जाती है। सबको लगती है।
- सारा मदार है पढ़ाई पर। पढ़ाई में योग है ही।
- फलाना मुझे यह पढ़ा रहे हैं।
- अब तुम समझते हो बाप हमको पढ़ा रहे हैं।
- यहाँ तुम बहुत रिफ्रेश होते हो।
- गायन भी है निंदा हमारी जो करे मित्र हमारा सो।
- भगवानुवाच - मेरी ग्लानि बहुत करते हैं। मैं आकर मित्र बनता हूँ।
- कितनी निंदा करते हैं, मैं तो समझता हूँ सब हमारे बच्चे हैं।
- कितनी मेरी प्रीत है इनके साथ।
- निंदा करना अच्छा नहीं है।
- इस समय तो बहुत खबरदारी रखनी चाहिए।
- भिन्न-भिन्न अवस्थाओं वाले बच्चे हैं, सब पुरुषार्थ करते रहते हैं।
- कोई भूल भी होती है तो पुरुषार्थ कर अभुल बनना है।
- माया सबसे भूलें कराती है। बॉक्सिंग हैं ना।
- कोई समय ऐसी चोट लगती है जो गिरा देती है।
- बाप सावधानी देते हैं - बच्चे, ऐसे हारने से की कमाई चट हो जायेगी।
- 5 मंजिल से गिर पड़ते हैं।
- कहते हैं बाबा ऐसी भूल फिर कभी नहीं होगी।
- अब क्षमा करो।
- बाबा क्षमा क्या करेंगे।
- बाप तो कहते हैं पुरुषार्थ करो।
- बाबा जानते हैं माया बहुत प्रबल है।
- बहुतों को हरायेगी।
- टीचर का काम है भूल पर शिक्षा दे अभुल बनाना।
- ऐसे नहीं कि किसी ने भूल की तो हमेशा उनकी वह होती रहेगी।
- नहीं, अच्छे गुण गाये जाते हैं।
- भूल नहीं गाई जाती है।
- अविनाशी वैद्य तो एक ही बाप है।
- वह दवाई करेंगे।
- तुम बच्चे क्यों अपने हाथ में लॉ उठाते हो।
- जिसमें क्रोध का अंश होगा वह ग्लानि ही करते रहेंगे।
- सुधारना बाप का काम है, तुम सुधारने वाले थोड़ेही हो।
- कोई में क्रोध का भूत है।
- खुद बैठ किसकी ग्लानि करते हैं तो गोया अपने हाथ में लॉ उठाया, इससे वह सुधरेंगे नहीं।
- और ही अनबन हो जायेगी। लूनपानी हो जायेंगे।
- सब बच्चों के लिए एक बाप बैठा है।
- लॉ अपने हाथ में उठाए किसकी ग्लानि करना, यह भारी भूल है।
- कोई न कोई खराबी तो सबमें होती है।
- सब सम्पूर्ण तो नहीं बने हैं।
- कोई में क्या अवगुण है, कोई में क्या है।
- वह सब निकालने का कान्ट्रैक्ट बाप ने उठाया है।
- यह तुम्हारा काम नहीं।
- बच्चों की खामियां बाप सुनते हैं तो वह निकालने लिए प्यार से समझानी दी जाती है।
- अभी तक सम्पूर्ण कोई बना नहीं है।
- सब श्रीमत पर सुधर रहे हैं। सम्पूर्ण तो अन्त में बनना है।
- इस समय सब पुरुषार्थी हैं।
- बाबा सदैव अडोल रहते हैं।
- बच्चों को प्यार से शिक्षा देते रहते हैं।
- शिक्षा देना बाप का काम है।
- फिर उस पर चले न चलें, वह हुई उसकी तकदीर।
- कितना पद कम हो पड़ता है।
- श्रीमत पर न चलने कारण कुछ भी ऐसा करने से पद भ्रष्ट हो जायेगा।
- दिल अन्दर खायेगा, हमने यह भूल की है।
- हमको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
- किसका भी अवगुण है तो वह बाप को सुनाना है।
- दर-दर सुनाना यह देह-अभिमान है।
- बाप को याद नहीं करते हैं।
- अव्यभिचारी बनना चाहिए ना।
- एक को सुनायेंगे तो वह झट सुधर जायेंगे।
- सुधारने वाला एक ही बाप है।
- बाकी तो सब हैं अनसुधरे।
- परन्तु माया ऐसी है - माथा फिरा देती है।
- बाप एक तरफ मुँह करते हैं, माया फिर घुमाकर अपने तरफ कर लेती है।
- बाप आये ही हैं सुधार कर मनुष्य से देवता बनाने।
- बाकी दर-दर किसका नाम बदनाम करना यह बेकायदे है।
- तुम शिवबाबा को याद करो।
- जजमेंट भी उनके पास होती है ना।
- कर्मों का फल भी बाप देते हैं।
- भल ड्रामा में है परन्तु किसका नाम तो लिया जाता है ना।
- बाप तो बच्चों को सब बातें समझाते रहते हैं।
- तुम कितने भाग्यशाली हो।
- कितने मेहमान आते हैं।
- जिनके पास बहुत मेहमान आते हैं, वह खुश होते हैं।
- यह बच्चे भी हैं, तो मेहमान भी हैं।
- टीचर की बुद्धि में तो यही रहता है - मैं बच्चों को इन जैसा सर्वगुण सम्पन्न बनाऊं।
- यह कॉन्ट्रैक्ट बाप ने उठाया है, ड्रामा के प्लैन अनुसार।
- बच्चों को मुरली भी कभी मिस नहीं करनी चाहिए।
- मुरली का ही तो गायन है ना - एक भी मुरली मिस की तो जैसे स्कूल में अबसेन्ट पड़ गई।
- यह है बेहद के बाप का स्कूल, इसमें तो एक दिन भी मिस नहीं करना चाहिए।
- बाप आकर पढ़ाते हैं, दुनिया में किसको मालूम थोड़ेही है।
- स्वर्ग की स्थापना कैसे होती है, यह भी कोई नहीं जानते हैं।
- तुम सब कुछ जानते हो।
- यह पढ़ाई बहुत-बहुत अथाह कमाई की है।
- जन्म-जन्मान्तर के लिए इस पढ़ाई का फल मिल जाता है।
- विनाश का सारा तैलुक तुम्हारी पढ़ाई से है।
- तुम्हारी पढ़ाई पूरी होगी और यह लड़ाई शुरू होगी।
- पढ़ते-पढ़ते बाप को याद करते जब मार्क्स पूरी हो जाती है, इम्तहान हो जाता है तब लड़ाई लगती है।
- तुम्हारी पढ़ाई पूरी हुई तो लड़ाई लगेगी।
- यह नई दुनिया के लिए बिल्कुल नया ज्ञान है इसलिए मनुष्य बिचारे मूँझते हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) किसी के अवगुण देख उसकी निंदा नहीं करना है।
- जगह-जगह पर उसके अवगुण नहीं सुनाने हैं।
- अपना मीठापन नहीं छोड़ना है।
- क्रोध में आकर किसी का सामना नहीं करना है।
- 2) सबको सुधारने वाला एक बाप है, इसलिए एक बाप को ही सब सुनाना है, अव्यभिचारी बनना है।
- मुरली कभी भी मिस नहीं करनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- देह-अभिमान के मैं पन की सम्पूर्ण आहुति डालने वाले धारणा स्वरूप भव
- जब संकल्प और स्वप्न में भी देह-अभिमान का मैं पन न हो, अनादि आत्मिक स्वरूप की स्मृति हो।
- बाबा-बाबा का अनहद शब्द निकलता रहे तब कहेंगे धारणा स्वरूप, सच्चे ब्राह्मण।
- मैं पन अर्थात् पुराने स्वभाव, संस्कार रूपी सृष्टि को जब आप ब्राह्मण इस महायज्ञ में स्वाहा करेंगे तब इस पुरानी सृष्टि की आहुति पड़ेगी।
- तो जैसे यज्ञ रचने के निमित्त बने हो, ऐसे अब अन्तिम आहुति डाल समाप्ति के भी निमित्त बनो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- स्वयं से, सेवा से और सर्व से सन्तुष्टता का सर्टीफिकेट लेना ही सिद्धि स्वरूप बनना है।
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