- ओम् शान्ति। रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं।
- तुम इस पाठशाला में बैठ ऊंच दर्जा पाते हो।
- दिल में समझते हो हम बहुत ऊंच ते ऊंच स्वर्ग का पद पाते हैं।
- ऐसे बच्चों को तो खुशी बहुत होनी चाहिए।
- अगर सबको निश्चय है तो सब एक जैसे तो हो न सकें।
- फर्स्ट से लास्ट नम्बर तक तो होते ही हैं।
- पेपर्स में भी फर्स्ट से लास्ट नम्बर तक नम्बर होते हैं।
- कोई फेल भी होंगे, तो कोई पास भी होते होंगे।
- तो हर एक अपनी दिल से पूछे - बाबा जो हमको इतना ऊंच बनाते हैं, मैं कहाँ तक लायक बना हूँ?
- फलाने से अच्छा हूँ वा कम हूँ?
- यह पढ़ाई है ना।
- देखने में भी आता है, जो कोई सब्जेक्ट में कमज़ोर होते हैं तो नीचे चले जाते हैं।
- भल मॉनीटर होगा तो भी कोई सब्जेक्ट में कम होगा तो नीचे चला जायेगा।
- बिरला ही कोई स्कॉलरशिप लेते हैं।
- यह भी स्कूल है।
- तुम जानते हो हम सब पढ़ रहे हैं, इसमें पहली-पहली बात है पवित्रता की।
- बाप को बुलाया है ना - पवित्र बनने के लिए।
- अगर क्रिमिनल आई काम करती होगी तो खुद फील करते होंगे।
- बाबा को लिखते भी हैं, बाबा हम इस सब्जेक्ट में कम हैं।
- स्टूडेन्ट की बुद्धि में यह जरूर रहता है - हम फलानी सब्जेक्ट में बहुत-बहुत कम हूँ।
- कोई ऐसे भी समझते हैं हम फेल होंगे। इसमें पहले नम्बर की सब्जेक्ट है - पवित्रता।
- बहुत लिखते हैं बाबा हमने हार खाई, तो उसको क्या कहेंगे?
- उनकी दिल समझती होगी - अब मैं चढ़ नहीं सकूँगा।
- तुम पवित्र दुनिया स्थापन करते हो ना।
- तुम्हारी एम ऑब्जेक्ट ही यह है।
- बाप कहते हैं - बच्चों, मामेकम् याद करो और पवित्र बनो तो इन लक्ष्मी-नारायण के घराने में जा सकते हो।
- टीचर तो समझते होंगे यह इतना ऊंच पद पा सकेंगे वा नहीं?
- वह है सुप्रीम टीचर।
- यह दादा भी स्कूल तो पढ़ा हुआ है ना।
- कोई-कोई छोकरे (लड़के) भी ऐसे खराब काम करते हैं जो आखिर मास्टर को सज़ा देनी पड़ती है।
- आगे बहुत जोर से सज़ायें देते थे।
- अभी सज़ा आदि कम कर दी है तो स्टूडेन्ट्स और ही जास्ती बिगड़ते हैं। आजकल स्टूडेन्ट कितना हंगामा करते हैं।
- स्टूडेन्ट को न्यु ब्लड कहते हैं ना।
- वह देखो क्या करते हैं!
- आग लगा देते हैं, अपनी जवानी दिखलाते हैं।
- यह है ही आसुरी दुनिया।
- जवान लड़के ही बहुत खराब होते हैं, उनकी आंखें बहुत क्रिमिनल होती हैं।
- देखने में तो बड़े अच्छे आते हैं।
- जैसे कहा जाता है ना - ईश्वर का अन्त नहीं पाया जाता, ऐसे उनका भी अन्त नहीं पाया जाता, कि यह किस प्रकार का मनुष्य है।
- हाँ, ज्ञान का बुद्धि से पता पड़ता है, यह कैसे पढ़ता है, इनकी एक्टिविटी कैसी है।
- कोई तो बात करते हैं जैसे मुख से फूल निकलते हैं, कोई तो ऐसी बात करते जैसे पत्थर निकालते हैं।
- देखने में बहुत अच्छे, प्वाइंट्स आदि भी लिखते हैं परन्तु हैं पत्थरबुद्धि।
- बाहर का शो है।
- माया बड़ी दुश्तर है इसलिए गायन है आश्चर्यवत् सुनन्ती, अपने को शिवबाबा की सन्तान कहलावन्ती, औरों को सुनावन्ती, कथन्ती फिर भागन्ती अर्थात् ट्रेटर बनन्ती।
- ऐसे नहीं, होशियार ट्रेटर नहीं बनते हैं, अच्छे-अच्छे होशियार भी ट्रेटर बन पड़ते हैं।
- उस सेना में भी ऐसे होता है।
- ऐरोप्लेन सहित ही दूसरे देश में चले जाते हैं।
- यहाँ भी ऐसे होता है, स्थापना में बड़ी मेहनत लगती है।
- बच्चों को भी पढ़ाई में मेहनत, टीचर को भी पढ़ाने में मेहनत होती है।
- देखा जाता है यह सबको डिस्टर्ब करते हैं, पढ़ते नहीं हैं तो स्कूलों में हन्टर लगाते हैं।
- यह तो बाप है, बाप कुछ भी नहीं कहते हैं।
- बाप के पास यह कानून नहीं है, यहाँ तो बिल्कुल शान्त रहना होता है।
- बाप तो सुखदाता, प्यार का सागर है।
- तो बच्चों की चलन भी ऐसी होनी चाहिए ना, जैसे देवतायें होते हैं।
- तुम बच्चों को बाबा सदैव कहते हैं तुम पद्मापद्म भाग्यशाली हो।
- परन्तु पद्मापद्म दुर्भाग्यशाली भी बनते हैं।
- जो फेल होते हैं उनको तो दुर्भाग्यशली कहेंगे ना।
- बाबा जानते हैं - अन्त तक यह होता रहता है।
- कोई न कोई महान् दुर्भाग्यशाली भी जरूर बनते हैं।
- चलन ऐसी होती है समझा जाता है यह ठहर नहीं सकेंगे।
- इतना ऊंच बनने लायक नहीं है, सबको दु:ख देते रहते हैं।
- सुख देना जानते ही नहीं तो उनकी हालत क्या होगी!
- बाबा सदैव कहते हैं - बच्चे, अपनी अच्छी रीति सम्भाल करो, यह भी ड्रामा अनुसार होने का है, और ही लोहे से भी बदतर बन जाते हैं।
- सो भी अच्छे-अच्छे कभी चिट्ठी भी नहीं लिखते हैं।
- बिचारों का क्या हाल होगा!
- बाप कहते हैं - मैं आया हूँ सर्व का कल्याण करने।
- आज सर्व की सद्गति करता हूँ, कल फिर दुर्गति हो जाती है।
- तुम कहेंगे हम कल विश्व के मालिक थे, आज गुलाम बन गये हैं।
- अभी सारा झाड़ तुम बच्चों की बुद्धि में है।
- यह वण्डरफुल झाड़ है।
- मनुष्यों को यह भी पता नहीं है।
- अभी तुम जानते हो कल्प माना पूरे 5 हज़ार वर्ष का एक्यूरेट झाड़ है।
- एक सेकेण्ड का भी फ़र्क नहीं पड़ सकता।
- इस बेहद के झाड़ की तुम बच्चों को अभी नॉलेज मिल रही है।
- नॉलेज देने वाला है वृक्षपति।
- बीज कितना छोटा होता है, उनसे फल देखो कितना बड़ा निकलता है।
- यह फिर है वण्डरफुल झाड़, इनका बीज बहुत छोटा है।
- आत्मा कितनी छोटी है।
- बाप भी बहुत छोटा, इन आंखों से देख भी नहीं सकते।
- भल विवेकानंद का बतलाते हैं - उसने कहा ज्योति उनसे निकल मेरे में समा गई।
- ऐसी कोई ज्योति निकलकर फिर समा थोड़ेही सकती है।
- क्या निकला?
- यह समझते नहीं।
- ऐसे-ऐसे साक्षात्कार तो बहुत होते हैं, परन्तु वो लोग मान देते हैं, फिर महिमा भी लिखते हैं।
- भगवानुवाच - कोई भी मनुष्य की महिमा है नहीं।
- महिमा है तो सिर्फ देवताओं की है और जो ऐसा देवता बनाने वाला है उसकी महिमा है।
- बाबा ने कार्ड बहुत अच्छा बनाया था।
- जयन्ती मनाना हो तो एक शिवबाबा की।
- इन (लक्ष्मी-नारायण) को भी ऐसा बनाने वाला तो शिवबाबा है ना।
- बस एक की ही महिमा है, उस एक को ही याद करो।
- यह खुद कहते हैं ऊंच ते ऊंच बनता हूँ फिर नीचे भी उतरता हूँ।
- यह किसको पता नहीं है - ऊंच ते ऊंच लक्ष्मी-नारायण ही फिर 84 जन्मों के बाद नीचे उतरते हैं, तत् त्वम्।
- तुम ही विश्व के मालिक थे, फिर क्या बन गये!
- सतयुग में कौन थे?
- तुम ही सब थे, नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
- राजा-रानी भी थे, सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी डिनायस्टी के भी थे।
- बाबा कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- इस सृष्टि चक्र का ज्ञान तुम बच्चों की बुद्धि में चलते-फिरते रहना चाहिए।
- तुम चैतन्य लाइट हाउस हो।
- सारी पढ़ाई बुद्धि में रहनी चाहिए।
- परन्तु वह अवस्था हुई नहीं है, होने की है।
- जो पास विद् ऑनर होंगे उनकी यह अवस्था होगी।
- सारा ज्ञान बुद्धि में होगा।
- बाप के लाडले, लवली बच्चे भी तब कहलायेंगे।
- ऐसे बच्चों पर बाप स्वर्ग की राजाई कुर्बान करते हैं।
- कहते हैं मैं राजाई नहीं करता हूँ, तुमको देता हूँ, इसको निष्काम सेवा कहा जाता है।
- बच्चे जानते हैं बाबा हमको सिर के ऊपर चढ़ाते हैं, तो ऐसे बाप को कितना याद करना चाहिए।
- यह भी ड्रामा बना हुआ है।
- बाप संगम पर आकर सबको सद्गति देते हैं, नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
- नम्बरवन हाइएस्ट बिल्कुल पवित्र, नम्बर लास्ट बिल्कुल अपवित्र।
- याद-प्यार तो बाबा सबको देते हैं।
- बाबा कितना अच्छी रीति समझाते हैं, कभी भी मिथ्या अहंकार नहीं आना चाहिए।
- बाप कहते हैं - खबरदार रहना है, रथ का भी रिगार्ड रखना है।
- इस द्वारा ही तो बाप सुनाते हैं ना।
- इसने तो कभी गाली नहीं खाई थी। सब प्यार करते थे।
- अभी तो देखो कितनी गाली खाते हैं।
- कई ट्रेटर बन भागन्ती हो गये तो फिर उनकी गति क्या होगी, फेल होंगे ना!
- बाप समझाते हैं माया ऐसी है इसलिए बहुत खबरदारी रखते रहो।
- माया किसको भी छोड़ती नहीं है।
- सब प्रकार की आग लगा देती है।
- बाप कहते हैं मेरे सब बच्चे काम चिता पर चढ़ काले कोयले बन गये हैं।
- सब तो एक जैसे नहीं होते हैं।
- न सबका एक जैसा पार्ट है।
- इनका नाम ही है वेश्यालय, कितना बार काम चिता पर चढ़े होंगे।
- रावण कितना जबरदस्त है, बुद्धि को ही पतित बना देता है।
- यहाँ आकर बाप से शिक्षा लेने वाले भी ऐसे बन जाते हैं।
- बाप की याद बिगर क्रिमिनल आंखें कभी बदल नहीं सकती इसलिए सूरदास की कहानी है।
- है तो बनाई हुई बात, दृष्टान्त भी देते हैं।
- अभी तुम बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिलता है।
- अज्ञान माना अन्धियारा।
- कहते हैं ना तुम तो अन्धे, अज्ञानी हो।
- अब ज्ञान है गुप्त, इसमें कुछ बोलने का नहीं है।
- एक सेकेण्ड में सारा ज्ञान आ जाता है, सबसे इजी ज्ञान है।
- फिर भी अन्त तक माया की परीक्षा चलती रहेगी।
- इस समय तो तूफान के बीच में हैं, पक्के हो जायेंगे फिर इतना तूफान नहीं आयेंगे, गिरेंगे नहीं।
- फिर देखना तुम्हारा झाड़ कितना बढ़ता है।
- नामाचार तो होना ही है।
- झाड़ तो बढ़ता ही है।
- थोड़ा विनाश होगा तब फिर बहुत खबरदार रहेंगे।
- फिर बाप की याद में एकदम चटक जायेंगे।
- समझेंगे टाइम बहुत थोड़ा है।
- बाप तो बहुत अच्छा समझाते हैं - आपस में बहुत प्यार से चलो।
- आंख नहीं दिखाओ।
- क्रोध का भूत आने से शक्ल ही एकदम बदल जाती है।
- तुमको तो लक्ष्मी-नारायण जैसी शक्ल वाला बनना है।
- एम आब्जेक्ट सामने है।
- साक्षात्कार पिछाड़ी को होता है, जब ट्रांसफर होते हैं।
- जैसे शुरू में साक्षात्कार हुए ऐसे अन्त समय में भी बहुत पार्ट देखेंगे।
- तुम बहुत खुश रहेंगे।
- मिरूआ मौत मलूका शिकार.. पिछाड़ी में बहुत सीन-सीनरी देखनी है तब तो फिर पछतायेंगे भी ना - हमने यह किया।
- फिर उनकी सज़ा भी बहुत कड़ी मिलती है।
- बाप आकर पढ़ाते हैं, उनकी भी इज्ज़त नहीं रखते तो सज़ा मिलेगी।
- सबसे कड़ी सज़ा उनको मिलेगी जो विकार में जाते हैं या शिवबाबा की बहुत ग्लानि कराने के निमित्त बनते हैं।
- माया बड़ी जबरदस्त है।
- स्थापना में क्या-क्या होता है।
- तुम तो अभी देवता बनते हो ना।
- सतयुग में असुर आदि होते नहीं।
- यह संगम की ही बात है।
- यहाँ विकारी मनुष्य कितना दु:ख देते हैं, बच्चियों को मारते हैं, शादी जरूर करो।
- स्त्री को विकार के लिए कितना मारते हैं, कितना सामना करते हैं।
- कहते हैं संन्यासी भी रह न सके, यह फिर कौन है जो पवित्र रह दिखाते हैं।
- आगे चल समझेंगे भी जरूर।
- सिवाए पवित्रता के देवता तो बन नहीं सकते।
- तुम समझाते हो - हमको इतनी प्राप्ति होती है तब छोड़ा है। भगवानुवाच - काम जीते जगतजीत।
- ऐसा लक्ष्मी-नारायण बनेंगे तो क्यों नहीं पवित्र बनेंगे।
- फिर माया भी बहुत पछाड़ती है। ऊंची पढ़ाई है ना।
- बाप आकर पढ़ाते हैं - यह सिमरण अच्छी रीति बच्चे नहीं करते हैं तो फिर माया थप्पड़ लगा देती है।
- माया अवज्ञायें भी बहुत कराती है फिर उनका क्या हाल होगा।
- माया ऐसा बेपरवाह बना देती है, अहंकार में ले आती है बात मत पूछो।
- नम्बरवार राजधानी बनती है तो कोई कारण से बनेंगी ना।
- अभी तुमको पास्ट, प्रेजन्ट, फ्युचर का ज्ञान मिलता है तो कितना अच्छी रीति ध्यान देना चाहिए।
- अहंकार आया यह मरा।
- माया एकदम वर्थ नाट ए पेनी बना देती है।
- बाप की अवज्ञा हुई तो फिर बाप को याद कर नहीं सकते।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) आपस में बहुत प्यार से चलना है।
- कभी भी क्रोध में आकर एक-दो को आंख नहीं दिखानी है।
- बाप की अवज्ञा नहीं करनी है।
- 2) पास विद् ऑनर बनने के लिए पढ़ाई बुद्धि में रखनी है।
- चैतन्य लाइट हाउस बनना है।
- दिन-रात बुद्धि में ज्ञान घूमता रहे।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य के नशे और खुशी में रहने वाले पदमापदम भाग्यशाली भव
- सारे विश्व में जो भी धर्म पितायें वा जगद्गुरू कहलाने वाले बने हैं किसी को भी मात-पिता के सम्बन्ध से अलौकिक जन्म और पालना प्राप्त नहीं होती है।
- वे अलौकिक मात-पिता का अनुभव स्वप्न में भी नहीं कर सकते और आप पदमापदमपति श्रेष्ठ आत्मायें हर रोज़ मात-पिता की वा सर्व सम्बन्धों की यादप्यार लेने के पात्र हो।
- स्वयं सर्वशक्तिमान बाप आप बच्चों का सेवक बन हर कदम में साथ निभाता है - तो इसी श्रेष्ठ भाग्य के नशे और खुशी में रहो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- तन और मन को सदा खुश रखने के लिए खुशी के ही समर्थ संकल्प करो।
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