मीठे बच्चे - ज्ञान सागर बाप द्वारा तुम मास्टर ज्ञान सागर बने हो, तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, इसलिए तुम हो त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी और त्रिलोकीनाथ
क्योंकि तुम्हें ही सुप्रीम रूह (शिवबाबा) की शक्ति मिलती है।
पहले तुम आत्माओं को सुप्रीम रूह द्वारा ज्ञान का इन्जेक्शन लगता है, जिससे तुम 5 विकारों पर स्वयं भी विजय प्राप्त करते और दूसरों को भी कराते हो।
ऐसी सेवा और कोई कर न सके।
कल्प-कल्प तुम बच्चे ही यह रूहानी सेवा करते हो।
ओम् शान्ति। बाप की याद में बैठना है और कोई भी देहधारी की याद में नहीं बैठना है।
नये-नये जो आते हैं बाप को तो जानते ही नहीं हैं।
उनका नाम तो बड़ा सहज है शिवबाबा।
बाप को बच्चे नहीं जानते, कितना वण्डर है।
शिवबाबा ऊंच ते ऊंच, सर्व का सद्गति दाता है।
सर्व पतितों का पावन कर्ता, सर्व का दु:ख हर्ता भी कहते हैं परन्तु वह कौन है, यह कोई नहीं जानते, सिवाए तुम बी.के. के। तुम हो उनके पोत्रे पोत्रियाँ।
सो तो जरूर अपने बाप और उनकी रचना के आदि-मध्य-अन्त को जानेंगे।
बाप द्वारा बच्चे ही सब कुछ जान जाते हैं।
यह है ही पतित दुनिया।
सर्व कलियुगी पतितों को सतयुगी पावन कैसे बनाते हैं सो तो बी.के. के सिवाए दुनिया में कोई नहीं जानते।
कलियुगी दुर्गति से निकालने वाला सतयुगी सद्गति दाता बाप ही है।
शिव जयन्ती भी भारत में ही होती है।
जरूर वह आते हैं परन्तु भारत को क्या आकर देते हैं, यह भारतवासी नहीं जानते।
हर वर्ष शिव जयन्ती मनाते हैं परन्तु ज्ञान का तीसरा नेत्र नहीं है इसलिए बाप को नहीं जानते।
गीत:- नयनहीन को राह दिखाओ...