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ओम् शान्ति। बाप सभी बच्चों को पहले-पहले तो यहाँ बैठ करके लक्ष्य में टिकने के लिए दृष्टि देते हैं कि जैसे मैं शिवबाबा की याद में बैठा हूँ, तुम भी शिवबाबा की याद में बैठो।
- प्रश्न उठता है कि जो सामने बैठे हैं नेष्ठा कराने के लिए, वह सारा समय शिवबाबा की याद में रहते हैं?
- जो औरों को भी कशिश हो।
- याद में रहने से बहुत शान्ति में रहेंगे।
- अशरीरी हो शिवबाबा की याद में रहेंगे तो औरों को भी शान्ति में ले जायेंगे क्योंकि टीचर होकर बैठते हो ना।
- अगर टीचर ही ठीक रीति याद में नहीं होंगे तो दूसरे रह नहीं सकेंगे।
- पहले तो यह ख्याल करना है कि मैं जो उस माशूक बाबा का आशिक हूँ, उसकी याद में बैठा हूँ?
- हर एक ऐसे अपने से पूछे।
- अगर बुद्धि और तरफ चली जाती है, देह-अभिमान में आ जाते हैं तो गोया वह सर्विस नहीं, डिससर्विस करने बैठे हैं।
- यह बात समझ की है ना।
- कुछ सर्विस तो की नहीं, ऐसे ही बैठे हैं तो नुकसान ही करेंगे।
- टीचर का ही बुद्धियोग भटकता होगा तो वह मदद क्या करेंगे।
- जो टीचर हो बैठते हैं वह अपने से पूछें कि मैं पुण्य का काम कर रहा/रही हूँ?
- अगर पाप का काम करेंगे तो दुर्गति को पायेंगे।
- पद भ्रष्ट हो जायेगा।
- अगर ऐसे को गद्दी पर बिठाते हो तो तुम भी रेसपान्सिबुल हो।
- शिवबाबा तो सबको जानते हैं।
- यह बाबा भी सबकी अवस्था को जानते हैं।
- शिवबाबा कहेंगे यह टीचर बन बैठे हैं और इनका बुद्धियोग तो भटकता रहता है।
- यह क्या औरों को मदद करेंगे।
- तुम ब्राह्मण बच्चे निमित्त बने हो, शिवबाबा का बनकर उनसे वर्सा लेने।
- बाबा कहते हैं हे आत्मायें मामेकम् याद करो।
- टीचर बन बैठते हो तो और ही अच्छी तरह उस अवस्था में बैठो।
- यूँ तो हर एक को बाप को याद करना है।
- स्टूडेन्ट अपनी अवस्था को समझ सकते हैं।
- जानते हैं कि हम पास होंगे वा नहीं।
- टीचर भी जानते हैं।
- अगर प्राइवेट टीचर रखते हैं, वह भी जानते हैं।
- उस पढ़ाई में तो कोई खास टीचर रखने चाहें तो रख सकते हैं।
- यहाँ अगर कोई कहते हमको निष्ठा (योग) में बिठाओ तो बाप की याद में बैठना है।
- बाप का फरमान ही है मामेकम् याद करो।
- तुम आशिक हो, चलते-फिरते अपने माशूक को याद करो।
- संन्यासी ब्रह्म को याद करते हैं।
- समझते हैं कि हम जाकर ब्रह्म में लीन होंगे।
- जो अधिक याद करते होंगे उनकी अवस्था अच्छी होगी।
- हर एक में कोई न कोई खूबी तो रहती हैं ना।
- कहते हैं कि याद की यात्रा में रहो।
- खुद को भी याद में रहना है।
- बाबा के पास कोई तो सच्चे भी हैं, कोई झूठे भी हैं।
- खुद निरन्तर याद में रहें, बड़ा मुश्किल है।
- कोई तो बाप से बिल्कुल सच्चे रहते हैं।
- यह बाबा भी अपना अनुभव तुम बच्चों को बताते हैं कि थोड़ा समय याद में रहता हूँ फिर भूल जाता हूँ क्योंकि इसके ऊपर तो बहुत बोझ है।
- कितने ढेर बच्चे हैं। तुम बच्चों को यह भी पता नहीं पड़ता है कि यह मुरली शिवबाबा ने चलाई वा ब्रह्मा चलाते हैं क्योंकि दोनों इकट्ठे हैं ना।
- यह कहते हैं कि मैं भी शिवबाबा को याद करता हूँ।
- यह बाबा भी बच्चों को नेष्ठा कराते हैं।
- यह बैठते हैं तो देखते हो सन्नाटा अच्छा हो जाता है।
- बहुतों को खींचते हैं।
- बाप है ना।
- कहते हैं बच्चे याद की यात्रा में रहो।
- खुद को भी रहना है, सिर्फ पण्डित नहीं बनना है।
- याद में नहीं रहेंगे तो अन्त में फेल हो पड़ेंगे।
- बाबा मम्मा का तो ऊंच पद है, बाकी तो अभी माला बनी नहीं है।
- एक भी दाना बना हुआ कम्पलीट नहीं है।
- आगे माला बनाते थे बच्चों को लिफ्ट देने लिए।
- परन्तु देखा गया कि माया ने बहुतों को खत्म कर दिया।
- सारा मदार सर्विस पर है।
- तो जो सामने नेष्ठा कराने बैठते हैं उनको समझना है कि मैं सच्चा टीचर होकर बैठूँ।
- नहीं तो बोलना चाहिए कि हमारी बुद्धि यहाँ वहाँ चली जाती है।
- मैं यहाँ बैठने के लायक नहीं हूँ।
- स्वयं बताना चाहिए।
- ऐसे नहीं कि आपेही कोई भी आकर बैठे।
- कोई हैं जो मुख से मुरली नहीं चलाते, परन्तु याद में रहते हैं।
- लेकिन यहाँ तो दोनों में तीखा जाना चाहिए।
- साजन बहुत लवली है, उनको तो बहुत याद करना चाहिए।
- मेहनत है इसमें।
- बाकी प्रजा बनना तो सहज है।
- दास दासियाँ बनना बड़ी बात नहीं है।
- ज्ञान नहीं उठा सकते हैं।
- जैसे देखो यज्ञ की भण्डारी है, सबको बहुत खुश करती है, किसको दु:ख नहीं देती, सब महिमा करते हैं।
- तो वाह, शिवबाबा की भण्डारी तो नम्बरवन है।
- बहुतों की दिल को खुश करती है।
- बाबा भी बच्चों की दिल को खुश करते आये हैं।
- बाप कहते हैं कि मुझे याद करो और यह चक्र बुद्धि में रखो।
- अब हर एक को अपना कल्याण करना है।
- हड्डी सर्विस करनी चाहिए।
- तुमको बहुत रहमदिल बनना चाहिए।
- मनुष्य मुक्ति जीवनमुक्ति के लिए बहुत धक्के खाते हैं।
- किसको भी सद्गति का मालूम ही नहीं है।
- समझते हैं कि जहाँ से आया वहाँ वापिस जाना है।
- नाटक भी समझते हैं परन्तु उस पर चलते नहीं हैं।
- देखो क्लास में कहाँ-कहाँ मुसलमान भी आते हैं।
- कहते हैं कि हम असुल देवी देवता धर्म के हैं फिर जाकर हम मुसलमान धर्म में कनवर्ट हो गये हैं।
- हमने 84 जन्म भोगे हैं।
- सिन्ध में भी 5-6 मुसलमान आते थे।
- अभी भी आते हैं, अब आगे चल सकते हैं वा नहीं, वह तो देख लेंगे क्योंकि माया भी तो परीक्षा लेती है।
- कोई तो पक्के ठहर जाते हैं, कोई ठहर नहीं सकते।
- जो असुल ब्राह्मण धर्म के होंगे, जिन्होंने 84 जन्म लिए होंगे वे तो कभी हिलेंगे नहीं।
- बाकी कोई न कोई कारणे, अकारणे चले जायेंगे।
- देह-अभिमान भी बहुत आ जाता है।
- तुम बच्चों को तो बहुतों का कल्याण करना है।
- नहीं तो क्या पद पायेंगे।
- घरबार छोड़ा है, अपने कल्याण के लिए।
- कोई बाप के ऊपर मेहरबानी नहीं करते हैं।
- बाप के बने हो तो फिर सर्विस भी ऐसी करनी चाहिए।
- तुमको तो राजाई का मैडल मिलता है, 21 जन्म सदा सुख की राजाई मिलती है।
- माया पर सिर्फ जीत पानी है और औरों को भी सिखाना है।
- कई फेल भी हो जाते हैं।
- समझते हैं कि बादशाही लेनी तो मुश्किल है।
- बाप कहते हैं कि ऐसा समझना कमजोरी है।
- बाप और वर्से को याद करना तो बहुत सहज है।
- बच्चों में हिम्मत नहीं आती है राजाई लेने की, तो कायर हो बैठ जाते हैं।
- न खुद लेते, न औरों को लेने देते।
- तो परिणाम क्या होगा?
- बाप समझाते हैं कि रात-दिन सर्विस करो।
- कांग्रेसियों ने भी मेहनत की।
- कितनी जफाकसी (खींचातान) की तब तो फॉरेनर्स से राज्य लिया।
- तुमको रावण से राज्य लेना है।
- वह तो सबका दुश्मन है।
- दुनिया को पता नहीं कि हम रावण की मत पर चल रहे हैं तब दु:खी हैं।
- किसको भी सच्चा स्थाई दिल का सुख थोड़ेही है।
- शिवबाबा कहते हैं मैं तुम बच्चों को सदा सुखी बनाने आया हूँ।
- अब श्रीमत पर चल श्रेष्ठ बनना है।
- जो भी भारतवासी हैं, वे अपने धर्म को भूल गये हैं।
- यथा राजा रानी तथा प्रजा।
- अब तुम बच्चों को समझ मिलती है - सृष्टि का चक्र कैसे चलता है।
- सो भी घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं।
- बुद्धि में ठहरता ही नहीं है।
- भल ब्राह्मण तो बहुत बनते हैं परन्तु कई कच्चे होने के कारण विकार में भी जाते रहते हैं।
- कहते हैं कि हम बी.के. हैं, परन्तु हैं नहीं।
- बाकी जो पूरी रीति डायरेक्शन पर चलते हैं, आप समान बनाते रहते हैं, वे ही ऊंच पद पा सकेंगे।
- विघ्न तो पड़ेंगे।
- अमृत पीते-पीते फिर जाकर विघ्न डालते हैं।
- यह भी गायन है, उनका पद क्या होगा?
- कई बच्चियां तो विकार के कारण मार भी खाती हैं, कहती हैं कि बाबा यह दु:ख थोड़ा सहन कर लेंगे।
- हमारा माशूक तो बाबा है ना।
- मार खाते भी हम शिवबाबा को याद करती हूँ।
- वह खुशी में बहुत रहती हैं।
- इस कापारी खुशी में रहना चाहिए।
- बाप से हम वर्सा ले रहे हैं औरों को भी हम आप समान बनाते रहते हैं।
- बाबा की बुद्धि में तो यह सीढ़ी का चित्र बहुत रहता है।
- इसको बड़ा महत्व देते हैं।
- बच्चे जो विचार सागर मंथन कर ऐसे-ऐसे चित्र बनाते हैं, तो बाबा भी उनकी शुक्रिया (Sukriya) करते हैं या तो ऐसे कहेंगे कि बाबा ने उस बच्चे को टच किया है।
- सीढ़ी बड़ी अच्छी बनाई है।
- 84 जन्मों को जानने से सारे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जान गये हो।
- यह फर्स्टक्लास चित्र है।
- त्रिमूर्ति गोले के चित्र से भी इसमें नॉलेज अच्छी है।
- अभी हम चढ़ रहे हैं।
- कितना सहज है।
- बाप आकर लिफ्ट देते हैं।
- शान्ति से बाप से वर्सा ले रहे हैं।
- सीढ़ी का ज्ञान बहुत अच्छा है।
- समझाना है कि तुम हिन्दू थोड़ेही हो, तुम तो देवी देवता धर्म के हो।
- अगर कहें कि हमने 84 जन्म थोड़ेही लिए हैं।
- अरे क्यों नहीं समझते हो कि हमने 84 जन्म लिए हैं।
- फिर याद करो तो तुम फिर से पहले नम्बर में आ जायेंगे।
- अपने कुल का होगा तो ऐसा प्रश्न करेगा नहीं कि सब थोड़ेही 84 जन्म लेंगे।
- अरे तुम क्यों समझते हो कि हम देरी से आये हैं।
- बाप सब बच्चों को कहते हैं तुम भारतवासियों ने 84 जन्म लिए हैं।
- अब फिर से अपना वर्सा लो, स्वर्ग में चलो।
- तुम बच्चे योग में बैठते हो।
- सीढ़ी को याद करो तो बहुत मौज में रहेंगे।
- हमने 84 जन्म पूरे किये हैं।
- अब हम वापिस जाते हैं।
- कितनी खुशी होती है।
- सर्विस करने का भी उल्लास रहना चाहिए।
- समझाने के तरीके भी बहुत मिल रहे हैं।
- सीढ़ी के ऊपर समझाओ।
- चित्र तो सब चाहिए ना।
- त्रिमूर्ति भी चाहिए।
- बाबा कहते भी हैं कि तुम जाओ ही मेरे भक्तों के पास, उनको यह ज्ञान सुनाओ।
- वह मिलेंगे ही मन्दिरों में।
- मन्दिरों में भी इस सीढ़ी के चित्र पर समझा सकते हो।
- सारा दिन बुद्धि में यह रहे कि हम बाबा का परिचय दे, किसका कल्याण करें।
- दिन-प्रतिदिन बुद्धि का ताला खुलता जायेगा।
- जिनको वर्सा पाना होगा - वह आयेंगे।
- दिन-प्रतिदिन सीखते भी रहते हैं।
- कईयों पर ग्रहचारी बैठती है तो बाबा को समझाना पड़ता है।
- वह नहीं समझते कि हमारे ऊपर ग्रहचारी है इसलिए हमसे सर्विस नहीं होती।
- सारी रेसपॉन्सिबिल्टी तुम बच्चों पर है।
- आप समान ब्राह्मण बनाते रहो।
- सर्विस पर रहने से बहुत खुशी होती है।
- बहुतों का कल्याण होता है।
- बाबा को बम्बई में सर्विस करने का बहुत मजा आता था।
- बहुत नये-नये आते थे।
- बाबा की तो बहुत दिल होती है कि सर्विस करें।
- बच्चों को भी ऐसा रहमदिल बनना चाहिए।
- सर्विस पर लग जाना चाहिए।
- दिल में यह रहना चाहिए कि जब तक हमने किसी को आप समान नहीं बनाया है तब तक भोजन नहीं खाना है।
- पहले पुण्य तो करूँ।
- पाप आत्मा को पुण्य आत्मा बनायें फिर रोटी खायें।
- तो सर्विस में जुटा रहना चाहिए।
- किसका जीवन सफल बनायें तब रोटी खायें।
- आप समान ब्राह्मण बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
- बच्चों के लिए मैगज़ीन निकलती है लेकिन बी.के. इतना पढ़ते नहीं हैं।
- समझते हैं कि हमको थोड़ेही पढ़ना है, यह बाहर वालों के लिए है।
- बाबा कहते हैं बाहर वाले तो कुछ समझते नहीं हैं, बिगर टीचर के।
- यह है ब्रह्माकुमार कुमारियों के लिए तो पढ़कर रिफ्रेश हों।
- परन्तु वे पढ़ते नहीं हैं।
- सभी सेन्टर्स वालों से पूछते हैं कि सारी मैगज़ीन कौन पढ़ते हैं?
- मैगज़ीन से क्या समझते हैं?
- कहाँ तक ठीक है?
- मैगज़ीन निकालने वाले को भी आफरीन देनी चाहिए कि आपने बहुत अच्छी मैगजीन लिखी है, आपको धन्यवाद करते हैं।
- मेहनत करनी है, मैगज़ीन पढ़नी है।
- यह है बच्चों के रिफ्रेश होने के लिए।
- लेकिन बच्चे पढ़ते नहीं।
- जिनका नाम बाला है उन्हों को सब बुलाते हैं कि बाबा भाषण करने लिए हमारे पास फलाने को भेजो।
- बाबा फिर समझते हैं कि खुद भाषण करना नहीं जानते हैं तब तो मांगनी करते हैं।
- तो सर्विसएबुल को कितना रिगार्ड देना चाहिए।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) राजाई का मैडल लेने के लिए सबकी दिल को खुश करना है।
- बहुत-बहुत रहमदिल बन अपना और सर्व का कल्याण करना है।
- हड्डी सेवा करनी है।
- 2) देह-अभिमान में आकर डिससर्विस नहीं करनी है।
- सदा पुण्य का काम करना है।
- आप समान ब्राह्मण बनाने की सेवा करनी है।
- सर्विसएबुल का रिगार्ड रखना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- याद और सेवा के डबल लॉक द्वारा सदा सेफ, सदा खुश और सदा सन्तुष्ट भव
- सारा दिन संकल्प, बोल और कर्म बाप की याद और सेवा में लगा रहे।
- हर संकल्प में बाप की याद हो, बोल द्वारा बाप का दिया हुआ खजाना दूसरों को दो, कर्म द्वारा बाप के चरित्रों को सिद्ध करो।
- अगर ऐसे याद और सेवा में सदा बिजी रहो तो डबल लॉक लग जायेगा फिर माया कभी आ नहीं सकती।
- जो इस स्मृति से पक्का लॉक लगाते हैं वो सदा सेफ, सदा खुश और सदा सन्तुष्ट रहते हैं।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- "बाबा'' शब्द की डायमण्ड चाबी साथ हो तो सर्व खजानों की अनुभूति होती रहेगी।
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