-
ओम् शान्ति। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति गुडमार्निंग।
- बच्चे यह तो जानते हैं कि सतयुग में सदैव गुडमार्निंग, गुड डे, गुड एवरीथिंग, गुडनाइट, सब गुड ही गुड है।
- यहाँ तो न गुडमार्निंग है, न गुडनाइट है। सबसे बुरी है नाइट।
- तो सबसे अच्छा क्या है? सवेरा।
- जिसको अमृतवेला कहा जाता है।
- तुम्हारा हर समय गुड ही गुड है।
- बच्चे जानते हैं कि इस समय हम योग योगेश्वर और योग योगेश्वारियाँ हैं।
- ईश्वर जो तुम्हारा बाप है, वह आकर योग सिखलाते हैं अर्थात् तुम बच्चों का एक ईश्वर के साथ योग है।
- तुम बच्चों को योगेश्वर के बाद ज्ञान ज्ञानेश्वर बाप का पता पड़ा है।
- योग लगा फिर बाप तुमको सारे चक्र की नॉलेज समझाते हैं, जिससे तुम भी ज्ञान ज्ञानेश्वर बनते हो।
- ईश्वर बाप, बच्चों को आकर ज्ञान और योग सिखलाते हैं।
- कौनसा ईश्वर?
- निराकार बाप।
- अब बुद्धि से काम लो।
- गुरू लोगों की तो बहुत मत हैं।
- कोई कहेंगे कृष्ण से योग लगाओ, फिर उनका चित्र भी देंगे।
- कोई सांई बाबा, कोई महर्षि बाबा, कोई मुसलमान का, कोई पारसी का, सबको बाबा-बाबा कहते रहते हैं।
- कहेंगे सब भगवान ही भगवान हैं।
- अब तुम जानते हो मनुष्य भगवान हो नहीं सकता।
- इन लक्ष्मी-नारायण को भी भगवान भगवती नहीं कह सकते।
- भगवान तो एक निराकार है।
- वह तुम सब आत्माओं का बाप है, उनको कहा जाता है शिवबाबा।
- तुम ही जन्म जन्मान्तर सतसंग करते आये।
- कोई न कोई संन्यासी साधू पण्डित आदि जरूर होंगे।
- लोग जानते हैं कि यह हमारा गुरू है। हमको कथा सुना रहे हैं।
- सतयुग में कथायें आदि होती नहीं।
- बाप बैठ समझाते हैं सिर्फ भगवान वा ईश्वर कहने से रसना नहीं आती है।
- वह बाप है तो बाबा कहने से संबंध स्नेहपूर्ण हो जाता है।
- तुम जानते हो हम बाबा मम्मा के बच्चे बने हैं, जिससे हमको स्वर्ग के सुख मिलते हैं।
- ऐसा कोई भी सतसंग नहीं होगा, जो समझते हों कि हम इस सतसंग से मनुष्य से देवता वा नर्कवासी से स्वर्गवासी बनते हैं।
- अभी तुम्हारा सत बाप के साथ संग है और सबका असत्य के साथ संग कहा जाता है।
- गाया भी जाता है सतसंग तारे.... जिस्मानी संग बोरे।
- बाप कहते हैं आत्म-अभिमानी, देही-अभिमानी बनो।
- मैं तुम बच्चों, आत्माओं को सिखाता हूँ।
- यह रूहानी नॉलेज रूहों प्रति सुप्रीम रूह आकर देते हैं।
- बाकी सब है भक्तिमार्ग।
- वह कोई ज्ञान मार्ग नहीं है।
- बाप कहते हैं मैं सब वेदों, शास्त्रों को, सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त को जानने वाला हूँ।
- अथॉरिटी मैं हूँ।
- वह है भक्ति मार्ग की अथॉरिटी।
- बहुत शास्त्र आदि पढ़ते हैं तो उनको कहते हैं शास्त्रों की अथॉरिटी।
- तुमको बाप सच आकर सुनाते हैं।
- अभी तुम जानते हो सत का संग तारे......झूठ का संग डुबोये।
- अब बाप तुम बच्चों द्वारा भारत को सैलवेज कर रहे हैं।
- तुम हो रूहानी सैलवेशन आर्मी।
- सैलवेज करते हैं।
- बाप कहते हैं कि भारत जो स्वर्ग था वह अब नर्क बना हुआ है।
- डूबा हुआ है।
- बाकी कोई ऐसा सागर के नीचे नहीं है।
- तुम सतोप्रधान से तमोप्रधान बने हो।
- सतयुग त्रेता है सतोप्रधान। यह बड़ा स्टीमर है।
- तुम स्टीमर में बैठे हो।
- यह पाप की नगरी है क्योंकि सब पाप आत्मायें हैं।
- वास्तव में गुरू एक है।
- उनको कोई जानते नहीं हैं।
- हमेशा कहते हैं - ओ गॉड फादर।
- ऐसे नहीं कहते गॉड फादर कम प्रीसेप्टर।
- नहीं, सिर्फ फादर कहते हैं।
- वह पतित-पावन है, तो गुरू भी हो गया।
- सर्व का पतित-पावन सद्गति दाता एक है।
- इस पतित दुनिया में कोई भी मनुष्य सद्गति दाता वा पतित-पावन हो नहीं सकता।
- बाप कहते हैं कितनी एडल्ट्रेशन, करेप्शन है।
- अब मुझे कन्याओं माताओं के द्वारा सबका उद्धार करना है।
- तुम सब ब्रह्माकुमार कुमारियाँ भाई-बहिन हो गये।
- नहीं तो डाडे का वर्सा कैसे मिले।
- डाडे से वर्सा मिलता है 21 पीढ़ी अर्थात् स्वर्ग की राजाई।
- कमाई कितनी बड़ी है।
- यह है सच्ची कमाई, सच्चे बाप द्वारा।
- बाप, बाप भी है, शिक्षक भी है, सतगुरू भी है।
- प्रैक्टिकल में करके दिखाने वाला है।
- ऐसे नहीं कि गुरू मर गया तो चेले को गद्दी मिले।
- वह है जिस्मानी गुरू।
- यह है रूहानी गुरू।
- अच्छी रीति इस बात को समझना है, यह बिल्कुल नई बातें हैं।
- तुम जानते हो हमको कोई मनुष्य नहीं पढ़ाता है, हमको शिवबाबा ज्ञान का सागर पतित-पावन इस शरीर द्वारा पढ़ाते हैं।
- तुम्हारी बुद्धि शिवबाबा तरफ है।
- उन सतसंगों में मनुष्य तरफ बुद्धि जायेगी।
- वह सब हैं भक्ति मार्ग।
- अब तुम गाते हो तुम मात-पिता हम बालक तेरे... यह तो एक है ना।
- परन्तु बाबा कहते हैं कि मैं कैसे आकर तुमको अपना बनाऊं।
- मैं तुम्हारा पिता हूँ।
- तो इनके तन का आधार लेता हूँ।
- तो यह (ब्रह्मा) हमारी स्त्री भी है, तो बच्चा भी है।
- इन द्वारा शिवबाबा बच्चों को एडाप्ट करते हैं तो यह बड़ी मम्मा हो गई।
- इनकी कोई माँ नहीं है।
- सरस्वती को जगत अम्बा कहा जाता है।
- उनको तुम्हारी सम्भाल करने के लिए मुकरर किया।
- सरस्वती ज्ञान ज्ञानेश्वरी, यह है छोटी मम्मा।
- यह बड़ी गुह्य बातें हैं।
- तुम अभी यह गुह्य पढ़ाई पढ़ रहे हो, तुम्हें विद रिस्पेक्ट पास होना है।
- यह लक्ष्मी-नारायण विद रिस्पेक्ट पास हुए हैं।
- उन्हों को सबसे बड़ी स्कॉलरशिप मिली है।
- कोई सजा खानी नहीं पड़ी।
- बाप कहते हैं जितना हो सके याद करो।
- इसको भारत का प्राचीन योग कहा जाता है।
- बाप कहते हैं तुमको सभी वेदों, शास्त्रों का सार सुनाता हूँ।
- मैंने तुमको राजयोग सिखाया, जिससे तुमने प्रालब्ध पाई।
- फिर ज्ञान खलास हो गया, फिर परम्परा कैसे चल सकता।
- वहाँ कोई शास्त्र आदि होते नहीं और धर्म वाले इस्लामी, बौद्धी आदि जो हैं उनका ज्ञान गुम नहीं होता।
- उन्हों का परम्परा चलता है।
- सबको मालूम है।
- परन्तु बाप कहते हैं कि मैं तुमको जो ज्ञान सुनाता हूँ वह कोई नहीं जानते।
- भारत दु:खी बन जाता है, उनको आकर सदा सुखी बनाता हूँ।
- बाप कहते हैं - मैं साधारण तन में बैठा हूँ।
- तुम्हारा बुद्धियोग बाप के साथ रहे।
- आत्माओं का बाप है परमपिता परमात्मा।
- सर्व बच्चों का वह बाप है, उनके सब बच्चे ठहरे ना।
- सब आत्मायें इस समय पतित हैं।
- बाप कहते हैं - मैं प्रैक्टिकल में आया हूँ।
- विनाश सामने खड़ा है।
- जानते हो आग लगेगी।
- सबके शरीर खत्म हो जायेंगे।
- सब आत्माओं को जाना है वापिस घर।
- ऐसे नहीं कि ब्रह्म में लीन हो जायेंगे वा ज्योति में समा जायेंगे।
- ब्रह्म समाजी फिर ज्योति जगाते हैं।
- उनको ब्रह्म मन्दिर कह देते हैं।
- वास्तव में है ब्रह्म महतत्व, जहाँ सब आत्मायें रहती हैं।
- हमारा पहले मन्दिर वह है।
- पवित्र आत्मायें वहाँ रहती हैं।
- यह बातें कोई मनुष्य समझते नहीं।
- ज्ञान का सागर बाप बैठ तुम बच्चों को समझाते हैं कि अब हो तुम ज्ञान ज्ञानेश्वर फिर बनते हो राज-राजेश्वर।
- तुम्हारी बुद्धि में है कि पतित-पावन मोस्ट बिलवेड बाबा आकर हमको स्वर्ग का वर्सा दे रहे हैं।
- कईयों की बुद्धि में यह भी बैठता नहीं है।
- इतने बैठे हैं, इनमें कोई 100 परसेन्ट निश्चयबुद्धि नहीं हैं।
- कोई 80 परसेन्ट हैं, कोई 50 परसेन्ट हैं, कोई वह भी नहीं।
- वह तो बिल्कुल फेल्युअर हुआ।
- नम्बरवार जरूर हैं।
- बहुत हैं जिनको निश्चय नहीं है।
- कोशिश करते हैं कि निश्चय हो जाए।
- अच्छा निश्चय हो भी जाए परन्तु माया कड़ी है।
- बाबा को भूल जाते हैं।
- यह ब्रह्मा खुद कहते हैं कि मैं पूरा भगत था।
- 63 जन्म भक्ति की है, तत्त्वम्।
- तुमने भी 63 जन्म भक्ति की है। 21 जन्म सुख पाया फिर भगत बने हो।
- भक्ति के बाद है वैराग्य।
- संन्यासी लोग भी यह अक्षर सब कहते हैं कि ज्ञान, भक्ति और वैराग्य।
- उन्हों को वैराग्य आता है घरबार से।
- उसको हद का वैराग्य कहा जाता है और तुम्हारा है बेहद का वैराग्य।
- संन्यासी घरबार छोड़ जंगल में चले जाते थे।
- अब तो कोई जंगल में है ही नहीं।
- सब कुटियायें खाली पड़ी हैं क्योंकि पहले सतोप्रधान थे, अब वह तमोप्रधान हो गये हैं। अब उन्हों में कोई ताकत नहीं है।
- लक्ष्मी-नारायण की राजधानी में जो ताकत थी, वह पुनर्जन्म लेते-लेते अब देखो वे कहाँ आकर पहुँचे हैं।
- कुछ भी ताकत नहीं है।
- यहाँ की गवर्मेन्ट भी कहती है हम धर्म को नहीं मानते।
- धर्म में ही बहुत नुकसान हैं, लडते-झगड़ते, कान्फ्रेन्स करते रहते कि सभी धर्म वाले एक मत हो जाएं।
- लेकिन पूछो एक कैसे हो सकेंगे।
- अभी तो सब वापिस जाने वाले हैं।
- बाबा आया है, यह दुनिया अब कब्रिस्तान बननी है।
- बाकी यह तो वैरायटी झाड़ है।
- सो एक कैसे होगा, कुछ भी समझते नहीं।
- भारत में एक धर्म था, उनको कहा जाता अद्वैत मत वाले देवतायें।
- द्वैत माना दैत्य।
- बाबा कहते तुम्हारा यह धर्म बहुत सुख देने वाला है।
- तुम जानते हो कि पुनर्जन्म ले हमको फिर 84 जन्म भोगने हैं।
- निश्चय हो कि हमने ही 84 जन्म भोगे हैं।
- हमको ही जाना है और फिर आना है।
- भारतवासियों को ही समझाते हैं कि तुमने 84 जन्म पूरे किये हैं।
- अब तुम्हारा यह बहुत जन्मों के अन्त का जन्म है।
- सिर्फ एक को नहीं कहते, पाण्डव सेना को समझाते हैं कि तुम पण्डे हो।
- तुम रूहानी यात्रा सिखलाते हो इसलिए पाण्डव सेना कहा जाता है।
- राज्य अब न कौरवों का, न पाण्डवों का है।
- वह भी प्रजा तुम भी प्रजा हो।
- कहते हैं कौरव पाण्डव भाई-भाई, पाण्डवों की तरफ है परमपिता परमात्मा।
- बाप ही आकर माया पर जीत पहनना सिखलाते हैं।
- तुम आदि सनातन देवी देवता धर्म वाले अहिंसक हो।
- अहिंसा परमो धर्म।
- मुख्य बात है काम कटारी नहीं चलाना है।
- भारतवासी समझते हैं कि गऊ का कोस न करना - यही अहिंसा है, परन्तु बाबा कहते हैं - काम कटारी नहीं चलाओ, इनको ही बड़े ते बड़ी हिंसा कहा जाता है।
- सतयुग में न काम कटारी, न लड़ाई-झगड़ा चलता है।
- यहाँ तो दोनों हैं।
- काम कटारी ही आदि मध्य अन्त दु:ख देती है।
- तुम सीढ़ी उतरते हो।
- 84 जन्म तुम भारतवासियों ने लिए है।
- इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था फिर पुनर्जन्म लेते हो।
- एक-एक जन्म एक-एक पौढ़ी है।
- यहाँ से तुम एकदम जम्प मारते हो ऊपर।
- 84 पौढ़ियाँ उतरने में तुमको 5 हजार वर्ष लगते हैं और यहाँ से फिर तुम सेकेण्ड में चढ़ जाते हो।
- सेकेण्ड में जीवनमुक्ति कौन देता? बाप।
- अब सब एकदम पट में पड़े हैं।
- अब बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो।
- यह बुद्धि में याद रखना है अब नाटक पूरा हुआ, हमको वापिस घर जाना है।
- हमको अपने बाप को और घर को याद करना है।
- पहले बाबा को याद करो, वह ही तुमको घर का रास्ता बताते हैं।
- बाप की याद से विकर्म विनाश होंगे।
- ब्रह्म को याद करने से एक भी पाप कटेंगे नहीं।
- पतित-पावन परमात्मा ही है।
- वह कैसे पावन बनाते हैं - यह दुनिया में कोई समझ नहीं सकते।
- बाप को आकर स्वर्ग की स्थापना जरूर करनी है।
- बाप आया है तो तुम बच्चे जयन्ती मनाते हो।
- कब आया, यह नहीं कह सकते कि इस घड़ी, इस तिथि-तारीख आया।
- शिवबाबा कब आया, कैसे कह सकते।
- साक्षात्कार बहुत होते हैं।
- पहले हम सर्वव्यापी समझते थे या कह देते थे आत्मा सो परमात्मा है।
- अब यथार्थ मालूम हुआ है।
- बाबा दिन प्रतिदिन गुह्य बातें सुनाते रहते हैं।
- तुम साधारण बच्चे कितनी बड़ी नॉलेज पढ़ रहे हो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति-मात पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) विद् रिस्पेक्ट पास होने के लिए सजाओं से छूटने का पुरूषार्थ करना है।
- याद में रहने से ही स्कालरशिप लेने के अधिकारी बन सकेंगे।
- 2) सच्चा-सच्चा पाण्डव बन सबको रूहानी यात्रा करानी है।
- किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- मास्टर सर्वशक्तिमान् की स्मृति द्वारा मायाजीत सो जगतजीत, विजयी भव
- जो बच्चे बहुत सोचते हैं कि पता नहीं माया क्यों आ गई, तो माया भी घबराया हुआ देख और वार कर लेती है इसलिए सोचने के बजाए सदा मास्टर सर्वशक्तिमान् की स्मृति में रहो - तो विजयी बन जायेंगे।
- विजयी रत्न बनाने के निमित्त ही यह माया के छोटे-छोटे रूप हैं इसलिए स्वयं को मायाजीत, जगतजीत समझ माया पर विजय प्राप्त करो, कमजोर मत बनो।
- चैलेन्ज करने वाले बनो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- हर आत्मा से शुभ आशीर्वादें प्राप्त करनी हैं तो बेहद की शुभ भावना और शुभ कामना में स्थित रहो।
|