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ओम् शान्ति। निराकार भगवानुवाच।
- अब निराकार भगवान कहा ही जाता है शिव
को, उनके नाम भल कितने भी भक्तिमार्ग में रखे हैं, ढेर नाम हैं तभी तो विस्तार
है।
- बाप खुद आकर बतलाते हैं कि हे बच्चे, मुझ अपने बाप शिव को तुम याद करते
आये हो - हे पतित-पावन, नाम तो जरूर एक ही होगा।
- बहुत नाम चल न सकें।
- शिवाए नम: कहते हैं तो एक ही शिव नाम हुआ।
- रचता भी एक हुआ।
- बहुत नाम से
तो मूँझ जायें।
- जैसे तुम्हारा नाम पुष्पा है उसके बदले में तुमको शीला कहें तो तुम
रेसपान्ड करेंगी? नहीं।
- समझेंगी और किसी को बुलाते हैं।
- यह भी ऐसी बात हो गई।
- उसका नाम एक है, परन्तु भक्ति मार्ग होने कारण, बहुत मन्दिर बनाने कारण
किसम-किसम के नाम रख दिये हैं।
- नहीं तो नाम हर एक का एक होता है।
- गंगा
नदी को जमुना नदी नहीं कहेंगे।
- कोई भी चीज का एक नाम प्रसिद्ध होता है।
- यह
शिव नाम भी प्रसिद्ध है।
- शिवाए नम: गाया हुआ है।
- ब्रह्मा देवताए नम:, विष्णु
देवताए नम:, फिर कहते शिव परमात्माए नम: क्योंकि वह है ऊंच ते ऊंच।
- मनुष्यों
की बुद्धि में रहता है ऊंच ते ऊंच निराकार को कहते हैं।
- उनका नाम एक ही है।
- ब्रह्मा को ब्रह्मा, विष्णु को विष्णु ही कहेंगे।
- बहुत नाम रखने से मूँझ जायेंगे।
- रेसपान्ड ही नहीं मिलता है और न उनके रूप को भी जानते हैं।
- बाप बच्चों से ही
आकर बात करते हैं।
- शिवाए नम: कहते हैं तो एक नाम ठीक है।
- शिव शंकर कहना
भी रांग हो जाता है।
- शिव, शंकर नाम अलग है।
- जैसे लक्ष्मी-नारायण नाम
अलग-अलग हैं।
- वहाँ नारायण को तो लक्ष्मी-नारायण नहीं कहेंगे।
- आजकल तो अपने
ऊपर दो-दो नाम भी रखते हैं।
- देवताओं के ऊपर ऐसे डबल नाम नहीं थे।
- राधे का
अलग, कृष्ण का अलग, यहाँ तो एक का ही नाम राधाकृष्ण, लक्ष्मीनारायण रख देते
हैं।
- बाप बैठ समझाते हैं क्रियेटर एक ही है, उनका नाम भी एक है।
- उनको ही
जानना है।
- कहते हैं आत्मा एक स्टार मिसल है, भ्रकुटी के बीच में चमकता है
सितारा फिर कहते आत्मा सो परमात्मा।
- तो परमात्मा भी स्टार हुआ ना।
- ऐसे नहीं
कि आत्मा छोटी वा बड़ी होती है।
- बातें बड़ी सहज हैं।
- बाप कहते हैं तुम पुकारते थे कि हे पतित-पावन आओ।
- परन्तु वह पावन कैसे बनाते
हैं, यह कोई भी नहीं जानते।
- गंगा को पतित-पावनी समझ लेते हैं।
- पतित-पावन तो
एक ही बाप है।
- बाप कहते हैं मैंने आगे भी कहा था - मनमनाभव, मामेकम् याद
करो।
- सिर्फ नाम बदल दिया है।
- बच्चे समझते हैं कि बाप को याद करने से वर्सा
अण्डरस्टुड है।
- मनमनाभव कहने की भी दरकार नहीं है।
- परन्तु बिल्कुल ही बाप को
और वर्से को भूल गये हैं इसलिए कहता हूँ मुझ बाप और वर्से को याद करो।
- बाप है
स्वर्ग का रचयिता तो जरूर बाप को याद करने से हमको स्वर्ग की बादशाही मिलेगी।
- बच्चा पैदा हुआ और बाप कहेगा वारिस आया।
- बच्ची के लिए ऐसे नहीं कहेंगे।
- तुम
आत्मायें तो सब बच्चे हो।
- कहते भी हैं आत्मा एक स्टार है।
- फिर अंगुष्ठे मिसल
कैसे हो सकती।
- आत्मा इतनी सूक्ष्म चीज़ है, इन आंखों से देखने में नहीं आती।
- हाँ
उनको दिव्य दृष्टि से देखा जा सकता है क्योंकि अव्यक्त चीज़ है।
- दिव्य दृष्टि में
चैतन्य देखने में आया फिर गायब हो गया।
- मिला तो कुछ भी नहीं, सिर्फ खुश हो
जाते हैं।
- इसको कहेंगे भक्ति का अल्प सुख।
- यह है भक्ति का फल।
- जिसने बहुत
भक्ति की है उनको आटोमेटिकली कायदे अनुसार इस ज्ञान से फल मिलना होता है।
- ब्रह्मा और विष्णु इकट्ठा दिखाते हैं।
- ब्रह्मा सो विष्णु, भक्ति का फल विष्णु के रूप
में मिल रहा है, राजाई का।
- विष्णु वा कृष्ण का साक्षात्कार तो बहुत किया होगा।
- परन्तु समझा जाता है - भिन्न-भिन्न नाम रूप में भक्ति की है।
- साक्षात्कार को
योग वा ज्ञान नहीं कहा जाता।
- नौधा भक्ति से साक्षात्कार हुआ।
- अभी साक्षात्कार न
भी हो तो हर्जा नही।
- एम आब्जेक्ट है ही मनुष्य से देवता बनने की।
- तुम देवी देवता
धर्म के बनते हो।
- बाकी पुरूषार्थ कराने के लिए बाप सिर्फ कहते हैं और संग बुद्धि
का योग हटाओ, देह से भी हटाए बाप को याद करो।
- जैसे आशिक माशूक काम भी
करते रहते हैं परन्तु दिल माशूक से लगी रहती है।
- बाप भी कहते हैं मामेकम् याद
करो फिर भी बुद्धि और-और तरफ भाग जाती है।
- अभी तुम जानते हो हमको उतरने
में एक कल्प लगा है।
- सतयुग से लेकर सीढ़ी उतरते हैं।
- थोड़ी-थोड़ी खाद पड़ती रहती
है।
- सतो से तमो बन जाते हैं।
- फिर अब तमो से सतो बनने के लिए बाप जम्प
कराते हैं।
- सेकेण्ड में तमोप्रधान से सतोप्रधान।
- तो मीठे-मीठे बच्चों को पुरूषार्थ करना पड़े।
- बाप तो शिक्षा देते ही रहते हैं।
- अच्छे-अच्छे सेन्सीबुल बच्चे खुद अनुभव करते हैं - बरोबर बहुत डिफीकल्ट है।
- कोई
बताते हैं, कोई तो बिल्कुल बताते नहीं।
- अपनी अवस्था का बताना चाहिए।
- बाप को
याद ही नहीं करते तो वर्सा कैसे मिलेगा।
- कायदेसिर याद नहीं करते, समझते हैं हम
तो शिवबाबा के हैं हीं।
- याद न करने से गिर पड़ते हैं।
- बाप को निरन्तर याद करने
से खाद निकलती है, अटेन्शन देना पड़ता है।
- जब तक शरीर है तब तक पुरुषार्थ
चलता रहेगा।
- बुद्धि भी कहती है - याद घड़ी-घड़ी भूल जाती है।
- इस योगबल से तुम
बादशाही प्राप्त करते हो।
- सब तो एक जैसे दौड़ी पहन नहीं सकते, लॉ नहीं कहता।
- रेस में भी जरा सा फर्क पड़ जाता है।
- नम्बरवन, फिर प्लस में आ जाते हैं।
- यहाँ भी
बच्चों की रेस है।
- मुख्य बात है याद करने की।
- यह तो समझते हो हम पाप आत्मा
से पुण्य आत्मा बनते हैं।
- बाप ने डायरेक्शन दिया है, अभी पाप करने से वह सौ
गुणा हो जायेगा।
- बहुत हैं जो पाप करते हैं, बताते नहीं हैं।
- फिर वृद्धि होती जाती है।
- फिर अन्त में फेल हो पड़ते हैं।
- सुनाने में लज्जा आती है।
- सच न बताने से अपने
को धोखा देते हैं।
- कोई को डर लगता है - बाबा हमारी यह बात सुनेंगे तो क्या
कहेंगे।
- कोई तो छोटी भूल भी सुनाने आ जाते हैं।
- परन्तु बाबा उनसे कहते हैं,
बड़ी-बड़ी भूल तो बहुत अच्छे-अच्छे बच्चे करते हैं। अच्छे-अच्छे महारथियों को भी
माया छोड़ती नहीं है।
- माया पहलवानों को ही चक्र में लाती है, इसमें बहादुर बनना
पड़े।
- झूठ तो चल न सके।
- सच बताने से हल्के हो जायेंगे।
- कितना भी बाबा
समझाते हैं फिर भी कुछ न कुछ चलता ही रहता है।
- अनेक प्रकार की बातें होती हैं।
- अब जबकि बाप से राज्य लेना है तो बाप कहते हैं कि बुद्धि और तरफ से हटाओ।
- तुम बच्चों को अभी नॉलेज मिली है, 5 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था।
- तुम अपने
जन्मों को भी जान गये हो।
- कोई का उल्टा सुल्टा जन्म होता है, उसको डिफेक्टेड
कहा जाता है।
- अपने कर्मो अनुसार ही ऐसा होता है।
- बाकी मनुष्य तो मनुष्य ही
होते हैं।
- तो बाप समझाते हैं कि एक तो पवित्र रहना है, दूसरा झूठ, पाप कुछ नहीं
करना है।
- नहीं तो बहुत घाटा पड़ जायेगा।
- देखो एक से थोड़ी भूल हुई, आया बाबा
के पास।
- बाबा क्षमा करना।
- ऐसा काम फिर कभी नहीं करूँगा।
- बाबा ने कहा ऐसी
भूलें बहुतों से होती हैं, तुम तो सच बताते हो, कई तो सुनाते भी नहीं हैं।
- कोई-कोई
फर्स्टक्लास बच्चियाँ हैं, कभी भी कहाँ बुद्धि जाती नहीं।
- जैसे बम्बई में निर्मला
डॉक्टर है, नम्बरवन।
- बिल्कुल साफ दिल, कभी दिल में उल्टा ख्याल नहीं आयेगा
इसलिए दिल पर चढ़ी हुई है।
- ऐसे और भी बच्चियाँ हैं।
- तो बाप समझाते हैं सिर्फ
सच्ची दिल से बाप को याद करो।
- कर्म तो करना ही है।
- बुद्धियोग बाप से लगा रहे।
- हाथ काम तरफ दिल यार तरफ।
- वह अवस्था पिछाड़ी की है।
- जिसके लिए ही गाते हैं
- अतीन्द्रिय सुख गोप गोपियों से पूछो जो इस अवस्था को पाते हैं।
- जो पाप कर्म
करते हैं उनकी यह अवस्था होती नहीं।
- बाबा अच्छी तरह जानते हैं तब तो भक्ति
मार्ग में भी अच्छे वा बुरे कर्म का फल मिलता है।
- देने वाला तो बाप है ना।
- जो
किसको दु:ख देंगे तो जरूर दु:ख भोगेंगे।
- जैसा कर्म किया है तो भोगना ही होगा।
- यहाँ तो बाप खुद हाजिर है, समझाते रहते हैं फिर भी गवर्मेन्ट है, धर्मराज तो मेरे
साथ हुआ ना।
- इस समय मेरे से कुछ भी छिपाओ नहीं।
- ऐसे नहीं कि बाबा जानता
है, हम शिवबाबा से दिल अन्दर क्षमा लेते हैं, कुछ भी क्षमा नहीं होगा।
- पाप कभी
भी किसका छिपा नहीं रहेगा।
- पाप करने से दिन प्रतिदिन पापात्मा बनते जाते हैं।
- तकदीर में नहीं है तो फिर ऐसा ही होता है।
- रजिस्टर खराब हो जाता है।
- एक बार
झूठ बोलते हैं, सच नहीं बताते, समझा जाता है ऐसा काम करते ही रहते हैं।
- झूठ
कभी छिप नहीं सकता।
- बाप फिर भी बच्चों को समझाते हैं - कख का चोर सो लख
का चोर कहा जाता है इसलिए कहना चाहिए ना कि हमसे यह दोष हुआ।
- जब बाबा
पूछते हैं तब कहते हैं भूल हो गई, आपेही खुद क्यों नहीं बताते।
- बाबा जानते हैं
बहुत बच्चे छिपाते हैं।
- बाप को सुनाने से श्रीमत मिलेगी।
- कहाँ से चिट्ठी आती है
पूछो क्या जवाब देना है।
- सुनाने से श्रीमत मिलेगी।
- बहुतों में कोई गन्दी आदत है -
तो वह छिपाते हैं।
- कोई को लौकिक घर से मिलता है।
- बाबा कहते भल पहनो तो
फिर रेसपान्सिबुल बाबा हो गया।
- अवस्था देखकर किसको कहता हूँ यज्ञ में भेज दो।
- तुमको बदली करके दें तो ठीक है, नहीं तो वह याद रहेगा।
- बाबा बहुत खबरदार करते
हैं।
- मार्ग बहुत ऊंचा है।
- कदम-कदम पर सर्जन की राय लेनी है।
- बाबा शिक्षा ही देंगे
कि ऐसे-ऐसे चिट्ठी लिखो तो तीर लगेगा, परन्तु देह-अभिमान बहुतों में है।
- श्रीमत पर
नहीं चलने से अपना खाता खराब करते हैं।
- श्रीमत पर चलने से हर हालत में फायदा
है।
- रास्ता कितना सहज है।
- सिर्फ याद से तुम विश्व का मालिक बनते हो।
- बुढ़ियों के
लिए कहते हैं सिर्फ बाप और वर्से को याद करो।
- प्रजा नहीं बनाते तो राजा रानी भी
नहीं बन सकते।
- फिर भी जो छिपाते हैं, उनसे तो ऊंच पद पा सकते हैं।
- बाप का
फर्ज है समझाना।
- जो फिर ऐसा न कहें कि हमको पता नहीं था।
- बाबा सब
डायरेक्शन देते हैं।
- भूल को झट बताना चाहिए।
- हर्जा नहीं, फिर नहीं करना।
- इसमें
डरने की बात नहीं।
- प्यार से समझाया जाता है।
- बाप को बताने में कल्याण है।
- बाप
पुचकार दे प्यार से समझायेंगे।
- नहीं तो दिल से एकदम गिर पड़ते हैं।
- इनकी दिल
से गिरा तो शिवबाबा की दिल से भी गिरा।
- ऐसे नहीं कि हम डायरेक्ट ले सकते हैं,
कुछ भी नहीं होगा।
- जितना समझाया जाता है - बाप को याद करो, उतना बुद्धि
बाहर तरफ भागती रहती है।
- यह सब बातें बाप डायरेक्ट बैठ समझाते हैं, जिनके
बाद में शास्त्र बनते हैं।
- इसमें गीता ही भारत का सर्वोत्तम शास्त्र है।
- गाया हुआ भी
है सर्वशास्त्रमई शिरोमणी गीता, जो भगवान ने गाई।
- बाकी सब धर्म तो बाद में आते
हैं।
- गीता हो गई मात पिता, बाकी सब हुए बच्चे।
- गीता में ही भगवानुवाच है।
- कृष्ण
को तो दैवी सम्प्रदाय कहेंगे।
- देवता तो सिर्फ ब्रह्मा विष्णु शंकर हैं।
- भगवान तो
देवताओं से भी ऊंच ठहरा।
- ब्रह्मा विष्णु शंकर तीनों को रचने वाला शिव ठहरा।
- बिल्कुल क्लीयर है।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना, ऐसे तो कभी कहते नहीं कृष्ण द्वारा
स्थापना।
- ब्रह्मा का रूप दिखाया है।
- किसकी स्थापना?
- विष्णुपुरी की।
- यह चित्र तो
दिल में छप जाना चाहिए।
- हम शिवबाबा से इनके द्वारा वर्सा लेते हैं।
- बाप बिगर
दादे का वर्सा मिल नहीं सकता।
- जब कोई भी मिलता है तो यह बताओ कि बाप
कहते हैं मामेकम् याद करो।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) मंजिल बहुत ऊंची है इसलिए कदम-कदम पर सर्जन से राय लेनी है।
- श्रीमत पर
चलने में ही फायदा है, बाप से कुछ भी छिपाना नहीं है।
- 2) देह और देहधारियों से बुद्धि का योग हटाए एक बाप से लगाना है।
- कर्म करते भी
एक बाप की याद में रहने का पुरूषार्थ करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- शक्तियों की किरणों द्वारा कमी, कमजोरी रूपी किचड़े को भस्म करने वाले मास्टर
ज्ञान सूर्य भव
- जो बच्चे ज्ञान सूर्य समान मास्टर सूर्य हैं वे अपने शक्तियों की किरणों द्वारा किसी
भी प्रकार का किचड़ा अर्थात् कमी वा कमजोरी, सेकण्ड में भस्म कर देते हैं।
- सूर्य
का काम है किचड़े को ऐसा भस्म कर देना जो नाम, रूप, रंग सदा के लिए समाप्त
हो जाए।
- मास्टर ज्ञान सूर्य की हर शक्ति बहुत कमाल कर सकती है लेकिन समय
पर यूज़ करना आता हो।
- जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता हो उस समय
उसी शक्ति से काम लो और सर्व की कमजोरियों को भस्म करो तब कहेंगे मास्टर
ज्ञान सूर्य।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- गुणमूर्त बन अपने जीवन रूपी गुलदस्ते में दिव्यता की महक फैलाओ।
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