30-03-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - तुम्हें श्रीमत पर तत्वों सहित सारी दुनिया को पावन बनाने की सेवा करनी है, सबको सुख और शान्ति का रास्ता बताना है

प्रश्नः-

तुम बच्चे अपनी देह को भी भूलने का पुरूषार्थ करते हो इसलिए तुम्हें किस चीज़ की दरकार नहीं हैं?

उत्तर:-

चित्रों की। जब यह चित्र (देह) ही भूलना है तो उन चित्रों की क्या दरकार है।

स्वयं को आत्मा समझ विदेही बाप को ओर स्वीट होम को याद करो।

यह चित्र तो हैं छोटे बच्चों के लिए अर्थात् नयों के लिए।

तुम्हें तो याद में रहना है और सबको याद कराना है।

धंधा आदि करते सतोप्रधान बनने के लिए याद में ही रहने का अभ्यास करो।

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ........

 

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ...


  • ओम्ओम् शान्ति। मीठे-मीठे बच्चों ने यह अक्षर सुने और फौरन खुशी में रोमांच खड़े हो गये होंगे।
  • बच्चे जानते हैं यहाँ आये हैं अपने सौभाग्य, स्वर्ग की तकदीर लेने।
  • ऐसे और कहीं भी नहीं कहेंगे।
  • तुम जानते हो हम बाप से स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं अर्थात् स्वर्ग बनाने का पुरूषार्थ कर रहे हैं।
  • सिर्फ स्वर्गवासी बनने का नहीं परन्तु स्वर्ग में ऊंच ते ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ कर रहे हैं।
  • स्वर्ग का साक्षात्कार कराने वाला बाप हमको पढ़ा रहा है।
  • यह भी बच्चों को नशा चढ़ना चाहिए।
  • भक्ति अब खत्म होनी है।
  • कहा जाता है भगवान भक्तों का उद्धार करने आते हैं क्योंकि रावण की जंजीरों में फॅसे हुए हैं।
  • अनेक मनुष्यों की अनेक मतें हैं।
  • तुम तो जान गये हो।
  • सृष्टि का चक्र यह अनादि खेल बना हुआ है।
  • यह भी भारतवासी समझते हैं, बरोबर हम प्राचीन नई दुनिया के वासी थे, अब पुरानी दुनिया के वासी बने हैं।
  • बाप ने स्वर्ग नई दुनिया बनाई, रावण ने फिर नर्क बनाया है।
  • बापदादा की मत पर तुम अब अपने लिए नई दुनिया बना रहे हो।
  • नई दुनिया के लिए पढ़ रहे हो।
  • कौन पढ़ाते हैं?
  • ज्ञान का सागर, पतित-पावन जिसकी महिमा है।
  • एक के सिवाए और किसकी महिमा नहीं गाई जाती है।
  • वही पतित-पावन है।
  • हम सब पतित हैं।
  • पावन दुनिया की याद कोई को नहीं है।
  • अभी तुम जानते हो बरोबर 5 हजार वर्ष पहले पावन दुनिया थी।
  • यह भारत ही था।
  • बाकी सब धर्म शान्ति में थे।
  • हम भारतवासी सुखधाम में थे।
  • मनुष्य शान्ति चाहते हैं परन्तु यहाँ तो कोई शान्त रह न सके।
  • यह कोई शान्तिधाम नहीं है।
  • शान्तिधाम है निराकारी दुनिया, जहाँ से हम आते हैं।
  • बाकी सतयुग है सुखधाम, उसको शान्तिधाम नहीं कहेंगे।
  • वहाँ तुम पवित्रता-सुख-शान्ति में रहते हो।
  • कोई हंगामा नहीं रहता।
  • घर में बच्चे झगड़ा आदि करते हैं तो उनको कहा जाता है शान्त रहो।
  • तो बाप कहते हैं तुम आत्मायें उस शान्ति देश की थी।
  • अब झगड़ालू देश में आकर बैठे हो।
  • यह बात तुम्हारी बुद्धि में है।
  • तुम बाप द्वारा फिर से ऊंच ते ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ कर रहे हो।
  • यह स्कूल कोई कम थोड़ेही है।
  • गॉड फादर की युनिवर्सिटी है।
  • सारी दुनिया में यह बड़े ते बड़ी युनिवर्सिटी है।
  • इसमें सब बाप से शान्ति और सुख का वर्सा पाते हैं।
  • सिवाए एक बाप के और कोई की महिमा नहीं है।
  • ब्रह्मा की महिमा थोड़ेही है।
  • बाप ही इस समय आकर वर्सा देते हैं।
  • फिर तो सुख ही सुख है।
  • सुख-शान्ति देने वाला एक बाप है।
  • उनकी ही महिमा है।
  • सतयुग-त्रेता में कोई की महिमा होती नहीं।
  • वहाँ तो राजधानी चलती रहती है।
  • तुम वर्सा पा लेते हो, बाकी सब शान्तिधाम में रहते हैं।
  • महिमा कोई की नहीं।
  • भल क्राइस्ट धर्म स्थापन करते हैं, सो तो करना ही है।
  • धर्म स्थापन करते हैं फिर भी नीचे उतरते जाते हैं।
  • महिमा क्या हुई?
  • महिमा सिर्फ एक की ही है, जिसको पतित-पावन लिबरेटर कह बुलाते हैं।
  • ऐसे तो नहीं उनको क्राइस्ट बुद्ध आदि याद आता होगा।
  • याद फिर भी एक को करते हैं ओ गॉड फादर।
  • सतयुग में तो किसकी महिमा होती नहीं।
  • पीछे यह धर्म शुरू होता है तो बाप की महिमा गाते हैं और भक्ति शुरू होती है।
  • ड्रामा कैसे बना हुआ है।
  • कैसे चक्र फिरता है तो जो बाप के बच्चे बने हैं, वही जानते हैं।
  • बाप है रचता।
  • नई सृष्टि रचते हैं स्वर्ग।
  • परन्तु सब तो स्वर्ग में नहीं आ सकते।
  • ड्रामा के राज़ को भी समझना है।
  • बाप से सुख का वर्सा मिलता है।
  • इस समय सब दु:खी हैं।
  • सबको वापिस जाना है फिर आयेंगे सुख में।
  • तुम बच्चों को बहुत अच्छा पार्ट मिला हुआ है।
  • जिस बाप की इतनी महिमा है वह अब आकर सम्मुख बैठे हुए हैं और बच्चों को समझाते हैं।
  • सब बच्चे हैं ना।
  • बाप तो एवरहैप्पी है।
  • वास्तव में बाप के लिए यह नहीं कह सकते।
  • अगर वह हैप्पी बने तो अनहैप्पी भी बनना पड़े।
  • बाबा तो इन सबसे न्यारा है।
  • जो बाप की महिमा है वही इस समय तुम्हारी महिमा है फिर भविष्य में तुम्हारी महिमा अलग होगी।
  • जैसे बाप ज्ञान का सागर है, तुम भी हो।
  • तुम्हारी बुद्धि में सृष्टि चक्र का ज्ञान है।
  • जानते हो बाप सुख का सागर है, उनसे अथाह सुख मिलते हैं।
  • इस समय तुम बाप से वर्सा ले रहे हो।
  • बाप बच्चों को अभी श्रेष्ठ कर्म सिखला रहे हैं।
  • जैसे यह लक्ष्मी-नारायण हैं, इन्होंने जरूर आगे जन्म में अच्छे कर्म किये हैं जो यह पद पाया है।
  • दुनिया में यह कोई समझते नहीं कि इन्होंने राज्य कैसे पाया?
  • बाप कहते हैं तुम बच्चे अब यह बन रहे हो।
  • तुम्हारी बुद्धि में यह आता है हम यह थे फिर यह बनते हैं।
  • बाप बैठ कर्म-अकर्म-विकर्म की गति समझाते हैं जिससे हम यह बनते हैं।
  • श्रीमत देते हैं तो श्रीमत जाननी चाहिए ना।
  • श्रीमत से सारी दुनिया तत्वों आदि सबको श्रेष्ठ बनाते हैं।
  • सतयुग में सब श्रेष्ठ थे।
  • वहाँ कुछ हंगामा वा तूफान आदि होते नहीं।
  • न जास्ती ठण्डी, न गर्मी।
  • सदैव बहारी मौसम रहता है।
  • वहाँ तुम कितना सुखी रहते हो।
  • वो लोग गाते भी हैं खुदा बहिश्त अथवा हेविन स्थापन करते हैं।
  • तो उसमें ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ करना चाहिए।
  • हमेशा गाया जाता है फालो मदर फादर।
  • बाप को याद करने से विकर्म विनाश होंगे।
  • और फिर फादर के साथ हम आत्मायें इकट्ठी जायेंगी।
  • श्रीमत पर चलकर हर एक को रास्ता बताना है।
  • बेहद का बाप है स्वर्ग का रचता।
  • अब तो हेल है।
  • जरूर हेल में हेविन का वर्सा दिया होगा।
  • अब 84 जन्म पूरे होते हैं फिर हमको पहला जन्म स्वर्ग में लेना है।
  • तुम्हारी एम आब्जेक्ट सामने खड़ी है।
  • यह बनने का है।
  • हम सो लक्ष्मी-नारायण बनते हैं, वास्तव में इन चित्रों की दरकार नहीं है।
  • जो कच्चे हैं, घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं, इसलिए चित्र रखे जाते हैं।
  • कोई कृष्ण का चित्र रखते हैं।
  • कृष्ण को देखने बिगर याद नहीं कर सकते।
  • सबकी बुद्धि में चित्र तो रहता है।
  • तुमको कोई चित्र लगाने की दरकार नहीं है।
  • तुम अपने को आत्मा समझते हो, तुम्हें अपना चित्र भी भूलना है।
  • देह सहित सब संबंध भूल जाने हैं। बाप कहते हैं तुम हो आशिक, एक माशूक के।
  • माशूक बाप कहते हैं मुझे याद करते रहो तो विकर्म विनाश हो जाएं।
  • ऐसी अवस्था रहे जो शरीर जिस समय छूटे तो समझें हम इस पुरानी दुनिया को छोड़ अब बाप के पास जाते हैं।
  • 84 जन्म पूरे हुए अब जाना है।
  • बाबा ने फरमान किया है मुझे याद करो।
  • बस बाप और स्वीट होम को याद करो।
  • बुद्धि में है कि मैं आत्मा बिगर शरीर थी फिर यहाँ पार्ट बजाने के लिए शरीर धारण किया है।
  • पार्ट बजाते-बजाते पतित बन पड़े हैं।
  • यह शरीर तो है पुरानी जुत्ती।
  • आत्मा पवित्र हो रही है।
  • शरीर पवित्र तो यहाँ मिल न सके।
  • अब हम आत्मा जायेंगे वापिस घर।
  • पहले प्रिन्स-प्रिन्सेज बनेंगे फिर स्वयंवर बाद लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।
  • मनुष्यों को यह पता नहीं है कि राधे-कृष्ण कौन हैं?
  • दोनों अलग-अलग राजधानी के थे फिर उन्हों का स्वयंवर होता है।
  • तुम बच्चों ने ध्यान में स्वयंवर देखा है।
  • शुरू में बहुत साक्षात्कार होते थे क्योंकि पाकिस्तान में तुमको खुशी में रखने के लिए यह सब पार्ट चलते थे।
  • पिछाड़ी में तो है ही मारामारी।
  • अर्थक्वेक आदि बहुत होंगी।
  • तुमको साक्षात्कार होते रहेंगे।
  • हर एक को मालूम पड़ जायेगा हम कौन सा पद पायेंगे।
  • फिर जो कम पढ़े हुए होंगे वह बहुत पछतायेंगे।
  • बाप कहेंगे तुम नहीं पढ़े, न औरों को पढ़ाया, न याद में रहते थे।
  • याद से ही सतोप्रधान बन सकते हो।
  • पतित-पावन तो बाप ही है।
  • वह कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारी खाद निकल जायेगी।
  • पुरूषार्थ करना है - याद की यात्रा का।
  • धंधा आदि भल करो।
  • कर्म तो करना ही है ना।
  • परन्तु बुद्धि का योग वहाँ रहे।
  • तमोप्रधान से सतोप्रधान यहाँ बनना है।
  • गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए तुम मुझे याद करो तब ही तुम नई दुनिया के मालिक बनेंगे।
  • बाप और कोई तकलीफ नहीं देते हैं।
  • तुमको बहुत सहज उपाय बताते हैं।
  • सुखधाम का मालिक बनने मामेकम् याद करो।
  • अभी तुम याद करो - बाबा भी स्टॉर है।
  • मनुष्य तो समझते हैं वह सर्वशक्तिमान् है, बड़ा तेजवान है।
  • बाप कहते हैं मनुष्य सृष्टि का चैतन्य बीजरूप हूँ।
  • बीज होने के कारण सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जानता हूँ।
  • तुम तो बीज नहीं हो, मैं बीज हूँ इसलिए मुझे ज्ञान सागर कहते हैं।
  • मनुष्य सृष्टि का चैतन्य बीज है उनको जरूर मालूम होगा कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है।
  • ऋषि-मुनि कोई रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त को नहीं जानते।
  • बच्चे अगर जानते तो उनके पास जाने में देरी नहीं लगती।
  • परन्तु बाप के पास जाने का रास्ता कोई भी नहीं जानते।
  • पावन दुनिया में पतित जा ही कैसे सकते इसलिए बाप कहते हैं काम महाशत्रु पर जीत पहनो।
  • यही तुमको आदि-मध्य-अन्त दु:ख देते हैं।
  • तुम बच्चों को कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
  • कोई तकलीफ नहीं।
  • सिर्फ बाप और वर्से को याद करना है।
  • बाप की याद अर्थात् योग से पाप भस्म होंगे।
  • सेकेण्ड में बाप से ही बादशाही मिलती है।
  • बच्चे भल स्वर्ग में तो आयेंगे परन्तु स्वर्ग में भी ऊंच पद पाना उसका पुरूषार्थ करना है।
  • स्वर्ग में तो जाना ही है।
  • थोड़ा भी सुनने से समझ जायेंगे बाप आया है।
  • अभी भी कहते हैं यह वही महाभारत लड़ाई है।
  • जरूर बाप भी होगा जो बच्चों को राजयोग सिखलाते हैं।
  • तुम सबको जगाते रहते हो।
  • जो बहुतों को जगायेंगे वह ऊंच पद पायेंगे।
  • पुरूषार्थ करना है।
  • सब एक जैसे पुरूषार्थी हो न सके।
  • स्कूल बड़ा भारी है।
  • यह है वर्ल्ड की युनिवर्सिटी।
  • सारी वर्ल्ड को सुखधाम और शान्तिधाम बनाना है।
  • ऐसा टीचर कभी होता है क्या?
  • युनिवर्स सारी दुनिया को कहा जाता है।
  • बाप ही सारी युनिवर्स के मनुष्य मात्र को सतोप्रधान बनाते हैं अर्थात् स्वर्ग बनाते हैं।
  • भक्ति मार्ग में जो भी त्योहार मनाते हैं वह सभी अब संगमयुग के हैं।
  • सतयुग-त्रेता में कोई त्योहार होता नहीं है।
  • वहाँ तो प्रालब्ध भोगते हैं।
  • त्योहार सब यहाँ मनाते हैं।
  • होली और धुरिया यह ज्ञान की बातें हैं।
  • पास्ट जो हुआ उसके सब त्योहार मनाते आये हैं।
  • हैं सब इस समय के।
  • होली भी इस समय की है।
  • इस 100 वर्ष के अन्दर सब काम हो जाता है।
  • सृष्टि भी नई बन जाती है।
  • तुम जानते हो हमने अनेक बार सुख का वर्सा लिया है फिर गँवाया है।
  • खुशी होती है हम फिर से बाप से वर्सा ले रहे हैं।
  • औरों को भी रास्ता बताना है।
  • ड्रामा अनुसार स्वर्ग की स्थापना होनी है जरूर।
  • जैसे दिन के बाद रात, रात के बाद दिन होता है वैसे कलियुग के बाद जरूर सतयुग होना है।
  • मीठे-मीठे बच्चों की बुद्धि में खुशी का नगाड़ा बजना चाहिए।
  • अब समय पूरा होता है, हम जाते हैं शान्तिधाम।
  • यह अन्तिम जन्म है।
  • कर्मभोग की भोगना भी खुशी में हल्की हो जाती है।
  • कुछ भोगना से, कुछ योगबल से हिसाब-किताब चुक्तू होना है।
  • बाप बच्चों को धैर्य देते हैं, तुम्हारे सदा सुख के दिन आ रहे हैं।
  • धंधा आदि भी करना है।
  • शरीर निर्वाह अर्थ पैसे तो चाहिए ना।
  • बाबा ने समझाया है धंधे वाले लोग धर्माऊ निकालते हैं।
  • समझते हैं जास्ती धन इकट्ठा होगा तो बहुत दान करेंगे।
  • यहाँ भी बाप समझाते हैं कोई दो पैसा भी देते हैं तो उनको रिटर्न में 21 जन्मों के लिए बहुत मिल जाता है।
  • आगे जो तुम दान-पुण्य करते थे उसका रिटर्न दूसरे जन्म में मिलता था।
  • अब तो 21 जन्मों के लिए एवजा मिलता है।
  • आगे साधू-सन्त आदि को देते थे।
  • अब तो तुम जानते हो यह सब खत्म हो जाना है।
  • अब मैं सम्मुख आया हूँ तो इस कार्य में लगाओ।
  • तो तुमको 21 जन्मों के लिए वर्सा मिल जायेगा।
  • आगे तुम इनडायरेक्ट देते थे, यह है डायरेक्ट।
  • बाकी तो तुम्हारा सब खत्म हो जायेगा।
  • बाबा कहते रहते हैं - पैसे हैं तो सेन्टर खोलते जाओ।
  • अक्षर लिख दो - सच्ची गीता पाठशाला।
  • भगवानुवाच मामेकम् याद करो और वर्से को याद करो।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप समान महिमा योग्य बनने के लिए फालो फादर करना है।
  • 2) यह अन्तिम जन्म है, अब घर जाना है इसलिए खुशी में अन्दर ही अन्दर नगाड़े बजते रहें।
    • कर्मभोग को कर्मयोग से अर्थात् बाप की याद से खुशी-खुशी चुक्तू करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपने स्मृति की ज्योति से ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करने वाले कुल दीपक भव
  • यह ब्राह्मण कुल सबसे बड़े से बड़ा है, इस कुल के आप सब दीपक हो।
  • कुल दीपक अर्थात् सदा अपनें स्मृति की ज्योति से ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करने वाले।
  • अखण्ड ज्योति अर्थात् सदा स्मृति स्वरूप और समर्थी स्वरूप।
  • यदि स्मृति रहे कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ तो समर्थ स्वरूप स्वत: रहेंगे।
  • इस अखण्ड़ ज्योति का यादगार आपके जड़ चित्रों के आगे अखण्ड ज्योति जगाते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • जो सर्व आत्माओं के प्रति शुद्ध संकल्प रखते हैं वही वरदानी मूर्त हैं।