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ओम्ओम् शान्ति। मीठे-मीठे बच्चों ने यह अक्षर सुने और फौरन खुशी में रोमांच खड़े हो गये होंगे।
- बच्चे जानते हैं यहाँ आये हैं अपने सौभाग्य, स्वर्ग की तकदीर लेने।
- ऐसे और कहीं भी नहीं कहेंगे।
- तुम जानते हो हम बाप से स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं अर्थात् स्वर्ग बनाने का पुरूषार्थ कर रहे हैं।
- सिर्फ स्वर्गवासी बनने का नहीं परन्तु स्वर्ग में ऊंच ते ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ कर रहे हैं।
- स्वर्ग का साक्षात्कार कराने वाला बाप हमको पढ़ा रहा है।
- यह भी बच्चों को नशा चढ़ना चाहिए।
- भक्ति अब खत्म होनी है।
- कहा जाता है भगवान भक्तों का उद्धार करने आते हैं क्योंकि रावण की जंजीरों में फॅसे हुए हैं।
- अनेक मनुष्यों की अनेक मतें हैं।
- तुम तो जान गये हो।
- सृष्टि का चक्र यह अनादि खेल बना हुआ है।
- यह भी भारतवासी समझते हैं, बरोबर हम प्राचीन नई दुनिया के वासी थे, अब पुरानी दुनिया के वासी बने हैं।
- बाप ने स्वर्ग नई दुनिया बनाई, रावण ने फिर नर्क बनाया है।
- बापदादा की मत पर तुम अब अपने लिए नई दुनिया बना रहे हो।
- नई दुनिया के लिए पढ़ रहे हो।
- कौन पढ़ाते हैं?
- ज्ञान का सागर, पतित-पावन जिसकी महिमा है।
- एक के सिवाए और किसकी महिमा नहीं गाई जाती है।
- वही पतित-पावन है।
- हम सब पतित हैं।
- पावन दुनिया की याद कोई को नहीं है।
- अभी तुम जानते हो बरोबर 5 हजार वर्ष पहले पावन दुनिया थी।
- यह भारत ही था।
- बाकी सब धर्म शान्ति में थे।
- हम भारतवासी सुखधाम में थे।
- मनुष्य शान्ति चाहते हैं परन्तु यहाँ तो कोई शान्त रह न सके।
- यह कोई शान्तिधाम नहीं है।
- शान्तिधाम है निराकारी दुनिया, जहाँ से हम आते हैं।
- बाकी सतयुग है सुखधाम, उसको शान्तिधाम नहीं कहेंगे।
- वहाँ तुम पवित्रता-सुख-शान्ति में रहते हो।
- कोई हंगामा नहीं रहता।
- घर में बच्चे झगड़ा आदि करते हैं तो उनको कहा जाता है शान्त रहो।
- तो बाप कहते हैं तुम आत्मायें उस शान्ति देश की थी।
- अब झगड़ालू देश में आकर बैठे हो।
- यह बात तुम्हारी बुद्धि में है।
- तुम बाप द्वारा फिर से ऊंच ते ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ कर रहे हो।
- यह स्कूल कोई कम थोड़ेही है।
- गॉड फादर की युनिवर्सिटी है।
- सारी दुनिया में यह बड़े ते बड़ी युनिवर्सिटी है।
- इसमें सब बाप से शान्ति और सुख का वर्सा पाते हैं।
- सिवाए एक बाप के और कोई की महिमा नहीं है।
- ब्रह्मा की महिमा थोड़ेही है।
- बाप ही इस समय आकर वर्सा देते हैं।
- फिर तो सुख ही सुख है।
- सुख-शान्ति देने वाला एक बाप है।
- उनकी ही महिमा है।
- सतयुग-त्रेता में कोई की महिमा होती नहीं।
- वहाँ तो राजधानी चलती रहती है।
- तुम वर्सा पा लेते हो, बाकी सब शान्तिधाम में रहते हैं।
- महिमा कोई की नहीं।
- भल क्राइस्ट धर्म स्थापन करते हैं, सो तो करना ही है।
- धर्म स्थापन करते हैं फिर भी नीचे उतरते जाते हैं।
- महिमा क्या हुई?
- महिमा सिर्फ एक की ही है, जिसको पतित-पावन लिबरेटर कह बुलाते हैं।
- ऐसे तो नहीं उनको क्राइस्ट बुद्ध आदि याद आता होगा।
- याद फिर भी एक को करते हैं ओ गॉड फादर।
- सतयुग में तो किसकी महिमा होती नहीं।
- पीछे यह धर्म शुरू होता है तो बाप की महिमा गाते हैं और भक्ति शुरू होती है।
- ड्रामा कैसे बना हुआ है।
- कैसे चक्र फिरता है तो जो बाप के बच्चे बने हैं, वही जानते हैं।
- बाप है रचता।
- नई सृष्टि रचते हैं स्वर्ग।
- परन्तु सब तो स्वर्ग में नहीं आ सकते।
- ड्रामा के राज़ को भी समझना है।
- बाप से सुख का वर्सा मिलता है।
- इस समय सब दु:खी हैं।
- सबको वापिस जाना है फिर आयेंगे सुख में।
- तुम बच्चों को बहुत अच्छा पार्ट मिला हुआ है।
- जिस बाप की इतनी महिमा है वह अब आकर सम्मुख बैठे हुए हैं और बच्चों को समझाते हैं।
- सब बच्चे हैं ना।
- बाप तो एवरहैप्पी है।
- वास्तव में बाप के लिए यह नहीं कह सकते।
- अगर वह हैप्पी बने तो अनहैप्पी भी बनना पड़े।
- बाबा तो इन सबसे न्यारा है।
- जो बाप की महिमा है वही इस समय तुम्हारी महिमा है फिर भविष्य में तुम्हारी महिमा अलग होगी।
- जैसे बाप ज्ञान का सागर है, तुम भी हो।
- तुम्हारी बुद्धि में सृष्टि चक्र का ज्ञान है।
- जानते हो बाप सुख का सागर है, उनसे अथाह सुख मिलते हैं।
- इस समय तुम बाप से वर्सा ले रहे हो।
- बाप बच्चों को अभी श्रेष्ठ कर्म सिखला रहे हैं।
- जैसे यह लक्ष्मी-नारायण हैं, इन्होंने जरूर आगे जन्म में अच्छे कर्म किये हैं जो यह पद पाया है।
- दुनिया में यह कोई समझते नहीं कि इन्होंने राज्य कैसे पाया?
- बाप कहते हैं तुम बच्चे अब यह बन रहे हो।
- तुम्हारी बुद्धि में यह आता है हम यह थे फिर यह बनते हैं।
- बाप बैठ कर्म-अकर्म-विकर्म की गति समझाते हैं जिससे हम यह बनते हैं।
- श्रीमत देते हैं तो श्रीमत जाननी चाहिए ना।
- श्रीमत से सारी दुनिया तत्वों आदि सबको श्रेष्ठ बनाते हैं।
- सतयुग में सब श्रेष्ठ थे।
- वहाँ कुछ हंगामा वा तूफान आदि होते नहीं।
- न जास्ती ठण्डी, न गर्मी।
- सदैव बहारी मौसम रहता है।
- वहाँ तुम कितना सुखी रहते हो।
- वो लोग गाते भी हैं खुदा बहिश्त अथवा हेविन स्थापन करते हैं।
- तो उसमें ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ करना चाहिए।
- हमेशा गाया जाता है फालो मदर फादर।
- बाप को याद करने से विकर्म विनाश होंगे।
- और फिर फादर के साथ हम आत्मायें इकट्ठी जायेंगी।
- श्रीमत पर चलकर हर एक को रास्ता बताना है।
- बेहद का बाप है स्वर्ग का रचता।
- अब तो हेल है।
- जरूर हेल में हेविन का वर्सा दिया होगा।
- अब 84 जन्म पूरे होते हैं फिर हमको पहला जन्म स्वर्ग में लेना है।
- तुम्हारी एम आब्जेक्ट सामने खड़ी है।
- यह बनने का है।
- हम सो लक्ष्मी-नारायण बनते हैं, वास्तव में इन चित्रों की दरकार नहीं है।
- जो कच्चे हैं, घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं, इसलिए चित्र रखे जाते हैं।
- कोई कृष्ण का चित्र रखते हैं।
- कृष्ण को देखने बिगर याद नहीं कर सकते।
- सबकी बुद्धि में चित्र तो रहता है।
- तुमको कोई चित्र लगाने की दरकार नहीं है।
- तुम अपने को आत्मा समझते हो, तुम्हें अपना चित्र भी भूलना है।
- देह सहित सब संबंध भूल जाने हैं। बाप कहते हैं तुम हो आशिक, एक माशूक के।
- माशूक बाप कहते हैं मुझे याद करते रहो तो विकर्म विनाश हो जाएं।
- ऐसी अवस्था रहे जो शरीर जिस समय छूटे तो समझें हम इस पुरानी दुनिया को छोड़ अब बाप के पास जाते हैं।
- 84 जन्म पूरे हुए अब जाना है।
- बाबा ने फरमान किया है मुझे याद करो।
- बस बाप और स्वीट होम को याद करो।
- बुद्धि में है कि मैं आत्मा बिगर शरीर थी फिर यहाँ पार्ट बजाने के लिए शरीर धारण किया है।
- पार्ट बजाते-बजाते पतित बन पड़े हैं।
- यह शरीर तो है पुरानी जुत्ती।
- आत्मा पवित्र हो रही है।
- शरीर पवित्र तो यहाँ मिल न सके।
- अब हम आत्मा जायेंगे वापिस घर।
- पहले प्रिन्स-प्रिन्सेज बनेंगे फिर स्वयंवर बाद लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।
- मनुष्यों को यह पता नहीं है कि राधे-कृष्ण कौन हैं?
- दोनों अलग-अलग राजधानी के थे फिर उन्हों का स्वयंवर होता है।
- तुम बच्चों ने ध्यान में स्वयंवर देखा है।
- शुरू में बहुत साक्षात्कार होते थे क्योंकि पाकिस्तान में तुमको खुशी में रखने के लिए यह सब पार्ट चलते थे।
- पिछाड़ी में तो है ही मारामारी।
- अर्थक्वेक आदि बहुत होंगी।
- तुमको साक्षात्कार होते रहेंगे।
- हर एक को मालूम पड़ जायेगा हम कौन सा पद पायेंगे।
- फिर जो कम पढ़े हुए होंगे वह बहुत पछतायेंगे।
- बाप कहेंगे तुम नहीं पढ़े, न औरों को पढ़ाया, न याद में रहते थे।
- याद से ही सतोप्रधान बन सकते हो।
- पतित-पावन तो बाप ही है।
- वह कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारी खाद निकल जायेगी।
- पुरूषार्थ करना है - याद की यात्रा का।
- धंधा आदि भल करो।
- कर्म तो करना ही है ना।
- परन्तु बुद्धि का योग वहाँ रहे।
- तमोप्रधान से सतोप्रधान यहाँ बनना है।
- गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए तुम मुझे याद करो तब ही तुम नई दुनिया के मालिक बनेंगे।
- बाप और कोई तकलीफ नहीं देते हैं।
- तुमको बहुत सहज उपाय बताते हैं।
- सुखधाम का मालिक बनने मामेकम् याद करो।
- अभी तुम याद करो - बाबा भी स्टॉर है।
- मनुष्य तो समझते हैं वह सर्वशक्तिमान् है, बड़ा तेजवान है।
- बाप कहते हैं मनुष्य सृष्टि का चैतन्य बीजरूप हूँ।
- बीज होने के कारण सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जानता हूँ।
- तुम तो बीज नहीं हो, मैं बीज हूँ इसलिए मुझे ज्ञान सागर कहते हैं।
- मनुष्य सृष्टि का चैतन्य बीज है उनको जरूर मालूम होगा कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है।
- ऋषि-मुनि कोई रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त को नहीं जानते।
- बच्चे अगर जानते तो उनके पास जाने में देरी नहीं लगती।
- परन्तु बाप के पास जाने का रास्ता कोई भी नहीं जानते।
- पावन दुनिया में पतित जा ही कैसे सकते इसलिए बाप कहते हैं काम महाशत्रु पर जीत पहनो।
- यही तुमको आदि-मध्य-अन्त दु:ख देते हैं।
- तुम बच्चों को कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- कोई तकलीफ नहीं।
- सिर्फ बाप और वर्से को याद करना है।
- बाप की याद अर्थात् योग से पाप भस्म होंगे।
- सेकेण्ड में बाप से ही बादशाही मिलती है।
- बच्चे भल स्वर्ग में तो आयेंगे परन्तु स्वर्ग में भी ऊंच पद पाना उसका पुरूषार्थ करना है।
- स्वर्ग में तो जाना ही है।
- थोड़ा भी सुनने से समझ जायेंगे बाप आया है।
- अभी भी कहते हैं यह वही महाभारत लड़ाई है।
- जरूर बाप भी होगा जो बच्चों को राजयोग सिखलाते हैं।
- तुम सबको जगाते रहते हो।
- जो बहुतों को जगायेंगे वह ऊंच पद पायेंगे।
- पुरूषार्थ करना है।
- सब एक जैसे पुरूषार्थी हो न सके।
- स्कूल बड़ा भारी है।
- यह है वर्ल्ड की युनिवर्सिटी।
- सारी वर्ल्ड को सुखधाम और शान्तिधाम बनाना है।
- ऐसा टीचर कभी होता है क्या?
- युनिवर्स सारी दुनिया को कहा जाता है।
- बाप ही सारी युनिवर्स के मनुष्य मात्र को सतोप्रधान बनाते हैं अर्थात् स्वर्ग बनाते हैं।
- भक्ति मार्ग में जो भी त्योहार मनाते हैं वह सभी अब संगमयुग के हैं।
- सतयुग-त्रेता में कोई त्योहार होता नहीं है।
- वहाँ तो प्रालब्ध भोगते हैं।
- त्योहार सब यहाँ मनाते हैं।
- होली और धुरिया यह ज्ञान की बातें हैं।
- पास्ट जो हुआ उसके सब त्योहार मनाते आये हैं।
- हैं सब इस समय के।
- होली भी इस समय की है।
- इस 100 वर्ष के अन्दर सब काम हो जाता है।
- सृष्टि भी नई बन जाती है।
- तुम जानते हो हमने अनेक बार सुख का वर्सा लिया है फिर गँवाया है।
- खुशी होती है हम फिर से बाप से वर्सा ले रहे हैं।
- औरों को भी रास्ता बताना है।
- ड्रामा अनुसार स्वर्ग की स्थापना होनी है जरूर।
- जैसे दिन के बाद रात, रात के बाद दिन होता है वैसे कलियुग के बाद जरूर सतयुग होना है।
- मीठे-मीठे बच्चों की बुद्धि में खुशी का नगाड़ा बजना चाहिए।
- अब समय पूरा होता है, हम जाते हैं शान्तिधाम।
- यह अन्तिम जन्म है।
- कर्मभोग की भोगना भी खुशी में हल्की हो जाती है।
- कुछ भोगना से, कुछ योगबल से हिसाब-किताब चुक्तू होना है।
- बाप बच्चों को धैर्य देते हैं, तुम्हारे सदा सुख के दिन आ रहे हैं।
- धंधा आदि भी करना है।
- शरीर निर्वाह अर्थ पैसे तो चाहिए ना।
- बाबा ने समझाया है धंधे वाले लोग धर्माऊ निकालते हैं।
- समझते हैं जास्ती धन इकट्ठा होगा तो बहुत दान करेंगे।
- यहाँ भी बाप समझाते हैं कोई दो पैसा भी देते हैं तो उनको रिटर्न में 21 जन्मों के लिए बहुत मिल जाता है।
- आगे जो तुम दान-पुण्य करते थे उसका रिटर्न दूसरे जन्म में मिलता था।
- अब तो 21 जन्मों के लिए एवजा मिलता है।
- आगे साधू-सन्त आदि को देते थे।
- अब तो तुम जानते हो यह सब खत्म हो जाना है।
- अब मैं सम्मुख आया हूँ तो इस कार्य में लगाओ।
- तो तुमको 21 जन्मों के लिए वर्सा मिल जायेगा।
- आगे तुम इनडायरेक्ट देते थे, यह है डायरेक्ट।
- बाकी तो तुम्हारा सब खत्म हो जायेगा।
- बाबा कहते रहते हैं - पैसे हैं तो सेन्टर खोलते जाओ।
- अक्षर लिख दो - सच्ची गीता पाठशाला।
- भगवानुवाच मामेकम् याद करो और वर्से को याद करो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बाप समान महिमा योग्य बनने के लिए फालो फादर करना है।
- 2) यह अन्तिम जन्म है, अब घर जाना है इसलिए खुशी में अन्दर ही अन्दर नगाड़े बजते रहें।
- कर्मभोग को कर्मयोग से अर्थात् बाप की याद से खुशी-खुशी चुक्तू करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अपने स्मृति की ज्योति से ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करने वाले कुल दीपक भव
- यह ब्राह्मण कुल सबसे बड़े से बड़ा है, इस कुल के आप सब दीपक हो।
- कुल दीपक अर्थात् सदा अपनें स्मृति की ज्योति से ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करने वाले।
- अखण्ड ज्योति अर्थात् सदा स्मृति स्वरूप और समर्थी स्वरूप।
- यदि स्मृति रहे कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ तो समर्थ स्वरूप स्वत: रहेंगे।
- इस अखण्ड़ ज्योति का यादगार आपके जड़ चित्रों के आगे अखण्ड ज्योति जगाते हैं।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- जो सर्व आत्माओं के प्रति शुद्ध संकल्प रखते हैं वही वरदानी मूर्त हैं।
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