05-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - भोलानाथ मोस्ट बिलवेड बाप तुम्हारे सम्मुख बैठे हैं, तुम प्यार से याद करो तो लगन बढ़ती जायेगी, विघ्न खत्म हो जायेंगे

प्रश्नः-

ब्राह्मण बच्चों को कौन सी बात सदा याद रहे तो कभी भी विकर्म न हो?

उत्तर:-

जो कर्म हम करेंगे, हमें देख और भी करेंगे - यह याद रहे तो विकर्म नहीं होगा।

अगर कोई छिपाकर भी पाप कर्म करते तो धर्मराज से छिप नहीं सकता, फौरन उसकी सजा मिलेगी।

आगे चल और भी मार्शल लॉ हो जायेगा।

इस इन्द्र सभा में कोई पतित छिप कर बैठ नहीं सकता।

गीत:- भोलेनाथ से निराला....

 

गीत:- भोलेनाथ से निराला....


  • ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चे जानते हैं कि अब रूहानी बाप हमको यह सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान सुना रहे हैं। उनका नाम ही है भोलानाथ।
  • बाप बहुत भोले होते हैं, कितनी तकलीफ सहन करके भी बच्चों को पढ़ाते हैं।
  • सम्भालते हैं। फिर जब बड़े होते हैं तो सब कुछ उनको दे खुद वानप्रस्थ अवस्था ले लेते हैं।
  • समझते हैं कि हमने फ़र्ज-अदाई पूरी की, अब बच्चे जानें।
  • तो बाप भोले ठहरे ना।
  • यह भी अभी तुमको बाप समझाते हैं क्योंकि खुद भोलानाथ है।
  • तो हद के बाप के लिए भी समझाते हैं कि वह कितने भोले हैं।
  • वह हुए हद के भोले।
  • यह फिर है बेहद का भोलानाथ बाप।
  • परमधाम से आते हैं, पुरानी दुनिया, पुराने शरीर में इसलिए मनुष्य समझते हैं कि पुराने पतित शरीर में कैसे आना होगा।
  • न समझने के कारण पावन शरीर वाले कृष्ण का नाम डाल दिया है।
  • यही गीता, वेद, शास्त्र आदि फिर भी बनेंगे।
  • देखो, शिवबाबा कितना भोला है।
  • आते हैं तो भी भासना ऐसी देते हैं - जैसेकि बाप यहाँ ही बैठा है।
  • यह साकार बाबा भी भोला है ना।
  • कोई दुपट्टा नहीं, कोई तिलक आदि नहीं।
  • बल्कि साधारण बाबा तो बाबा ही है।
  • बच्चे जानते हैं - कितनी यह सारी नॉलेज शिवबाबा ही देते हैं और कोई की ताकत नहीं जो दे सके।
  • दिन-प्रतिदिन बच्चों की लगन बढ़ती जाती है।
  • जितना बाप को याद करेंगे उतना लव बढ़ेगा।
  • बिलवेड मोस्ट बाप है ना।
  • न सिर्फ अभी परन्तु भक्ति मार्ग में भी तुम बिलवेड मोस्ट समझते थे।
  • कहते थे - बाबा जब आप आयेंगे तो और सबसे लव छोड़कर एक बाप के साथ लव रखेंगे।
  • तुम अभी जानते भी हो, परन्तु माया इतना लव करने नहीं देती है।
  • माया चाहती नहीं कि यह मुझे छोड़ बाप को याद करें।
  • वह चाहती है कि देह-अभिमानी हो मुझे लव करें।
  • यही माया चाहती है इसलिए कितना विघ्न डालती है।
  • तुमको विघ्नों को पार करना है।
  • बच्चों को कुछ तो मेहनत करनी चाहिए ना।
  • पुरुषार्थ से ही तुम अपनी प्रालब्ध पाते हो।
  • बच्चे जानते हैं, ऊंच पद पाने के लिए कितना पुरुषार्थ करना है।
  • एक तो विकारों का दान देना है, दूसरा बाप से जो अविनाशी ज्ञान रत्नों का धन मिलता है, वह दान करना है।
  • जिस अविनाशी धन से ही तुम इतने धनवान बनते हो।
  • नॉलेज है सोर्स ऑफ इनकम।
  • वह है शास्त्रों की फिलासॉफी, यह है स्प्रीचुअल नॉलेज।
  • शास्त्र आदि पढ़कर भी बहुत कमाते हैं।
  • एक कोठरी में ग्रंथ आदि रख दिया, थोड़ा कुछ सुनाया बस इनकम हो जायेगी।
  • वह कोई यथार्थ ज्ञान नहीं है।
  • यथार्थ ज्ञान एक बाप ही देते हैं।
  • जब तक किसको यह रूहानी नॉलेज नहीं मिली है तब तक वह शास्त्रों की फिलॉसॉफी बुद्धि में है।
  • तुम्हारी बात सुनते नहीं हैं।
  • तुम हो बहुत थोड़े।
  • यह तो 100 परसेंट सरटेन है कि यह रूहानी नॉलेज बच्चों ने रूहानी बाप से ली है।
  • नॉलेज सोर्स ऑफ इनकम है।
  • बहुत धन मिलता है।
  • योग से सोर्स ऑफ हेल्थ अर्थात् निरोगी काया मिलती है।
  • ज्ञान से वेल्थ।
  • यह हैं दो मुख्य सब्जेक्ट।
  • फिर कोई अच्छी तरह धारण करते हैं, कोई कम धारण करते हैं।
  • तो वेल्थ भी कम नम्बरवार मिलती है।
  • सजायें आदि खाकर जाए पद पाते हैं।
  • पूरा याद नहीं करते तो विकर्म विनाश नहीं होते हैं।
  • फिर सज़ायें खानी पड़ें।
  • पद भी भ्रष्ट हो पड़ता है।
  • जैसे स्कूल में होता है।
  • यह है बेहद की नॉलेज, इससे बेड़ा पार हो जाता है।
  • उस नॉलेज में बैरिस्टरी, डॉक्टरी, इन्जीनियरी पढ़ना पड़ता है।
  • यह तो एक ही पढ़ाई है।
  • योग और ज्ञान से एवरहेल्दी, वेल्दी बनते हैं। प्रिन्स बन जाते हैं।
  • वहाँ स्वर्ग में कोई बैरिस्टर, जज आदि नहीं होते हैं।
  • वहाँ धर्मराज की भी दरकार नहीं होती है।
  • न गर्भ जेल में सजा, न धर्मराजपुरी की सजा मिलती है।
  • गर्भ महल में बहुत सुखी रहते हैं।
  • यहाँ तो गर्भ जेल में सजायें खानी पड़ती हैं।
  • इन सब बातों को तुम बच्चे ही अब समझते हो।
  • बाकी शास्त्रों में, संस्कृत में श्लोक आदि मनुष्यों ने बनाये हैं।
  • पूछते हैं सतयुग में भाषा कौन-सी होगी?
  • बाप समझाते हैं - जो देवताओं की भाषा होगी, वही चलेगी।
  • वहाँ की जो भाषा होगी वह कहीं नहीं हो सकती।
  • ऐसे हो नहीं सकता कि वहाँ संस्कृत भाषा हो।
  • देवताओं और पतित मनुष्यों की एक भाषा हो नहीं सकती।
  • वहाँ की जो भाषा होगी वही चलेगी।
  • यह पूछने का रहता नहीं।
  • पहले बाप से वर्सा तो ले लो।
  • जो कल्प पहले हुआ होगा वही होगा।
  • पहले वर्सा लो, दूसरी कोई बात पूछो ही नहीं।
  • अच्छा, 84 जन्म नहीं हैं, 80 वा 82 हो, इन बातों को तुम छोड़ दो।
  • बाप कहते हैं, अल्फ को याद करो।
  • स्वर्ग की बादशाही बरोबर मिलती है ना।
  • अनेक बार तुमने स्वर्ग की बादशाही ली है।
  • चढ़ाई से उतरना भी तो है।
  • अभी तुम मास्टर ज्ञान सागर, मास्टर सुख का सागर बनते हो।
  • तुम पुरुषार्थी हो।
  • बाबा तो कम्पलीट है।
  • बाप में जो नॉलेज है वह बच्चों में है।
  • परन्तु तुमको सागर नहीं कहेंगे।
  • सागर तो एक होता है सिर्फ अनेक नाम रख दिये हैं।
  • बाकी तुम हो ज्ञान सागर से निकली हुई नदियाँ।
  • तुम हो मानसरोवर, नदियाँ।
  • नदियों पर नाम भी है।
  • ब्रह्मपुत्रा बहुत बड़ी नदी है।
  • कलकत्ते में नदी और सागर का संगम है।
  • उसका नाम भी है, डायमण्ड हार्बर।
  • तुम ब्रह्मा मुख वंशावली, हीरे जैसे बनते हो।
  • बड़ा भारी मेला लगता है।
  • बाबा इस ब्रह्मा तन में आकर बच्चों से मिलते हैं।
  • यह सब बातें समझने की हैं।
  • फिर भी बाबा कहते हैं मनमनाभव।
  • बाबा को याद करते रहो।
  • वह मोस्ट बिलवेड, सब सम्बन्धों की सैक्रीन है।
  • वह सब सम्बन्धी हैं विकारी।
  • उनसे दु:ख मिलता है।
  • बाबा तुमको सबका एवजा दे देते हैं।
  • सब सम्बन्धों का लव देते हैं, कितना सुख देते हैं।
  • और कोई इतना सुख नहीं दे सकते।
  • कोई देते हैं तो अल्पकाल के लिए।
  • जिसको ही संन्यासी काग-विष्टा के समान सुख कहते हैं।
  • दु:खधाम में तो जरूर दु:ख ही होगा।
  • तुम बच्चे जानते हो हमने यह अनेक बार पार्ट बजाया है।
  • परन्तु हम ऊंच पद कैसे पायें, उनका फा रहना चाहिए।
  • बहुत पुरुषार्थ करना है कि हम वहाँ फेल न हो जायें।
  • अच्छे नम्बर से पास होंगे तो ऊंच पद पायेंगे और उनको खुशी भी होगी।
  • सब एक समान हो न सके, जितना योग होगा।
  • बहुत गोपिकायें हैं जो कभी मिली भी नहीं हैं।
  • बाप से मिलने लिए तड़पती हैं।
  • साधू-संन्यासियों के पास तड़पने की बात नहीं रहती है।
  • यहाँ तो शिवबाबा से मिलने के लिए आते हैं।
  • वण्डरफुल बात है ना।
  • घर में बैठकर याद करते हैं, शिवबाबा हम आपके बच्चे हैं।
  • आत्मा को स्मृति आती है।
  • तुम बच्चे जानते हो हम शिवबाबा से कल्प-कल्प वर्सा लेते हैं।
  • वही बाप, कल्प के बाद आया हुआ है।
  • तो देखने बिगर रह न सकें।
  • आत्मा जानती है बाबा आया है।
  • शिव जयन्ती भी मनाते हैं, परन्तु जानते कुछ भी नहीं।
  • शिवबाबा आकर पढ़ाते हैं, यह कुछ भी नहीं जानते।
  • नाम मात्र शिव जयन्ती मनाते हैं।
  • छुट्टी भी नहीं करते हैं।
  • वर्सा जिसने दिया, उसका कुछ महत्व नहीं।
  • और जिसको वर्सा दिया (कृष्ण को) उसका नाम बाला कर दिया है।
  • खास भारत को आकर हेविन बनाया है।
  • बाकी सबको मुक्ति देते हैं।
  • चाहते भी सब हैं।
  • तुम जानते हो मुक्ति के बाद जीवन मुक्ति मिलेगी।
  • बाप आकर माया के बन्धन से मुक्त करते हैं।
  • बाप को कहा जाता है सर्व का सद्गति दाता।
  • जीवनमुक्ति तो सबको मिलती है।
  • नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार।
  • बाप कहते हैं, यह है पतित दुनिया दु:खधाम।
  • सतयुग में तुमको कितना सुख मिलता है।
  • उनको कहते हैं बहिश्त।
  • अल्लाह ने बहिश्त किसलिए रचा?
  • क्या सिर्फ मुसलमानों के लिए रचा?
  • अपनी-अपनी भाषा में कोई स्वर्ग कहते हैं, कोई बहिश्त कहते हैं।
  • तुम जानते हो हेविन में सिर्फ भारत ही होता है।
  • यह सब बातें तुम बच्चों की बुद्धि में नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार बैठी हैं।
  • एक मुसलमान भी कहता था हम अल्लाह के गार्डन में गये।
  • यह सब साक्षात्कार होते हैं।
  • ड्रामा में पहले से ही नूँधा हुआ है।
  • ड्रामा में जो होता है, सेकण्ड पास हुआ कहेंगे कल्प पहले भी हुआ था।
  • कल क्या होना है, यह पता नहीं है।
  • ड्रामा पर निश्चय चाहिए, जिसमें कोई फा नहीं रहेगा।
  • हमको तो बाबा ने हुक्म दिया है - मामेकम् याद करो और अपने वर्से को याद करो।
  • खत्म तो सबको होना ही है।
  • कोई एक-दो के लिए रो भी नहीं सकेंगे।
  • मौत आया और गया, रोने की फुर्सत नहीं रहेगी।
  • आवाज़ ही नहीं निकलेगा।
  • आजकल तो मनुष्य राख भी लेकर कितना परिक्रमा करते हैं।
  • भाव बैठा हुआ है।
  • सब वेस्ट ऑफ टाइम.... इसमें रखा ही क्या है।
  • मिट्टी, मिट्टी में मिल जायेगी।
  • इससे भारत पवित्र बन जायेगा क्या?
  • पतित दुनिया में जो काम करते हैं, पतित ही करेंगे।
  • दान-पुण्य आदि भी करते आये हैं।
  • क्या भारत पावन बना है?
  • सीढ़ी उतरनी ही है।
  • सतयुग में सूर्यवंशी बने।
  • फिर सीढ़ी उतरनी पड़े, धीरे-धीरे गिरते हैं।
  • भल कितना भी यज्ञ-तप आदि करें फिर भी दूसरे जन्म में अल्पकाल का फल मिलता है।
  • कोई बुरा कर्म करता है तो उसका भी एवजा उनको मिलता है।
  • बेहद का बाप जानते हैं बच्चों को पढ़ाने आये हैं।
  • तन भी साधारण लिया है।
  • कोई तिलक आदि लगाने की दरकार नहीं।
  • तिलक तो भक्त लोग बड़े-बड़े देते हैं, परन्तु ठगते कितना हैं।
  • बाबा ने कहा है, मैं साधारण तन में आता हूँ, आकर बच्चों को पढ़ाता हूँ।
  • वानप्रस्थ अवस्था ठहरी।
  • कृष्ण का नाम क्यों डाला?
  • यहाँ जज करने की भी बुद्धि नहीं है।
  • अभी बाबा ने राइट-रांग जज करने की बुद्धि दी है।
  • बाप कहते हैं, तुम यज्ञ-तप, दान-पुण्य करते, शास्त्र पढ़ते आये।
  • क्या उन शास्त्रों में कुछ है?
  • हमने तो तुमको राजयोग सिखलाकर विश्व की बादशाही दी कि कृष्ण ने दी?
  • जज करो।
  • कहते हैं - बाबा आपने ही सुनाया था।
  • कृष्ण तो छोटा प्रिन्स है, वह कैसे सुनायेंगे!
  • बाबा आपके ही राजयोग से हम यह बनते हैं।
  • बाप कहते हैं, शरीर पर भरोसा नहीं है।
  • बहुत पुरुषार्थ करना है।
  • बाबा को समाचार सुनाते हैं फलाना बहुत अच्छा निश्चयबुद्धि है।
  • मैं कहता हूँ बिल्कुल निश्चय नहीं है, जिनको बहुत प्यार किया वह आज नहीं है।
  • बाबा तो सबके साथ प्यार से चलता है।
  • जैसे कर्म मैं करुँगा, मुझे देख और करेंगे।
  • कई तो विकार में जाए, फिर छिपकर आए बैठते हैं।
  • बाबा तो झट सन्देशी को बता देते हैं।
  • ऐसे कर्म करने वाले बहुत नाज़ुक होते जायेंगे।
  • आगे चल नहीं सकेंगे।
  • पिछाड़ी के नाज़ुक समय कोई कुछ करता है तो एकदम मार्शल लॉ चलाते हैं।
  • आगे चल तुम बहुत देखेंगे।
  • बाबा क्या-क्या करते हैं।
  • बाबा थोड़ेही सज़ा देंगे, धर्मराज द्वारा दिलवाते हैं।
  • ज्ञान में प्रेरणा की बात नहीं है।
  • भगवान को तो सब मनुष्य कहते हैं हे पतित-पावन आओ, हमको आकर पावन बनाओ।
  • सभी आत्मायें आरगन्स द्वारा पुकारती हैं।
  • बाप है ज्ञान का सागर।
  • उनके पास बहुत वक्खर (वैरायटी सामान) है।
  • ऐसा वक्खर फिर कोई के पास नहीं है।
  • कृष्ण की महिमा बिल्कुल अलग है।
  • बाप की शिक्षा से यह (लक्ष्मी-नारायण) कैसे बनें?
  • बनाने वाला तो बाप ही है।
  • बाप आकर कर्म, अकर्म, विकर्म की गति समझाते हैं।
  • अब तुम्हारा तीसरा नेत्र खुला है।
  • तुम जानते हो 5 हज़ार वर्ष की बात है।
  • अब घर जाना है, पार्ट बजाना है।
  • यह स्वदर्शन चक्र है ना।
  • तुम्हारा नाम है स्वदर्शन चक्रधारी, ब्राह्मण कुल भूषण, प्रजापिता ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ।
  • लाखों की अन्दाज़ में स्वदर्शन चक्रधारी बनेंगे।
  • तुम कितनी नॉलेज पढ़ते हो।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) यह समय बहुत नाज़ुक है इसलिए कोई भी उल्टा कर्म नहीं करना है।
  • कर्म-अकर्म-विकर्म की गति को ध्यान में रख सदा श्रेष्ठ कर्म करने हैं।
  • 2) योग से सदा के लिए अपनी काया निरोगी बनानी है।
  • एक बिलवेड मोस्ट बाप को ही याद करना है।
  • बाप से जो अविनाशी ज्ञान का धन मिलता है, वह दान करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • स्वमान में स्थित रह विश्व द्वारा सम्मान प्राप्त करने वाले, देह-अभिमान मुक्त भव
  • पढ़ाई का मूल लक्ष्य है - देह-अभिमान से न्यारे हो देही-अभिमानी बनना।
  • इस देह-अभिमान से न्यारे अथवा मुक्त होने की विधि ही है - सदा स्वमान में स्थित रहना।
  • संगमयुग के और भविष्य के जो अनेक प्रकार के स्वमान हैं उनमें किसी एक भी स्वमान में स्थित रहने से देह-अभिमान मिटता जायेगा।
  • जो स्वमान में स्थित रहता है उन्हें स्वत: मान प्राप्त होता है।
  • सदा स्वमान में रहने वाले ही विश्व महाराजन बनते हैं और विश्व उन्हें सम्मान देती है।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • जैसा समय वैसा अपने को मोल्ड कर लेना - यही है रीयल गोल्ड बनना।