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ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चे जानते हैं कि अब रूहानी बाप हमको यह सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान सुना रहे हैं। उनका नाम ही है भोलानाथ।
- बाप बहुत भोले होते हैं, कितनी तकलीफ सहन करके भी बच्चों को पढ़ाते हैं।
- सम्भालते हैं। फिर जब बड़े होते हैं तो सब कुछ उनको दे खुद वानप्रस्थ अवस्था ले लेते हैं।
- समझते हैं कि हमने फ़र्ज-अदाई पूरी की, अब बच्चे जानें।
- तो बाप भोले ठहरे ना।
- यह भी अभी तुमको बाप समझाते हैं क्योंकि खुद भोलानाथ है।
- तो हद के बाप के लिए भी समझाते हैं कि वह कितने भोले हैं।
- वह हुए हद के भोले।
- यह फिर है बेहद का भोलानाथ बाप।
- परमधाम से आते हैं, पुरानी दुनिया, पुराने शरीर में इसलिए मनुष्य समझते हैं कि पुराने पतित शरीर में कैसे आना होगा।
- न समझने के कारण पावन शरीर वाले कृष्ण का नाम डाल दिया है।
- यही गीता, वेद, शास्त्र आदि फिर भी बनेंगे।
- देखो, शिवबाबा कितना भोला है।
- आते हैं तो भी भासना ऐसी देते हैं - जैसेकि बाप यहाँ ही बैठा है।
- यह साकार बाबा भी भोला है ना।
- कोई दुपट्टा नहीं, कोई तिलक आदि नहीं।
- बल्कि साधारण बाबा तो बाबा ही है।
- बच्चे जानते हैं - कितनी यह सारी नॉलेज शिवबाबा ही देते हैं और कोई की ताकत नहीं जो दे सके।
- दिन-प्रतिदिन बच्चों की लगन बढ़ती जाती है।
- जितना बाप को याद करेंगे उतना लव बढ़ेगा।
- बिलवेड मोस्ट बाप है ना।
- न सिर्फ अभी परन्तु भक्ति मार्ग में भी तुम बिलवेड मोस्ट समझते थे।
- कहते थे - बाबा जब आप आयेंगे तो और सबसे लव छोड़कर एक बाप के साथ लव रखेंगे।
- तुम अभी जानते भी हो, परन्तु माया इतना लव करने नहीं देती है।
- माया चाहती नहीं कि यह मुझे छोड़ बाप को याद करें।
- वह चाहती है कि देह-अभिमानी हो मुझे लव करें।
- यही माया चाहती है इसलिए कितना विघ्न डालती है।
- तुमको विघ्नों को पार करना है।
- बच्चों को कुछ तो मेहनत करनी चाहिए ना।
- पुरुषार्थ से ही तुम अपनी प्रालब्ध पाते हो।
- बच्चे जानते हैं, ऊंच पद पाने के लिए कितना पुरुषार्थ करना है।
- एक तो विकारों का दान देना है, दूसरा बाप से जो अविनाशी ज्ञान रत्नों का धन मिलता है, वह दान करना है।
- जिस अविनाशी धन से ही तुम इतने धनवान बनते हो।
- नॉलेज है सोर्स ऑफ इनकम।
- वह है शास्त्रों की फिलासॉफी, यह है स्प्रीचुअल नॉलेज।
- शास्त्र आदि पढ़कर भी बहुत कमाते हैं।
- एक कोठरी में ग्रंथ आदि रख दिया, थोड़ा कुछ सुनाया बस इनकम हो जायेगी।
- वह कोई यथार्थ ज्ञान नहीं है।
- यथार्थ ज्ञान एक बाप ही देते हैं।
- जब तक किसको यह रूहानी नॉलेज नहीं मिली है तब तक वह शास्त्रों की फिलॉसॉफी बुद्धि में है।
- तुम्हारी बात सुनते नहीं हैं।
- तुम हो बहुत थोड़े।
- यह तो 100 परसेंट सरटेन है कि यह रूहानी नॉलेज बच्चों ने रूहानी बाप से ली है।
- नॉलेज सोर्स ऑफ इनकम है।
- बहुत धन मिलता है।
- योग से सोर्स ऑफ हेल्थ अर्थात् निरोगी काया मिलती है।
- ज्ञान से वेल्थ।
- यह हैं दो मुख्य सब्जेक्ट।
- फिर कोई अच्छी तरह धारण करते हैं, कोई कम धारण करते हैं।
- तो वेल्थ भी कम नम्बरवार मिलती है।
- सजायें आदि खाकर जाए पद पाते हैं।
- पूरा याद नहीं करते तो विकर्म विनाश नहीं होते हैं।
- फिर सज़ायें खानी पड़ें।
- पद भी भ्रष्ट हो पड़ता है।
- जैसे स्कूल में होता है।
- यह है बेहद की नॉलेज, इससे बेड़ा पार हो जाता है।
- उस नॉलेज में बैरिस्टरी, डॉक्टरी, इन्जीनियरी पढ़ना पड़ता है।
- यह तो एक ही पढ़ाई है।
- योग और ज्ञान से एवरहेल्दी, वेल्दी बनते हैं। प्रिन्स बन जाते हैं।
- वहाँ स्वर्ग में कोई बैरिस्टर, जज आदि नहीं होते हैं।
- वहाँ धर्मराज की भी दरकार नहीं होती है।
- न गर्भ जेल में सजा, न धर्मराजपुरी की सजा मिलती है।
- गर्भ महल में बहुत सुखी रहते हैं।
- यहाँ तो गर्भ जेल में सजायें खानी पड़ती हैं।
- इन सब बातों को तुम बच्चे ही अब समझते हो।
- बाकी शास्त्रों में, संस्कृत में श्लोक आदि मनुष्यों ने बनाये हैं।
- पूछते हैं सतयुग में भाषा कौन-सी होगी?
- बाप समझाते हैं - जो देवताओं की भाषा होगी, वही चलेगी।
- वहाँ की जो भाषा होगी वह कहीं नहीं हो सकती।
- ऐसे हो नहीं सकता कि वहाँ संस्कृत भाषा हो।
- देवताओं और पतित मनुष्यों की एक भाषा हो नहीं सकती।
- वहाँ की जो भाषा होगी वही चलेगी।
- यह पूछने का रहता नहीं।
- पहले बाप से वर्सा तो ले लो।
- जो कल्प पहले हुआ होगा वही होगा।
- पहले वर्सा लो, दूसरी कोई बात पूछो ही नहीं।
- अच्छा, 84 जन्म नहीं हैं, 80 वा 82 हो, इन बातों को तुम छोड़ दो।
- बाप कहते हैं, अल्फ को याद करो।
- स्वर्ग की बादशाही बरोबर मिलती है ना।
- अनेक बार तुमने स्वर्ग की बादशाही ली है।
- चढ़ाई से उतरना भी तो है।
- अभी तुम मास्टर ज्ञान सागर, मास्टर सुख का सागर बनते हो।
- तुम पुरुषार्थी हो।
- बाबा तो कम्पलीट है।
- बाप में जो नॉलेज है वह बच्चों में है।
- परन्तु तुमको सागर नहीं कहेंगे।
- सागर तो एक होता है सिर्फ अनेक नाम रख दिये हैं।
- बाकी तुम हो ज्ञान सागर से निकली हुई नदियाँ।
- तुम हो मानसरोवर, नदियाँ।
- नदियों पर नाम भी है।
- ब्रह्मपुत्रा बहुत बड़ी नदी है।
- कलकत्ते में नदी और सागर का संगम है।
- उसका नाम भी है, डायमण्ड हार्बर।
- तुम ब्रह्मा मुख वंशावली, हीरे जैसे बनते हो।
- बड़ा भारी मेला लगता है।
- बाबा इस ब्रह्मा तन में आकर बच्चों से मिलते हैं।
- यह सब बातें समझने की हैं।
- फिर भी बाबा कहते हैं मनमनाभव।
- बाबा को याद करते रहो।
- वह मोस्ट बिलवेड, सब सम्बन्धों की सैक्रीन है।
- वह सब सम्बन्धी हैं विकारी।
- उनसे दु:ख मिलता है।
- बाबा तुमको सबका एवजा दे देते हैं।
- सब सम्बन्धों का लव देते हैं, कितना सुख देते हैं।
- और कोई इतना सुख नहीं दे सकते।
- कोई देते हैं तो अल्पकाल के लिए।
- जिसको ही संन्यासी काग-विष्टा के समान सुख कहते हैं।
- दु:खधाम में तो जरूर दु:ख ही होगा।
- तुम बच्चे जानते हो हमने यह अनेक बार पार्ट बजाया है।
- परन्तु हम ऊंच पद कैसे पायें, उनका फा रहना चाहिए।
- बहुत पुरुषार्थ करना है कि हम वहाँ फेल न हो जायें।
- अच्छे नम्बर से पास होंगे तो ऊंच पद पायेंगे और उनको खुशी भी होगी।
- सब एक समान हो न सके, जितना योग होगा।
- बहुत गोपिकायें हैं जो कभी मिली भी नहीं हैं।
- बाप से मिलने लिए तड़पती हैं।
- साधू-संन्यासियों के पास तड़पने की बात नहीं रहती है।
- यहाँ तो शिवबाबा से मिलने के लिए आते हैं।
- वण्डरफुल बात है ना।
- घर में बैठकर याद करते हैं, शिवबाबा हम आपके बच्चे हैं।
- आत्मा को स्मृति आती है।
- तुम बच्चे जानते हो हम शिवबाबा से कल्प-कल्प वर्सा लेते हैं।
- वही बाप, कल्प के बाद आया हुआ है।
- तो देखने बिगर रह न सकें।
- आत्मा जानती है बाबा आया है।
- शिव जयन्ती भी मनाते हैं, परन्तु जानते कुछ भी नहीं।
- शिवबाबा आकर पढ़ाते हैं, यह कुछ भी नहीं जानते।
- नाम मात्र शिव जयन्ती मनाते हैं।
- छुट्टी भी नहीं करते हैं।
- वर्सा जिसने दिया, उसका कुछ महत्व नहीं।
- और जिसको वर्सा दिया (कृष्ण को) उसका नाम बाला कर दिया है।
- खास भारत को आकर हेविन बनाया है।
- बाकी सबको मुक्ति देते हैं।
- चाहते भी सब हैं।
- तुम जानते हो मुक्ति के बाद जीवन मुक्ति मिलेगी।
- बाप आकर माया के बन्धन से मुक्त करते हैं।
- बाप को कहा जाता है सर्व का सद्गति दाता।
- जीवनमुक्ति तो सबको मिलती है।
- नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार।
- बाप कहते हैं, यह है पतित दुनिया दु:खधाम।
- सतयुग में तुमको कितना सुख मिलता है।
- उनको कहते हैं बहिश्त।
- अल्लाह ने बहिश्त किसलिए रचा?
- क्या सिर्फ मुसलमानों के लिए रचा?
- अपनी-अपनी भाषा में कोई स्वर्ग कहते हैं, कोई बहिश्त कहते हैं।
- तुम जानते हो हेविन में सिर्फ भारत ही होता है।
- यह सब बातें तुम बच्चों की बुद्धि में नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार बैठी हैं।
- एक मुसलमान भी कहता था हम अल्लाह के गार्डन में गये।
- यह सब साक्षात्कार होते हैं।
- ड्रामा में पहले से ही नूँधा हुआ है।
- ड्रामा में जो होता है, सेकण्ड पास हुआ कहेंगे कल्प पहले भी हुआ था।
- कल क्या होना है, यह पता नहीं है।
- ड्रामा पर निश्चय चाहिए, जिसमें कोई फा नहीं रहेगा।
- हमको तो बाबा ने हुक्म दिया है - मामेकम् याद करो और अपने वर्से को याद करो।
- खत्म तो सबको होना ही है।
- कोई एक-दो के लिए रो भी नहीं सकेंगे।
- मौत आया और गया, रोने की फुर्सत नहीं रहेगी।
- आवाज़ ही नहीं निकलेगा।
- आजकल तो मनुष्य राख भी लेकर कितना परिक्रमा करते हैं।
- भाव बैठा हुआ है।
- सब वेस्ट ऑफ टाइम.... इसमें रखा ही क्या है।
- मिट्टी, मिट्टी में मिल जायेगी।
- इससे भारत पवित्र बन जायेगा क्या?
- पतित दुनिया में जो काम करते हैं, पतित ही करेंगे।
- दान-पुण्य आदि भी करते आये हैं।
- क्या भारत पावन बना है?
- सीढ़ी उतरनी ही है।
- सतयुग में सूर्यवंशी बने।
- फिर सीढ़ी उतरनी पड़े, धीरे-धीरे गिरते हैं।
- भल कितना भी यज्ञ-तप आदि करें फिर भी दूसरे जन्म में अल्पकाल का फल मिलता है।
- कोई बुरा कर्म करता है तो उसका भी एवजा उनको मिलता है।
- बेहद का बाप जानते हैं बच्चों को पढ़ाने आये हैं।
- तन भी साधारण लिया है।
- कोई तिलक आदि लगाने की दरकार नहीं।
- तिलक तो भक्त लोग बड़े-बड़े देते हैं, परन्तु ठगते कितना हैं।
- बाबा ने कहा है, मैं साधारण तन में आता हूँ, आकर बच्चों को पढ़ाता हूँ।
- वानप्रस्थ अवस्था ठहरी।
- कृष्ण का नाम क्यों डाला?
- यहाँ जज करने की भी बुद्धि नहीं है।
- अभी बाबा ने राइट-रांग जज करने की बुद्धि दी है।
- बाप कहते हैं, तुम यज्ञ-तप, दान-पुण्य करते, शास्त्र पढ़ते आये।
- क्या उन शास्त्रों में कुछ है?
- हमने तो तुमको राजयोग सिखलाकर विश्व की बादशाही दी कि कृष्ण ने दी?
- जज करो।
- कहते हैं - बाबा आपने ही सुनाया था।
- कृष्ण तो छोटा प्रिन्स है, वह कैसे सुनायेंगे!
- बाबा आपके ही राजयोग से हम यह बनते हैं।
- बाप कहते हैं, शरीर पर भरोसा नहीं है।
- बहुत पुरुषार्थ करना है।
- बाबा को समाचार सुनाते हैं फलाना बहुत अच्छा निश्चयबुद्धि है।
- मैं कहता हूँ बिल्कुल निश्चय नहीं है, जिनको बहुत प्यार किया वह आज नहीं है।
- बाबा तो सबके साथ प्यार से चलता है।
- जैसे कर्म मैं करुँगा, मुझे देख और करेंगे।
- कई तो विकार में जाए, फिर छिपकर आए बैठते हैं।
- बाबा तो झट सन्देशी को बता देते हैं।
- ऐसे कर्म करने वाले बहुत नाज़ुक होते जायेंगे।
- आगे चल नहीं सकेंगे।
- पिछाड़ी के नाज़ुक समय कोई कुछ करता है तो एकदम मार्शल लॉ चलाते हैं।
- आगे चल तुम बहुत देखेंगे।
- बाबा क्या-क्या करते हैं।
- बाबा थोड़ेही सज़ा देंगे, धर्मराज द्वारा दिलवाते हैं।
- ज्ञान में प्रेरणा की बात नहीं है।
- भगवान को तो सब मनुष्य कहते हैं हे पतित-पावन आओ, हमको आकर पावन बनाओ।
- सभी आत्मायें आरगन्स द्वारा पुकारती हैं।
- बाप है ज्ञान का सागर।
- उनके पास बहुत वक्खर (वैरायटी सामान) है।
- ऐसा वक्खर फिर कोई के पास नहीं है।
- कृष्ण की महिमा बिल्कुल अलग है।
- बाप की शिक्षा से यह (लक्ष्मी-नारायण) कैसे बनें?
- बनाने वाला तो बाप ही है।
- बाप आकर कर्म, अकर्म, विकर्म की गति समझाते हैं।
- अब तुम्हारा तीसरा नेत्र खुला है।
- तुम जानते हो 5 हज़ार वर्ष की बात है।
- अब घर जाना है, पार्ट बजाना है।
- यह स्वदर्शन चक्र है ना।
- तुम्हारा नाम है स्वदर्शन चक्रधारी, ब्राह्मण कुल भूषण, प्रजापिता ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ।
- लाखों की अन्दाज़ में स्वदर्शन चक्रधारी बनेंगे।
- तुम कितनी नॉलेज पढ़ते हो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) यह समय बहुत नाज़ुक है इसलिए कोई भी उल्टा कर्म नहीं करना है।
- कर्म-अकर्म-विकर्म की गति को ध्यान में रख सदा श्रेष्ठ कर्म करने हैं।
- 2) योग से सदा के लिए अपनी काया निरोगी बनानी है।
- एक बिलवेड मोस्ट बाप को ही याद करना है।
- बाप से जो अविनाशी ज्ञान का धन मिलता है, वह दान करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- स्वमान में स्थित रह विश्व द्वारा सम्मान प्राप्त करने वाले, देह-अभिमान मुक्त भव
- पढ़ाई का मूल लक्ष्य है - देह-अभिमान से न्यारे हो देही-अभिमानी बनना।
- इस देह-अभिमान से न्यारे अथवा मुक्त होने की विधि ही है - सदा स्वमान में स्थित रहना।
- संगमयुग के और भविष्य के जो अनेक प्रकार के स्वमान हैं उनमें किसी एक भी स्वमान में स्थित रहने से देह-अभिमान मिटता जायेगा।
- जो स्वमान में स्थित रहता है उन्हें स्वत: मान प्राप्त होता है।
- सदा स्वमान में रहने वाले ही विश्व महाराजन बनते हैं और विश्व उन्हें सम्मान देती है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- जैसा समय वैसा अपने को मोल्ड कर लेना - यही है रीयल गोल्ड बनना।
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