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ओम् शान्ति। बच्चों ने बेहद के बाप का फरमान सुना।
- यह जो इस जगत के मम्मा-बाबा हैं, यह जो तुम्हारा नाता है, देह के साथ है क्योंकि देह से पहले-पहले माता की फिर पिता की लागत होती है फिर भाई-बन्धु आदि की होती है।
- तो बेहद के बाप का कहना है कि इस जगत में तुम्हारे जो मात-पिता हैं उनसे बुद्धि का योग तोड़ दो।
- इस जगत से नाता नहीं रखो क्योंकि यह सब हैं कलियुगी छी-छी नाते।
- जगत अर्थात् दुनिया।
- इस पतित दुनिया से बुद्धि का योग तोड़ मुझ एक से जोड़ो और फिर नये जगत के साथ जोड़ो, क्योंकि अब तुमको मेरे पास आना है।
- सिर्फ नाता जोड़ने की बात है और कोई बात नहीं और कोई तकलीफ नहीं।
- नाता जोड़ेंगे वह जिनको डायरेक्शन मिलता है।
- सतयुग में पहले नाता अच्छा होता है, सतोप्रधान फिर नीचे उतरते जाते हैं।
- फिर जो सुख का नाता है वह आहिस्ते-आहिस्ते कम होता जाता है।
- अभी तो बिल्कुल ही इस पुरानी दुनिया से नाता तोड़ना पड़े।
- बाप कहते हैं मेरे साथ नाता जोड़ो।
- श्रीमत पर चलो और जो भी देह के नाते हैं वह सब छोड़ दो।
- विनाश तो होना ही है।
- बच्चे जानते हैं बाप जिसको परमपिता परमात्मा कहा जाता है, वह भी ड्रामा अनुसार सर्विस करते हैं।
- वह भी ड्रामा के बन्धन में बांधा हुआ है। मनुष्य तो समझते हैं वह सर्वशक्तिमान् हैं।
- जैसे कृष्ण को भी सर्वशक्तिमान् मानते हैं।
- उनको स्वदर्शन चक्र दे दिया है।
- समझते हैं उनसे गला काटते हैं।
- परन्तु यह नहीं समझते कि देवतायें हिंसा का काम कैसे करेंगे।
- वह तो कर नहीं सकते।
- देवताओं के लिए तो कहा जाता है - अहिंसा परमो धर्म था।
- उन्हों में हिंसा कहाँ से आई?
- जिसको जो आया वह बैठकर लिख दिया है।
- कितनी धर्म की ग्लानी की है।
- बाप कहते हैं इन शास्त्रों में सच तो बिल्कुल आटे में नमक मिसल है।
- यह भी लिखा हुआ है कि रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा था।
- उसमें असुर विघ्न डालते थे।
- अबलाओं पर अत्याचार होते थे।
- वह तो ठीक लिखा हुआ है।
- अभी तुम समझते हो - शास्त्रों में सच क्या है, झूठ क्या है।
- भगवान खुद कहते हैं इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में विघ्न पड़ेंगे जरूर।
- ड्रामा में नूँध है।
- ऐसे नहीं कि परमात्मा साथ है तो विघ्नों को हटा देंगे।
- इसमें बाप क्या करेंगे!
- ड्रामा में होने का ही है।
- यह सब विघ्न डालें तब तो पाप का घड़ा भरे ना।
- बाप समझाते हैं ड्रामा में जो नूँध है वही होना है।
- असुरों के विघ्न जरूर पड़ेंगे।
- अपनी राजधानी जो स्थापन हो रही है।
- आधाकल्प माया के राज्य में मनुष्य कितना तमोप्रधान बुद्धि, भ्रष्टाचारी बन जाते हैं।
- फिर उनको श्रेष्ठाचारी बनाना बाप का काम है ना।
- आधाकल्प लगता है भ्रष्टाचारी बनने में।
- फिर एक सेकेण्ड में बाप श्रेष्ठाचारी बनाते हैं।
- निश्चय होने में देरी थोड़ेही लगती है।
- ऐसे बहुत अच्छे बच्चे हैं जिन्हों को निश्चय होता है, झट प्रतिज्ञा करते हैं, परन्तु माया भी तो पहलवान है ना।
- कुछ न कुछ मन्सा में तूफान लाती है।
- पुरूषार्थ कर कर्मणा में नहीं आना है।
- सब पुरूषार्थ कर रहे हैं।
- कर्मातीत अवस्था तो हुई नहीं है।
- कुछ न कुछ कर्मेन्द्रियों से हो जाता है।
- कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने में बीच में विघ्न जरूर पड़ेंगे।
- बाप ने समझाया है - पुरूषार्थ करते-करते अन्त में जाकर कर्मतीत अवस्था होती है फिर तो इस शरीर को रहना नहीं है, इसलिए टाइम लगता है।
- विघ्न कुछ न कुछ पड़ते हैं।
- कहाँ माया हरा भी देती है। बाक्सिंग है ना।
- चाहते हैं बाबा की याद में रहें, परन्तु रह नहीं सकते।
- थोड़ा बहुत टाइम जो पड़ा हुआ है, धीरे-धीरे वह अवस्था धारण करनी है।
- कोई जन्मते ही राजा तो नहीं होता है।
- छोटा बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होगा ना, इसमें भी टाइम लगता है।
- अब तो बाकी थोड़ा समय रहा है।
- सारा मदार पुरूषार्थ के ऊपर है।
- अटेन्शन देना है, हम कैसे भी करके बाप से वर्सा लेंगे जरूर।
- माया का सामना जरूर करेंगे इसलिए प्रतिज्ञा करते हैं।
- माया भी कम नहीं है।
- हल्के से हल्के रूप में भी आती है।
- रुस्तम के सामने अच्छा जोर मारती है।
- यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं।
- बाप कहते हैं कि तुम बच्चों को अभी समझाता हूँ।
- बाप द्वारा तुम सद्गति को पा लेते हो।
- फिर इस ज्ञान की दरकार ही नहीं रहती।
- ज्ञान से सद्गति हो जाती है।
- सद्गति कहा जाता है सतयुग को।
- तो मीठे-मीठे बच्चों को लक्ष्य मिला है - यह भी समझते हैं ड्रामा अनुसार झाड़ बढ़ने में टाइम तो लगता ही है।
- विघ्न तो बहुत पड़ते हैं।
- चेंज होना पड़ता है।
- कौड़ी से हीरे जैसा बनना पड़ता है।
- रात-दिन का फ़र्क है।
- देवताओं के मन्दिर अभी तक भी बनाते रहते हैं।
- तुम ब्राह्मण अभी मन्दिर नहीं बनायेंगे क्योंकि वह है भक्ति मार्ग।
- दुनिया को यह पता ही नहीं कि अब भक्ति मार्ग खत्म हो ज्ञान मार्ग जिंदाबाद होना है।
- यह सिर्फ तुम बच्चों को मालूम है।
- मनुष्य तो समझते हैं कलियुग अभी बच्चा है।
- उन्हों का सारा मदार है - शास्त्रों पर।
- तुम बच्चों को तो बाप बैठ सभी वेदों शास्त्रों का राज़ समझाते हैं।
- बाप कहते हैं - अभी तक तुम जो पढ़े हो, वह सब भूल जाओ।
- उनसे कोई की सद्गति होती नहीं।
- भल करके अल्पकाल का सुख मिलता आया है।
- सदा सुख ही सुख मिले, ऐसे हो नहीं सकता।
- यह है क्षण भंगुर सुख।
- मनुष्य दु:ख में रहते हैं।
- मनुष्य यह नहीं जानते कि सतयुग में दु:ख का नाम निशान नहीं होता है।
- उन्होंने वहाँ के लिए भी ऐसी बातें बता दी हैं।
- वहाँ कृष्णपुरी में कंस था, यह था..।
- कृष्ण ने जेल में जन्म लिया।
- बहुत बातें लिख दी हैं।
- अब श्रीकृष्ण स्वर्ग का पहला नम्बर प्रिन्स, उसने क्या पाप किया?
- यह हैं दन्त कथायें, सो भी तुम अभी समझते हो जबकि बाप ने सच बताया है।
- बाप ही आकर सचखण्ड स्थापन करते हैं।
- सच-खण्ड में कितना सुख था, झूठ खण्ड में कितना दु:ख है।
- यह सब भूल गये हैं।
- तुम जानते हो हम श्रीमत पर सच-खण्ड स्थापन करके उसके मालिक बनेंगे।
- बाप समझाते हैं, ऐसे-ऐसे श्रीमत पर चलने से तुम ऊंच पद पा सकेंगे।
- बच्चे यह जानते हैं हमको यह पढ़ाई पढ़कर सूर्यवंशी महाराजा महारानी बनना है।
- दिल भी सबकी होती है ऊंच पद पाने की।
- सबका पुरूषार्थ चलता है।
- अच्छे पक्के भक्त जो होते हैं वह चित्र साथ में रखते हैं तो घड़ी-घड़ी उनकी याद रहेगी।
- बाबा भी कहते हैं त्रिमूर्ति का चित्र साथ में रख दो तो घड़ी-घड़ी याद आयेगी।
- बाप को याद करने से हम सूर्यवंशी घराने में आ जायेंगे।
- कमरे में त्रिमूर्ति का चित्र लगा हुआ होगा तो घड़ी-घड़ी नज़र सामने पड़ेगी।
- बाबा द्वारा हम इस सूर्यवंशी घराने में जायेंगे।
- सवेरे उठते ही नज़र उस पर जायेगी।
- यह भी एक पुरूषार्थ है।
- बाबा राय देते हैं - अच्छे-अच्छे भगत बहुत पुरूषार्थ करते हैं।
- आंख खोलने से ही कृष्ण याद आ जाये, इसलिए चित्र सामने रख देते हैं।
- तुम्हारे लिए तो और ही सहज है।
- अगर सहज याद नहीं आती, माया हैरान करती है तो यह चित्र मदद करेंगे।
- शिवबाबा हमको ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी का मालिक बनाते हैं।
- हम बाबा से विश्व का मालिक बन रहे हैं।
- इस सिमरण में रहने से भी मदद बहुत मिलेगी।
- जो बच्चे समझते हैं याद घड़ी-घड़ी भूल जाती है तो बाबा राय देते हैं, चित्र सामने रख दो तो बाप भी और वर्सा भी याद आयेगा।
- परन्तु ब्रह्मा को याद नहीं करना है।
- सगाई करते हैं तो दलाल थोड़ेही याद आता है।
- तुम बाबा को अच्छी रीति याद करो तो बाबा भी तुमको याद करेगा।
- याद से याद मिलती है।
- अभी माशुक के आक्युपेशन का तुमको पता है।
- शिव के कितने ढेर भगत हैं।
- शिव-शिव कहते रहते हैं।
- परन्तु वह रांग है - शिवकाशी, विश्वनाथ फिर गंगा कह देते हैं।
- पानी के किनारे जाकर बैठते हैं।
- यह समझते नहीं कि ज्ञान का सागर बाप है।
- बनारस में बहुत फॉरेनर्स आदि जाते हैं देखने।
- बड़े-बड़े घाट हैं फिर भी सभी के बाप का मन्दिर तो खींचता है।
- सब उनके पास जाते हैं।
- मन्दिर तो किसके पास जायेगा नहीं।
- मन्दिर के देवतायें खींचते हैं।
- शिवबाबा भी खींचते हैं।
- नम्बरवन है शिव-बाबा फिर सेकेण्ड नम्बर में यह ब्रह्मा, सरस्वती सो विष्णु।
- विष्णु सो ब्रह्मा।
- ब्राह्मण सो विष्णुपुरी के देवतायें।
- विष्णुपुरी के देवतायें सो ब्राह्मण।
- अब तुम्हारा धन्धा यह रहा, हम सो देवता बन रहे हैं तो औरों को भी रास्ता बताना है।
- और सब हैं जंगल में ले जाने वाले।
- तुम जंगल से निकाल बगीचे में ले जाते हो।
- शिवबाबा आकर कांटों को फूल बनाते हैं।
- तुम भी यह धन्धा करते हो।
- इन बातों को तुम ही जानते हो।
- कोई राजा-रानी तो हैं नहीं जिनको तुम समझाओ।
- गाया हुआ है पाण्डवों को 3 पैर पृथ्वी के नहीं मिलते थे।
- बाप समर्थ था तो उनको विश्व की बादशाही दे दी।
- अभी भी वही पार्ट बजेगा ना।
- बाप है गुप्त।
- कृष्ण को तो कोई विघ्न पड़ न सके।
- अब बाप आये हैं, बाप से आकर वर्सा लेना है, इसके लिए मेहनत करनी होती है।
- दिन प्रतिदिन नई-नई प्वाइंट्स निकलती रहती हैं।
- देखने में आता है, प्रदर्शनी में समझाने से अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- बुद्धि से काम लिया जाता है कि प्रदर्शनी से अच्छा प्रभाव होता है या प्रोजेक्टर से?
- प्रदर्शनी में समझाने से चेहरा देखकर समझाया जा सकता है।
- समझते हो गीता का भगवान बाप है, तो बाप से फिर वर्सा लेने का पुरूषार्थ करना है। 7 रोज़ देना है।
- लिखकर दो।
- नहीं तो बाहर जाने से ही माया भुला देगी।
- तुम्हारी बुद्धि में आ गया - हमने 84 का चक्र लगाया है, अभी जाना है।
- तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है।
- यह चित्र तो साथ में होने ही चाहिए।
- बड़े अच्छे हैं।
- बिड़ला आदि भी यह नहीं जानते कि इन लक्ष्मी-नारायण ने यह राज्य-भाग्य कब और कैसे लिया।
- तुम जानते हो तो तुमको बड़ी खुशी होनी चाहिए।
- लक्ष्मी-नारायण का चित्र ले, झट कोई को समझायेंगे।
- उन्होंने यह पद कैसे पाया?
- यह बातें बुद्धि से समझने और समझाने की हैं।
- मंजिल है ऊंची।
- जो जैसा टीचर है वह वैसे ही सर्विस करते हैं।
- देखते हैं - कौन-कौन सेन्टर सम्भाल रहे हैं, अपनी अवस्था अनुसार।
- नशा तो सबको है।
- परन्तु विवेक कहता है समझाने वाला जितना होशियार होगा उतना सर्विस अच्छी होगी।
- सब तो होशियार हो नहीं सकते।
- सबको एक जैसा टीचर मिल नहीं सकता।
- जैसे कल्प पहले चला था वैसे ही चल रहा है।
- बाप कहते हैं अपनी अवस्था को जमाते रहो।
- कल्प-कल्प की बाजी है।
- देखा जा रहा है - कल्प पहले मुआफिक हर एक का पुरूषार्थ चल रहा है।
- जो कुछ होता है - हम कह देते कल्प पहले भी ऐसे हुआ था।
- फिर खुशी भी रहती है, शान्ति भी रहती है।
- बाप कहते हैं कर्म करते हुए बाप को याद करो।
- बुद्धि का योग वहाँ लटका रहे तो बहुत कल्याण होगा, जो करेगा सो पायेगा।
- अच्छा करेगा अच्छा पायेगा।
- माया की मत पर सब बुरा ही करते आये हैं। अब मिलती है श्रीमत।
- भला करो तो भला हो।
- हर एक अपने लिए मेहनत करते हैं।
- जैसा करेंगे वैसा पायेंगे।
- क्यों न हम योग लगाते सर्विस करते रहें।
- योग से आयु बढ़ेगी।
- याद की यात्रा से निरोगी बनना है तो क्यों न हम बाबा की याद में रहें!
- यथार्थ बात है तो क्यों न हम कोशिश करें।
- ज्ञान तो बिल्कुल सहज है।
- छोटे बच्चे भी समझ जाते हैं और समझाते हैं।
- परन्तु वह योगी तो नहीं ठहरे ना।
- यह तो पक्का कराना है कि बाप को याद करो।
- जो समझते हैं, घड़ी-घड़ी भूल जाता है तो चित्र रख दें, तो भी अच्छा है।
- सवेरे चित्र को देखते ही याद आ जाता है।
- शिवबाबा से हम विष्णुपुरी का वर्सा ले रहे हैं।
- यह त्रिमूर्ति का चित्र ही मुख्य है, जिसका अर्थ तो तुमने अभी समझा है।
- दुनिया में ऐसे त्रिमूर्ति का चित्र और कोई के पास है नहीं।
- यह तो बिल्कुल सहज है।
- हम लिखें वा न लिखें।
- यह तो सभी जानते हैं ब्रह्मा द्वारा स्थापना, विष्णु द्वारा पालना।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) माया की बॉक्सिंग में कभी भी हार न हो - इसका ध्यान रखना है।
- कल्प पहले की स्मृति से अपनी अवस्था को जमाना है।
- खुशी और शान्ति में रहना है।
- 2) अपना भला करने के लिए श्रीमत पर चलना है।
- इस पुरानी दुनिया से नाता तोड़ देना है।
- माया के तूफान से बचने के लिए चित्रों को सामने रख बाप और वर्से को याद करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- निर्बल आत्माओं में शक्तियों का फोर्स भरने वाले ज्ञान-दाता सो वरदाता भव
- वर्तमान समय निर्बल आत्माओं में इतनी शक्ति नहीं है जो जम्प दे सकें, उन्हें एक्स्ट्रा फोर्स चाहिए।
- तो आप विशेष आत्माओं को स्वयं में विशेष शक्ति भरकरके उन्हें हाई जम्प दिलाना है।
- इसके लिए ज्ञान दाता के साथ-साथ शक्तियों के वरदाता बनो।
- रचता का प्रभाव रचना पर पड़ता है इसलिए वरदानी बनकर अपनी रचना को सर्व शक्तियों का वरदान दो।
- अभी इसी सर्विस की आवश्यकता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- साक्षी होकर हर खेल देखो तो सेफ भी रहेंगे और मज़ा भी आयेगा।
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