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ओम् शान्ति। बच्चों ने गीत की दो लाइन सुनी।
- जो पिया के साथ है, अब पिया कौन है!
- यह दुनिया नहीं जानती।
- भल ढेर बच्चे हैं, उनमें भी बहुत हैं जो नहीं जानते हैं कि किस प्रकार से बाप को याद करना चाहिए। वह याद करने नहीं आता।
- घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं।
- बाप समझाते हैं बच्चे अपने को आत्मा समझो, हम बिन्दी हैं।
- बाप, ज्ञान का सागर है, उनको ही याद करना है।
- याद करने की ऐसी प्रैक्टिस पड़ जाए जो निरन्तर याद ठहर जाये।
- पिछाड़ी में यही याद रहे कि हम आत्मा हैं, शरीर तो है परन्तु यह ज्ञान बुद्धि में रखना है कि हम आत्मा हैं।
- बाप का डायरेक्शन मिला हुआ है मैं जो हूँ, उस रूप में कोई विरला याद करते हैं।
- देह-अभिमान में बच्चे बहुत आ जाते हैं।
- बाप ने समझाया है, कोई को भी जब तक बाप का परिचय नहीं दिया है तब तक कुछ भी समझ नहीं सकेंगे।
- पहले तो उन्हों को यह मालूम पड़े कि वह निराकार हमारा बाप, गीता का भगवान है, वही सर्व का सद्गति दाता है।
- वह इस समय सद्गति करने का पार्ट बजा रहे हैं।
- इस प्वाइंट में निश्चयबुद्धि हो जाएं तो फिर जो भी इतने साधू-सन्त आदि हैं सब एक सेकण्ड में आ जायें।
- भारत में बड़ा हंगामा मच जाये।
- अभी मालूम पड़ जाये कि यह दुनिया विनाश होने वाली है।
- इस बात का निश्चय हो जाए तो बम्बई से लेकर आबू तक क्यू लग जाये।
- लेकिन इतना जल्दी कोई को निश्चय नहीं हो सकता।
- तुम जानते हो विनाश होना है, यह सब घोर निद्रा में सोये ही रहने हैं।
- फिर अन्त समय तुम्हारा प्रभाव निकलेगा।
- मासी का घर नहीं है जो इस बात में निश्चय हो जाए कि गीता का भगवान परमपिता पर-मात्मा शिव है।
- यह प्रसिद्ध हो जाए तो सारे भारत में आवाज हो जाये।
- अभी तो तुम एक को समझायेंगे तो दूसरा कहेगा तुमको जादू लग गया है।
- यह झाड़ बहुत धीरे-धीरे बढ़ना है।
- अभी थोड़ा टाइम है फिर भी पुरूषार्थ करने में हर्जा नहीं है।
- तुम बड़े-बड़े लोगों को समझाते हो, परन्तु वे कुछ भी समझते थोड़ेही हैं।
- बच्चों में भी कई इस नॉलेज को समझते नहीं हैं।
- बाप की याद नहीं तो वह अवस्था नहीं।
- बाप जानते हैं निश्चय किसको कहा जाता है।
- अभी तो कोई 1-2 परसेन्ट भी मुश्किल बाप को याद करते हैं।
- भल यहाँ बैठे हैं, बाप के साथ वह लव नहीं रहता।
- इसमें लव चाहिए, तकदीर चाहिए।
- बाप से लव हो तो समझें, हमको कदम-कदम श्रीमत पर चलना है।
- हम विश्व के मालिक बनते हैं।
- आधाकल्प का देह-अभिमान बैठा हुआ है सो अब देही-अभिमानी बनने में बड़ी मेहनत लगती है।
- अपने को आत्मा समझ मोस्ट बिलवेड बाप को याद करना मासी का घर नहीं है।
- उनके चेहरे में ही रौनक आ जाए।
- कन्या शादी करती है, जेवर आदि पहनती है तो चेहरे में एकदम खुशी आ जाती है।
- परन्तु यहाँ तो साजन को याद ही नहीं करते तो वह शक्ल मुरझाई हुई रहती है।
- बात मत पूछो।
- कन्या शादी करती है तो चेहरा खुशनुम: हो जाता है।
- कोई की तो शादी के बाद भी शक्ल मुर्दे जैसी रहती है।
- किसम-किसम के होते हैं।
- कोई तो दूसरे घर में जाकर मूँझ पड़ती हैं।
- तो यहाँ भी ऐसे है।
- बाप को याद करने की मेहनत है।
- यह गायन अन्त का है कि अतीन्द्रिय सुख गोपी वल्लभ के गोप-गोपियों से पूछो।
- अपने को गोप-गोपी समझना और निरन्तर बाप को याद करना, वह अवस्था होनी है।
- बाप का परिचय सबको देना है।
- बाप आया हुआ है वो वर्सा दे रहे हैं।
- इसमें सारी नॉलेज आ जाती है।
- लक्ष्मी-नारायण ने जब 84 जन्म पूरे किये तब बाप ने अन्त में आकर उन्हों को राजयोग सिखाकर राजाई दी।
- लक्ष्मी-नारायण का यह चित्र है नम्बरवन।
- तुम जानते हो उन्होंने आगे जन्म में ऐसे कर्म किये हैं, वह कर्म अब बाप सिखला रहे हैं।
- कहते हैं मनमनाभव, पवित्र रहो।
- कोई भी पाप मत करो क्योंकि तुम अभी स्वर्ग के मालिक, पुण्य आत्मा बनते हो।
- आधाकल्प माया रावण पाप कराती आई है।
- अब अपने से पूछना है - हमसे कोई पाप तो नहीं होता है?
- पुण्य का काम करते रहते हैं?
- अन्धों की लाठी बने हैं?
- बाप कहते हैं मनमना-भव।
- यह भी पूछना होता है कि मनमनाभव किसने कहा?
- वह कहेंगे कृष्ण ने कहा।
- तुम मानते हो परमपिता परमात्मा शिव ने कहा।
- रात-दिन का फर्क है।
- शिव जयन्ती के साथ है गीता जयन्ती।
- गीता जयन्ती के साथ कृष्ण जयन्ती।
- तुम जानते हो हम भविष्य में प्रिन्स बनेंगे।
- बेगर टू प्रिन्स बनना है।
- यह एम-आब्जेक्ट ही राजयोग की है।
- तुम सिद्ध कर बताओ कि गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं था, वह तो निराकार था।
- तो सर्वव्यापी का ज्ञान उड़ जाए।
- सर्व का सद्गति दाता, पतित-पावन बाप है।
- कहते भी हैं कि वह लिबरेटर है, फिर सर्वव्यापी कह देते।
- जो कुछ बोलते हैं, समझते नहीं हैं।
- धर्म के बारे में जो आता है, बोल देते हैं।
- मुख्य धर्म हैं तीन।
- देवी देवता धर्म तो आधाकल्प चलता है।
- तुम जानते हो बाप ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय धर्म स्थापन करते हैं।
- यह दुनिया नहीं जानती।
- वह तो सतयुग को ही लाखों वर्ष कह देते हैं।
- आदि सनातन देवी देवता धर्म है सबसे ऊंचा, परन्तु यह अपने धर्म को भूल इरिलीजियस बन पड़े हैं।
- क्रिश्चियन लोग अपने धर्म को नहीं छोड़ते।
- वह जानते हैं - क्राइस्ट ने हमारा धर्म स्थापन किया था।
- इस्लामी, बौद्धी, फिर क्रिश्चियन, यह हैं मुख्य धर्म।
- बाकी तो छोटे-छोटे बहुत हैं।
- कहाँ से वृद्धि हुई?
- यह कोई नहीं जानता।
- मुहम्मद को अभी थोड़ा समय हुआ है, इस्लामी पुराने हैं।
- क्रिश्चियन भी मशहूर हैं।
- बाकी तो कितने ढेर हैं।
- सबका अपना-अपना धर्म है।
- अपना भिन्न-भिन्न धर्म, भिन्न-भिन्न नाम हैं तो मूँझ गये हैं।
- यह नहीं जानते कि मुख्य धर्मशास्त्र ही 4 हैं।
- इसमें डिटीज्म, ब्राह्मणिज्म भी आ जाते हैं।
- ब्राह्मण सो देवता, देवता सो क्षत्रिय, यह किसको पता नहीं।
- गाते हैं ब्राह्मण देवताए नम:।
- परमपिता ने ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय धर्म की स्थापना की, अक्षर हैं परन्तु पढ़ते ऐसे हैं जैसे तोते।
- यह है कांटों का जंगल।
- भारत गॉर्डन ऑफ फ्लॉवर था, यह भी मानते हैं।
- परन्तु वह कब, कैसे, किसने बनाया, परमात्मा क्या चीज़ है, यह कोई नहीं जानते।
- तो आरफन हो गये ना इसलिए यह लड़ाई-झगड़े आदि हैं।
- सिर्फ भक्ति में खुश होते रहते हैं।
- अब बाप आये हैं सोझरा करने, सेकेण्ड में जीवनमुक्त बना देते हैं।
- ज्ञान अंजन सतगुरू दिया, अज्ञान अन्धेर विनाश।
- अभी तुम जानते हो हम सोझरे में हैं।
- बाप ने तीसरा नेत्र दिया है।
- भल देवताओं को तीसरा नेत्र दिखाते हैं परन्तु अर्थ नहीं जानते।
- वास्तव में तीसरा नेत्र तुमको है।
- उन्होंने फिर दे दिया है देवताओं को।
- गीता में ब्राह्मणों की कोई बात नहीं।
- उसमें तो फिर कौरव, पाण्डवों आदि की लड़ाई, घोड़े-गाड़ी आदि लिख दी है, कुछ भी समझते नहीं।
- तुम समझायेंगे तो कहेंगे तुम शास्त्रों आदि को नहीं मानते।
- तुम कह सकते हो हम शास्त्रों को मानते क्यों नहीं हैं, जानते हैं - यह सब भक्ति मार्ग की सामग्री है।
- गाया हुआ है ज्ञान और भक्ति।
- जब रावण राज्य होता है तब भक्ति शुरू होती है।
- भारतवासी वाम मार्ग में जाकर धर्म भ्रष्ट और कर्म भ्रष्ट बन जाते हैं इसलिए अब हिन्दू कहला दिया है।
- पतित बन गये हैं।
- पतित किसने बनाया?
- रावण ने।
- रावण को जलाते भी हैं, समझते हैं यह परम्परा से चला आता है।
- परन्तु सतयुग में तो रावण राज्य ही नहीं था।
- कुछ भी समझते नहीं।
- माया बिल्कुल ही पत्थरबुद्धि बना देती है।
- पत्थर से पारस बाप ही बनाते हैं।
- जब आइरन एज में आये तब तो आकर गोल्डन एज स्थापन करें।
- बाप समझाते हैं फिर भी बड़ा मुश्किल किसकी बुद्धि में बैठता है।
- तुम कुमारियों की अब सगाई होती है।
- तुमको पटरानी बनाते हैं।
- तुमको भगाया अर्थात् तुम आत्माओं को कहते हैं - तुम मेरे थे फिर तुम मुझे भूल गये हो।
- देह-अभिमानी बन माया के बन गये हो।
- बाकी भगाने आदि की तो बात नहीं है।
- मामेकम् याद करो।
- याद की ही मेहनत है।
- बहुत देह-अभिमान में आकर विकर्म करते हैं।
- बाप जानते हैं यह आत्मा मुझे याद ही नहीं करती है।
- देह-अभिमान में आकर बहुत पाप करते हैं तो पाप का घड़ा सौगुणा भर जाता है।
- औरों को रास्ता बताने के बदले खुद ही भूल जाते हैं।
- और ही जास्ती दुर्गति को पा लेते हैं।
- बड़ी ऊंची मंजिल है।
- चढ़े तो चाखे वैकुण्ठ रस, गिरे तो चकनाचूर।
- यह राजाई स्थापन हो रही है।
- इसमें फ़र्क देखो कितना पड़ जाता है।
- कोई तो पढ़कर आसमान में चढ़ जाते हैं, कोई पट में पड़ जाते हैं।
- बुद्धि डल होती है तो पढ़ नहीं सकते हैं।
- कोई-कोई कहते हैं बाबा हम किसको समझा नहीं सकते हैं।
- कहता हूँ अच्छा सिर्फ अपने को आत्मा समझो, मुझ बाप को याद करो तो मैं तुमको सुख दूँगा।
- परन्तु याद ही नहीं करते हैं।
- याद करें तो औरों को याद दिलाते रहें।
- बाप को याद करें तो पाप नष्ट हो जायें।
- उनकी याद बिगर तुम सुखधाम में जा नहीं सकते हो।
- 21 जन्मों का वर्सा निराकार बाप से मिल सकता है।
- बाकी तो सब अल्पकाल का सुख देने वाले हैं।
- कोई को रिद्धि-सिद्धि से बच्चा मिल गया वा आशीर्वाद से लॉटरी मिल गई तो बस विश्वास बैठ जाता है।
- कोई को 2-4 करोड़ फायदा हो जायेगा बस बहुत महिमा करेंगे।
- परन्तु वह तो है अल्पकाल के लिए।
- 21 जन्मों के लिए हेल्थ वेल्थ तो मिल नहीं सकती ना।
- परन्तु मनुष्य नहीं जानते हैं।
- दोष भी नहीं दे सकते हैं।
- अल्पकाल के सुख में ही खुश हो जाते हैं।
- बाप तुम बच्चों को राजयोग सिखलाकर स्वर्ग की बादशाही देते हैं।
- कितना सहज है।
- कोई तो बिल्कुल समझा नहीं सकते।
- कोई समझते भी हैं परन्तु योग पूरा न होने के कारण कोई को तीर नहीं लगता है।
- देह-अभिमान में आने से कुछ न कुछ पाप होते रहते हैं।
- योग ही मुख्य है।
- तुम योगबल से विश्व के मालिक बनते हो।
- प्राचीन योग भगवान ने सिखाया था, न कि श्रीकृष्ण ने।
- याद की यात्रा बड़ी अच्छी है।
- तुम ड्रामा देखकर आओ तो बुद्धि में सारा सामने आ जायेगा।
- कोई को बताने में टाइम लगेगा।
- यह भी ऐसे है।
- बीज और झाड़।
- यह चक्र बड़ा क्लीयर है।
- शान्तिधाम, सुखधाम, दु:खधाम....सेकण्ड का काम है ना।
- परन्तु याद भी रहे ना।
- मुख्य बात है बाप का परिचय।
- बाप कहते हैं - मेरे को याद करने से तुम सब कुछ जान जायेंगे। अच्छा।
- शिवबाबा तुम बच्चों को याद करते हैं, ब्रह्मा बाबा याद नहीं करते हैं।
- शिवबाबा जानते हैं हमारे सपूत बच्चे कौन-कौन हैं।
- सर्विसएबुल सपूत बच्चों को तो याद करते हैं।
- यह थोड़ेही किसको याद करेंगे।
- इनकी आत्मा को तो डायरेक्शन है मामेकम् याद करो।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) तकदीरवान बनने के लिए एक बाप से सच्चा-सच्चा लव रखना है।
- लव रखना माना कदम-कदम एक की ही श्रीमत पर चलते रहना।
- 2) रोज़ पुण्य का काम अवश्य करना है।
- सबसे बड़ा पुण्य है सबको बाप का परिचय देना।
- बाप को याद करना और सबको बाप की याद दिलाना।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- स्थूल कार्य करते भी मन्सा द्वारा विश्व परिवर्तन की सेवा करने वाली जिम्मेवार आत्मा भव
- कोई भी स्थूल कार्य करते सदा यह स्मृति रहे कि मैं विश्व की स्टेज पर विश्व कल्याण की सेवा अर्थ निमित्त हूँ। मुझे अपनी श्रेष्ठ मन्सा द्वारा विश्व परिवर्तन के कार्य की बहुत बड़ी जिम्मेवारी मिली हुई है। इस स्मृति से अलबेलापन समाप्त हो जायेगा और समय भी व्यर्थ जाने से बच जायेगा। एक-एक सेकण्ड अमूल्य समझते हुए विश्व कल्याण के वा जड़-चैतन्य को परिवर्तन करने के कार्य में सफल करते रहेंगे।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- अभी योद्धा बनने के बजाए निरन्तर योगी बनो।
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