15-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - बाप समान रहमदिल बन अनेकों को रास्ता बताओ, जो बच्चे दिन रात सर्विस में लगे रहते हैं - वही बहादुर हैं

प्रश्नः-

ऊंची तकदीर का मुख्य आधार किस बात पर है?

उत्तर:-

याद की यात्रा पर।

जितना जो याद करता है उतनी ऊंची तकदीर बनाता है।

शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते बाप और वर्से को याद करते रहो तो तकदीर ऊंची बनती जायेगी।

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ...

 

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ...


  • ओम् शान्ति। बच्चे जब पैदा होते हैं तो अपने साथ कर्मों अनुसार तकदीर ले आते हैं।
  • कोई साहूकार पास, कोई गरीब के पास जन्म लेते हैं।
  • बाप भी समझते हैं कि वारिस आया है।
  • जैसे-जैसे दान पुण्य किया है, उस अनुसार जन्म मिलता है।
  • अब तुम मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों को कल्प बाद फिर से बाप ने आकर समझाया है।
  • बच्चे भी जानते हैं कि हम अपनी तकदीर ले आये हैं।
  • स्वर्ग की बादशाही की तकदीर ले आये हैं, जिन्होंने अच्छी तरह से जाना है और बाप को याद कर रहे हैं।
  • याद के साथ तकदीर का कनेक्शन है।
  • जन्म लिया है - तो बाप की याद भी होनी चाहिए।
  • जितना याद करेंगे उतनी तकदीर ऊंची रहेगी।
  • कितनी सहज बात है।
  • सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिल जाती है।
  • तुम आये हो सुखधाम की तकदीर प्राप्त करने।
  • अभी हर एक पुरूषार्थ कर रहे हैं।
  • हर एक अपने को देख रहे हैं कि हम कैसे पुरूषार्थ कर रहे हैं।
  • जैसे मम्मा बाबा और सर्विसएबुल बच्चे पुरूषार्थ करते हैं उनको फॉलो करना चाहिए।
  • सबको बाप का परिचय देना चाहिए।
  • बाप का परिचय दिया तो रचना के आदि-मध्य-अन्त का भी आ जायेगा।
  • ऋषि, मुनि आदि कोई भी रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का नॉलेज दे नहीं सकते।
  • अभी तुम्हारी बुद्धि में सारा चक्र स्मृति में रहता है।
  • दुनिया में कोई भी बाप और वर्से को नहीं जानते।
  • तुम बच्चे अब बाप को और अपनी तकदीर को जानते हो।
  • अब बाप को याद करना है।
  • शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भी करना है।
  • घरबार भी सम्भालना है।
  • कोई निर्बन्धन हैं तो वह अच्छी सर्विस कर सकते हैं।
  • बाल-बच्चे कोई नहीं तो उनको सर्विस करने का अच्छा चांस है।
  • स्त्री को पति वा बच्चों का बंधन होता है।
  • अगर बच्चे नहीं हैं तो बन्धनमुक्त ठहरे ना।
  • वह जैसे वानप्रस्थी हो गये।
  • फिर मुक्तिधाम में जाने के लिए संग चाहिए।
  • भक्ति मार्ग में तो संग मिलता है - साधुओं आदि का, निवृत्ति मार्ग वालों का।
  • वह निवृत्ति मार्ग वाले प्रवृत्ति मार्ग का वर्सा दिला न सकें।
  • तुम बच्चे ही दिला सकते हो।
  • तुमको बाप ने रास्ता बताया है।
  • भारत की हिस्ट्री-जॉग्राफी 84 जन्मों की बैठ समझाओ।
  • भारतवासी ही 84 जन्म लेते हैं।
  • एक की बात नहीं है।
  • सूर्यवंशी सो फिर चन्द्रवंशी, फिर वैश्यवंशी.... घराने में आते हैं, नम्बरवार तो होते हैं ना।
  • भारत का पहला नम्बर प्रिन्स है श्रीकृष्ण, जिसको झूले में झुलाते हैं।
  • दूसरे नम्बर को झुलाते ही नहीं हैं क्योंकि कला कम हो गई।
  • जो पहला नम्बर है, पूजा उसकी होती है।
  • मनुष्य समझते नहीं कि कृष्ण एक है वा दो तीन हैं।
  • कृष्ण की डिनायस्टी चलती है, यह किसको भी पता नहीं है।
  • पूजा सिर्फ नम्बरवन की होती है।
  • मार्क्स तो नम्बरवार ही मिलते हैं।
  • तो पुरूषार्थ करना चाहिए कि क्यों न हम पहले नम्बर में आयें।
  • मम्मा बाबा को फालो करें, उनकी राजधानी ले लेवें।
  • जो अच्छी सर्विस करेंगे वह अच्छे महाराजा के घर में जन्म लेंगे।
  • वहाँ तो है ही महाराजा महारानी।
  • उस समय कोई राजा-रानी का टाइटिल नहीं होता है।
  • वह बाद में शुरू होता है।
  • द्वापर से जब पतित बनते हैं तो उनमें बड़ी प्रापर्टी वाले को राजा कहा जाता है।
  • फिर महाराजा का लकब कम हो जाता है, प्राय: लोप हो जाता है।
  • फिर जब भक्ति मार्ग होता है तो गरीब, साहूकार में फ़र्क तो रहता है ना।
  • अब तुम बच्चे ही शिवबाबा को याद करते हो और उनसे वर्सा ले रहे हो।
  • और सतसंगों में मनुष्य बैठ कथा सुनाते हैं, मनुष्य, मनुष्य को भक्ति सिखलाते हैं।
  • वे ज्ञान देकर सद्गति नहीं कर सकते।
  • वेद, शास्त्र आदि सब हैं भक्ति मार्ग के।
  • सद्गति तो ज्ञान से होती है।
  • पुनर्जन्म को भी मानते हैं।
  • बीच में तो कोई भी वापिस जा न सके।
  • अन्त में ही बाप आकर सबको ले जाते हैं।
  • इतनी सब आत्मायें कहाँ जाकर ठहरेंगी?
  • सब धर्म वालों के सेक्शन तो अलग-अलग हैं ना।
  • तो यह भी समझाना है।
  • यह किसको पता नहीं है कि आत्माओं का भी झाड़ है।
  • तुम बच्चों की बुद्धि में सारे झाड़ का ज्ञान रहता है।
  • आत्माओं का झाड़ भी है, जीव आत्माओं का भी झाड़ है।
  • बच्चे जानते हैं कि हम यह पुराना शरीर छोड़कर घर जा रहे हैं।
  • "मैं आत्मा'' इस शरीर से अलग हूँ - यह समझना गोया जीते जी मरना।
  • आप मुये मर गई दुनिया।
  • मित्र, सम्बन्धी आदि सबको छोड़ दिया।
  • पहले पूरी शिक्षा लेकर, मर्तबे के अधिकारी बन फिर जाना है।
  • बाप को याद करना तो बहुत सहज है।
  • भल कोई बीमार हो, उनको भी कहते रहना चाहिए कि शिवबाबा को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • जो पक्के योगी हैं उनके लिए जल्दी मरना (शरीर छोड़ना) भी अच्छा नहीं है क्योंकि वह योग में रहकर रूहानी सेवा करते हैं।
  • मर जायेंगे तो सेवा कर नहीं सकेंगे।
  • सेवा करने से अपना ऊंच पद बनाते रहेंगे और भाई-बहिनों की सेवा भी होगी।
  • वह भी बाप से वर्सा पा लेंगे।
  • हम आपस में भाई-भाई हैं, एक बाप के बच्चे हैं।
  • बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • आगे भी ऐसे कहा था।
  • किसको भी समझा सकते हो, बहन जी अथवा भाई जी, तुम्हारी आत्मा तमोप्रधान बन गई है।
  • जो सतोप्रधान थी अब फिर तमोप्रधान से सतोप्रधान बन सतोप्रधान दुनिया में चलना है।
  • आत्मा को सतोप्रधान बनाना है याद की यात्रा से।
  • याद का पूरा चार्ट रखना चाहिए।
  • ज्ञान का चार्ट नहीं रख सकेंगे।
  • बाप तो ज्ञान देते रहते हैं।
  • जाँच रखनी है कि हमारे ऊपर जो विकर्मों का बोझा है, वह कैसे उतरे इसलिए याद का चार्ट रखा जाता है।
  • हमने कितना घण्टा याद किया?
  • मूलवतन को भी याद करते हैं फिर नई दुनिया को भी याद करते हैं।
  • उथल-पुथल होनी है।
  • उसकी भी तैयारी हो रही है।
  • बॉम्ब्स आदि भी बनते जायेंगे।
  • एक तरफ कहते हैं कि हम ऐसे-ऐसे मौत के लिए सामान बना रहे हैं।
  • दूसरी तरफ कहते मौत का सामान नहीं बनाओ।
  • समुद्र के नीचे भी मारने का सामान रखा है, ऊपर आकर बॉम्ब्स छोड़ फिर समुद्र में चले जायेंगे।
  • ऐसी-ऐसी चीज़े बनाते रहते हैं।
  • यह अपने ही विनाश के लिए कर रहे हैं।
  • मौत सामने खड़ा है।
  • इतने बड़े-बड़े महल बना रहे हैं।
  • तुम जानते हो यह सब मिट्टी में मिल जायेंगे।
  • किनकी दबी रही धूल में... लड़ाई जरूर होगी।
  • कोशिश कर पॉकेट सबके खाली करेंगे।
  • चोर भी कितने घुस पड़ते हैं।
  • लड़ाई पर कितना खर्चा करते हैं।
  • यह सब मिट्टी में मिल जाना है।
  • मकान आदि सब गिरेंगे।
  • बॉम्ब्स आदि गिरने से सृष्टि के 3 भाग खलास हो जाते हैं।
  • बाकी एक भाग बच जाता है।
  • भारत एक हिस्से में है ना।
  • बाकी तो सब बाद में आये हुए हैं।
  • अभी भारत का ही भाग बचेगा।
  • मौत तो सबका होना ही है तो क्यों न हम बाप से पूरा वर्सा ले लेंवे इसलिए बाप कहते हैं लौकिक सम्बन्धियों से भी तोड़ निभाना है।
  • बाकी बंधन नहीं है तो बाबा राय देंगे कि क्यों नहीं सर्विस पर लग जाते हो।
  • स्वतन्त्र हैं तो बहुतों का भला कर सकते हैं।
  • अच्छा कहाँ बाहर न जायें तो अपने मित्र सम्बन्धियों पर ही रहम करना चाहिए।
  • आगे कहते थे ना कि बाबा रहम करो।
  • अब तो तुमको रास्ता मिला है तो औरों पर भी रहम करना चाहिए, जैसे बाप रहम करता है।
  • बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • संन्यासी लोग तो हठयोग आदि की कितनी मेहनत करते हैं।
  • यहाँ तो यह कुछ नहीं है।
  • सिर्फ याद करो तो पाप भस्म हो जायेंगे, इसमें कोई तकलीफ नहीं।
  • सिर्फ याद के यात्रा की बात है।
  • उठो-बैठो, कर्मेन्द्रियों से भल कर्म भी करो, सिर्फ बुद्धि का योग बाप से लगाओ।
  • सच्चा-सच्चा आशिक बनना है उस माशूक का।
  • खुद कहते हैं कि हे आशिकों, हे बच्चों!
  • भक्ति मार्ग में तो बहुत याद किया।
  • लेकिन अब मुझ माशूक को याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म होंगे।
  • मैं गैरन्टी करता हूँ।
  • कोई-कोई बात शास्त्रों में आ गई है।
  • भगवान द्वारा गीता सुनने से तुम जीवनमुक्ति पाते हो।
  • मनुष्य द्वारा गीता सुनने से जीवनबन्ध में आ गये हो, सीढ़ी उतरते आये हो।
  • हर एक बात में विचार सागर मंथन करना है।
  • अपनी बुद्धि चलानी है।
  • यह बुद्धि की यात्रा है, जिससे विकर्म विनाश होंगे।
  • वेद, शास्त्र, यज्ञ, तप आदि करने से पाप नाश नहीं होंगे।
  • नीचे ही गिरते आये।
  • अभी तुमको ऊपर जाना है।
  • सिर्फ सीढ़ी से कोई समझ नहीं सकेंगे, जब तक उस पर कोई समझाये नहीं।
  • जैसे छोटे बच्चे को चित्र दिखाकर सिखाना पड़ता है - यह हाथी है।
  • जब हाथी देखेंगे तो चित्र भी याद आयेगा।
  • जैसे तुम्हारी बुद्धि में आ गया है।
  • चित्र में हमेशा छोटी चीज़ दिखाई जाती है।
  • तुम जानते हो कि वैकुण्ठ तो बड़ा होगा ना।
  • बड़ी राजधानी होगी।
  • वहाँ हीरे जवाहरातों के महल होते हैं, वह फिर प्राय:लोप हो जाते हैं।
  • सब चीज़ें गायब हो जाती हैं।
  • नहीं तो यह भारत गरीब कैसे बना?
  • साहूकार से गरीब, गरीब से साहूकार बनना है।
  • यह ड्रामा बना-बनाया है इसलिए सीढ़ी पर समझाया जाता है, नये-नये आते हैं उनको समझाने से प्रैक्टिस होगी, मुख खुल जायेगा।
  • सर्विस लायक बच्चों को बनाया जाता है।
  • कई सेन्टर्स पर तो बहुत बच्चे अशान्ति फैलाते रहते हैं।
  • बुद्धियोग बाहर भटकता है तो नुकसान कर देते हैं।
  • वायुमण्डल खराब कर देते हैं।
  • नम्बरवार तो हैं ना।
  • फिर बाप कहेगा तुमने पढ़ा नहीं, तो यह हाल अपना देखो।
  • दिन-प्रतिदिन जास्ती साक्षात्कार होते रहेंगे। पाप करने वालों को सज़ायें भी मिलती रहेंगी।
  • फिर कहेंगे - नाहेक हमने पाप किया।
  • बाप को सुनाकर प्रायश्चित करने से कुछ कम हो सकता है।
  • नहीं तो वृद्धि होती रहेगी।
  • ऐसा होता रहता है।
  • खुद भी महसूस करेंगे परन्तु फिर कहते क्या करें - हमारी यह आदत मिटती नहीं, इससे तो घर जाकर रहें।
  • कोई तो अच्छी सर्विस करते हैं।
  • कोई डिस-सर्विस भी करते हैं।
  • हमारी सेना में कौन-कौन बहादुर हैं, यह बाप बैठ नाम बताते हैं।
  • बाकी लड़ाई आदि की यहाँ बात नहीं है।
  • यह हैं बेहद की बातें।
  • अच्छे बच्चे होंगे तो बाप जरूर महिमा भी करेंगे।
  • बच्चों को बहुत रहमदिल, कल्याणकारी बनना है।
  • अन्धों की लाठी बनना है।
  • सबको रास्ता बताना है कि बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • पाप आत्मा और पुण्य आत्मा कहते हैं ना।
  • ऐसे थोड़ेही कि अन्दर परमात्मा है वा आत्मा कोई परमात्मा बन जाती है।
  • यह सब रांग है।
  • परमात्मा पर थोड़ेही पाप लगता है।
  • उसका तो ड्रामा में पार्ट है सर्विस करने का।
  • मनुष्य ही पापात्मा, पुण्यात्मा बनते हैं।
  • जो सतोप्रधान थे वही तमोप्रधान बने हैं।
  • उनके तन में बाप बैठ सतोप्रधान बनाते हैं तो उनकी मत पर चलना पड़े ना।
  • अभी बाप ने तुम बच्चों को विशालबुद्धि बनाया है।
  • अभी तुम जानते हो कि राजधानी कैसे स्थापन हो रही है।
  • बाप ही ब्रह्मा तन में आकर ब्रह्मा मुख वंशावली बच्चों को राजयोग सिखाए देवी देवता बनाते हैं।
  • फिर पुनर्जन्म ले सीढ़ी उतरते हैं।
  • अब फिर सब रिपीट करना है।
  • बाप फिर ब्रह्मा द्वारा स्थापना करा रहे हैं।
  • योग बल से तुम 5 विकारों पर जीत पाकर जगतजीत बनते हो।
  • बाकी लड़ाई आदि की कोई बात नहीं है।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बन्धनमुक्त बन बाप की सर्विस में लग जाना है, तब ही ऊंची तकदीर बनेंगी।
    • रहमदिल बन अनेको को रास्ता बताना है।
    • अन्धों की लाठी बनना है।
  • 2) इस शरीर से ममत्व निकाल जीते जी मरना है क्योंकि अब वापिस घर जाना है।
    • बीमारी में भी एक बाप की याद रहे तो विकर्म विनाश हो जायेंगे।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अन्य आत्माओं की सेवा के साथ-साथ स्वयं की भी सेवा करने वाले सफलतामूर्त भव
  • सेवा में सफलतामूर्त बनना है तो दूसरों की सर्विस के साथ-साथ अपनी भी सर्विस करो।
  • जब कोई भी सर्विस पर जाते हो तो ऐसे समझो कि सर्विस के साथ-साथ अपने भी पुराने संस्कारों का अन्तिम संस्कार करते हैं।
  • जितना संस्कारों का संस्कार करेंगे उतना ही सत्कार मिलेगा।
  • सभी आत्मायें आपके आगे मन से नमस्कार करेंगी।
  • लेकिन बाहर से नमस्कार करने वाले नहीं बनाना, मानसिक नमस्कार करने वाले बनाना।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • बेहद की सेवा का लक्ष्य रखो तो हद के बन्धन सब टूट जायेंगे।