20-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - तुम देह अभिमान का द्वार बन्द कर दो तो माया के तूफान आना बन्द हो जायेंगे

प्रश्नः-

जिन बच्चों की विशाल बुद्धि है, उनकी निशानियां सुनाओ!

उत्तर:-

1- उन्हें सारा दिन सर्विस के ही ख्यालात चलते रहेंगे।

2- वह सर्विस के बिगर रह नहीं सकते।

3- उनकी बुद्धि में रहेगा कि कैसे सारे विश्व में घेराव डाल सबको पतित से पावन बनायें। वह विश्व को दु:खधाम से सुखधाम बनाने की सेवा करते रहेंगे।

4- वह बहुतों को आप समान बनाते रहेंगे।

 

  • ओम् शान्ति। रूहानी बाप मीठे-मीठे बच्चों को बैठ समझाते हैं, बच्चे अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो तो तुम्हारे सब दु:ख सदा के लिए मिट जायेंगे।
  • अपने को आत्मा समझ सबको भाई-भाई की दृष्टि से देखो तो फिर देह की दृष्टि वृत्ति बदल जायेगी।
  • बाप भी अशरीरी है, तुम आत्मा भी अशरीरी हो।
  • बाप आत्माओं को ही देखते हैं, सब अकालतख्त पर विराजमान आत्मायें हैं।
  • तुम भी आत्मा भाई-भाई की दृष्टि से देखो, इसमें बड़ी मेहनत है।
  • देह के भान में आने से ही माया के तूफान आते हैं।
  • यह देह-अभिमान का द्वार बन्द कर दो तो माया के तूफान आना बन्द हो जायेंगे।
  • यह देही-अभिमानी बनने की शिक्षा सारे कल्प में इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर बाप ही तुम बच्चों को देते हैं।
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे तुम जानते हो अभी हम नर्क का किनारा छोड़ आगे जा रहे हैं, यह पुरुषोत्तम संगमयुग बिल्कुल अलग है बीच का।
  • बीच के दरिया में (समुद्र में) तुम्हारी बोट (नांव) है।
  • तुम न सतयुगी हो, न कलियुगी हो।
  • तुम हो पुरुषोत्तम संगमयुगी सर्वोत्तम ब्राह्मण।
  • संगमयुग होता ही है ब्राह्मणों का।
  • ब्राह्मण हैं चोटी।
  • यह ब्राह्मणों का बहुत छोटा युग है।
  • यह एक ही जन्म का युग होता है।
  • यह है तुम्हारे खुशी का युग।
  • खुशी किस बात की है?
  • भगवान हमको पढ़ाते हैं!
  • ऐसे स्टूडेन्ट को कितनी खुशी होगी!
  • तुमको अब सारे चक्र का ज्ञान बुद्धि में है।
  • अभी हम सो ब्राह्मण हैं फिर हम सो देवता बनेंगे।
  • पहले अपने घर स्वीटहोम में जायेंगे फिर नई दुनिया में आयेंगे।
  • हम ब्राह्मण ही स्वदर्शनचक्रधारी हैं।
  • हम ही यह बाजोली खेलते हैं।
  • इस विराट रूप को भी तुम ब्राह्मण बच्चे ही जानते हो, बुद्धि में सारा दिन यह बातें सुमिरण होनी चाहिए।
  • मीठे बच्चे तुम्हारा यह बहुत लवली परिवार है, तो तुम हर एक को बहुत-बहुत लवली होना चाहिए।
  • बाप भी मीठा है तो बच्चों को भी ऐसा मीठा बनाते हैं।
  • कभी किसी पर गुस्सा नहीं करना चाहिए।
  • मन्सा वाचा कर्मणा किसी को दु:ख नहीं देना है।
  • बाप कभी किसको दु:ख नहीं देते।
  • जितना बाप को याद करेंगे उतना मीठा बनते जायेंगे।
  • बस इस याद से ही बेड़ा पार है - यह है याद की यात्रा।
  • याद करते-करते वाया शान्तिधाम सुखधाम जाना है।
  • बाप आये ही हैं बच्चों को सदा सुखी बनाने।
  • भूतों को भगाने की युक्ति बाप बतलाते हैं मुझे याद करो तो यह भूत निकलते जायेंगे।
  • कोई भी भूत को साथ में नहीं ले जाओ।
  • कोई में भूत हो तो यहाँ ही मेरे पास छोड़ जाओ।
  • तुम कहते ही हो बाबा आकर हमारे भूतों को निकाल पतित से पावन बनाओ।
  • तो बाप कितना गुल-गुल बनाते हैं।
  • बाप और दादा दोनों मिलकर तुम बच्चों का श्रृंगार करते हैं।
  • मात-पिता ही बच्चों का श्रृंगार करते हैं ना।
  • वह हैं हद के बाप - यह है बेहद का बाप।
  • तो बच्चों को बहुत प्यार से चलना और चलाना है।
  • सब विकारों का दान देना चाहिए, दे दान तो छूटे ग्रहण।
  • इसमें कोई बहाने आदि की बात नहीं।
  • प्यार से तुम किसको भी वश कर सकते हो।
  • प्यार से समझानी दो, प्यार बहुत मीठी चीज़ है - शेर को, हाथी को, जानवरों को भी मनुष्य प्यार से वश कर लेते हैं।
  • वह तो फिर भी आसुरी मनुष्य हैं।
  • तुम तो अब देवता बन रहे हो।
  • तो दैवीगुण धारण कर बहुत-बहुत मीठा बनना है।
  • एक दो को भाई-भाई अथवा भाई-बहन की दृष्टि से देखो।
  • आत्मा, आत्मा को कब दु:ख नहीं दे सकती।
  • बाप कहते हैं मीठे बच्चे मैं तुमको स्वर्ग का राज्य-भाग्य देने आया हूँ।
  • अब तुमको जो चाहिए सो हम से लो।
  • हम तो विश्व का मालिक डबल सिरताज तुमको बनाने आये हैं।
  • परन्तु मेहनत तुमको करनी है।
  • मैं किस पर ताज नहीं रखूँगा।
  • तुमको अपने पुरुषार्थ से ही अपने को राजतिलक देना है।
  • बाप पुरुषार्थ की युक्ति बताते हैं कि ऐसे-ऐसे विश्व का मालिक डबल सिरताज अपने को बना सकते हो।
  • पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो।
  • कभी भी पढ़ाई को न छोड़ो।
  • कोई भी कारण से रूठ-कर पढ़ाई को छोड़ दिया तो बहुत-बहुत घाटा पड़ जायेगा।
  • घाटे और फायदे को देखते रहो।
  • तुम ईश्वरीय युनिवर्सिटी के स्टूडेन्ट हो, ईश्वर बाप से पढ़ रहे हो, पढ़कर पूज्य देवता बन रहे हो।
  • तो स्टूडेन्ट भी ऐसा रेग्युलर बनना चाहिए।
  • स्टूडेन्ट लाइफ इस दी बेस्ट।
  • जितना पढ़ेंगे पढ़ायेंगे और मैनर्स सुधारेंगे उतना दी बेस्ट बनेंगे।
  • मीठे बच्चे अब तुम्हारी रिटर्न जरनी है, जैसे सतयुग से त्रेता, द्वापर, कलियुग तक नीचे उतरते आये हो वैसे अब तुमको आइरन एज से ऊपर गोल्डन एज़ तक जाना है।
  • जब सिलवर एज तक पहुंचेंगे तो फिर इन कर्मेन्द्रियों की चंचलता खत्म हो जायेगी इसलिए जितना बाप को याद करेंगे उतना तुम आत्माओं से रजो तमो की कट निकलती जायेगी और जितना कट निकलती जायेगी उतना बाप चुम्बक की तरफ कशिश बढ़ती जायेगी।
  • कशिश नहीं होती है तो जरूर कट लगी हुई है - कट एकदम निकल प्योर सोना बन जाए वह है अन्तिम कर्मातीत अवस्था।
  • तुम्हें गृहस्थ व्यवहार में, प्रवृत्ति में रहते भी कमल पुष्प समान बनना है।
  • बाप कहते हैं मीठे बच्चे घर गृहस्थ को भी सम्भालो, शरीर निर्वाह अर्थ कामकाज़ भी करो।
  • साथ-साथ यह पढ़ाई भी पढ़ते रहो।
  • गायन भी है हथ कार डे दिल यार दे।
  • कामकाज करते एक माशूक बाप को याद करना है।
  • तुम आधाकल्प के आशिक हो।
  • नौंधा भक्ति में भी देखो कृष्ण आदि को कितना प्रेम से याद करते हैं।
  • वह है नौंधा भक्ति, अटल भक्ति।
  • कृष्ण की अटल याद रहती है परन्तु उससे कोई को मुक्ति नहीं मिलती।
  • यह फिर है निरन्तर याद करने का ज्ञान।
  • बाप कहते हैं मुझ पतित-पावन बाप को याद करो तो तुम्हारे पाप नाश हो जायेंगे, परन्तु माया भी बड़ी पहलवान है।
  • किसको छोड़ती नहीं है।
  • माया से बार-बार हार खाने से तो कांध नीचे कर पश्चाताप करना चाहिए।
  • बाप मीठे बच्चों को श्रेष्ठ मत देते ही हैं श्रेष्ठ बनने के लिए।
  • बाबा देखते हैं इतनी मेहनत बच्चे करते नहीं इसलिए बाप को तरस पड़ता है।
  • अगर यह अभ्यास अभी नहीं करेंगे तो फिर सजायें बहुत खानी पड़ेंगी और कल्प-कल्प पाई-पैसे का पद पाते रहेंगे।
  • मूल बात मीठे बच्चों को बाप समझाते हैं देही-अभिमानी बनो।
  • देह सहित देह के सभी सम्बन्धों को भूल मामेकम् याद करो, पावन भी जरूर बनना है।
  • कुमारी जब पवित्र है तो सब उनको माथा टेकते हैं।
  • शादी करने से फिर पुजारी बन पड़ती है।
  • सबके आगे माथा झुकाना पड़ता है।
  • कन्या पहले पियरघर में होती है तो इतने जास्ती सम्बन्ध याद नहीं आते।
  • शादी के बाद देह के सम्बन्ध भी बढ़ते जाते फिर पति बच्चों में मोह बढ़ता जाता।
  • सासू-ससुर आदि सब याद आते रहेंगे।
  • पहले तो सिर्फ माँ-बाप में ही मोह होता है।
  • यहाँ तो फिर उन सब सम्बन्धों को भुलाना पड़ता है क्योंकि यह एक ही तुम्हारा सच्चा-सच्चा मात-पिता है ना।
  • यह है ईश्वरीय सम्बन्ध।
  • गाते भी हैं त्वमेव माता च पिता त्वमेव.. यह मात पिता तो तुमको विश्व का मालिक बनाते हैं इसलिए बाप कहते हैं मुझ बेहद के बाप को निरन्तर याद करो और कोई भी देहधारी से ममत्व न रखो।
  • स्त्री को कलियुगी पति की कितनी याद रहती है, वह तो गटर में गिराते हैं।
  • यह बेहद का बाप तो तुमको स्वर्ग में ले जाते हैं।
  • ऐसे मीठे बाप को बहुत प्यार से याद करते और स्वदर्शन चक्र फिराते रहो।
  • इसी याद के बल से ही तुम्हारी आत्मा कंचन बन स्वर्ग की मालिक बन जायेगी।
  • स्वर्ग का नाम सुनकर ही दिल खुश हो जाती है।
  • जो निरन्तर याद करते और औरों को भी याद कराते रहेंगे वही ऊंच पद पायेंगे।
  • यह पुरुषार्थ करते-करते अन्त में तुम्हारी वह अवस्था जम जायेगी।
  • यह तो दुनिया भी पुरानी है, देह भी पुरानी है, देह सहित देह के सब सम्बन्ध भी पुराने हैं।
  • उन सबसे बुद्धियोग हटाए एक बाप संग जोड़ना है, जो अन्तकाल भी उस एक बाप की ही याद रहे और कोई का सम्बन्ध याद होगा तो फिर अन्त में भी वह याद आ जायेगा और पद भ्रष्ट हो जायेगा।
  • अन्तकाल जो बेहद बाप की याद में रहेंगे वही नर से नारायण बनेंगे।
  • बाप की याद है तो फिर शिवालय दूर नहीं।
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे बेहद के बाप पास आते ही हैं रिफ्रेश होने के लिए क्योंकि बच्चे जानते हैं बेहद के बाप से बेहद विश्व की बादशाही मिलती है।
  • यह कभी भूलना नहीं चाहिए।
  • वह सदैव याद रहे तो भी बच्चों को अपार खुशी रहे।
  • यह बैज चलते-फिरते घड़ी-घड़ी देखते रहो - एकदम हृदय से लगा दो।
  • ओहो!
  • भगवान की श्रीमत से हम यह बन रहे हैं।
  • बस बैज को देख उनको प्यार करते रहो।
  • बाबा, बाबा करते रहो तो सदैव स्मृति रहेगी।
  • हम बाप द्वारा यह बनते हैं।
  • बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए ना।
  • मीठे बच्चों की बड़ी विशाल बुद्धि चाहिए।
  • सारा दिन सर्विस के ही ख्यालात चलते रहें।
  • बाबा को तो वह बच्चे चाहिए जो सर्विस बिगर रह न सकें।
  • तुम बच्चों को सारे विश्व पर घेराव डालना है अर्थात् पतित दुनिया को पावन बनाना है।
  • सारे विश्व को दु:खधाम से सुखधाम बनाना है।
  • टीचर को भी पढ़ाने में मज़ा आता है ना।
  • तुम तो अब बहुत ऊंच टीचर बने हो।
  • जितना अच्छा टीचर, वह बहुतों को आपसमान बनायेंगे, कभी थकेंगे नहीं।
  • ईश्वरीय सर्विस में बहुत खुशी रहती है।
  • बाप की मदद मिलती है। यह बड़ा बेहद का व्यापार भी है, व्यापारी लोग ही धनवान बनते हैं।
  • वह इस ज्ञान मार्ग में भी जास्ती उछलते हैं।
  • बाप भी बेहद का व्यापारी है ना।
  • सौदा बड़ा फर्स्टक्लास है परन्तु इसमें बड़ा साहस धारण करना पड़ता है।
  • नये-नये बच्चे पुरानों से भी पुरुषार्थ में आगे जा सकते हैं।
  • हर एक की इन्डीविज्युअल तकदीर है, तो पुरुषार्थ भी हर एक को इन्डीविज्युअल करना है।
  • अपनी पूरी चेकिंग करनी चाहिए।
  • ऐसी चेकिंग करने वाले एकदम रात दिन पुरुषार्थ में लग जायेंगे, कहेंगे हम अपना टाइम वेस्ट क्यों करें।
  • जितना हो सके टाइम सफल करें।
  • अपने से पक्का प्रण कर देते हैं, हम बाप को कभी नहीं भूलेंगे।
  • स्कालरशिप लेकर ही छोड़ेंगे।
  • ऐसे बच्चों को फिर मदद भी मिलती है।
  • ऐसे भी नये-नये पुरुषार्थी बच्चे तुम देखेंगे।
  • साक्षात्कार करते रहेंगे।
  • जैसे शुरू में हुआ वही फिर पिछाड़ी में देखेंगे।
  • जितना नज़दीक होते जायेंगे उतना खुशी में नाचते रहेंगे।
  • उधर खूनेनाहेक खेल भी चलता रहेगा।
  • तुम बच्चों की ईश्वरीय रेस चल रही है, जितना आगे दौड़ते जायेंगे उतना नई दुनिया के नज़ारे भी नज़दीक आते जायेंगे, खुशी बढ़ती जायेगी।
  • जिनको नज़ारे नजदीक नहीं दिखाई पड़ते उनको खुशी भी नहीं होगी।
  • अभी तो कलियुगी दुनिया से वैराग्य और सतयुगी नई दुनिया से बहुत प्यार होना चाहिए।
  • शिवबाबा याद रहेगा तो स्वर्ग का वर्सा भी याद रहेगा।
  • स्वर्ग का वर्सा याद रहेगा तो शिवबाबा भी याद रहेगा।
  • तुम बच्चे जानते हो अभी हम स्वर्ग तरफ जा रहे हैं, पाँव नर्क तरफ हैं, सिर स्वर्ग तरफ है।
  • अभी तो छोटे-बड़े सबकी वानप्रस्थ अवस्था है।
  • बाबा को सदैव यह नशा रहता है ओहो! हम जाकर यह बाल कृष्ण बनूँगा, जिसके लिए इनएडवान्स सौगातें भी भेजते रहते हैं।
  • जिन्हों को पूरा निश्चय है वही गोपिकायें सौगातें भेजती हैं, उन्हें अतीन्द्रिय सुख की भासना आती है।
  • हम ही अमरलोक में देवता बनेंगे।
  • कल्प पहले भी हम ही बने थे फिर हमने 84 पुनर्जन्म लिए हैं।
  • यह बाजोली याद रहे तो भी अहो सौभाग्य - सदैव अथाह खुशी में रहो, बहुत बड़ी लाटरी मिल रही है।
  • 5000 वर्ष पहले भी हमने राज्यभाग्य पाया था फिर कल पायेंगे।
  • ड्रामा में नूँध है।
  • जैसे कल्प पहले जन्म लिया था वैसे ही लेंगे, वही हमारे माँ-बाप होंगे।
  • जो कृष्ण का बाप था वही फिर बनेगा।
  • ऐसे-ऐसे जो सारा दिन विचार करते रहेंगे तो वो बहुत रमणीकता में रहेंगे।
  • विचार सागर मंथन नहीं करते तो गोया अनहेल्दी हैं।
  • गऊ भोजन खाती है तो सारा दिन उगारती रहती है, मुख चलता ही रहता है।
  • मुख न चले तो समझा जाता है बीमार है, यह भी ऐसे है।
  • बेहद के बाप और दादा दोनों का मीठे-मीठे बच्चों से बहुत लव है, कितना प्यार से पढ़ाते हैं।
  • काले से गोरा बनाते हैं।
  • तो बच्चों को भी खुशी का पारा चढ़ना चाहिए।
  • पारा चढ़ेगा याद की यात्रा से।
  • बाप कल्प-कल्प बहुत प्यार से लवली सर्विस करते हैं।
  • 5 तत्वों सहित सबको पावन बनाते हैं।
  • कितनी बड़ी बेहद की सेवा है।
  • बाप बहुत प्यार से बच्चों को शिक्षा भी देते रहते क्योंकि बच्चों को सुधारना बाप वा टीचर का ही काम है।
  • बाप की है श्रीमत, जिससे ही श्रेष्ठ बनेंगे।
  • जितना प्यार से याद करेंगे उतना श्रेष्ठ बनेंगे।
  • यह भी चार्ट में लिखना चाहिए हम श्रीमत पर चलते हैं वा अपनी मत पर चलते हैं?
  • श्रीमत पर चलने से ही तुम एक्यूरेट बनेंगे।
  • अच्छा - मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:
  • 1) अपने आप से प्रण करना है कि हम अपना टाइम वेस्ट नहीं करेंगे।
    • संगम का हर पल सफल करेंगे।
    • हम बाबा को कभी नहीं भूलेंगे।
    • स्कालरशिप लेकर ही रहेंगे।
  • 2) सदा स्मृति रहे कि अभी हमारी वानप्रस्थ अवस्था है।
    • पांव नर्क तरफ, सिर स्वर्ग तरफ है।
    • बाजोली को याद कर अथाह खुशी में रहना है।
    • देही-अभिमानी बनने की मेहनत करनी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपनी पावरफुल वृत्ति द्वारा पतित वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले मास्टर पतित-पावनी भव
  • कैसा भी वायुमण्डल हो लेकिन स्वयं की शक्तिशाली वृत्ति वायुमण्डल को बदल सकती है।
  • वायुमण्डल विकारी हो लेकिन स्वयं की वृत्ति निर्विकारी हो।
  • जो पतितों को पावन बनाने वाले हैं वो पतित वायुमण्डल के वशीभूत नहीं हो सकते।
  • मास्टर पतित-पावनी बन स्वयं की पावरफुल वृत्ति से अपवित्र वा कमजोरी का वायुमण्डल मिटाओ, उसका वर्णन कर वायुमण्डल नहीं बनाओ।
  • कमजोर वा पतित वायुमण्डल का वर्णन करना भी पाप है।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अब धरनी में परमात्म पहचान का बीज डालो तो प्रत्यक्षता होगी।