21-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - तुम अभी सत्य बाप द्वारा सच्ची बातें सुन सोझरे में आये हो तो तुम्हारा कर्तव्य है सबको अन्धियारे से निकाल सोझरे में लाना

प्रश्नः-

जब तुम बच्चे किसी को ज्ञान सुनाते हो तो कौन सी एक बात जरूर याद रखो?

उत्तर:-

मुख से बार-बार बाबा बाबा कहते रहो, इससे अपना-पन समाप्त हो जायेगा।

वर्सा भी याद रहेगा।

बाबा कहने से सर्वव्यापी का ज्ञान पहले से ही खत्म हो जाता है।

अगर कोई कहे भगवान सर्वव्यापी है तो बोलो बाप सबके अन्दर कैसे हो सकता है!

गीत:- आज अन्धेरे में है इंसान...

 

गीत:- आज अन्धेरे में है इंसान...


  • ओम् शान्ति। बच्चों ने क्या कहा और किसको पुकारा?
  • हे ज्ञान के सागर अथवा हे ज्ञान सूर्य बाबा.... भगवान को बाबा कहा जाता है ना।
  • भगवान बाप है तो तुम सब बच्चे हो।
  • बच्चे कहते हैं हम अन्धेरे में आकर पड़े हैं।
  • आप हमें सोझरे में ले जाओ।
  • बाबा कहने से सिद्ध होता है कि बाप को पुकारते हैं।
  • बाबा अक्षर कहने से लव आ जाता है क्योंकि बाप से वर्सा लिया जाता है।
  • सिर्फ ईश्वर वा प्रभु कहने से बाप के वर्से की रसना नहीं आती।
  • बाबा कहने से वर्सा याद आ जाता है।
  • तुम पुकारते हो बाबा हम अन्धेरे में आकर पड़े हैं, आप अभी फिर ज्ञान से हमारा दीपक जगाओ क्योंकि आत्माओं का दीपक बुझा हुआ है।
  • मनुष्य मरते हैं तो 12 दिन दीवा जगाते हैं।
  • एक घृत डालने के लिए बैठा रहता है कि कहाँ दीवा बुझ न जाये।
  • बाप समझाते हैं - तुम भारतवासी सोझरे में अर्थात् दिन में थे।
  • अब रात में हो।
  • 12 घण्टा दिन, 12 घण्टा रात।
  • वह है हद की बात।
  • यह तो बेहद का दिन और बेहद की रात है, जिसको कहा जाता है ब्रह्मा का दिन - सतयुग त्रेता, ब्रह्मा की रात - द्वापर कलियुग।
  • रात में अन्धियारा होता है।
  • मनुष्य ठोकरें खाते रहते हैं।
  • भगवान को ढूँढने के लिए चारों तरफ फेरे लगाते हैं, परन्तु परमात्मा को पा नहीं सकते।
  • परमात्मा को पाने के लिए ही भक्ति करते हैं।
  • द्वापर से भक्ति शुरू होती है अर्थात् रावण राज्य शुरू होता है।
  • दशहरे की भी एक स्टोरी बनाई है।
  • स्टोरी हमेशा मनोमय बनाते हैं, जैसे बाइसकोप, नाटक आदि बनाते हैं।
  • श्रीमद् भगवत गीता ही है सच्ची।
  • परमात्मा ने बच्चों को राजयोग सिखाया, राजाई दी।
  • फिर भक्तिमार्ग में बैठकर स्टोरी बनाते हैं।
  • व्यास ने गीता बनाई अर्थात् स्टोरी बनाई।
  • सच्ची बात तो बाप द्वारा तुम अभी सुन रहे हो।
  • हमेशा बाबा-बाबा कहना चाहिए।
  • परमात्मा हमारा बाबा है, नई दुनिया का रचयिता है।
  • तो जरूर उनसे हमको स्वर्ग का वर्सा मिलना चाहिए।
  • अभी तो 84 जन्म भोग हम नर्क में आकर पड़े हैं।
  • बाप समझाते हैं बच्चों, तुम भारतवासी सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी थे, विश्व के मालिक थे, दूसरा कोई धर्म नहीं था, उसको स्वर्ग अथवा कृष्णपुरी कहा जाता है।
  • यहाँ है कंसपुरी।
  • बापदादा याद दिलाते हैं, लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • बाप ही ज्ञान का सागर, शान्ति का सागर पतित-पावन है, न कि पानी की गंगा।
  • सब ब्राइड्स का एक ही भगवान ब्राइडग्रूम है - यह मनुष्य नहीं जानते, इसलिए पूछा जाता है - आत्मा का बाप कौन है?
  • तो मूँझ पड़ते हैं।
  • कहते हैं हम नहीं जानते।
  • अरे आत्मा, तुम अपने बाप को नहीं जानती हो?
  • कहते हैं गॉड फादर, फिर पूछा जाता है उनका नाम रूप क्या है?
  • गॉड को पहचानते हो?
  • तो कह देते हैं सर्वव्यापी है।
  • अरे बच्चों का बाप कब सर्वव्यापी होता है क्या?
  • रावण की आसुरी मत पर कितने बेसमझ बन जाते हैं।
  • देह-अभिमान है नम्बरवन।
  • अपने को आत्मा निश्चय नहीं करते।
  • कह देते मैं फलाना हूँ।
  • यह तो हो गई शरीर की बात।
  • असल में स्वयं कौन हैं - यह नहीं जानते।
  • मैं जज हूँ, मैं यह हूँ .... ‘मैं' ‘मैं' कहते रहते हैं, परन्तु यह रांग है।
  • मैं और मेरा यह दो चीज़ें हैं।
  • आत्मा अविनाशी है, शरीर विनाशी है।
  • नाम शरीर का पड़ता है।
  • आत्मा का कोई नाम नहीं रखा जाता है।
  • बाप कहते हैं - मेरा नाम शिव ही है।
  • शिव जयन्ती भी मनाते हैं।
  • अब निराकार की जयन्ती कैसे हो सकती?
  • वह किसमें आते हैं, यह किसको पता नहीं।
  • सब आत्माओं का नाम आत्मा ही है।
  • परमात्मा का नाम है शिव।
  • बाकी सब हैं सालिग्राम।
  • आत्मायें बच्चे हैं।
  • एक शिव सब आत्माओं का बाप है।
  • वह है बेहद का बाप।
  • उनको सब पुकारते हैं कि आकर हमें पावन बनाओ।
  • हम दु:खी हैं।
  • आत्मा पुकारती है, दु:ख में सब बच्चे याद करते हैं और फिर यही बच्चे सुख में रहते हैं तो कोई भी याद नहीं करते।
  • दु:खी बनाया है रावण ने।
  • बाप समझाते हैं - यह रावण तुम्हारा पुराना दुश्मन है।
  • यह भी ड्रामा का खेल बना हुआ है।
  • तो अभी सब अन्धियारे में हैं इसलिए पुकारते हैं हे ज्ञान सूर्य आओ, हमको सोझरे में ले जाओ।
  • भारत सुखधाम था तो कोई पुकारते नहीं थे।
  • कोई अप्राप्त वस्तु नहीं थी।
  • यहाँ तो चिल्लाते रहते हैं, हे शान्ति देवा।
  • बाप आकर समझाते हैं - शान्ति तो तुम्हारा स्वधर्म है।
  • गले का हार है।
  • आत्मा शान्तिधाम की रहवासी है।
  • शान्तिधाम से फिर सुखधाम में जाती है।
  • वहाँ तो सुख ही सुख है।
  • तुमको चिल्लाना नहीं होता है।
  • दु:ख में ही चिल्लाते हैं - रहम करो, दु:ख हर्ता सुख कर्ता बाबा आओ।
  • शिवबाबा, मीठा बाबा फिर से आओ।
  • आते जरूर हैं तब तो शिवजयन्ती मनाते हैं।
  • श्रीकृष्ण है स्वर्ग का प्रिन्स।
  • उनकी भी जयन्ती मनाते हैं।
  • परन्तु कृष्ण कब आया, यह किसको पता नहीं।
  • राधे-कृष्ण ही स्वयंवर के बाद लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
  • यह कोई भी नहीं जानते।
  • मनुष्य ही पुकारते रहते हैं - ओ गॉड फादर... अच्छा उनका नाम-रूप क्या है तो कह देते हैं नाम-रूप से न्यारा है।
  • अरे, तुम कहते हो गॉड फादर फिर नाम-रूप से न्यारा कह देते हो।
  • आकाश पोलार है, उनका भी नाम है आकाश।
  • तुम कहते हो हम बाप के नाम-रूप आदि को नहीं जानते, अच्छा अपने को जानते हो?
  • हाँ हम आत्मा हैं।
  • अच्छा आत्मा का नाम-रूप बताओ।
  • फिर कह देते आत्मा सो परमात्मा है।
  • आत्मा नाम-रूप से न्यारी तो हो नहीं सकती।
  • आत्मा एक बिन्दी स्टार मिसल है।
  • भ्रकुटी के बीच में रहती है।
  • जिस छोटी सी आत्मा में 84 जन्मों का पार्ट नूँधा हुआ है।
  • यह बहुत समझने की बात है इसलिए 7 रोज़ भट्ठी गाई हुई है।
  • द्वापर से रावणराज्य शुरू हुआ है तब से विकारों की प्रवेशता हुई है।
  • सीढ़ी उतरते आये हैं।
  • अब सबको ग्रहण लगा हुआ है, काले हो गये हैं इसलिए पुकारते हैं हे ज्ञान सूर्य आओ।
  • आकर हमको सोझरे में ले जाओ।
  • ज्ञान अंजन सतगुरू दिया, अज्ञान अंधेर विनाश... बुद्धि में बाप आता है।
  • ऐसे नहीं ज्ञान अंजन गुरू दिया.. गुरू तो ढेर हैं, उनमें ज्ञान कहाँ है।
  • उनका थोड़ेही गायन है।
  • ज्ञान-सागर, पतित-पावन, सर्व का सद्गति दाता एक ही बाप है।
  • फिर दूसरा कोई ज्ञान दे कैसे सकता।
  • साधू लोग कह देते हैं भगवान से मिलने के अनेक रास्ते हैं।
  • शास्त्र पढ़ना, यज्ञ, तप आदि करना - यह सब भगवान से मिलने के रास्ते हैं लेकिन पतित फिर पावन दुनिया में जा कैसे सकते हैं।
  • बाप कहते हैं - मैं खुद आता हूँ।
  • भगवान तो एक ही है ब्रह्मा-विष्णु-शंकर भी देवता हैं, उन्हें भगवान नहीं कहेंगे।
  • उनका भी बाप शिव है।
  • प्रजापिता ब्रह्मा तो यहाँ ही होगा ना।
  • प्रजा यहाँ है।
  • नाम भी लिखा हुआ है प्रजापिता ब्रह्माकुमारी इन्स्टीट्यूशन।
  • तो बच्चे ठहरे।
  • ढेर बी.के. हैं।
  • वर्सा शिव से मिलता है, न कि ब्रह्मा से।
  • वर्सा दादे से मिलता है।
  • ब्रह्मा द्वारा बैठकर स्वर्ग में जाने लायक बनाते हैं।
  • ब्रह्मा द्वारा बच्चों को एडाप्ट करते हैं।
  • बच्चे भी कहते हैं बाबा हम आपके ही हैं, आपसे वर्सा लेते हैं।
  • ब्रह्मा द्वारा स्थापना होती है विष्णुपुरी की।
  • शिवबाबा राजयोग सिखाते हैं।
  • श्रीमत अथवा श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ भगवान की गीता है।
  • भगवान एक ही निराकार है।
  • बाप समझाते हैं - तुम बच्चों ने 84 जन्म लिए हैं।
  • आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल.. बहुकाल से अलग तो भारतवासी ही थे।
  • दूसरा कोई धर्म नहीं था।
  • वही पहले-पहले बिछुडे हैं।
  • बाप से बिछुड़कर यहाँ पार्ट बजाने आये हैं।
  • बाबा कहते हैं - हे आत्मायें अब मुझ बाप को याद करो।
  • यह है याद की यात्रा अथवा योग अग्नि।
  • तुम्हारे सिर पर जो पापों का बोझ है, वह इस योग अग्नि से भस्म होगा।
  • हे मीठे बच्चे, तुम गोल्डन एज़ से आइरन एज़ में आ गये हो।
  • अब मुझे याद करो।
  • यह बुद्धि का काम है ना। देह सहित देह के सब सम्बन्ध छोड़ मामेकम् याद करो।
  • तुम आत्मा हो ना।
  • यह तुम्हारा शरीर है।
  • मैं, मैं आत्मा करती है।
  • तुमको रावण ने पतित बनाया है।
  • यह खेल बना हुआ है।
  • पावन भारत और पतित भारत।
  • जब पतित बनते हैं तो बाप को पुकारते हैं।
  • रामराज्य चाहिए।
  • कहते भी हैं, परन्तु अर्थ को नहीं समझते।
  • ज्ञान देने वाला ज्ञान का सागर तो एक ही बाप है।
  • बाप ही आकर सेकण्ड में वर्सा देते हैं।
  • अभी तुम बाप के बने हो।
  • बाप से सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी वर्सा लेने।
  • फिर सतयुग, त्रेता में तुम अमर बन जाते हो।
  • वहाँ ऐसे नहीं कहेंगे कि फलाना मर गया।
  • सतयुग में अकाले मृत्यु होती नहीं।
  • तुम काल पर जीत पाते हो।
  • दु:ख का नाम नहीं रहता।
  • उनको कहते हैं सुखधाम।
  • बाप कहते हैं हम तो तुमको स्वर्ग की बादशाही देते हैं।
  • वहाँ तो बहुत वैभव हैं।
  • भक्तिमार्ग में मन्दिर बनाये हैं उस समय भी कितना धन था।
  • भारत क्या था!
  • बाकी और सब आत्मायें निराकारी दुनिया में थी।
  • बच्चे जान गये हैं - ऊंच ते ऊंच बाबा अब स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं।
  • ऊंच ते ऊंच है शिवबाबा, फिर है ब्रह्मा-विष्णु-शंकर सूक्ष्मवतन वासी।
  • फिर यह दुनिया।
  • ज्ञान से ही तुम बच्चों की सद्गति होती है।
  • गाया भी जाता है ज्ञान, भक्ति और वैराग्य।
  • पुरानी दुनिया से वैराग्य आता है, क्योंकि सतयुग की बादशाही मिलती है।
  • अब बाप कहते हैं - बच्चे, मामेकम् याद करो।
  • मेरे को याद करते तुम मेरे पास आ जायेंगे।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सिर पर जो पापों का बोझ है उसे योग अग्नि से भस्म करना है। बुद्धि से देह सहित देह के सब सम्बन्ध छोड़ एक बाप को याद करना है।
  • 2) पुकारने वा चिल्लाने के बजाए अपने शान्त स्वधर्म में स्थित रहना है, शान्ति गले का हार है।
    • देह-अभिमान में आकर "मैं'' और "मेरा'' शब्द नहीं कहना है, स्वयं को आत्मा निश्चय करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपनी श्रेष्ठ स्थिति द्वारा माया को स्वयं के आगे झुकाने वाले हाइएस्ट पद के अधिकारी भव
  • जैसे महान आत्मायें कभी किसी के आगे झुकती नहीं हैं, उनके आगे सभी झुकते हैं।
  • ऐसे आप बाप की चुनी हुई सर्वश्रेष्ठ आत्मायें कहाँ भी, कोई भी परिस्थिति में वा माया के भिन्न-भिन्न आकर्षण करने वाले रूपों में अपने को झुका नहीं सकती।
  • जब अभी से सदा झुकाने की स्थिति में स्थित रहेंगे तब हाइएस्ट पद का अधिकार प्राप्त होगा।
  • ऐसी आत्माओं के आगे सतयुग में प्रजा स्वमान से झुकेगी और द्वापर में आप लोगों के यादगार के आगे भक्त झुकते रहेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • कर्म के समय योग का बैलेन्स ठीक हो तब कहेंगे कर्मयोगी।