22-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन
मीठे बच्चे - बाप आये हैं, भारत को सैलवेज करने, तुम बच्चे इस समय बाप के मददगार बनते हो, भारत ही प्राचीन खण्ड है
प्रश्नः-
ऊंची मंजिल में रूकावट डालने वाली छोटी-छोटी बातें कौन सी हैं?
उत्तर:-
अगर जरा भी कोई शौक है, अनासक्त वृत्ति नहीं है।
अच्छा पहनने, खाने में बुद्धि भटकती रहती है... तो यह बातें ऊंची मंजिल पर पहुंचने में अटक (रुकावट) डालती हैं इसलिए बाबा कहते बच्चे, वनवाह में रहो।
तुम्हें तो सब कुछ भूलना है।
यह शरीर भी याद न रहे।
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ओम् शान्ति। बच्चों को यह समझाया है कि यह भारत ही अविनाशी खण्ड है और इसका असुल नाम है ही भारत खण्ड।
- हिन्दुस्तान नाम तो बाद में पड़ा है।
- भारत को कहा जाता है-स्प्रीचुअल खण्ड। यह प्राचीन खण्ड है।
- नई दुनिया में जब भारत खण्ड था तो और कोई खण्ड थे नहीं।
- मुख्य हैं ही इस्लामी, बौद्धी और क्रिश्चियन।
- अभी तो बहुत खण्ड हो गये हैं।
- भारत अविनाशी खण्ड है, उसको ही स्वर्ग, हेविन कहते हैं।
- नई दुनिया में नया खण्ड एक भारत ही है।
- नई दुनिया रचने वाला है परमपिता परमात्मा, स्वर्ग का रचयिता हेविनली गॉड फादर।
- भारतवासी जानते हैं कि यह भारत अविनाशी खण्ड है।
- भारत स्वर्ग था।
- जब कोई मरता है तो कहते हैं स्वर्ग पधारा, समझते हैं स्वर्ग कहाँ ऊपर में है।
- देलवाड़ा मन्दिर में भी वैकुण्ठ के चित्र छत में दिखाये हैं।
- यह किसकी बुद्धि में नहीं आता कि भारत ही हेविन था, अब नहीं है।
- अभी तो हेल है।
- तो यह भी अज्ञान ठहरा।
- ज्ञान और अज्ञान दो चीजें होती हैं।
- ज्ञान को कहा जाता है दिन, अज्ञान को रात।
- घोर सोझरा और घोर अन्धियारा कहा जाता है।
- सोझरा माना राइज़, अन्धियारा माना फाल।
- मनुष्य सूर्य का फाल देखने के लिए सनसेट पर जाते हैं।
- अब वह तो है हद की बात।
- इसके लिए कहा जाता है ब्रह्मा का दिन, ब्रह्मा की रात।
- अब ब्रह्मा तो है प्रजापिता।
- तो जरूर प्रजा का पिता हुआ।
- ज्ञान अंजन सतगुरू दिया, अज्ञान अन्धेर विनाश।
- यह बातें दुनिया में कोई भी नहीं समझते हैं।
- यह है नई दुनिया के लिए नई नॉलेज।
- हेविन के लिए हेविनली गॉड फादर की नॉलेज चाहिए।
- गाते भी हैं फादर इज़ नॉलेजफुल।
- तो टीचर हो गया।
- फादर को कहा ही जाता है पतित-पावन और कोई को पतित-पावन कह नहीं सकते।
- श्रीकृष्ण को भी नहीं कह सकते।
- फादर तो सबका एक ही है।
- श्रीकृष्ण तो सबका फादर है नहीं।
- वह तो जब बड़ा हो, शादी करे तब एक दो बच्चे का बाप बनेगा।
- राधे-कृष्ण को प्रिन्स प्रिन्सेज़ कहा जाता है।
- कभी स्वयंवर भी हुआ होगा।
- शादी के बाद ही माँ बाप बन सकते हैं।
- उनको कभी कोई वर्ल्ड गॉड फादर कह नहीं सकते।
- वर्ल्ड गॉड फादर सिर्फ एक ही निराकार बाप को कहा जाता है।
- ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर शिवबाबा को नहीं कह सकते।
- ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर है प्रजापिता ब्रह्मा।
- उनसे बिरादरी निकलती है।
- वह इनकारपोरियल गॉड फादर, निराकार आत्माओं का बाप है।
- निराकारी आत्मायें जब यहाँ शरीर में हैं तब भक्ति मार्ग में पुकारती हैं।
- यह सब तुम नई बातें सुनते हो।
- यथार्थ रीति कोई भी शास्त्र में नहीं है।
- बाप कहते हैं, मैं सम्मुख बैठ तुम बच्चों को समझाता हूँ।
- फिर यह ज्ञान सारा गुम हो जाता है।
- फिर जब बाप आये तब आकर यथार्थ ज्ञान सुनाये।
- बच्चों को ही सम्मुख समझाकर वर्सा देते हैं।
- फिर बाद में शास्त्र बनते हैं।
- यथार्थ तो बन न सकें क्योंकि सच की दुनिया ही खत्म हो झूठ खण्ड हो जाता है।
- तो झूठी चीज़ ही होगी क्योंकि उतरती कला ही होती है।
- सच से तो चढ़ती कला होती है।
- भक्ति है रात, अन्धियारे में ठोकरें खानी पड़ती हैं।
- माथा टेकते रहते हैं।
- ऐसा घोर अन्धियारा है।
- मनुष्यों को तो कुछ भी पता नहीं रहता है। दर-दर धक्के खाते रहते हैं।
- इस सूर्य का भी राइज़ और फॉल होता है, जो बच्चे जाकर देखते हैं।
- अब तो तुम बच्चों को ज्ञान सूर्य का उदय होना देखना है।
- राइज़ ऑफ भारत और डाउन फॉल ऑफ भारत।
- भारत ऐसे डूबता है जैसे सूर्य डूबता है।
- सत्यनारायण की कथा में यह दिखाते हैं कि भारत का बेड़ा नीचे चला जाता है फिर बाप आकर उनको सैलवेज़ करते हैं।
- तुम इस भारत को फिर से सैलवेज़ करते हो।
- यह तुम बच्चे ही जानते हो।
- तुम निमत्रण भी देते हो, नव-निर्माण प्रदर्शनी भी नाम ठीक है।
- नई दुनिया कैसे स्थापन होती है, उसकी प्रदर्शनी।
- चित्रों द्वारा समझानी दी जाती है।
- तो वही नाम चला आये तो अच्छा है।
- नई दुनिया कैसे स्थापन होती है वा राइज़ कैसे होती है, यह तुम दिखाते हो।
- जरूर पुरानी दुनिया फॉल होती है तब दिखाते हैं कि राइज़ कैसे होता है।
- यह भी एक स्टोरी है - राज्य लेना और गँवाना।
- 5 हजार वर्ष पहले क्या था?
- कहेंगे, सूर्यवंशियों का राज्य था।
- फिर चन्द्रवंशी राज्य स्थापन हुआ।
- वह तो एक दो से राज्य लेते हैं।
- दिखाते हैं फलाने से राज्य लिया।
- वह कोई सीढ़ी नहीं समझते।
- यह तो बाप समझाते हैं कि तुम गोल्डन एज़ से सिल्वर एज़ में गये, सीढ़ी उतरते आये।
- यह 84 जन्मों की सीढ़ी है।
- सीढ़ी उतरनी होती है फिर चढ़नी भी होती है।
- डाउन फॉल का भी राज़ समझाना होता है।
- भारत का डाउन फॉल कितना समय, राइज़ कितना समय?
- फॉल एण्ड राइज़ ऑफ भारतवासी।
- विचार सागर मंथन करना होता है।
- मनुष्यों को टैम्पटेशन में कैसे लायें और फिर निमत्रण भी देना है।
- भाइयों-बहनों आकर समझो।
- बाप की महिमा तो पहले बतानी है।
- शिवबाबा की महिमा का एक बोर्ड होना चाहिए।
- पतित-पावन ज्ञान का सागर, पवित्रता, सुख-शान्ति का सागर, सम्पत्ति का सागर, सर्व का सद्गति दाता, जगत-पिता, जगत-शिक्षक, जगत-गुरू शिवबाबा से आकर अपना सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी वर्सा लो।
- तो मनुष्यों को बाप का पता पड़े।
- बाप की और श्रीकृष्ण की महिमा अलग-अलग है।
- यह तुम बच्चों की बुद्धि में बैठा हुआ है।
- सर्विसएबुल बच्चे जो हैं वे सारा दिन दौड़ा-दौड़ी करते रहते हैं।
- अपनी लौकिक सर्विस होते भी छुट्टी ले सर्विस में लग जाते हैं।
- यह है ही ईश्वरीय गवर्मेन्ट।
- खास बच्चियाँ अगर ऐसी सर्विस में लग जायें तो बहुत नाम निकाल सकती हैं।
- सर्विसएबुल बच्चों की पालना तो अच्छी रीति होती ही रहती हैं, क्योंकि शिवबाबा का भण्डारा भरपूर है।
- जिस भण्डारे से खाया वह भण्डारा भरपूर, काल कंटक दूर।
- तुम हो शिव वंशी।
- वह रचता है, यह रचना है।
- बाबुल नाम बहुत मीठा है।
- शिव साजन भी तो है ना।
- शिवबाबा की महिमा ही अलग है।
- निराकार अक्षर लिखने से समझते हैं कि उनका कोई आकार नहीं है।
- बिलवेड मोस्ट शिवबाबा है - परमप्रिय तो लिखना ही है।
- इस समय लड़ाई का मैदान उनका भी है तो तुम्हारा भी है।
- शिव शक्तियाँ नान-वायलेन्स गाई जाती हैं।
- परन्तु चित्रों में देवियों को भी हथियार दे हिंसा दिखा दी है।
- वास्तव में तुम योग अथवा याद के बल से विश्व की बादशाही लेते हो।
- हथियारों आदि की बात ही नहीं है।
- गंगा का प्रभाव बहुत है।
- बहुतों को साक्षात्कार भी होगा।
- भक्ति मार्ग में समझते हैं कि गंगा जल मिले तब उद्धार हो, इसलिए गुप्त गंगा कहते रहते हैं।
- कहते हैं, बाण मारा और गंगा निकली।
- गऊमुख से भी गंगा दिखाते हैं।
- तुम पूछेंगे तो कहेंगे कि गुप्त गंगा निकल रही है।
- त्रिवेणी पर भी सरस्वती को गुप्त दिखाया है।
- मनुष्यों ने तो बहुत बातें बना दी हैं।
- यहाँ तो एक ही बात है।
- सिर्फ अल्फ, बस।
- अल्लाह आकर बहिश्त स्थापन करते हैं।
- खुदा हेविन स्थापन करते हैं।
- ईश्वर स्वर्ग स्थापन करते हैं।
- वास्तव में ईश्वर तो एक है।
- यह तो अपनी-अपनी भाषा में भिन्न-भिन्न नाम रख दिये हैं।
- परन्तु यह समझते हैं कि अल्लाह से जरूर स्वर्ग की बादशाही मिलेगी।
- यहाँ तो बाप कहते हैं मनमनाभव।
- बाप को याद करने से वर्सा जरूर याद आयेगा।
- रचता की रचना है ही स्वर्ग।
- ऐसे थोड़ेही कहेंगे कि राम ने नर्क रचा।
- भारतवासियों को यह पता ही नहीं कि निराकार रचता कौन है?
- तुम जानते हो कि नर्क का रचता रावण है, जिसको जलाते हैं।
- रावण राज्य में भक्ति मार्ग का सैपलिंग कितना बड़ा है।
- रावण का रूप भी बड़ा भयंकर बनाया है।
- बोलते भी हैं कि रावण हमारा दुश्मन है।
- बाप ने अर्थ समझाया है - पेशगीर (विस्तार) बड़ा है तो रावण का शरीर भी बड़ा बनाते हैं।
- शिवबाबा तो बिन्दी है।
- परन्तु चित्र बड़ा बना दिया है।
- नहीं तो बिन्दी की पूजा कैसे हो।
- पुजारी तो बनना है ना।
- आत्मा के लिए तो कहते हैं - भ्रकुटी के बीच में चमकता है अज़ब सितारा।
- और फिर कहते हैं, आत्मा सो परमात्मा।
- तो फिर हजार सूर्य से ज्यादा तेज कैसे होगा?
- आत्मा का वर्णन तो करते हैं लेकिन समझते नहीं।
- अगर परमात्मा हजार सूर्य से तेज हो, तो हर एक में प्रवेश कैसे करे?
- कितनी अयथार्थ बातें हैं, जो सुनकर क्या बन पड़े हैं।
- कहते हैं आत्मा सो परमात्मा तो बाप का रूप भी ऐसा होगा ना, परन्तु पूजा के लिए बड़ा बनाया है।
- पत्थर के कितने बड़े-बड़े चित्र बनाते हैं।
- जैसे ग़ुफा में बड़े-बड़े पाण्डव दिखाये हैं, जानते कुछ भी नहीं।
- यह है पढ़ाई।
- धन्धा और पढ़ाई अलग-अलग है।
- बाबा पढ़ाते भी हैं और धन्धा भी सिखाते हैं।
- बोर्ड में भी पहले बाप की महिमा होनी चाहिए।
- बाप की फुल महिमा लिखनी है।
- यह बातें तुम बच्चों की भी बुद्धि में नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार आती हैं इसलिए महारथी, घोड़ेसवार कहा जाता है।
- हथियार आदि की कोई बात नहीं है।
- बाप बुद्धि का ताला खोल देते हैं।
- यह गोदरेज का ताला कोई खोल न सके।
- बाप के पास मिलने आते हैं तो बाबा बच्चों से पूछते हैं कि आगे कब मिले हो?
- इस जगह पर, इस दिन कब मिले हो?
- तो बच्चे कहते हाँ बाबा, 5 हजार वर्ष पहले मिले हैं।
- अब यह बातें ऐसे कोई पूछ न सके।
- कितनी गुह्य समझने की बातें हैं।
- कितनी ज्ञान की युक्तियाँ बाबा समझाते हैं।
- परन्तु धारणा नम्बरवार होती है।
- शिवबाबा की महिमा अलग है, ब्रह्मा-विष्णु-शंकर की महिमा अलग है।
- हर एक का पार्ट अलग-अलग है।
- एक न मिले दूसरे से।
- यह अनादि ड्रामा है।
- वही फिर रिपीट होगा।
- अभी तुम्हारी बुद्धि में बैठा हुआ है कि हम कैसे मूलवतन में जाते हैं फिर आते हैं पार्ट बजाने के लिए।
- जाते हैं वाया सूक्ष्मवतन।
- आने समय सूक्ष्मवतन नहीं है।
- सूक्ष्मवतन का साक्षात्कार कभी किसी को होता ही नहीं।
- सूक्ष्मवतन का साक्षात्कार करने के लिए कोई तपस्या नहीं करते हैं क्योंकि उनको कोई जानते नहीं हैं।
- सूक्ष्मवतन का कोई भगत थोड़ेही होगा।
- सूक्ष्मवतन अभी रचते हैं वाया सूक्ष्मवतन जाए फिर नई दुनिया में आयेंगे।
- इस समय तुम वहाँ आते-जाते रहते हो।
- तुम्हारी सगाई हुई है, यह पियर घर है।
- विष्णु को पिता नहीं कहेंगे।
- वह है ससुरघर।
- जब कन्या ससुरघर जाती है तो पुराने कपड़े सब छोड़ जाती है।
- तुम पुरानी दुनिया को ही छोड़ देते हो।
- तुम्हारे और उनके वनवाह में कितना फर्क है।
- तुमको भी बहुत अनासक्त रहना चाहिए।
- देह-अभिमान तोडना है।
- ऊंची साड़ी पहनेंगी तो झट देह-अभिमान आ जायेगा।
- मैं आत्मा हूँ, यह भूल जायेगा।
- इस समय तुम हो ही वनवाह में।
- वनवाह और वानप्रस्थ एक ही बात है।
- शरीर ही छोड़ना है तो साड़ी नहीं छोड़ेंगी क्या!
- हल्की साड़ी मिलती है तो दिल ही छोटी हो जाती है।
- इसमें तो खुशी होनी चाहिए -अच्छा हुआ जो हल्का वस्त्र मिला।
- अच्छी चीज़ को तो सम्भालना पड़ता है।
- यह पहनने, खाने की छोटी-छोटी बातें भी ऊंची मंजिल पर पहुंचने में अटक डालती हैं।
- मंजिल बहुत बड़ी है।
- कथा में भी सुनाते हैं ना कि पति को कहा - यह लाठी भी छोड़ दो।
- बाप कहते हैं यह पुराना कपड़ा, पुरानी दुनिया सब खलास होनी है, इसलिए इस सारी दुनिया से बुद्धियोग तोड़ना है, इसको बेहद का संन्यास कहा जाता है।
- संन्यासियों ने तो हद का संन्यास किया है अब तो फिर वे अन्दर आ गये हैं।
- आगे तो उन्हों में बहुत ताकत थी।
- उतरने वालों की महिमा क्या हो सकती है।
- नई-नई आत्मायें भी पिछाड़ी तक आती रहती हैं पार्ट बजाने, उनमें क्या ताकत होगी।
- तुम तो पूरे 84 जन्म लेते हो।
- यह सब समझने के लिए कितनी अच्छी बुद्धि चाहिए।
- सर्विसएबुल बच्चे सर्विस में उछलते रहेंगे।
- ज्ञान सागर के बच्चे ऐसे भाषण करें जैसे बाबा उछलता है, इसमें फँक नहीं होना है।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बुद्धि से बेहद का संन्यास करना है।
- वापस घर जाने का समय है इसलिए पुरानी दुनिया और पुराने शरीर से अनासक्त रहना है।
- 2) ड्रामा की हर सीन को देखते हुए सदा हर्षित रहना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अपने हाइएस्ट पोजीशन में स्थित रहकर हर संकल्प, बोल और कर्म करने वाले सम्पूर्ण निर्विकारी भव
- सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् किसी भी परसेन्ट में कोई भी विकार तरफ आकर्षण न जाए, कभी उनके वशीभूत न हों।
- हाइएस्ट पोजीशन वाली आत्मायें कोई साधारण संकल्प भी नहीं कर सकती।
- तो जब कोई भी संकल्प वा कर्म करते हो तो चेक करो कि जैसा ऊंचा नाम वैसा ऊंचा काम है?
- अगर नाम ऊंचा, काम नीचा तो नाम बदनाम करते हो इसलिए लक्ष्य प्रमाण लक्षण धारण करो तब कहेंगे सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् होलीएस्ट आत्मा।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- कर्म करते करन-करावनहार बाप की स्मृति रहे तो स्व-पुरुषार्थ और योग का बैलेन्स ठीक रहेगा।
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