23-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - बाप की यह वण्डरफुल हट्टी (दुकान) है, जिस पर सब वैराइटी सामान मिलता है, उस हट्टी के तुम मालिक हो

प्रश्नः-

इस वण्डरफुल दुकानदार की कॉपी कोई भी नहीं कर सकता है - क्यों?

उत्तर:-

क्योंकि यह स्वयं ही सर्व खजानों का भण्डार है। ज्ञान का, सुख का, शान्ति का, पवित्रता का, सर्व चीजों का सागर है, जिसको जो चाहिए वह मिल सकता है। निवृत्ति मार्ग वालों के पास यह सामान मिल नहीं सकता। कोई भी अपने को बाप समान सागर कह नहीं सकते। गीत:- तुम्हें पाके हमने....

 

गीत:- तुम्हें पाके हमने....


  • ओम् शान्ति। अब बच्चे बैठे हैं बेहद के बाप के सामने।
  • इनको बेहद का बाप भी कहा जाए तो बेहद का दादा भी कहा जाए और फिर बेहद के बच्चे बैठे हैं और बाप बेहद का ज्ञान दे रहे हैं।
  • हद की बातें अब छूटी।
  • अब बाप से बेहद का वर्सा लेना है।
  • यह एक ही हट्टी ठहरी।
  • मनुष्यों को पता नहीं है कि हम क्या चाहते हैं।
  • बेहद के बाप की हट्टी तो बहुत बड़ी है।
  • उनको कहा जाता है सुख का सागर, पवित्रता का सागर, आनंद का सागर, ज्ञान का सागर...कोई दुकानदार होता है तो उनके पास बहुत वैराइटी होती है।
  • तो यह है बेहद का बाप।
  • इनके पास भी वैराइटी सामान है।
  • क्या-क्या है?
  • बाबा ज्ञान का सागर है, सुख का, शान्ति का सागर है।
  • उनके पास यह वण्डर-फुल, अलौकिक सामान है।
  • फिर गाया भी जाता है - सुख-कर्ता।
  • यह एक ही दुकान ठहरी और तो कोई का ऐसा दुकान है नहीं।
  • ब्रह्मा-विष्णु-शंकर के पास क्या सामान है?
  • कुछ भी नहीं।
  • सबसे ऊंचा सामान है बाप के पास, इसलिए उनकी महिमा गाई जाती है।
  • त्वमेव माताश्च पिता.... ऐसी महिमा कभी किसकी गाई नहीं जाती।
  • मनुष्य शान्ति के लिए भटकते रहते हैं।
  • कोई को दवाई चाहिए, कोई को कुछ चाहिए।
  • वह सब हद की दुकान हैं।
  • सारी दुनिया में सबके पास हद की चीज़ें हैं।
  • यह एक ही बाप है जिसके पास बेहद की चीज़ें हैं इसलिए उनकी महिमा भी गाते हैं कि पतित-पावन है, लिबरेटर है, ज्ञान का सागर, आनन्द का सागर है।
  • यह सब वैराइटी वक्खर (सामान) है।
  • लिस्ट लिखेंगे तो बहुत हो जायेगी।
  • जिस बाप के पास यह चीज़ें हैं तो बच्चों का भी हक है उन पर।
  • परन्तु यह किसकी बुद्धि में नहीं आता कि जब ऐसे बाप के हम बच्चे हैं तो बाप की चीज़ों के हम मालिक होने चाहिए।
  • बाप आते भी हैं भारत में।
  • बाप के पास जो सब चीजें हैं - वे जरूर ले आयेंगे।
  • उनके पास लेने लिए तो जा नहीं सकते।
  • बाप कहते हैं, मुझे आना पड़ता है।
  • कल्प-कल्प, कल्प के संगम पर मैं आकर तुमको सब चीजें दे जाता हूँ।
  • हम जो तुमको वक्खर देता हूँ, वह फिर कभी नहीं मिल सकता।
  • आधाकल्प के लिए तुम्हारे भण्डारे भर जाते हैं।
  • ऐसी कोई अप्राप्त वस्तु नहीं रहती जिसके लिए पुकारना पड़े।
  • ड्रामा प्लैन अनुसार तुम सब वर्सा लेकर फिर धीरे-धीरे सीढ़ी उतरते हो।
  • पुनर्जन्म भी जरूर लेना पड़े।
  • 84 जन्म भी लेना है।
  • 84 का चक्र कहते हैं परन्तु अर्थ नहीं समझते।
  • 84 के बदले 84 लाख जन्म कह देते हैं।
  • माया भूल करा देती है।
  • यह अभी तुम समझते हो फिर तो यह सब भूल जायेंगे।
  • इस समय वक्खर लेते हैं, सतयुग में राजाई करते हैं।
  • परन्तु उन्हों को यह पता नहीं रहता कि यह राजाई हमको किसने दी?
  • लक्ष्मी-नारायण का राज्य कब था?
  • स्वर्ग के सुख गाये भी जाते हैं।
  • सब किसम के सुख देते हैं।
  • इससे जास्ती कोई सुख होता नहीं।
  • फिर वह सुख भी प्राय:लोप हो जाता है।
  • आधाकल्प के बाद रावण आकर सब सुख छीन लेते हैं।
  • किसको गुस्सा करते हैं तो कहते हैं, तेरी कला काया ही खत्म हो गई है।
  • तुम भी जो सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण थे।
  • वह कलायें सब खत्म हो गई हैं।
  • एक बाप के सिवाए और कोई की इतनी महिमा नहीं है।
  • कहते हैं ना - पैसा हो तो लाड़काना घूमकर आओ।
  • तुम विचार करो कि स्वर्ग में कितना अकीचार धन-माल था।
  • अभी वह थोड़ेही है।
  • सब गुम हो जाता है।
  • धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट बन जाते हैं।
  • तो धन-माल भी गुम हो जाता है फिर नीचे गिरने लग पड़ते हैं।
  • बाप समझाते हैं - तुमको इतना धन दिया, तुमको हीरे जैसा बनाया।
  • फिर तुमने धन माल कहाँ गँवा दिया?
  • अब फिर बाप कहते हैं कि अपना वर्सा, पुरुषार्थ कर ले लो।
  • तुम जानते हो कि बाबा हमको फिर से स्वर्ग की बादशाही दे रहे हैं और कहते हैं, हे बच्चे मुझे याद करो तो तुम्हारे ऊपर जो कट है, वह निकल जाये।
  • बच्चे कहते, बाबा हम भूल जाते हैं।
  • यह क्या?
  • कन्या जब शादी करती है तो पति को कभी भूलती है क्या!
  • बच्चे कभी बाप को भूलते हैं क्या?
  • बाप तो दाता है।
  • वर्सा बच्चों को लेना है तो जरूर याद करना पड़े।
  • बाप समझाते हैं - मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे, याद की यात्रा में रहेंगे तो विकर्म विनाश होंगे और कोई उपाय नहीं है।
  • भक्ति मार्ग में तीर्थ यात्रा, गंगा स्नान आदि जो करते आये हो तो सीढ़ी नीचे उतरते ही आये हो।
  • ऊपर तो चढ़ ही नहीं सकते।
  • लॉ नहीं कहता।
  • सबकी उतरती कला ही है।
  • यह जो कहते हैं कि फलाना मुक्ति में गया, यह झूठ बोलते हैं।
  • वापिस कोई जा नहीं सकते।
  • बाबा आया है तुमको 16 कला सम्पूर्ण बनाने।
  • तुम ही गाते थे कि मुझ निर्गुण हारे में... अभी तुम जानते हो कि बाप गुणवान बनाते हैं।
  • हम ही गुणवान, पूज्य थे।
  • हमने वर्सा लिया था। 5 हजार वर्ष हुए।
  • बाप भी कहते हैं कि तुमको वर्सा देकर गये थे।
  • शिवजयन्ती, रक्षाबन्धन, दशहरा आदि मनाते भी हैं फिर भी कुछ समझते नहीं हैं।
  • सब कुछ भूल जाते हैं।
  • फिर बाप आकर याद दिलाते हैं।
  • तुम ही थे फिर तुमने राज्य भाग्य गँवाया है।
  • बाप समझाते हैं - अब यह सारी दुनिया पुरानी जड़जड़ीभूत है।
  • दुनिया तो यही है।
  • यही भारत नया था, अब पुराना हुआ है।
  • स्वर्ग में सदा सुख होता है।
  • फिर द्वापर से जब दु:ख शुरू होता है तब यह वेद-शास्त्र आदि बनते हैं।
  • भक्ति करते-करते जब तुम भक्ति पूरी करो तब भगवान आये ना।
  • ब्रह्मा का दिन, ब्रह्मा की रात।
  • आधा-आधा होगा ना।
  • ज्ञान दिन, भक्ति रात।
  • उन्होंने तो कल्प की आयु उल्टी-सुल्टी कर दी है।
  • तो पहले-पहले तुम सबको बाप की महिमा बैठ सुनाओ।
  • बाप ज्ञान का सागर, शान्ति का सागर है।
  • कृष्ण को थोड़ेही कहेंगे - निराकार पतित-पावन, सुख का सागर...नहीं, उनकी महिमा ही अलग है।
  • रात-दिन का फ़र्क है।
  • शिव को कहते ही हैं बाबा।
  • कृष्ण बाबा अक्षर ही नहीं शोभता।
  • कितनी बड़ी भूल है।
  • फिर छोटी-छोटी भूलें करते 100 प्रतिशत भूल गये हैं।
  • बाप कहते हैं - सन्यासियों से कभी यह सौदा मिल न सके।
  • वह हैं ही निवृति मार्ग के।
  • तुम हो प्रवृत्ति मार्ग वाले।
  • तुम सम्पूर्ण निर्विकारी थे, वाइसलेस वर्ल्ड थी।
  • यह है विशश वर्ल्ड।
  • फिर कहते - क्या सतयुग में बच्चे पैदा नहीं होते?
  • वहाँ भी तो विकार था।
  • अरे, वह है ही सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया।
  • सम्पूर्ण निर्विकारी फिर विकारी हो कैसे सकते?
  • फिर सतयुग में सब इतने मनुष्य हों, यह कैसे हो सकता।
  • वहाँ इतने मनुष्य थोड़ेही होते हैं।
  • भारत के सिवाए और कोई खण्ड नहीं होंगे।
  • वह कहते भी हैं हम मान नहीं सकते।
  • दुनिया तो सदैव भरी हुई रहती है, कुछ भी समझते नहीं।
  • बाप समझाते हैं कि भारत गोल्डन एज़ था।
  • अब तो आइरन एज़ पत्थरबुद्धि हैं।
  • अब तुम बच्चों ने ड्रामा को समझ लिया है।
  • गांधी आदि सब रामराज्य चाहते थे।
  • परन्तु दिखाते हैं कि महाभारत लड़ाई लगी।
  • बस, फिर खेल खत्म।
  • फिर क्या हुआ?
  • कुछ भी दिखाया नहीं है।
  • बाप बैठ यह समझाते हैं।
  • यह तो बिल्कुल सहज है।
  • शिव जयन्ती मनाते हैं - तो जरूर शिवबाबा आते हैं।
  • वह है हेविनली गॉड फादर तो जरूर हेविन के गेट खोलने आयेगा।
  • आयेंगे भी तब, जब हेल होगा।
  • हेविन के द्वार खोल हेल के बन्द कर देंगे।
  • हेविन के द्वार खुलें तो जरूर सब हेविन में ही आयेंगे।
  • यह बातें कोई डिफीकल्ट नहीं हैं।
  • महिमा सिर्फ एक बाप की है।
  • शिवबाबा की एक ही हट्टी है।
  • वह है बेहद का बाप। बेहद के बाप द्वारा भारत को स्वर्ग का सुख मिलता है।
  • बेहद का बाप स्वर्ग स्थापन करता है।
  • बरोबर बेहद का सुख था। फिर हम हेल में क्यों पड़े हैं?
  • यह कोई भी नहीं जानते।
  • बाप समझाते हैं कि तुम ही थे फिर तुम ही गिरे हो।
  • देवताओं को ही 84 जन्म लेने पड़ते हैं।
  • अभी आकर पतित बने हैं।
  • उनको ही फिर पावन बनना है।
  • बाप का भी जन्म है तो रावण का भी जन्म होता है।
  • यह किसको भी पता नहीं।
  • कोई से भी पूछो तो रावण को कब से जलाते हो?
  • कहेंगे वह तो अनादि चलता आता है।
  • यह सब राज़ बाप समझाते हैं।
  • उस बाप की एक ही हट्टी की महिमा है।
  • सुख-शान्ति-पवित्रता मनुष्य से मनुष्य को नहीं मिल सकती।
  • सिर्फ एक को थोड़ेही शान्ति मिली थी।
  • यह झूठ बोलते हैं कि फलाने से शान्ति मिली।
  • अरे शान्ति तो मिलनी है - शान्तिधाम में।
  • यहाँ तो एक को शान्ति होगी फिर दूसरा अशान्त करेंगे तो शान्ति में रह न सकें।
  • सुख-शान्ति-पवित्रता सब चीजों का व्यापारी एक ही शिवबाबा है।
  • उनसे कोई आकर व्यापार करे।
  • उनको कहा ही जाता है सौदागर, पवित्रता, सुख-शान्ति-सम्पत्ति सब कुछ उनके पास है। अप्राप्त कोई वस्तु नहीं।
  • स्वर्ग का तुम राज्य पाते हो।
  • बाप तो देने आये हैं, लेने वाले लेते-लेते थक जाते हैं।
  • मैं आता ही हूँ देने लिए और तुम ठण्डे पड़ जाते हो लेने में।
  • बच्चे कहते हैं, बाबा माया के तूफान आते हैं।
  • हाँ, पद भी बहुत ऊंचा पाना है। स्वर्ग के मालिक बनते हो।
  • यह कम बात है क्या!
  • तो मेहनत करनी है।
  • श्रीमत पर चलते रहो।
  • वक्खर जो मिलता है वह फिर औरों को भी देना पड़े।
  • दान करना पड़े।
  • पवित्र बनना है तो 5 विकारों का दान जरूर देना है।
  • मेहनत करनी है।
  • बाप को याद करना है, तब ही कट उतरेगी।
  • मुख्य है याद।
  • प्रतिज्ञा भल करो कि बाबा हम विकार में कभी नहीं जायेंगे, किसी पर क्रोध नहीं करेंगे।
  • परन्तु याद में जरूर रहना है।
  • नहीं तो इतने पाप कैसे विनाश होंगे।
  • बाकी नॉलेज तो बड़ी सहज है।
  • 84 जन्म का चक्र कैसे लगाया है, यह किसको भी तुम समझा सकते हो।
  • बाकी याद की यात्रा में मेहनत है।
  • भारत का प्राचीन योग मशहूर है।
  • क्या ज्ञान देते हैं?
  • मनमनाभव अर्थात् मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
  • तुम गाते भी थे कि आप जब आयेंगे तो और संग तोड़ एक संग जोड़ेंगे।
  • तुम पर बलिहार जायेंगे।
  • तेरे सिवाए और कोई को याद नहीं करेंगे।
  • प्रतिज्ञा की है फिर भूल क्यों जाते हो?
  • कहते भी हैं हथ कार डे दिल यार डे...कर्मयोगी तो तुम हो।
  • धन्धा आदि करते बुद्धियोग बाप से लगाना है।
  • माशूक बाप खुद कहते हैं, तुम आशिकों ने आधाकल्प याद किया है।
  • अब मैं आया हूँ, मुझे याद करो।
  • यह याद ही घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं, इसमें ही मेहनत है।
  • कर्मातीत अवस्था हो जाए तो फिर यह शरीर ही छोड़ना पड़े।
  • जब राजधानी स्थापन हो जायेगी तब तुम कर्मातीत अवस्था को पायेंगे।
  • अभी तो सभी पुरूषार्थी हैं।
  • सबसे जास्ती मम्मा-बाबा याद करते हैं।
  • सूक्ष्मवतन में भी वे देखने में आते हैं।
  • बाप समझाते हैं - मैं जिसमें प्रवेश करता हूँ, वह बहुत जन्म के अन्त वाला जन्म है।
  • वह भी पुरूषार्थ कर रहे हैं।
  • कर्मातीत अवस्था में अभी कोई पहुँच नहीं सकते।
  • कर्मातीत अवस्था आ जाए तो फिर यह शरीर रह नहीं सकता।
  • बाबा तो बहुत अच्छी रीति समझाते हैं।
  • अब समझने वालों की बुद्धि पर है।
  • हेविनली गॉड फादर एक ही है।
  • उनके पास ही ज्ञान का सारा वक्खर है।
  • वही जादूगर है।
  • और कोई से सुख-शान्ति-पवित्रता का वर्सा मिल न सके।
  • बाप बहुत अच्छी रीति समझाते हैं।
  • बच्चों को धारण कर और धारण कराना है।
  • जितना धारणा करते हैं, उतना वर्सा लेते हैं।
  • दिन-प्रतिदिन बहुत तरावटी माल मिलता है।
  • लक्ष्मी-नारायण देखो कितने मीठे हैं।
  • उन जैसा मीठा बनना चाहिए।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • और कोई भी सतसंग में ऐसे कहते हैं क्या?
  • यह हमारी बिल्कुल ही नई भाषा है, जिसको स्प्रीचुअल नॉलेज कहा जाता है। अच्छा।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप द्वारा जो सुख-शान्ति-पवित्रता का वक्खर मिला है, वह सबको देना है।
    • पहले विकारों का दान दे पवित्र बनना है फिर अविनाशी ज्ञान धन का दान करना है।
  • 2) देवताओं जैसा मीठा बनना है।
    • जो बापदादा से प्रतिज्ञा की है, उसे सदा याद रखना है और बाप की याद में रहकर विकर्म भी विनाश करने हैं।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपने प्रति वा सर्व आत्माओं के प्रति लॉ फुल बनने वाले लॉ मेकर सो न्यु वर्ल्ड मेकर भव
  • जो स्वयं प्रति लॉ फुल बनते हैं वही दूसरों के प्रति भी लॉ फुल बन सकते हैं।
  • जो स्वयं लॉ को ब्रेक करते हैं वह दूसरों के ऊपर लॉ नहीं चला सकते इसलिए अपने आपको देखो कि सवेरे से रात तक मन्सा संकल्प में, वाणी में, कर्म में, सम्पर्क वा एक दो को सहयोग देने में वा सेवा में कहाँ भी लॉ ब्रेक तो नहीं होता है!
  • जो लॉ मेकर हैं वह लॉ ब्रेकर नहीं बन सकते।
  • जो इस समय लॉ मेकर बनते हैं वही पीस मेकर, न्यु वर्ल्ड मेकर बन जाते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • कर्म करते कर्म के अच्छे वा बुरे प्रभाव में न आना ही कर्मातीत स्थिति है।