30-04-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - तुम बाप द्वारा सम्मुख पढ़ रहे हो, तुम्हें सतयुगी बादशाही का लायक बनने के लिए पावन जरूर बनना है

प्रश्नः-

बाप के किस आक्यूपेशन को तुम बच्चे ही जानते हो?

उत्तर:-

तुम जानते हो कि हमारा बाप, बाप भी है, टीचर और सतगुरू भी है।

बाप कल्प के संगमयुग पर आते हैं, पुरानी दुनिया को नया बनाने, एक आदि सनातन धर्म की स्थापना करने।

बाप अभी हम बच्चों को मनुष्य से देवता बनाने के लिए पढ़ा रहे हैं।

यह आक्यूपेशन हम बच्चों के सिवाए और कोई नहीं जानता।

गीत:- भोलेनाथ से निराला....

 

गीत:- भोलेनाथ से निराला....


  • ओम् शान्ति। ओम् शान्ति का अर्थ तो बच्चों को बार-बार समझाया है।
  • ओम् माना मैं आत्मा हूँ और मेरा यह शरीर है।
  • शरीर भी कह सकता है कि मेरी यह आत्मा है।
  • जैसे शिवबाबा कहते हैं तुम मेरे हो।
  • बच्चे कहते हैं बाबा आप हमारे हो।
  • वैसे आत्मा भी कहती है मेरा शरीर।
  • शरीर कहेगा - मेरी आत्मा।
  • अभी आत्मा जानती है - मैं अविनाशी हूँ।
  • आत्मा बिगर शरीर कुछ कर न सके।
  • शरीर तो है, कहते हैं मेरी आत्मा को तकलीफ नहीं देना।
  • मेरी आत्मा पाप आत्मा है वा मेरी आत्मा पुण्य आत्मा है।
  • तुम जानते हो मेरी आत्मा सतयुग में पुण्य आत्मा थी।
  • आत्मा खुद भी कहेगी - मैं सतयुग में सतोप्रधान अथवा सच्चा सोना थी।
  • सोना है नहीं, यह एक मिसाल दिया जाता है।
  • हमारी आत्मा पवित्र थी, गोल्डन एज़ड थी।
  • अभी तो कहते हैं इमप्योर हूँ।
  • दुनिया वाले यह नहीं जानते।
  • तुमको तो श्रीमत मिलती है।
  • तुम अब जानते हो हमारी आत्मा सतोप्रधान थी, अब तमोप्रधान बनी है।
  • हर एक चीज़ ऐसे होती है।
  • बाल, युवा, वृद्ध....हर चीज़ नये से पुरानी जरूर होती है।
  • दुनिया भी पहले गोल्डन एज़ड सतोप्रधान थी फिर तमोप्रधान आइरन एज़ड है, तब ही दु:खी है।
  • सतोप्रधान माना सुधरी हुई, तमोप्रधान माना बिगड़ी हुई।
  • गीत में भी कहते हैं, बिगड़ी को बनाने वाले...पुरानी दुनिया बिगड़ी हुई है क्योंकि रावण राज्य है और सभी पतित हैं।
  • सतयुग में सब पावन थे, उनको न्यु वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है।
  • यह है ओल्ड विशश वर्ल्ड।
  • अब कलियुग आइरन एज़ है।
  • यह सब बातें कोई स्कूल, कालेज में नहीं पढ़ाई जाती हैं।
  • भगवान आकर पढ़ाते हैं और राजयोग सिखाते हैं।
  • गीता में लिखा हुआ है भगवानुवाच - श्रीमत भगवत गीता।
  • श्रीमत माना श्रेष्ठ मत।
  • श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ ऊंच ते ऊंच भगवान है। उनका नाम एक्यूरेट शिव है।
  • रूद्र जयन्ती वा रूद्र रात्रि कभी नहीं सुना होगा।
  • शिवरात्रि कहते हैं।
  • शिव तो निराकार है।
  • अब निराकार की रात्रि वा जयन्ती कैसे मनाई जाए।
  • कृष्ण की जयन्ती तो ठीक है।
  • फलाने का बच्चा है, उनकी तिथि तारीख दिखाते हैं।
  • शिव के लिए तो कोई जानते नहीं कि कब पैदा हुआ।
  • यह तो जानना चाहिए ना।
  • अब तुमको समझ मिली है कि श्रीकृष्ण ने सतयुग आदि में कैसे जन्म लिया।
  • तुम कहेंगे उनको तो 5 हजार वर्ष हुए।
  • वह भी कहते हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत पैराडाइज़ था।
  • इस्लामियों के आगे चन्द्रवंशी, उनके आगे सूर्यवंशी थे।
  • शास्त्रों में सतयुग को लाखों वर्ष दे दिये हैं।
  • गीता है मुख्य।
  • गीता से ही देवी देवता धर्म स्थापन हुआ।
  • वह सतयुग-त्रेता तक चला अर्थात् गीता शास्त्र से आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना, परमपिता परमात्मा ने की।
  • फिर तो आधाकल्प न कोई शास्त्र हुआ, न कोई धर्म स्थापक हुआ।
  • बाप ने आकर ब्राह्मणों को देवता-क्षत्रिय बनाया।
  • गोया बाप 3 धर्म स्थापन करते हैं।
  • यह है लीप धर्म।
  • इनकी आयु थोड़ी रहती है।
  • तो सर्व शास्त्रमई शिरोमणी गीता भगवान ने गाई है।
  • बाप पुनर्जन्म में नहीं आते हैं।
  • जन्म है, परन्तु बाप कहते हैं, मैं गर्भ में नहीं आता हूँ।
  • मेरी पालना नहीं होती।
  • सतयुग में भी जो बच्चे होते हैं वह गर्भ महल में रहते हैं।
  • रावणराज्य में गर्भ-जेल में आना पड़ता है।
  • पाप जेल में भोगे जाते हैं।
  • गर्भ में अन्जाम करते हैं, हम पाप नहीं करेंगे, परन्तु यह है ही पाप आत्माओं की दुनिया।
  • बाहर निकलने से फिर पाप करने लग पड़ते हैं।
  • वहाँ की वहाँ रही... यहाँ भी बहुत प्रतिज्ञा करते हैं हम पाप नहीं करेंगे।
  • एक दो पर काम-कटारी नहीं चलायेंगे क्योंकि यह विकार आदि-मध्य-अन्त दु:ख देता है।
  • सतयुग में विष है नहीं।
  • तो मनुष्य आदि-मध्य-अन्त 21 जन्म दु:ख भोगते नहीं क्योंकि रामराज्य है।
  • उसकी स्थापना अब बाप फिर से कर रहे हैं।
  • संगम पर ही स्थापना होगी ना।
  • जो भी धर्म स्थापन करने आते हैं उनको कोई भी पाप नहीं करना है।
  • आधा समय है पुण्य आत्मा, फिर आधा समय बाद पाप आत्मा बनते हैं।
  • तुम सतयुग त्रेता में पुण्य आत्मा रहते हो, फिर पाप आत्मा बनते हो।
  • सतोप्रधान आत्मा जब ऊपर से आती है तो वह सजायें खा नहीं सकती।
  • क्राइस्ट की आत्मा धर्म स्थापन करने आई, उनको कोई सजा मिल न सके।
  • कहते हैं - क्राइस्ट को क्रास पर चढ़ाया परन्तु उनकी आत्मा ने कोई विकर्म आदि किया ही नहीं है।
  • वह जिसके शरीर में प्रवेश करते हैं उनको दु:ख होता है।
  • वह सहन करते हैं।
  • जैसे इसमें बाबा आते हैं, वह तो है ही सतोप्रधान।
  • कोई भी दु:ख तकलीफ इनकी आत्मा को होता है, शिवबाबा को नहीं होता है।
  • वह तो सदैव सुख-शान्ति में रहते हैं।
  • एवर सतोप्रधान हैं।
  • परन्तु आते तो इस पुराने शरीर में हैं ना।
  • वैसे क्राइस्ट की आत्मा ने जिसमें प्रवेश किया उस शरीर को दु:ख हो सकता है, क्राइस्ट की आत्मा दु:ख नहीं भोग सकती क्योंकि सतो-रजो-तमो में आती है।
  • नयी-नयी आत्मायें आती भी तो हैं ना।
  • उनको पहले जरूर सुख भोगना पड़े, दु:ख भोग नहीं सकती।
  • लॉ नहीं कहता।
  • इसमें बाबा बैठे हैं कोई भी तकलीफ इनको (दादा को) होती है न कि शिवबाबा को।
  • परन्तु यह बातें तुम जानते हो और कोई को पता नहीं हैं।
  • यह सब राज़ अभी बाप बैठ समझाते हैं।
  • इस सहज राजयोग से ही स्थापना हुई थी फिर भक्ति मार्ग में यही बातें गाई जाती हैं।
  • इस संगम पर जो कुछ होता है, वह गाया जाता है।
  • भक्ति मार्ग शुरू होता है तो फिर शिवबाबा की पूजा होती है।
  • पहले-पहले भक्ति कौन करता है, वही लक्ष्मी-नारायण जब राज्य करते थे तो पूज्य थे फिर वाम मार्ग में आ जाते हैं तो फिर पूज्य से पुजारी बन जाते हैं।
  • बाप समझाते हैं, तुम बच्चों को पहले-पहले बुद्धि में आना चाहिए कि निराकार परमपिता परमात्मा इस द्वारा हमको पढ़ाते हैं।
  • ऐसी और कोई जगह सारे वर्ल्ड में हो न सके, जहाँ ऐसे समझाते हो।
  • बाप ही आकर भारत को फिर से स्वर्ग का वर्सा देते हैं।
  • त्रिमूर्ति के नीचे लिखा हुआ है - डीटी वर्ल्ड सावरन्टी इज़ योर गॉड़ फादरली बर्थ राइट।
  • शिवबाबा आकर तुम बच्चों को स्वर्ग की बादशाही का वर्सा दे रहे हैं, लायक बना रहे हैं।
  • तुम जानते हो बाबा हमको लायक बना रहे हैं, हम पतित थे ना।
  • पावन बन जायेंगे फिर यह शरीर नहीं रहेगा।
  • रावण द्वारा हम पतित बने हैं फिर परमपिता परमात्मा पावन बनाए पावन दुनिया का मालिक बनाते हैं।
  • वही ज्ञान का सागर पतित-पावन है।
  • यह निराकार बाबा हमको पढा रहे हैं।
  • सब तो इकट्ठा नहीं पढ़ सकते।
  • सम्मुख तुम थोड़े बैठे हो बाकी सब बच्चे जानते हैं - अभी शिवबाबा ब्रह्मा के तन में बैठ सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का नॉलेज सुनाते होंगे।
  • वह मुरली लिखत द्वारा आयेगी।
  • और सतसंगों में ऐसा थोड़ेही समझेंगे।
  • आजकल टेप मशीन भी निकली है इसलिए भरकर भेज देते हैं।
  • वह कहेंगे फलाने नाम वाला गुरू सुनाते हैं, बुद्धि में मनुष्य ही रहता है।
  • यहाँ तो वह बात है नहीं।
  • यह तो निराकार बाप नॉलेजफुल है।
  • मनुष्य को नॉलेजफुल नहीं कहा जाता।
  • गाते हैं गॉड फादर इज़ नॉलेजफुल, पीसफुल, ब्लिसफुल तो उनका वर्सा भी चाहिए ना।
  • उनमें जो गुण हैं वह बच्चों को मिलने चाहिए, अभी मिल रहे हैं।
  • गुणों को धारण कर हम ऐसे लक्ष्मी-नारायण बन रहे हैं।
  • सब तो राजा-रानी नहीं बनेंगे।
  • गाया जाता है राजा-रानी वजीर..वहाँ वजीर भी नहीं रहता।
  • महाराजा-महारानी में पावर रहती है।
  • जब विकारी बनते हैं तब वजीर आदि होते हैं।
  • आगे मिनिस्टर आदि भी नहीं थे।
  • वहाँ तो एक राजा-रानी का राज्य चलता था।
  • उनको वजीर की क्या दरकार, राय लेने की दरकार नहीं, जबकि खुद मालिक हैं।
  • यह है हिस्ट्री-जॉग्राफी।
  • परन्तु पहले-पहले तो उठते-बैठते यह बुद्धि में आना चाहिए कि हमको बाप पढ़ाते हैं, योग सिखाते हैं।
  • याद की यात्रा पर रहना है।
  • अभी नाटक पूरा होता है, हम बिल्कुल पतित बन गये हैं क्योंकि विकार में जाते हैं इसलिए पाप आत्मा कहा जाता है।
  • सतयुग में पाप आत्मा नहीं होते।
  • वहाँ हैं पुण्य आत्मायें।
  • वह है प्रालब्ध, जिसके लिए तुम अभी पुरूषार्थ कर रहे हो।
  • तुम्हारी है याद की यात्रा, जिसको भारत का योग कहते हैं।
  • परन्तु अर्थ तो नहीं समझते हैं योग अर्थात् याद।
  • जिससे विकर्म विनाश होते हैं फिर यह शरीर छोड़ घर चले जायेंगे, उसको स्वीट होम कहा जाता है।
  • आत्मा कहती है, हम उस शान्तिधाम के रहवासी हैं।
  • हम वहाँ से नंगे (अशरीरी) आये हैं, यहाँ पार्ट बजाने के लिए शरीर लिया है।
  • यह भी समझाया है माया 5 विकारों को कहा जाता है।
  • यह पांच भूत हैं।
  • काम का भूत, क्रोध का भूत, नम्बरवन है देह-अभिमान का भूत।
  • बाप समझाते हैं - सतयुग में यह विकार होते नहीं हैं, उसको निर्विकारी दुनिया कहा जाता है।
  • विकारी दुनिया को निर्विकारी बनाना, यह तो बाप का ही काम है।
  • उनको ही सर्वशक्तिमान् ज्ञान का सागर, पतित-पावन कहा जाता है।
  • इस समय सब भ्रष्टाचार से पैदा होते हैं।
  • सतयुग में ही वाइसलेस दुनिया है।
  • बाप कहते हैं अब तुमको विशश से वाइसलेस बनना है।
  • कहते हैं इस बिगर बच्चे कैसे पैदा होंगे।
  • बाप समझाते हैं अभी तुम्हारा यह अन्तिम जन्म है।
  • मृत्युलोक ही खत्म होना है फिर इसके बाद विकारी लोग होंगे नहीं इसलिए बाप से पवित्र बनने की प्रतिज्ञा करनी है।
  • कहते हैं बाबा हम आपसे वर्सा अवश्य लेंगे।
  • वह कसम उठाते हैं झूठा।
  • गॉड जिसके लिए कसम उठाते हैं, उसको तो जानते नहीं।
  • वह कब कैसे आता है उनका नाम रूप देश काल क्या है, कुछ भी नहीं जानते।
  • बाप आकर अपना परिचय देते हैं।
  • अभी तुमको परिचय मिल रहा है।
  • दुनिया भर में कोई भी गॉड फादर को नहीं जानते।
  • बुलाते भी हैं, पूजा भी करते हैं परन्तु आक्यूपेशन को नहीं जानते हैं।
  • अभी तुम जानते हो - परमपिता परमात्मा हमारा बाप, टीचर, सतगुरू है।
  • यह बाप ने खुद परिचय दिया है कि मैं तुम्हारा बाप हूँ।
  • मैंने इस शरीर में प्रवेश किया है।
  • प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा स्थापना होती है।
  • किसकी?
  • ब्राह्मणों की।
  • फिर तुम ब्राह्मण पढ़कर देवता बनते हो।
  • मैं आकर तुमको शूद्र से ब्राह्मण बनाता हूँ।
  • बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ - कल्प के संगमयुग पर।
  • कल्प 5 हजार वर्ष का है।
  • यह सृष्टि चक्र तो फिरता रहता है।
  • मैं आता हूँ, पुरानी दुनिया को नया बनाने।
  • पुराने धर्मों का विनाश कराने फिर मैं आदि सनातन देवी देवता धर्म स्थापन करता हूँ।
  • बच्चों को पढ़ाता हूँ फिर तुम पढ़कर 21 जन्म के लिए मनुष्य से देवता बन जाते हो।
  • देवतायें तो सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी, प्रजा सब हैं।
  • बाकी पुरुषार्थ अनुसार ऊंच पद पायेंगे।
  • अभी जो जितना पुरुषार्थ करेंगे वही कल्प-कल्प चलेगा।
  • समझते हैं, कल्प-कल्प ऐसा पुरुषार्थ करते हैं, ऐसा ही पद जाकर पायेंगे।
  • यह तुम बच्चों की बुद्धि में है कि हमको निराकार भगवान पढ़ाते हैं।
  • उनको याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे।
  • बिगर याद किये विकर्म विनाश हो नहीं सकते।
  • मनुष्यों को यह भी पता नहीं कि हम कितने जन्म लेते हैं।
  • शास्त्रों में कोई ने गपोड़ा लगा दिया है - 84 लाख जन्म।
  • अभी तुम जानते हो 84 जन्म हैं।
  • यह अन्त का जन्म है फिर हमको स्वर्ग में जाना है।
  • पहले मूलवतन में जाकर फिर स्वर्ग में आयेंगे।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप से जो पवित्र बनने की प्रतिज्ञा की है उस पर पक्का रहना है।
  • काम, क्रोध आदि भूतों पर विजय अवश्य प्राप्त करनी है।
  • 2) चलते-फिरते हर कार्य करते पढ़ाने वाले बाप को याद रखना है।
  • अब नाटक पूरा हो रहा है इसलिए इस अन्तिम जन्म में पवित्र जरूर बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • एक लगन, एक भरोसा, एकरस अवस्था द्वारा सदा निर्विघ्न बनने वाले निवारण स्वरूप भव
  • सदा एक बाप की लगन, बाप के कर्तव्य की लगन में ऐसे मगन रहो जो संसार में कोई भी वस्तु या व्यक्ति है भी- यह अनुभव ही न हो।
  • ऐसे एक लगन, एक भरोसे में, एकरस अवस्था में रहने वाले बच्चे सदा निर्विघ्न बन चढ़ती कला का अनुभव करते हैं।
  • वे कारण को परिवर्तन कर निवारण रूप बना देते हैं।
  • कारण को देख कमजोर नहीं बनते, निवारण स्वरूप बन जाते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अशरीरी बनना वायरलेस सेट है, वाइसलेस बनना वायरलेस सेट की सेटिंग है।