07-05-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - रावण ने तुम्हें बहुत पीड़ित किया है, अभी तुम भक्तों का रक्षक भगवान आया है तुम्हारी पीड़ा को दूर करने

प्रश्नः-

सपूत बच्चों की मुख्य दो निशानियाँ सुनाओ?

उत्तर:-

सपूत बच्चे सदा मात-पिता को फालो कर तख्तनशीन बनेंगे।

खूब पुरूषार्थ में लगे रहेंगे।

2- उनकी बाप से दिल बहुत सच्ची होगी।

सच्ची दिल वाले सदा श्रीमत पर चलेंगे।

अगर अन्दर में सच्चाई नहीं तो याद में रह नहीं सकते।

गीत:- भोलेनाथ से निराला...

 

गीत:- भोलेनाथ से निराला...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे बच्चों ने यह भक्ति मार्ग का गीत सुना।
    • भक्त इस गीत के अर्थ को नहीं जानते।
  • तुम भगवान के बच्चे बने हो।
    • भगवान रक्षक है, भक्तों का।
    • तुम भी रक्षक हो भक्तों के।
    • भक्तों की रक्षा करते हो।
    • कौनसी आ़फत है जो भगत रक्षा करने के लिए भगवान को बुलाते हैं?
    • भक्तों को रावण का बहुत दु:ख है।
  • रावण सम्प्रदाय पीड़ित है - दु:खों से।
    • तो भोलानाथ को याद करते हैं।
    • वह है रावण सम्पद्राय, यह है राम सम्प्रदाय।
    • भक्तों को यह पता ही नहीं है कि हमारा रक्षक कौन है?
    • भल गाते हैं, भोलानाथ रक्षक है।
    • परन्तु क्या रक्षा करते हैं, यह नहीं जानते।
    • तुम बच्चे अब समझते हो कि भोलानाथ शिवबाबा ही बिगड़ी को बनाने वाला है।
  • दुनिया को तो पता नहीं है कि भगवान किसको कहा जाता है।
    • भगवान का पता हो तो फिर भगवान की रचना के आदि-मध्य-अन्त का भी पता हो।
    • न भगवान को जानते, न रचना का पता है इसलिए ऐसे मनुष्य सम्प्रदाय को ब्लाइन्ड भी कहा जाता है।
    • दूसरे तरफ तुम हो, जिनको दिव्य दृष्टि मिली है।
    • अब तुम्हारा नाम ही है ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ।
    • बोर्ड पर भी नाम लगा हुआ है - ब्रह्मा-कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय।
    • सिर्फ ब्रह्माकुमारियाँ हो नहीं सकती।
    • प्रजापिता ब्रह्मा है ना।
    • पिता के पास बच्चे और बच्चियाँ दोनों होते हैं।
    • प्रजापिता ब्रह्मा को ही इतने ढेर बच्चे हो सकते हैं।
    • तो समझना चाहिए यह बेहद का पिता है।
  • यह भी जानते हैं ब्रह्मा-विष्णु-शंकर को रचने वाला बाप ही है, जिसको निराकार कहा जाता है।
    • यह हो गया बेहद का बाप।
    • यह भी जानते हो परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं।
    • इनकी सारी रचना है - सब मनुष्य मात्र वास्तव में शिववंशी हैं।
    • अभी तुम आकर प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान बने हो।
    • यह है नई रचना।
    • परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं तो तुमको ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ कहा जाता है।
    • इतने बेहद के बच्चे हैं जरूर बेहद का वर्सा लेते होंगे।
    • बच्चे जानते हैं, हम ब्रह्मा-कुमार-कुमारियों को शिवबाबा ने एडाप्ट किया है।
    • शिवबाबा कहते हैं - तुम हमारे बच्चे हो।
    • तुम आत्मायें भी निराकार थी।
    • परन्तु ज्ञान तो साकार में चाहिए।
    • तुम जानते हो हम आदि सनातन देवी देवता धर्म के थे, ब्रह्मा द्वारा रचना यहाँ होती है।
  • शिव जयन्ती भी यहाँ मनाई जाती है।
    • यहाँ मगध देश में ही जन्म लिया है।
    • बाप कहते हैं यह देश बहुत पवित्र स्वर्ग था।
    • अभी इनको नर्क, मगध देश कहा जाता है।
    • फिर स्वर्ग बनना है।
    • तुम बच्चों की बुद्धि में है शिवबाबा हमको फिर से राजयोग सिखाए पवित्र बनाते हैं।
  • गाते भी हैं पतित-पावन भक्तों के रक्षक भगवान।
    • भक्त ही पुकारते हैं।
    • पतित होते हुए भी अपने को पतित नहीं समझते हैं।
    • बाप समझाते हैं - तुम सभी पतित हो।
  • पावन दुनिया सतयुग को, पतित दुनिया कलियुग को कहा जाता है।
    • बाप तुम्हें सब राइट बताते हैं।
    • लाखों वर्ष की तो कोई चीज़ होती नहीं।
    • मनुष्य घोर अन्धियारे में हैं, समझते हैं - कलियुग तो अभी छोटा बच्चा है।
    • और तुम जानते हो मौत सामने खड़ा है।
    • अन्धियारे और रोशनी का वर्णन संगम पर ही किया जाता है।
    • अब तुम घोर प्रकाश में आये हो।
    • सतयुग में तुम यह वर्णन नहीं कर सकेंगे।
    • वहाँ यह नॉलेज ही नहीं रहती।
    • इस समय बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं, तुम सतयुग में सूर्यवंशी घराने के थे फिर अन्त में आकर शूद्रवंशी घराने के बने हो।
    • अब फिर ब्राह्मण वंशी बने हो।
    • अभी तुम हो सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल के, तुम हो ऊंच ते ऊंच।
    • यह ईश्वरीय कुल है ना।
  • बाप के पास आते हैं तो बाबा पूछते हैं - किसके पास आये हो?
    • तो कहते हैं बाप के पास।
    • बाप दो हैं - एक है लौकिक, दूसरा पारलौकिक।
    • सभी सालिग्रामों का बाप एक ही शिव है।
    • तुम्हारी बुद्धि में यह टपकता है।
    • हम एक बाप के बच्चे हैं, जिससे वर्सा लेते हैं।
    • निराकार वर्सा तो साकार द्वारा ही देंगे ना।
    • बाप खुद कहते हैं - मैं साधारण तन में आकर प्रवेश करता हूँ।
  • अब बाप बच्चों को कहते हैं बच्चे, देही-अभिमानी भव।
    • अपने को आत्मा समझो।
    • यह देह विनाशी है, आत्मा अविनाशी है।
    • आत्मा को ही 84 जन्म लेने पड़ते हैं, न कि देह को।
    • देह तो बदलती रहती है, फिर दूसरे मित्र-सम्बन्धी मिलते हैं।
    • अभी आत्मा को बेहद के बाप से वर्सा लेना है - परमपिता परमात्मा द्वारा।
    • तुम ही सुनकर फिर धारण करते हो।
    • संस्कार तुम्हारी आत्मा में हैं।
    • आत्मा में ही संस्कार रहते हैं।
    • ऐसे नहीं कि शरीर के संस्कार कहेंगे।
    • नहीं, तुम्हारी आत्मा के संस्कार तमोप्रधान हैं।
    • उनको अब चेन्ज करना है।
  • काया कल्पतरू कहा जाता है।
    • काया कल्प वृक्ष समान बनती है।
    • आयु भी बड़ी रहती है।
    • तुम जानते हो - यहाँ तो आयु बहुत छोटी रहती है।
    • छोटी आयु में ही बैठे-बैठे अकाले मृत्यु हो जाती है।
  • अभी तुम काल पर विजय पाते हो।
    • वहाँ काल कभी खाता नहीं।
    • अकाले कब शरीर नहीं छूटता।
    • तुम जानते हो - अब यह शरीर बूढ़ा हुआ है, इनको छोड़कर नया लेना है।
    • शरीर छोड़ने समय भी बाजे बजते हैं, जन्म लेने समय भी बजते हैं।
    • वहाँ रोने की बात ही नहीं होती।
  • तुमको भ्रमरी का मिसाल भी समझाया है।
    • तुम हो ब्राह्मण-ब्राह्मणियाँ।
    • ब्राह्मणी और भ्रमरी राशि मिलती है।
    • जो काम भ्रमरी करती है, वही तुम भी करते हो।
    • वन्डर है ना।
    • भ्रमरी का दृष्टान्त, कछुओं का, सर्प का यह सब शास्त्रों में हैं।
    • संन्यासी आदि भी यह मिसाल देते हैं।
    • अभी तुम बच्चे बाप द्वारा यह सब समझ रहे हो।
  • वह तो हुआ भक्ति मार्ग।
    • पास्ट का गायन करना, इसका फिर बाद में गायन होगा।
    • इस समय ही बाप इस तन में आते हैं, इनको (ब्रह्मा को) भगवान नहीं कहा जाता है।
    • वह तो फिर अन्धश्रद्धा हो जाती है।
  • ऐसे भी मनुष्य हैं जो राम को, कृष्ण को भगवान समझते हैं।
    • कृष्ण के लिए, राम के लिए भी कह देते वह तो सर्वव्यापी है।
    • कोई कृष्णपंथी, कोई राधे पंथी होते हैं।
    • राधे पंथी वाले कहेंगे, सर्वत्र राधे ही राधे हैं।
    • कृष्ण पंथी कहेंगे, जिधर देखो कृष्ण ही कृष्ण है।
    • राम पंथी राम ही राम कहेंगे।
    • समझते हैं राम, कृष्ण से बड़ा है क्योंकि राम को त्रेता में और कृष्ण को द्वापर में ले गये हैं।
    • कितना अज्ञान है।
  • अब बाप तुम बच्चों को समझा रहे हैं, कितने ढेर ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ हैं, जरूर बेहद का बाप होगा।
    • तुम कोई से भी पूछ सकते हो, कभी नाम सुना है प्रजापिता ब्रह्मा का?
    • बाप ने स्वर्ग की नई रचना रची है।
    • गाया भी जाता है ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण।
    • जब तक तुम सब ब्राह्मण ब्रह्मा की मुख वंशावली नहीं बने हो तब तक दादे से वर्सा ले नहीं सकते।
    • बेहद के बच्चे बेहद का वर्सा बाप से ही लेते हैं।
    • लिया था बरोबर।
    • बरोबर स्वर्गवासी थे।
    • अभी नर्कवासी बन गये हैं, अब फिर प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा परमपिता परमात्मा विष्णुपुरी स्वर्ग रच रहे हैं।
    • कितना सहज है।
  • शिवबाबा पूछते हैं - आगे तुमको यह ज्ञान था?
    • इनकी आत्मा ही कहती है - मेरे में यह ज्ञान नहीं था।
    • मैं भी विष्णु का पुजारी था, जो हम पूज्य थे सो अब पुजारी आकर बनें।
    • अब फिर बाबा आकर पुजारी से पूज्य देवता बना रहे हैं।
    • तुम बच्चों को अन्दर में खुशी रहनी चाहिए।
    • परमपिता परमात्मा ने आकर हमको एडाप्ट किया है।
    • मनुष्य, मनुष्य को एडाप्ट करते हैं ना।
    • बहुत मनुष्य होते हैं, जिनको अपने बच्चे नहीं होते हैं तो एडाप्ट करते हैं।
  • अब बाप जानते हैं - मेरे बच्चे सब रावण के बन गये हैं, इसलिए मुझे आकर फिर से एडाप्ट करना पड़े।
    • ब्रह्मा द्वारा अपने बच्चों को एडाप्ट करते हैं।
    • यह एडाप्शन कितनी वण्डरफुल है।
    • तुम ही जानते हो शिवबाबा ने हमको ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट किया है।
    • शिवबाबा कहते हैं - मैंने तुम बच्चों को एडाप्ट किया है, तुमको बेहद सुख का वर्सा देने।
    • यह ब्रह्मा तो दे नहीं सकते।
    • यह भी मनुष्य है ना प्रजापिता ब्रह्मा।
    • मनुष्य यह ज्ञान नहीं देते हैं।
  • ज्ञान का सागर निराकार परमपिता परमात्मा ही बैठ यह ज्ञान देते हैं।
    • ब्रह्मा को अथवा विष्णु को ज्ञान सागर नहीं कहा जाता।
    • इन तीनों की महिमा अलग है।
    • ज्ञान सागर, पतित-पावन एक बाप है।
  • सारी दुनिया के मनुष्य मात्र उनको बुलाते हैं।
    • अंग्रेजी में भी कहते हैं - वह लिब्रेटर है। जिससे दु:ख मिलता है, उससे लिबरेट किया जाता है।
    • बाप भी यहाँ आकर रावण से लिबरेट करते हैं।
  • रावणराज्य भी यहाँ हुआ है।
    • यहाँ ही रावण को जलाते हैं।
    • जलाकर फिर कहते हैं, सोने की लंका लूटने जाते हैं।
    • उनको तो कुछ पता नहीं है।
    • रावण क्या चीज़ है, कब का यह दुश्मन है।
  • समझते हैं राम की सीता चुराई गई।
    • यह नहीं समझते कि हम सब सीतायें हैं।
    • हम रावण की जेल में फँसी हुई हैं।
    • यह ज्ञान किसमें भी नहीं है, कथायें बैठ सुनाते हैं।
    • शिवबाबा कहते हैं - मैं दूरदेश का रहने वाला आया हूँ इस देश पराये।
    • यह पतित दुनिया पुरानी है ना, यह है रावण की दुनिया।
    • बुलाते भी हैं हे बाबा आओ हम पतित बन गये हैं।
  • बाप कहते हैं हमको पावन बनाने इस पतित दुनिया में आना पड़ता है।
    • और मुझे आना भी उस तन में है जो पहले नम्बर में पावन था, जो सुन्दर था वही अब श्याम बना है।
    • कितनी वन्डरफुल बातें हैं।
  • कृष्ण को श्याम-सुन्दर क्यों कहते हैं, यह किसको पता नहीं है।
    • क्या एक कृष्ण को ही सर्प ने डसा?
    • सतयुग में थोड़ेही सर्प आदि होते हैं।
  • बाप कहते हैं - यह अन्तिम जन्म मेरे कारण पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
    • सिर्फ मुझे याद करो और पवित्र बनो।
    • अल्फ को याद करो - तो बे बादशाही तुम्हारी है।
    • यह है सहज राजयोग, सहज राजाई।
    • बच्चा पैदा हुआ और वर्से का हकदार बना।
    • यहाँ भी बच्चे जानते हैं कि हम बाप के बने हैं तो स्वर्ग की राजाई के हम हकदार हैं।
    • अब बाप कहते हैं - सतोप्रधान से तुम तमोप्रधान बन गये हो।
    • फिर सतोप्रधान बनना है।
    • योग और ज्ञान सिखाने में एक सेकण्ड लगता है।
  • बच्चा पैदा हुआ और वारिस निश्चय किया।
    • तुम बाप के बने हो तो राजधानी का वर्सा तुम्हारा है।
    • परन्तु राजा-रानी सब तो नहीं बनेंगे।
    • यह है राजयोग।
    • राजा-रानी, प्रजा, साहूकार, गरीब सब चाहिए इसलिए रूद्र माला भी बनी हुई है, जो भक्ति मार्ग में जपते हैं।
    • तुम जानते हो हम राजयोग सीखने आये हैं।
    • मात-पिता को फालो कर पहले-पहले सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी बनेंगे।
    • सपूत बच्चे वह जो मात-पिता को फालो कर तख्तनशीन बनें।
    • पुरूषार्थ खूब करना चाहिए।
  • बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो करते नहीं, श्रीमत पर चलते नहीं हैं।
    • अन्दर सच्चाई नहीं है।
    • दिल सच्ची हो तो श्रीमत पर चलते, बाप को याद करते रहें।
  • श्रीमत पर ही तुमको दादे से वर्सा मिलता है।
    • ब्रह्मा स्वर्ग का वर्सा दे नहीं सकते।
    • दादे की कमाई पर पोत्रे का हक रहता है।
    • बाप की कमाई के बच्चे भागीदार बनते हैं तो हकदार हैं।
    • यहाँ तुमको शिवबाबा से वर्सा मिलता है।
    • ज्ञान रत्न बाप से ही मिलते हैं।
    • तुम जानते हो - हम ब्राह्मण ही सो फिर देवी-देवता बनेंगे।
  • जगत अम्बा कौन है?
    • बाप समझाते हैं - यह ब्राह्मणी थी, ज्ञान-ज्ञानेश्वरी थी फिर राज-राजेश्वरी बनती है।
    • तुम भी ऐसे बनते हो।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चो को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) आत्मा में जो तमोप्रधानता के संस्कार हैं, उन्हें याद के बल से चेंज करना है। सतोप्रधान बनना है।
  • 2) बाप से राजाई का वर्सा लेने के लिए सदा सपूत बच्चा बन श्रीमत पर चलना है।
    • सच्चे बाप से सच्चा रहना है।
    • मात-पिता को पूरा फालो करना है। ज्ञान रत्नों का दान करते रहना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सहयोग की शक्ति से, असहयोगियों को सहयोगी बनाने वाले बाप समान परोपकारी भव
  • सहयोगियों के साथ सहयोगी बनना - यह कोई महावीरता नहीं है लेकिन जैसे बाप अपकारियों पर उपकार करते हैं ऐसे आप बच्चे भी बाप समान बनो।
  • कोई कितना भी असहयोगी बने, आप अपने सहयोग की शक्ति से असहयोगी को सहयोगी बना दो, ऐसे नहीं सोचो कि इस कारण से यह आगे नहीं बढ़ता है।
  • कमजोर को कमजोर समझकर छोड़ न दो लेकिन उसे बल देकर बलवान बनाओ।
  • इस बात पर अटेन्शन दो तो सर्विस के प्लैन्स रूपी जेवरों पर हीरे चमक जायेंगे अर्थात् सहज प्रत्यक्षता हो जायेगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • क्रोध का कारण है स्वार्थ वा ईर्ष्या - यही चिड़चिड़ेपन की जड़ है, पहले इसे ही समाप्त करो।