13-05-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हो, तुम्हें ही बाप द्वारा ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, तुम अभी ईश्वरीय गोद में हो

प्रश्नः-

अद्वैत राज्य, जहाँ दूसरा कोई धर्म नहीं, उस राज्य की स्थापना का आधार क्या है?

उत्तर:-

योगबल।

बाहुबल से कभी भी अद्वैत राज्य की स्थापना हो नहीं सकती।

वैसे क्रिश्चियन के पास इतनी शक्ति है जो अगर आपस में मिल जाएं तो सारे विश्व पर राज्य कर सकते हैं, परन्तु यह लॉ नहीं कहता।

विश्व पर एक राज्य की स्थापना करना बाप का ही काम है।

गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन...

 

गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन...


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों को ओम् शान्ति का अर्थ तो बहुत ही बार समझाया है।
    • ओम् यानी मैं कौन?
    • मैं आत्मा।
    • यह शरीर हमारे आरगन्स हैं।
    • मैं आत्मा परमधाम की रहने वाली हूँ।
  • भारतवासी पुकारते हैं कि हे दूर देश के रहने वाले आओ क्योंकि भारत में अभी बहुत धर्म ग्लानि, दु:ख हो पड़ा है।
    • आप फिर से आकर गीता का उपदेश सुनाओ।
    • गीता के लिए ही कहते हैं - शिवबाबा आइये क्योंकि वह सबका बाप है।
    • कहते हैं भारतवासियों पर फिर से परछाया पड़ा है, माया रूपी रावण का, इसलिए सब दु:खी पतित हैं।
    • पुकारते हैं - रूप बदलकर आइये अर्थात् मनुष्य के रूप में आइये।
    • तो मनुष्य रूप में आता हूँ।
    • मेरा आना दिव्य अलौकिक है।
    • मैं गर्भ में नहीं आता हूँ, मैं आता ही हूँ साधारण बूढ़े तन में।
    • तुम बच्चे जानते हो - मैं कल्प-कल्प अपना निराकारी रूप बदलकर आता हूँ।
  • ज्ञान का सागर तो परमपिता परमात्मा ही है।
    • कृष्ण को कभी भी नहीं कहेंगे।
    • बाप कहते हैं मैं इस साधारण तन में आकर तुमको फिर से सहज राजयोग सिखा रहा हूँ।
    • जब दुनिया पतित बन जाती है तब मुझे आना पड़ता है।
    • कलियुग से सतयुग बनाने मैं आता हूँ।
  • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का चित्र भी है।

    • ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा विनाश और फिर विष्णु द्वारा पालना।
    • यह लक्ष्मी-नारायण, विष्णु के दो रूप हैं।
    • यह तुम बच्चे जानते हो।
    • बाबा फिर से रूप बदलकर आया है।
  • वह हमारा सुप्रीम बाप भी है, सुप्रीम टीचर भी है, सुप्रीम गुरू भी है और गुरू लोगों को सुप्रीम नहीं कहा जाता है।

    • यह तो बाप, टीचर, गुरू तीनों हैं।
    • लौकिक बाप तो बच्चे की पालना कर फिर उनको स्कूल में भेज देते हैं।
      • कोई बिरला होगा जो बाप टीचर भी होगा।
    • यह कोई कह न सके।
    • सब आत्मायें मुझे पुकारती हैं, गॉड फादर कहती हैं तो वह आत्मा का फादर हो गया।
  • यह गीत भी भक्ति मार्ग का है।
    • सतयुग में तो माया होती ही नहीं, जो पुकारना पड़े।
    • वहाँ तो सुख ही सुख है।
  • तुम जानते हो 5 हजार वर्ष का चक्र है।

    • आधाकल्प सतयुग-त्रेता दिन, आधाकल्प द्वापर-कलियुग रात।
    • तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हो।
    • ब्रह्मा का अथवा तुम ब्राह्मणों का ही रात-दिन गाया जाता है।
    • दिन और रात का ज्ञान भी तुम बच्चों को है।
    • लक्ष्मी-नारायण को यह ज्ञान नहीं।
    • अभी तुम संगम पर हो, जानते हो अभी भक्ति मार्ग पूरा हो, दिन उदय होता है।
    • यह ज्ञान अभी तुमको बाप द्वारा मिला है।
    • कलियुग में वा सतयुग में यह ज्ञान किसको भी होता नहीं, इसलिए गाया जाता है - ब्रह्मा का दिन, ब्रह्मा की रात।
    • तुम अभी सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राज्य पाने का पुरूषार्थ कर रहे हो।
    • फिर आधाकल्प के बाद तुम राज्य गँवाते हो।
    • यह ज्ञान तुम ब्राह्मणों के सिवाए कोई को नहीं है।
    • तुम देवतायें बन जायेंगे फिर यह ज्ञान रहेगा नहीं।
    • अभी है रात्रि।
  • शिव रात्रि भी गाई जाती है।

    • कृष्ण की भी रात्रि कहते हैं परन्तु उसका अर्थ नहीं समझते।
    • शिव की जयन्ती अर्थात् शिव का रीइनकारनेशन होता है।
    • ऐसे बाप का दिवस कम से कम एक मास मनाना चाहिए।
    • जो सारी सृष्टि को पतित से पावन बनाते हैं, उनका हॉली डे भी नहीं मनाते हैं।
    • बाप कहते हैं मैं सबका लिब्रेटर हूँ, गाइड बन सबको ले जाता हूँ।
    • अभी तुम पुरूषार्थ करते हो - राजयोग सीखने का।
    • बाप तुमको ज्ञान का तीसरा नेत्र दे रहे हैं।
  • आत्मा का रूप क्या है - यह भी किसको पता नहीं है।

    • बाप कहते हैं तुम आत्मा न अंगुष्ठे मिसल हो, न अखण्ड ज्योति मिसल हो।
    • तुम तो स्टार हो, बिन्दी मिसल।
    • मैं भी आत्मा बिन्दी हूँ, परन्तु मैं पुनर्जन्म में नहीं आता हूँ।
    • मेरी महिमा ही अलग है, मैं सुप्रीम होने के कारण जन्म-मरण के चक्र में नहीं आता हूँ।
    • तुम आत्मायें शरीर में आती हो।
    • तो 84 जन्म लेती हो, मैं इस शरीर में प्रवेश करता हूँ।
      • यह लोन लिया हुआ है।
    • बाप समझाते हैं- तुम भी आत्मा हो।
    • परन्तु तुम अपने को रियलाइज़ नहीं करते हो कि हम आत्मा हैं, आत्मा ही बाप को याद करती है।
  • दु:ख में हमेशा याद करते हैं, हे भगवान, हे रहमदिल बाबा रहम करो।

    • रहम माँगते हो क्योंकि वह बाप ही नॉलेजफुल, ब्लिसफुल, प्योरिटी फुल है।
    • ज्ञान में भी फुल है।
    • ज्ञान का सागर है।
    • मनुष्य को यह महिमा दे नहीं सकते हैं।
    • सारी दुनिया पर ब्लिस करना, यह बाप का ही काम है।
    • वह है रचयिता, बाकी सब हैं रचना।
    • क्रियेटर रचना को क्रियेट करते हैं।
      • पहले स्त्री को एडाप्ट करते हैं, फिर उनके द्वारा रचना रचते हैं, फिर उनकी पालना भी करते हैं, विनाश नहीं करते।
    • यह बेहद का बाप आकर स्थापना-पालना-विनाश कराते हैं।
    • आदि सनातन देवी-देवता धर्म की पालना कराते हैं।
    • सतयुग आदि में फट से राजधानी स्थापन हो जाती है और धर्म वाले तो सिर्फ अपना-अपना धर्म स्थापन करते है फिर जब लाखों, करोड़ों की अन्दाज में वृद्धि हो जाती है, तब राजाई होती है।
    • अभी तुम राजधानी स्थापन कर रहे हो।
  • योगबल से तुम सारे विश्व के मालिक बनते हो,

    बाहुबल से कभी कोई विश्व पर राजाई कर नहीं सकता।
    • बाबा ने समझाया है, क्रिश्चियन में इतनी ताकत है, वह आपस में मिल जाएं तो सारे विश्व पर राज्य कर सकते हैं।
    • परन्तु बाहुबल से विश्व पर राज्य पायें, यह लॉ नहीं कहता।
    • ड्रामा में यह कायदा नहीं है, जो बाहुबल वाले विश्व के मालिक बनें।
    • बाप समझाते हैं - विश्व की बादशाही योगबल से मेरे द्वारा ही मिल सकती है।
    • वहाँ कोई पार्टीशन नहीं है। धरती, आकाश सब तुम्हारे होंगे।
    • तुमको कोई टच नहीं कर सकता।
    • उनको कहा जाता है अद्वैत राज्य।
    • यहाँ हैं अनेक राज्य।
  • बाप समझाते हैं - 5 हजार वर्ष बाद तुम बच्चों को यह राजयोग सिखाता हूँ।

    • कृष्ण की आत्मा अब सीख रही है।
    • कृष्ण पहला नम्बर प्रिन्स था।
    • वह इस समय 84 जन्म के अन्त में आकर ब्रह्मा बने हैं।
    • यह बच्चों को समझाया है, सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है।
    • बाप फिर से स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं।
    • अनेक धर्म विनाश होने हैं जरूर।
    • एक धर्म की स्थापना हो जायेगी।
    • भारत ही 100 परसेन्ट सालवेन्ट, धर्म श्रेष्ठ था।
    • देवताओं के कर्म भी श्रेष्ठ थे।
    • उन्हों की ही महिमा गाई हुई है - सर्वगुण सम्पन्न...पहले-पहले पवित्र थे, अभी पतित बने हैं फिर बाप आकर स्त्री-पुरूष दोनों को पवित्र बनाते हैं।
  • रक्षाबन्धन का उत्सव इतना क्यों मनाते हैं - यह कोई को पता नहीं है।
    • बाप ने ही आकर प्रतिज्ञा ली थी कि अन्तिम जन्म में तुम दोनों पवित्र रहो।
      • संन्यासियों का तो धर्म ही अलग है।
    • ज्ञान, भक्ति और वैराग्य - यह तुम्हारे लिए है।
  • तुमने देखा होगा - पादरी लोग चलते हैं तो ऑखे एक तरफ रहती हैं और किसी की तरफ देखते नहीं।

    • नन्स होती हैं ना।
    • अब वह तो क्राइस्ट को याद करती हैं।
    • कहते हैं- क्राइस्ट गॉड का बच्चा था।
    • तुम्हारा कोई सफेद कपड़े आदि से कनेक्शन नहीं है।
    • तुम तो आत्मा हो।
    • नन बट वन, एक को ही याद करना है।
    • सच्ची नन्स तो तुम हो, तुमको वर्सा उस बाबा से मिलना है, उनको याद करेंगे तब ही विकर्म विनाश होंगे इसलिए बाप का फरमान है - मामेकम् याद करो।
    • आत्मा का निश्चय न होने कारण नन्स फिर क्राइस्ट को याद करती हैं।
    • गॉड कौन है - यह नहीं जानते हैं।
    • भारतवासी जो पहले-पहले आते हैं, वही नहीं जानते हैं।
    • लक्ष्मी-नारायण को यह सृष्टि का ज्ञान थोड़ेही है, न वह त्रिकालदर्शी हैं।
  • त्रिकालदर्शी तुम ब्राह्मण बनते हो।
    • तुमको कौड़ी से बदल हीरे जैसा बाप बनाते हैं।
    • अब तुम ईश्वरीय गोद में हो।
    • तुम्हारा यह अन्तिम जन्म बहुत अमूल्य है।
    • भारत की खास, दुनिया की आम तुम रूहानी सेवा करते हो।
    • बाकी वह तो हैं जिस्मानी सोशल वर्कर्स, तुम हो रूहानी।
    • तुमको सिखाने वाला सुप्रीम रूह है।
    • हर एक आत्मा को बोलो - बाप को याद करो।
    • बाप को ही पतित-पावन गाया जाता है।
    • तुमको गिरने में 84 जन्म लगते हैं, फिर चढ़ने में एक सेकेण्ड लगता है।
    • यह तुम्हारा इस मृत्युलोक का अन्तिम जन्म है, मृत्युलोक मुर्दाबाद, अमरलोक जिंदाबाद होना है।
    • इसको अमर कथा कहा जाता है।
    • अमर बाबा आकर तुम अमर आत्माओं को अमर युग में ले चलने के लिए अमर कथा सुनाते हैं।
  • बाप कहते हैं- अच्छा और बातें भूल जाते हो तो सिर्फ अपने को आत्मा निश्चय कर मुझ एक बाप को याद करो।
    • बुद्धि का योग मेरे साथ लगाओ तो तुम्हारे पाप भस्म हों और तुम पुण्य-आत्मा बन जायेंगे।
    • तुम मनुष्य से देवता बनते हो, यह नई बात नहीं है।
    • 5 हजार वर्ष बाद बाप आकर तुमको वर्सा देते हैं, रावण फिर श्राप देते हैं - यह है खेल।
    • भारत की ही कहानी है।
    • यह बातें बाप ही समझाते हैं, कोई भी वेद-शास्त्र आदि में नहीं हैं इसलिए गॉड फादर को ही नॉलेजफुल, पीसफुल, ब्लिसफुल कहा जाता है।
    • तुमको भी आप समान बनाते हैं।
    • तुम भी पूज्य थे फिर पुजारी बनते हो, आपेही पूज्य, आपेही पुजारी।
      • यह भगवान के लिए नहीं है।
    • तुम भारतवासियों की बात है, तुम पहले सिर्फ एक शिव की भक्ति करते थे।
    • अव्यभिचारी भक्ति की फिर देवताओं की भक्ति शुरू की, फिर नीचे उतरते आये।
  • अब फिर से तुम देवी-देवता बन रहे हो, जो थोड़ा पढ़ते हैं वह प्रजा में चले जायेंगे।
    • जो अच्छी रीति पढ़ते-पढ़ाते हैं, वह राजाई में आयेंगे।
    • प्रजा तो ढेर बनती है।
    • एक महाराजा की लाखों करोड़ों के अन्दाज में प्रजा होगी।
    • तुम पुरूषार्थ करते ही हो कल्प पहले मुआफिक।
    • पुरूषार्थ से पता पड़ जाता है कि माला में कौन-कौन आने वाले हैं।
    • प्रजा में भी कोई गरीब, कोई साहूकार बनते हैं।
  • भक्ति मार्ग में ईश्वर अर्थ दान करते हैं।
    • क्यों ईश्वर के पास नहीं है क्या?
    • या तो कहते हैं, कृष्ण अर्पणम्।
    • परन्तु वास्तव में होता है ईश्वर अर्पणम्, मनुष्य जो कुछ करते हैं उनका फल दूसरे जन्म में मिलता है।
    • एक जन्म के लिए मिल जाता है।
    • अब बाप कहते हैं- मैं आया हूँ, तुमको 21 जन्म का वर्सा देने।
  • मेरे अर्थ डायरेक्ट कुछ भी करते हो तो 21 जन्म के लिए उसकी प्राप्ति तुमको हो जाती है।
    • इनडायरेक्ट करते हो तो एक जन्म के लिए अल्पकाल का सुख मिल जाता है।
    • बाप समझाते हैं यह तुम्हारा सब मिट्टी में मिल जाना है, इसलिए इसको सफल कर लो।
    • तुम यह रूहानी हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी खोलते जाओ, जहाँ से सब एवरहेल्दी, एवरवेल्दी बनेंगे, इनसे बहुत इनकम होती है।
    • योग से हेल्थ और चक्र को जानने से वेल्थ।
    • तो घर-घर में ऐसी युनिवर्सिटी कम हॉस्पिटल खोलते जाओ।
    • बड़ा आदमी है तो बड़ा खोले, जहाँ बहुत आ सकें।
    • बोर्ड पर लिख दो।
    • जैसे नेचर-क्योर वाले लिखते हैं।
    • बाप सारी दुनिया की नेचर बदल प्योर बना देते हैं।
  • इस समय सभी इमप्योर हैं।
    • सारी दुनिया को एवरहेल्दी, एवरवेल्दी बनाने वाला बाप है, जो अब तुम बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
    • तुम हो मोस्ट स्वीट चिल्ड्रेन।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) अपनी इस अमूल्य जीवन को रूहानी सेवा में लगाना है।
    • खास भारत, आम सारी दुनिया की सेवा करनी है।
  • 2) अपना सब कुछ सफल करने के लिए डायरेक्ट ईश्वर अर्थ अर्पण करना है।
    • रूहानी हॉस्पिटल और युनिवर्सिटी खोलनी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सम्पूर्ण समर्पण की विधि द्वारा सर्वगुण सम्पन्न बनने के पुरुषार्थ में सदा विजयी भव
  • सम्पूर्ण समर्पण उसे कहा जाता है जिसके संकल्प में भी बॉडी कानसेस न हो।
  • अपने देह का भान भी अर्पण कर देना, मैं फलानी हूँ - यह संकल्प भी अर्पण कर सम्पूर्ण समर्पण होने वाले सर्वगुणों में सम्पन्न बनते हैं।
  • उनमें कोई भी गुण की कमी नहीं रहती। जो सर्व समर्पण कर सर्वगुण सम्पन्न वा सम्पूर्ण बनने का लक्ष्य रखते हैं तो ऐसे पुरुषार्थियों को बापदादा सदा विजयी भव का वरदान देते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • मन को वश में करने वाला ही मनमनाभव रह सकता है।