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ओम् शान्ति।
- बच्चे बैठे हैं - समझ रहे हैं कि हमारा बापदादा आया हुआ है।
- बाप तो
इकट्ठा हो जाता है दादा के साथ, तो कहेंगे बापदादा आये हैं।
- बाप, दादा
के बिगर तो कुछ बता न सके।
- बुद्धि चलनी चाहिए क्योंकि यह नई बात है ना।
- अज्ञान
काल में याद करते हैं सिंगल को।
- कहेंगे हमारा गुरू फलानी जगह है।
- उनके शरीर का
नाम जानते हैं।
- हमारा बाबा, हमारी माँ फलानी जगह है।
- उनका नाम रूप सब कुछ है।
- मनुष्यों ने फिर शार्ट में लिख दिया है।
- मनुष्यों ने जो बनाया है, उनमें कुछ न कुछ रांग
है।
- भल गायन है त्वमेव माताश्च पिता...यह एक के लिए ही गाया जाता है।
- ब्रह्मा के
लिए भी नहीं गाया जाता है।
- उनका नाम रूप बुद्धि में नहीं आता।
- गाते तो हैं तुम मात-पिता हम बालक तेरे।
- तो भी बुद्धि ऊपर में जायेगी।
- कृष्ण को
याद कोई कर न सके।
- याद फिर भी निराकार को ही करेंगे, उनकी महिमा है।
- तो बाप
समझाते हैं- यहाँ जब बैठते हो तो लौकिक सम्बन्ध से बुद्धियोग निकाल, पारलौकिक बाप
को याद करो।
- भक्ति मार्ग में जो गाते हैं तो ऑखें ऊपर करके
कहते हैं- तुम मात-पिता.... हे भगवान कह याद करते हैं।
- भगवान जब कहते हैं तो
शिव-लिंग को भी याद नहीं करते।
- तोते मिसल ऐसे ही गाते हैं।
- लक्ष्मी-नारायण के लिए
भी ऐसे नहीं कह सकते, यह तो महाराजा-महारानी हैं।
- उनका बच्चा ही मात-पिता कहेंगे,
बन्धु नहीं कहेंगे।
- भक्त लोग गाते हैं पतित-पावन, परन्तु यह बुद्धि में नहीं आता कि
शिवलिंग होगा, ऐसे ही सिर्फ कह देते हैं - हे भगवान! हे भगवान किसने कहा, किसको
कहा?
- अगर यह ज्ञान होता मैं आत्मा हूँ, उनको बुलाता हूँ तो यह
समझें कि वह निराकार परमात्मा है।
- उनका रूप ही लिंग है।
- यथार्थ रीति कोई बाप को
याद नहीं करते।
- उनसे प्राप्ति क्या होगी, कब होगी- यह कुछ भी नहीं जानते।
- तुम भी
नहीं जानते थे।
- अभी तो बाप के बने हो।
- तुम जानते हो हमको शिवबाबा ने ब्रह्मा द्वारा
अपना बच्चा बनाया है।
- यह ब्रह्मा माँ है।
- इस ब्रह्मा माता द्वारा शिवबाबा ने एडाप्ट
किया है।
- इस समय तुम अच्छी रीति जानते हो।
- हम शिव-बाबा के बच्चे हैं।
- साकार में
फिर प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे हैं।
- प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रचते हैं।
- ऐसे नहीं
कि कोई नई सृष्टि रचते हैं?
- नहीं, इस समय आकर गोद में लेते हैं, एडाप्ट करते हैं।
- अब
मात-पिता कहते हैं तो शिव पिता ठहरा और माता ब्रह्मा ठहरी।
- उनको कहा जाता है
मात-पिता।
- बाप ब्रह्मा द्वारा कहते हैं तुम आत्मायें मेरे बच्चे हो।
- फिर आत्मा को बैठ
पहचान देते हैं कि आत्मा क्या है?
- कहते भी हैं भ्रकुटी के बीच में रहती है, स्टार मिसल
है और कुछ भी नहीं जानते।
- यह कह न सकें कि आत्मा 84 जन्म भोगती है।
- आत्मा
शरीर द्वारा पार्ट बजाती है।
- भिन्न-भिन्न नाम, रूप, देश, काल से आत्मा एक शरीर
छोड़ती है तो सारा परिवार ही बदल जाता है।
- कोई एडाप्ट करते हैं तो परिवार ही बदल
जाता है।
- मात-पिता जिससे जन्म लिया, उनको भी जानते हैं।
- फिर जो एडाप्ट करते हैं
उनके घर का बन जाते हैं।
- यहाँ तुम शूद्र घराने से निकल अब ब्राह्मण घराने में आये हो।
- ब्रह्मा तन से तुमको एडाप्ट किया।
- तुम तो ब्राह्मण कुल में आ गये।
- यह बातें शास्त्रों में
नहीं लिखी जा सकती, यह समझाया जाता है।
- लिखने से कोई समझते नहीं।
- अभी तुम बच्चे ही जानते हो- हम परमपिता परमात्मा की सन्तान बने हैं।
- यह हो गई
माँ।
- ब्रह्मा को प्रजा-पिता ही कहते हैं।
- इस द्वारा तुम बच्चों को एडाप्ट करता हूँ - यह
कितनी गुप्त बातें हैं।
- सिवाए सम्मुख के कोई समझ न सकें।
- समझेंगे भी वह जो इस
ब्राह्मण कुल के होंगे।
- दैवी कुल में ऊंच पद पाने वाले होंगे।
- नये किसकी बुद्धि में यह बातें
बैठेंगी नहीं।
- न बुद्धि में बैठेगा, न किसको समझा सकेंगे।
- तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरूषार्थ
अनुसार हैं, जिनकी बुद्धि में बैठता है।
- गाया जाता है त्वमेव माताश्च पिता... याद किया
जाता है शिवबाबा को।
- फिर कहते हैं तुम मात-पिता।
- एक बाप फिर मात-पिता कैसे?
- यह
बातें और कोई समझा न सके।
- जैसे शास्त्रों में व्यास ने जो लिखा है वह मनुष्यों ने कण्ठ
कर लिया है वैसे तुमको भी कहेंगे, तुमको कोई ने बताया है, तुमने कण्ठ कर दिया है।
- नये मनुष्य के लिए समझना बड़ा मुश्किल है।
- यहाँ रहने वाले भी कोई किसको इतना भी
समझा नहीं सकते।
- तुम आत्मा हो - तुम्हारा बाप परमपिता परमात्मा है।
- वह बेहद का
बाप ही बेहद का वर्सा देते हैं।
- वर्सा दिया था फिर पुनर्जन्म लेते-लेते 84 जन्म पूरे हुए,
अब बाप फिर वर्सा देने आये हैं।
- यह किसको समझाना कितना सहज है।
- तुम मात-पिता
किसको कहा जाता है - विचार की बात है ना।
- ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट करते हैं फिर माँ भी
जरूर चाहिए।
- तो जो अनन्य बच्ची होती है, ड्रामा प्लैन अनुसार उनको जगत-अम्बा का
टाइटिल दिया जाता है।
- मेल को जगत-अम्बा नहीं कह सकते, इनको जगतपिता कहेंगे।
- इनका प्रजापिता नाम मशहूर है।
- अच्छा प्रजा माता कहाँ?
- तो एडाप्ट किया जाता है माता
को।
- आदि देव तो है फिर आदि देवी को मुकरर किया जाता है।
- जगत-अम्बा तो एक ही है
- उनकी ही महिमा है।
- जगत-अम्बा पर कितना मेला लगता है।
- परन्तु उनके आक्यूपेशन
को कोई नहीं जानते।
- कलकत्ते में काली का मन्दिर है।
- बाम्बे में भी जगत अम्बा का
मन्दिर है।
- जगत-अम्बा है कौन?
- यह कोई नहीं जानते।
- उनको भी
भगवती कहते हैं।
- अब जगत-अम्बा को भगवती नहीं कह सकते।
- वह तो ब्राह्मणी है,
ज्ञान-ज्ञानेश्वरी है, उनको बाप से ज्ञान मिला है।
- तुम सब जगत-अम्बा के बच्चे हो।
- ज्ञान
सुनकर फिर सुनाते हो।
- तुम्हारा धन्धा ही यह हुआ।
- तुमको ईश्वर पढ़ाते हैं, कोई मनुष्य
नहीं पढ़ाते हैं।
- यह ब्रह्मा भी तो मनुष्य है।
- मनुष्य कोई को भी पावन बना नहीं सकते।
- मनुष्यों की बुद्धि इतनी डल हो गई है जो कुछ भी समझते नहीं हैं।
- पतित-पावन तो एक
ही बाप है।
- वह आते ही हैं, पतितों को पावन बनाने।
- यह सारी दुनिया तमोप्रधान है, सब
पतित हैं।
- नई दुनिया पावन, पुरानी दुनिया पतित।
- पुरानी दुनिया में हैं नर्कवासी।
- नई
दुनिया में हैं स्वर्गवासी।
- बुद्धि भी कहती है सतयुग में सिर्फ भारतवासी देवी-देवतायें होंगे
और कोई नहीं थे।
- अभी तुम बच्चों को यह ज्ञान मिला है।
- नई दुनिया में पहले सूर्यवंशी
देवता थे फिर चन्द्रवंशी हुए, तो सूर्यवंशी पास्ट हो गये।
- चन्द्रवंशी के बाद फिर वैश्य
वंशी....आते हैं बरोबर लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- अच्छा उनके आगे क्या था।
- यह कोई
समझ न सकें।
- तुम बच्चों को बाप ने चक्र का राज़ समझाया है।
- द्वापर में हैं वैश्य वंशी।
- कलियुग में होते हैं शूद्र वंशी।
- अभी तुम जानते हो - हम ब्राह्मण बने हैं।
- तुमको बाप ने अपना बनाया है अर्थात् शूद्र
धर्म से देवता धर्म में ट्रांसफर किया है।
- अब सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी तो हैं नहीं।
- न
लक्ष्मी-नारायण का राज्य है, न रामराज्य है।
- अब है कलियुग का अन्त।
- कलियुग के बाद
जरूर सतयुग आयेगा।
- कलियुग में यह पुरानी, पतित दुनिया है, महान दु:खी हैं इसलिए
देवताओं की जाकर महिमा गाते हैं, माथा टेकते हैं।
- अच्छा लक्ष्मी-नारायण को यह राज्य
किसने दिया?
- कोई है जो बता सके।
- कोई के भी ख्याल में नहीं होगा क्योंकि बुद्धि में है
कलियुग अभी बच्चा है।
- 40 हजार वर्ष पड़े हैं इसलिए यह ख्याल आते ही नहीं।
- अभी
तुमको यह ख्याल आता है।
- कई बच्चे कहते हैं हमें याद नहीं रहती।
- क्यों नहीं रहती?
- क्योंकि सवेरे-सवेरे उठकर याद में बैठकर धारणा नहीं करते।
- समझते भी हैं फिर किसको
समझा नहीं सकते।
- यह तो जरूर होगा।
- सब एकरस तो समझदार बन न सकें।
- समझदार
भी चाहिए, बेसमझ भी चाहिए।
- बहुत समझदार तो जाकर राजा-रानी बनेंगे।
- जितना-जितना
जो जास्ती समझते और समझाते हैं उनका नाम बाला होता है।
- प्रदर्शनियाँ होती हैं तो
लिखते हैं बाबा फलानी को भेज दो।
- तो क्या तुम नहीं समझा सकते हो?
- बाबा उनकी
प्रैक्टिस जास्ती है।
- हम थोड़े कच्चे हैं।
- बाबा खुद भी कहते हैं- कहाँ से भी निमंत्रण मिलता
है तो लिखकर भेजो, कौन-कौन हैं, तो हम देखेंगे किस-किसको भेजना चाहिए।
- संन्यासी
भी उस निमन्त्रण पर हैं क्या? फिर बहुत अच्छी ब्रह्माकुमारी को भेजना होगा।
- अच्छा
कुमारका है, मनोहर है, गंगे है - इसमें से किसी को भेज दो।
- बच्चे तो ढेर हैं।
- जगदीश
को भेज दो, रमेश को भेज दो।
- तुम भी समझते हो, एक दो से होशियार हैं।
- जैसे जज
मजिस्ट्रेट होते हैं।
- एक दो से होशियार होते हैं।
- गवर्मेन्ट जानती है, एक दो से होशियार हैं।
- तब तो केस एक दो से ऊपर जाते हैं फिर हाईकोर्ट में जाओ फिर उनसे ऊपर।
- उसने भी
जजमेन्ट ठीक न दी तो फिर उससे ऊपर जायेंगे।
- इनके ऊपर तुम रहम करो।
- अब यह
सब बातें यहाँ होती हैं।
- सतयुग, त्रेता में होती नहीं।
- फिर द्वापर में राजा-रानी का राज्य
होता है।
- वहाँ तो महाराजा-महारानी ही केस सम्भालते हैं।
- केस होंगे भी थोड़े।
- अभी तो
तमोप्रधान पतित हैं ना।
- तो बादशाह के पास केस जायेगा तो थोड़ी सज़ा दे देते हैं।
- कड़ी
भूल होगी तो कड़ी सज़ा देंगे।
- यहाँ तो कितने जज वकील ढेर हैं।
- इतना कारोबार में फ़र्क
है, सतयुग में क्या होता है, यह किसको पता नहीं।
- अब बाप ने समझाया है - कोई से भी
पूछो, इन लक्ष्मी-नारायण को जानते हो?
- जैसे बिरला है, बहुत मन्दिर बनाते रहते हैं तो
कोई अच्छा बच्चा हो, उनको चिट्ठी लिखे।
- तुम लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर तो बहुत बनवाते
हो।
- इन्हों को यह राजधानी कैसे मिली, जबकि सतयुग से पहले कलियुग था?
- कलियुग में
तो कुछ है नहीं।
- देवताओं ने तो कोई से लड़ाई की नहीं होगी।
- लड़ाई से कोई विश्व के
मालिक बन नहीं सकते।
- विश्व के मालिक जो थे उन्हों के यह लक्ष्मी-नारायण के चित्र
रखे हुए हैं।
- अभी तो है कलियुग।
- यहाँ लड़ाई चलती है हथियारों की।
- बाप ने समझाया है
क्रिश्चियन धर्म वाले ही आपस में मिल जाएं, आपस में प्रीत रखें तो विश्व के मालिक बन
सकते हैं।
- परन्तु विश्व के मालिक तो लक्ष्मी-नारायण ही बनते हैं।
- बुद्धि कहती है यह
आपस में मिल जाएं- तो मालिक बन सकते हैं परन्तु सतयुग में किंग-क्वीन तो कोई बन
न सकें।
- ड्रामा ही ऐसा बना हुआ है।
- अभी हम फिर से योगबल से स्वर्ग का वर्सा ले रहे
हैं।
- तुम बता सकते हो - कल्प पहले भी संगम पर बाप से पद पाया है।
- 84 जन्म पूरे हुए
फिर से वर्सा ले रहे हैं।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी
बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) स्वयं में धारणा करने और दूसरों को कराने के लिए - सवेरे-सवेरे उठकर बाप की याद
में बैठना है।
- जो समझा है उसे दूसरों को समझाने की प्रैक्टिस करनी है।
- 2) लौकिक सम्बन्धों से बुद्धि योग निकाल एक पारलौकिक बाप को याद करना है।
- बाप से
जो ज्ञान मिला है, वह सुनकर सबको सुनाना है।
- यही तुम्हारा धन्धा है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अपनी सम्पूर्ण स्टेज द्वारा सर्व प्रकार की अधीनता समाप्त करने वाले प्रकृति जीत भव
- जब आप अपनी सम्पूर्ण स्टेज पर स्थित होंगे तो प्रकृति पर भी विजय अर्थात् अधिकार
का अनुभव होगा।
- सम्पूर्ण स्टेज में किसी भी प्रकार की अधीनता नहीं रहती है।
- लेकिन
ऐसी सम्पूर्ण स्टेज बनाने के लिए तीन बातें साथ-साथ चाहिए:-
- 1-रूहानियत,
- 2-रूहाब और
- 3-रहमदिल का गुण।
- जब यह तीनों बातें प्रत्यक्ष रूप में, स्थिति में, चेहरे वा कर्म में
दिखाई दें तब कहेंगे अधिकारी वा प्रकृतिजीत आत्मा।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- श्रीमत की लगाम मजबूत है तो मन रूपी घोड़ा भाग नहीं सकता।
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