17-05-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - बाबा आये हैं, आप बच्चों को अपने समान महिमा लायक बनाने, बाप की जो महिमा है वह अभी तुम धारण करते हो

प्रश्नः-

भक्तिमार्ग में परमात्मा माशुक को पूरा न जानते भी कौन से शब्द बहुत प्यार से बोलते और याद करते हैं?

उत्तर:-

बहुत प्यार से कहते और याद करते हैं हे माशूक तुम जब आयेंगे तो हम सिर्फ आपको ही याद करेंगे और सबसे बुद्धियोग तोड़ आपके साथ जोड़ेंगे।

अब बाप कहते हैं बच्चे, मैं आया हुआ हूँ तो देही-अभिमानी बनो।

तुम्हारा पहला फ़र्ज है - प्यार से बाप को याद करना।

 

  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे जीव की आत्माओं को, परमपिता परमात्मा (जिसने अब शरीर का लोन लिया है) बैठ समझाते हैं कि मैं साधारण बूढ़े तन में आता हूँ।

    • आकर बहुत बच्चों को पढ़ाता हूँ।
    • ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण बच्चों को ही समझायेंगे।
    • जरूर मुख द्वारा ही समझायेंगे और किसको समझायेंगे।
  • कहते हैं - बच्चे, तुम मुझे भक्ति मार्ग में बुलाते आये हो - हे पतित-पावन, भारत खास और दुनिया में आम सब बुलाते हैं।
    • भारत ही पावन था, बाकी सब शान्तिधाम में थे।
    • बच्चों को यह स्मृति में रखना चाहिए कि सतयुग-त्रेता किसको कहा जाता है, द्वापर-कलियुग किसको कहा जाता है।
    • उनमें कौन-कौन राज्य करते थे, तुम्हारी बुद्धि में पूरी नॉलेज है।
    • जैसे बाप को रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है, वैसे तुम्हारी बुद्धि में भी है।
  • बाप जो ज्ञान देते हैं वह बच्चों में भी जरूर होना चाहिए।
    • बाप आकर बच्चों को आप समान बनाते हैं।
    • जितनी बाप की महिमा है उतनी बच्चों की है।
    • बाप ने बच्चों को जास्ती महिमावान बनाया है।
  • हमेशा समझो कि शिवबाबा इन द्वारा सिखाते हैं।

    • आत्मा ही एक-दो से बात करती है।
    • परन्तु मनुष्य देह-अभिमानी होने के कारण समझते हैं, फलाना पढ़ाता है।
    • वास्तव में करती सब कुछ आत्मा है।
    • आत्मा ही पार्ट बजाती है।
  • देही-अभिमानी बनना है।

    • घड़ी-घड़ी अपने को आत्मा समझना है। जब तक अपने को आत्मा नहीं समझेंगे तो बाप को भी याद नहीं कर सकेंगे।
    • भूल जाते हैं।
  • तुमसे पूछा जाता है - तुम किसके बच्चे हो?
    • तो कहते हो हम शिवबाबा के बच्चे हैं।
      • विजीटर बुक में भी लिखा हुआ है - तुम्हारा बाप कौन है?
    • तो झट देह के बाप का नाम बतायेंगे।
    • अच्छा - अब देही के बाप का नाम बताओ।
    • तो कोई कृष्ण का, कोई हनूमान का नाम लिखेंगे या तो लिखेंगे - हम नहीं जानते।
    • अरे, तुम लौकिक बाप को जानते हो और पारलौकिक बाप जिनको तुम हमेशा दु:ख में याद करते हो, उनको नहीं जानते हो!
    • कहते भी हैं, हे भगवान रहम करो।
    • हे भगवान एक बच्चा दो।
      • माँगते हो ना।
    • अब बाप बिल्कुल सहज बात बताते हैं।
    • तुम देह-अभिमान में बहुत रहते हो इसलिए बाप के वर्से का नशा नहीं चढ़ता है।
    • तुमको तो बहुत नशा चढ़ना चाहिए।
  • भक्ति करते ही हैं - भगवान से मिलने के लिए।

    • यज्ञ, तप, दान-पुण्य आदि करना यह सब भक्ति है।
    • सब एक भगवान को याद करते हैं।
    • बाप कहते हैं - मैं तुम्हारा पतियों का पति हूँ, बापों का बाप हूँ।
    • सब बाप भगवान को याद जरूर करते हैं।
    • आत्मायें ही याद करती हैं।
    • भल कहते भी हैं, भ्रकुटी के बीच में चमकता है अजब सितारा... परन्तु यह बिगर समझ के ऐसे ही कह देते हैं।
    • रहस्य का कुछ भी पता नहीं।
    • तुम आत्मा को ही नहीं जानते हो तो आत्मा के बाप को कैसे जान सकेंगे।
    • दीदार तो होता है भक्ति मार्ग वाला।
    • भक्ति मार्ग में पूजा के लिए बड़ा-बड़ा लिंग रख देते हैं क्योंकि अगर बिन्दी का रूप दिखायें तो कोई समझ न सके।
      • यह है महीन बात।
  • परमात्मा जिसको अखण्ड ज्योति स्वरूप कहते हैं, मनुष्य कहते हैं उनका कोई बहुत बड़ा रूप है।
    • ब्रह्म समाजी मठ वाले ज्योति को परमात्मा कहते हैं।
    • दुनिया में यह किसको पता नहीं है कि परमपिता परमात्मा बिन्दी है, तो मूँझ पड़े हैं।
    • बच्चे भी कहते हैं, बाबा किसको याद करें।
    • हमने तो सुना था वह बड़ा लिंग है, उनको याद किया जाता है।
    • अब बिन्दी को कैसे याद करें?
    • अरे तुम आत्मा भी बिन्दी हो, बाप भी बिन्दी है।
    • आत्मा को बुलाते हैं, वह जरूर यहाँ ही आकर बैठेंगे।
  • भक्ति मार्ग में जो साक्षात्कार आदि होता है, यह है सब भक्ति।
    • भक्ति भी एक की नहीं करते, बहुतों को भगवान बना दिया है।
    • भगत जो भक्ति करते रहते हैं, उनको भगवान कैसे कहेंगे।
    • अगर परमात्मा सर्वव्यापी कहते हैं तो फिर भक्ति किसकी करते हैं।
    • सो भी भिन्न प्रकार की भक्ति करते हैं।
  • बाप समझाते हैं - बच्चे, ऐसे मत समझो कि हमको अनेक वर्ष जीना है।
    • अभी समय बहुत नजदीक होता जाता है।
    • निश्चय रखना है, बाबा को ब्रह्मा द्वारा स्थापना करानी है।
    • बाप खुद कहते हैं - मैं इस द्वारा तुमको सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ बताता हूँ।
    • गाते भी हैं - ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
  • यह नहीं जानते कि नई दुनिया को विष्णुपुरी कहा जाता है अर्थात् विष्णु के दो रूप राज्य करते थे।
    • किसको पता नहीं है कि विष्णु कौन है।
    • तुम जानते हो कि यह ब्रह्मा-सरस्वती ही फिर विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण बन पालना करते हैं।
    • ब्रह्मा द्वारा स्थापना, विष्णुपुरी अर्थात् स्वर्ग की फिर पालना करेंगे।
  • तुम्हारी बुद्धि में आना चाहिए - बाप ज्ञान का सागर है।
    • मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है।
    • वह इस ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को जानते हैं।
    • वही पतित-पावन है, जो बाप का धन्धा है, वही तुम्हारा है।
    • तुम भी पतित से पावन बनाते हो।
    • दुनिया में एक बाप के 3-4 बच्चे होंगे, कोई बच्चा बहुत ऊंचा चढ़ा हुआ होगा, कोई बिल्कुल नीचे होगा।
    • यहाँ तुमको बाप एक ही धन्धा सिखाते हैं कि तुम पतितों को पावन बनाओ।
    • सबको यह लक्ष्य दो कि शिवबाबा कहते हैं - मुझे याद करो।
  • गीता में कृष्ण भगवानुवाच उल्टा लिख दिया है।

    • तुमको समझाना है - भगवान तो निराकार, पुनर्जन्म रहित है।
    • बस यही भूल है।
    • अभी तुम बच्चे कृष्णपुरी के मालिक बन रहे हो।
    • कोई राजधानी में आते हैं, कोई प्रजा में।
    • कृष्णपुरी कहा जाता है क्योंकि कृष्ण सभी को बहुत ही प्यारा है।
    • बच्चे प्यारे लगते हैं ना।
    • बच्चों का भी माँ-बाप से प्यार हो जाता है।
    • प्यार सारा बिखर जाता है।
  • अब बाप समझाते हैं - तुम अपने को शरीर मत समझो।

    • घड़ी-घड़ी अपने को आत्मा निश्चय करो।
    • आत्म-अभिमानी बनो।
    • बाप भी निराकार है।
      • यहाँ भी शरीर लेना पड़ता है - समझाने के लिए।
      • बिगर शरीर तो समझा नहीं सकेंगे।
    • तुमको तो अपना शरीर है, बाबा फिर लोन लेते हैं।
    • बाकी इसमें प्रेरणा आदि की बात ही नहीं।
    • बाप खुद कहते हैं - मैं यह शरीर धारण कर बच्चों को पढ़ाता हूँ क्योंकि तुम्हारी आत्मा जो अभी तमोप्रधान बन गई है, उनको सतोप्रधान बनाना है।
    • गाते भी हैं, पतित-पावन आओ, परन्तु अर्थ नहीं समझते।
    • अभी तुम समझते हो - बाप कैसे आकर पावन बनाते हैं।
      • यह भी तुम जानते हो।
  • सतयुग में सिर्फ हमारा ही छोटा झाड़ होगा, तुम स्वर्ग में जायेंगे।

    • बाकी जो इतने खण्ड हैं उनका नाम-निशान नहीं होगा।
    • भारत खण्ड ही स्वर्ग होगा।
    • परमपिता परमात्मा ही आकर हेविन की स्थापना करते हैं।
    • अभी हेल है।
    • प्राचीन भारत खण्ड ही है जहाँ देवताओं का राज्य था, अब नहीं है।
      • उन्हों के यहाँ मन्दिर हैं, चित्र हैं।
      • तो भारत की ही बात हुई।
    • यह कोई भी भारतवासी की बुद्धि में नहीं आता कि भारत स्वर्ग था, यह लक्ष्मी-नारायण मालिक थे और कोई खण्ड नहीं था।
    • अब तो अनेक धर्म आ गये हैं।
    • भारतवासी धर्म-भ्रष्ट, कर्म-भ्रष्ट बन गये हैं।
  • कृष्ण को श्याम-सुन्दर कह देते हैं परन्तु अर्थ नहीं समझते।
    • बरोबर यह सांवरा था ना।
    • कहते हैं कृष्ण को सर्प ने डसा तो सांवरा हो गया।
    • अब वह तो सतयुग का प्रिन्स था, कैसे काला हो गया।
    • अभी तुम यह बातें समझते हो।
    • कृष्ण के माँ-बाप भी अभी पढ़ रहे हैं।
    • माँ-बाप से उत्तम श्रीकृष्ण गाया हुआ है।
    • माँ-बाप का कोई नाम नहीं है।
    • नहीं तो जिस माँ-बाप से ऐसा बच्चा पैदा हुआ वह माँ-बाप भी प्यारे होने चाहिए।
      • परन्तु नहीं, महिमा सारी राधे-कृष्ण की है।
    • माँ-बाप की कुछ है नहीं।
  • तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान है।
    • ज्ञान है दिन, भक्ति है रात।
    • अन्धियारी रात में ठोकरें खाते रहते हैं।

    • अभी तुम बच्चों को समझाया जाता है - घर में रहो, यह सर्विस भी करते रहो।
  • कोई को भी समझाओ तुम आधाकल्प के आशिक हो, एक माशूक के।
    • भक्ति मार्ग में सभी उनको याद करते हैं तो आशिक ठहरे ना।
    • परन्तु माशूक को पूरा जानते नहीं हैं।
    • याद बहुत प्यार से करते हैं, हे माशूक तुम जब आयेंगे तो हम सिर्फ आपको ही याद करेंगे और सबसे बुद्धियोग तोड़ आपके साथ जोड़ेंगे।
    • ऐसे तो गाते थे ना, परन्तु बाप से हमको क्या वर्सा मिलता है, यह किसको भी पता नहीं है।
  • अब बाप समझाते हैं - तुम देही-अभिमानी बनो।
    • बाप को याद करना तुम बच्चों का पहला फ़र्ज है।
    • बच्चा हमेशा बाप को, बच्ची माँ को याद करती है।
      • हमजिन्स हैं ना।
    • बच्चा समझता है हम बाप का वारिस बनेंगे।
    • बच्ची थोड़ेही कहेगी, वह तो समझती है हमको पियरघर से ससुरघर जाना है।
    • अब तुम्हारा निराकार और साकार पियरघर है।
  • बुलाते भी हैं, हे परमपिता परमात्मा रहम करो।
    • दु:ख हरो सुख दो, हमें लिबरेट करो, हमारा गाइड बनो।
    • परन्तु उसका अर्थ बड़े-बड़े विद्वान आचार्य भी नहीं जानते हैं।
    • बाप तो सर्व का लिबरेटर है, वही सबका कल्याणकारी है।
    • बाकी वह अपना ही कल्याण नहीं कर सकते तो औरों का क्या करेंगे।
    • यहाँ बाप कहते हैं - मैं गुप्त आता हूँ, खुदा-दोस्त की कहानी सुनी है ना।
    • अब यह पुल है कलियुग और सतयुग के बीच का, उस पार जाना है।
    • अब खुदा तो बाप है, दोस्त भी है।
    • माता, पिता, शिक्षक का पार्ट भी बजाते हैं।
    • यहाँ तुमको साक्षात्कार होता है तो जादू-जादू कह देते हैं।
    • साक्षात्कार तो नौधा भक्ति वालों को भी होते हैं, बहुत तीखे भक्त होते हैं।
    • दर्शन दो नहीं तो हम गला काटते हैं, तब साक्षात्कार होता है, उनको नौधा भक्ति कहा जाता है।
    • यहाँ नौंधा भक्ति की बात नहीं।
    • घर में बैठे-बैठे भी बहुतों को साक्षात्कार होते रहते हैं।
    • दिव्य दृष्टि की चाबी मेरे पास है।
    • अर्जुन को भी मैंने दिव्य दृष्टि दी ना।
    • यह विनाश देखो, अपना राज्य देखो।
    • अब मामेकम् याद करो तो यह बनेंगे।
  • अभी तुम समझते हो - विष्णु कौन है?
    • मन्दिर बनाने वाले खुद नहीं जानते।
    • विष्णु द्वारा पालना, 4 भुजा का अर्थ ही है - 2 भुजा मेल की, 2 फीमेल की।
    • विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण हैं।
    • परन्तु कुछ भी समझते नहीं हैं।
    • किसका भी ज्ञान नहीं है।
      • न शिवबाबा का, न विष्णु का।
  • पहले-पहले बाबा का आकर्षण था, बहुत आते थे।
    • शुरूआत में सारा आंगन भर जाता था।
    • जज, मजिस्ट्रेट सब आते थे।
    • फिर विकार का झगड़ा शुरू हुआ, कहने लगे बच्चे नहीं पैदा होंगे तो सृष्टि कैसे चलेगी।
    • यह तो सृष्टि बढ़ने का कायदा है।
    • गीता की बात ही भूल गये कि भगवानुवाच - काम महा-शत्रु है, उस पर जीत पानी है।
    • कहने लगे स्त्री-पुरूष दोनों इकट्ठे आयें तो उनको ज्ञान दो।
      • अकेले को नहीं दो।
      • अब दोनों भी आयें तो देवें ना।
      • देखो दोनों को इकट्ठा भी देते हैं तो भी कोई ज्ञान लेते हैं, कोई नहीं लेते हैं।
      • तकदीर में नहीं होगा तो क्या कर सकते हैं।
      • एक हँस, एक बगुला बन पड़ते हैं।
  • यहाँ तुम ब्राह्मण, देवताओं से भी उत्तम हो।
    • जानते हो - हम ईश्वरीय सन्तान हैं, शिवबाबा के बच्चे हैं।
    • वहाँ स्वर्ग में तुमको यह ज्ञान नहीं रहेगा, न जब निराकारी दुनिया मुक्तिधाम में होंगे तब यह ज्ञान होगा।
    • यह ज्ञान शरीर के साथ ही खत्म हो जाता है।
  • अभी तुमको ज्ञान है, एक बाबा पढ़ा रहे हैं।
    • अब यह खेल पूरा होता है, सब एक्टर्स हाजिर हैं।
    • बाबा भी आया है।
    • रही हुई आत्मायें भी आती रहती हैं।
    • जब सब आ जायेंगे तब विनाश होगा फिर सबको बाप साथ ले जायेगा।
    • सबको जाना है, इस पतित दुनिया का विनाश होना है।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
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  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) पतित से पावन बनाने का धन्धा जो बाप का है, वही धन्धा करना है।
    • सबको लक्ष्य देना है कि बाप को याद करो और पावन बनो।
  • 2) यह ब्राह्मण जीवन देवताओं से भी उत्तम जीवन है, इस नशे में रहना है।
    • बुद्धि का योग और सबसे तोड़ एक माशूक को याद करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • आसक्ति को अनासक्ति में परिवर्तन करने वाले शक्ति स्वरूप भव
  • शक्ति स्वरूप बनने के लिए आसक्ति को अनासक्ति में बदली करो।
  • अपनी देह में, सम्बन्धों में, कोई भी पदार्थ में यदि कहाँ भी आसक्ति है तो माया भी आ सकती है और शक्ति रूप नहीं बन सकते इसलिए पहले अनासक्त बनो तब माया के विघ्नों का सामना कर सकेंगे।
  • विघ्नों के आने पर चिल्लाने वा घबराने के बजाए शक्ति रूप धारण कर लो तो विघ्न-विनाशक बन जायेंगे
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • रहम नि:स्वार्थ और लगावमुक्त हो - स्वार्थ वाला नहीं।