-  
        
  ओम् शान्ति।
 
      - बच्चे जानते हैं कि हम अविनाशी यात्रा अथवा रूहानी यात्रा पर जा रहे हैं, 
        
        जिस यात्रा से हम लौटकर मृत्युलोक में नहीं आयेंगे।
        
          - मनुष्य तो यह बात जानते ही नहीं 
            
            कि ऐसी यात्रा भी कोई होती है, जहाँ से कभी लौटकर आना न पड़े।
            
              -  तुम लक्की स्टार्स को 
                
                अभी पता पड़ा है।
 
              -  यह पक्का याद करना है।
 
             
           
         
       
      -  हम आत्मायें पार्ट बजाती हैं।
        
          -  उस नाटक में 
            
            ऐसे नहीं कहेंगे कि मुझ आत्मा ने यह वस्त्र पहनकर पार्ट बजाया, अब घर जाते हैं। 
 
          - वो 
            
            तो अपने को शरीर ही समझते हैं।
 
          - यहाँ तुम बच्चों को ज्ञान है - हम आत्मा हैं, यह शरीर 
            
            रूपी कपड़ा छोड़ फिर दूसरा जाकर लेंगे।
 
         
       
      -  यह 84 जन्मों के पुराने कपड़े हैं, यह छोड़कर 
        
        नई दुनिया में फिर नये कपड़े लेंगे।
        
          - यह लक्ष्मी-नारायण ने नये कपड़े पहने हैं ना! 
            
              - तुम्हारी 
                
                ही राजधानी के हैं।
 
              -  तुम भी जाए ऐसे नये दैवी कपड़े पहनेंगे।
 
             
           
         
       
      -  यहाँ तो कहते हैं - मुझ 
        
        निर्गुण हारे में कोई गुण नाहीं।
        
          -  बाप ही फिर ऐसा गुणवान बनाते हैं।
 
          -  बाप कहते हैं - मेरा 
            
            भी पार्ट है, आकर फिर तुमको वाइसलेस बनाता हूँ।
 
          - यहाँ यह है जीवनबन्ध धाम, 
            
            रावणराज्य है। 
 
          - यह तुम्हारी बुद्धि में है, हम पतित से पावन फिर पावन से पतित कैसे 
            
            बनते हैं।
            
              -  तुम बच्चे जानते हो - कलियुग है अन्धियारा। 
 
             
           
         
       
      - रावणराज्य का अब अन्त है, 
        
        रामराज्य की अब आदि होनी है।
        
          -  अभी है संगम। 
 
          - कल्प के संगमयुगे बाप को ही आना 
            
            पड़ता है।
 
          -  दुनिया वाले भी अब यह समझ रहे हैं कि अब विनाश का समय है और 
            
            स्थापना-अर्थ भगवान कहाँ गुप्त वेष में है।
            
              -  अब गुप्त वेष में तो तुम आत्मायें भी हो।
 
              -  आत्मा अलग है, शरीर अलग है।
 
              -  यह मनुष्य चोला गुप्त वेष है।
 
              -  बाप को भी इसमें आना 
                
                है।
 
             
           
         
       
      -  तुम्हारे शरीर पर नाम पड़ते हैं, उनको तो शरीर है नहीं।
        
          - तुम भी आत्मा हो, वह भी 
            
            आत्मा है।
 
          -  आत्मा का आत्मा के साथ अब मोह हुआ है।
            
              -  गाते भी हैं - और संग तोड़, तुम 
                
                संग जोड़ेंगे।
 
              -  जैसे आप मोहजीत हो, वैसे हम भी बनेंगे। 
 
               
           
           
       
      - बाबा बहुत मोहजीत है।
        
          -  कितने ढेर 
            
            बच्चे हैं, जो काम चिता पर बैठ जल गये हैं। 
 
          - परमपिता परमात्मा आते ही हैं - पुरानी 
            
            दुनिया का विनाश कराने, फिर मोह कैसे होगा। 
 
          - पतितों का जब विनाश हो तब तो शान्ति 
            
            का राज्य हो। 
 
         
       
      - इस समय सुख तो कोई को भी है नहीं।
        
          -  सभी तमोप्रधान दु:खी बन गये हैं।        
 
          - यह है ही पतित दुनिया।
 
          -  शिवबाबा ही आकर स्वर्ग की स्थापना करते हैं, जिसका नाम 
            
            शिवालय पड़ा है।
 
          -  शिवबाबा ने देवताओं की राजधानी स्थापन की।
 
          -  वह है चैतन्य शिवालय 
            
            और वह शिवालय जिसमें शिव का चित्र है वो तो जड़ हो गया। 
 
         
       
      - अभी तुम समझ गये हो 
        
        कि लक्ष्मी-नारायण बरोबर स्वर्ग के मालिक थे।
        
          -  पूज्य थे, अब फिर पूज्य बन रहे हैं।
            
          
 
          -  तुम लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जाकर उनको माथा नहीं टेकेंगे।        
            
              - तुम तो उनकी राजधानी में चैतन्य में जाते हो।
 
             
           
          -  जानते हो हम देवता थे, अब नहीं हैं।
 
          -  जो 
            
            पास्ट होकर गये हैं उनके चित्र बनते हैं। 
 
         
       
      - लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर सबसे जास्ती बिड़ला 
        
        बनाते हैं। 
        
          - तो उनकी भी सर्विस करनी चाहिए। 
 
          - तुम जो यह लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर 
            
            बनाते हो, हम आपको इन्हों के 84 जन्मों की कहानी सुनाते हैं।
 
          -  युक्ति से यह सौगात 
            
            देनी चाहिए। 
 
          - बाबा सर्विस की युक्तियाँ तो बताते हैं।
 
          -  मातायें जाकर बोलें आप उनके मन्दिर 
            
            तो बनाते हो परन्तु उनकी जीवन कहानी को जानते नहीं। 
 
          - हम जानते हैं और समझा भी 
            
            सकते हैं।
 
          -  समझाने वाली बड़ी रसीली चाहिए।
 
          -  बाप भी बैठ समझाते हैं ना।
 
         
       
      -  बाबा कहते - 
        
        अगर छुट्टी नहीं मिलती हैं तो घर बैठे याद करो।
        
          - यह तो जानते हो हम शिवबाबा की 
            
            सन्तान हैं।
 
          -  मुरली तो मिल जाती है।
 
          -  ऐसे नहीं कि यहाँ आने से याद की यात्रा अच्छी 
            
            होगी, घर में बैठने से याद की यात्रा कम हो जायेगी।
            
              - बादल आते हैं रिफ्रेश होने। 
 
              - तुम भी 
                
                आते हो, रिफ्रेश होने।
 
              -  बाबा पास सम्मुख जायें।
 
             
           
         
       
      -  आत्मा को ज्ञान है, सम्मुख सुनने से 
        
        अच्छा लगता है।
        
          
            -  बात तो वही है, देखते हो - शिवबाबा, कैसे बैठ बच्चों को समझाते हैं।
 
            - "बच्चे तुम मेरे हो'', तुमने 84 जन्मों का पार्ट बजाया है। 
 
            - तुम जन्म-मरण में आते हो, मैं 
              
              नहीं आता हूँ, मैं पुनर्जन्म नहीं लेता हूँ।
 
            -  अजन्मा भी नहीं हूँ।
 
            -  आता हूँ परन्तु बूढ़े तन में 
              
              प्रवेश करता हूँ।
 
            -  तुम आत्मा छोटे बच्चे के शरीर में प्रवेश करती हो, मैं परमधाम से आता 
              
              हूँ, नीचे पार्ट बजाने।
 
           
          -  मैं विकारी के गर्भ में नहीं आता हूँ।
 
          -  मुझे कहते हो - त्वमेव माताश्च 
            
            पिता... मेरा कोई माँ बाप हो न सके।
 
          -  मैं सिर्फ शरीर का आधार ले पार्ट बजाता हूँ।
 
          -  तुम 
            
            मुझे बुलाते हो दु:ख हरकर, सुख देने के लिए।
 
          -  अब सम्मुख आया हूँ, आत्माओं से बात 
            
            कर रहे हैं।
 
         
       
      -  यहाँ तो सब ब्राह्मण ही हैं।
        
          -  तुम बाहर जाते हो तो हंस और बगुले हो जाते हो, 
            
            यहाँ (मधुबन में) तुमको संग ही ब्राह्मणों का है।
 
          -  आपस में ज्ञान की चिटचैट ही करेंगे।
 
          -  हम अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
 
          -  बाबा आया हुआ है, एक दो को यह युक्ति - बाप 
            
            को याद करने की बताते रहो।
 
          -  भोजन पर भी एक दो को ईशारा देते रहो कि बाप को याद 
            
            करो।
 
          -  बहुत बड़ा संगठन है ना। 
 
          - वहाँ तो विकारी साथ में रहते हैं, तो उनकी कशिश होती 
            
            है।
 
          -  यहाँ तो किसकी कशिश नहीं होती।
 
          -  वारियर्स, वारियर्स के साथ रहते हैं।
 
          -  तुम्हारा कुटुम्ब 
            
            यह है। 
 
          - बुद्धि में यही रहता है,
 
         
       
      -  जो कोई मिले उनको बाप का परिचय दें कि भगवान को 
        
        याद करते रहो।
        
          -  दो बाप हैं ना। 
 
          - लौकिक बाप होते भी भगवान को याद करते हो ना। 
 
          - वो 
            
            लौकिक फादर है।
 
          -  लौकिक फादर को गॉड-फादर नहीं कहेंगे।
 
          -  यह है पारलौकिक बाप, जरूर 
            
            गॉड-फादर से वर्सा मिलता होगा।
 
          -  ऐसे-ऐसे भूँ-भूँ करते रहो। 
 
          - तुम ब्राह्मण हो ना। 
 
          - संन्यासी 
            
            भी भूँ-भूँ करते हैं ना। 
 
          - इस दुनिया का सुख काग-विष्टा के समान है, कितना दु:ख है। 
 
          - वह 
            
            तो हैं हठयोगी, निवृत्ति मार्ग वाले।
 
          -  उनका धर्म ही अलग है। 
 
         
       
      - तुम जानते हो - सतयुग में 
        
        हम कितना सुखी पवित्र रहते हैं।
        
          - भारत प्रवृत्ति मार्ग का था, देवी-देवताओं का राज्य था।
 
          -  जो पवित्र थे वही पतित बने हैं। 
 
         
       
      - पुकारते भी रहते हैं - हे पतित-पावन आओ और फिर कह 
        
        देते परमात्मा सर्वव्यापी है।
        
          - हम जाकर ज्योति-ज्योत समायेंगे।
 
          -  पुनर्जन्म को भी नहीं 
            
            मानते हैं।
 
          -  अनेक मत हैं ना।
 
          -  दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती रहती है।
 
          -  यह भी बताना है कि 
            
            संन्यासियों की वृद्धि कैसे होती है। 
 
          - नांगों की भी वृद्धि होती है, जिसका जो धर्म है, उसमें 
            
            ही रहने से फिर अन्त मति सो गति हो जाती है।
 
          -  जिसका जो जास्ती अभ्यास करते हैं 
            
            जैसे कोई शास्त्र आदि पढ़ते हैं तो अन्त मती सो गति, फिर छोटेपन में ही शास्त्र कण्ठ हो 
            
            जाते हैं।
 
         
       
      -  अभी बाप कहते हैं - मैं फलाना हूँ, यह हूँ, यह सब देह-अभिमान की बातें छोड़ 
        
        दो।
        
          -  अपने को अशरीरी आत्मा समझो और बाप को याद करो।
 
          -  इस शरीर को देखते हुए भी 
            
            नहीं देखो।
 
          -  देह सहित देह के जो सम्बन्ध आदि हैं, सबको छोड़ो।
 
          -  अपने को आत्मा निश्चय 
            
            करो, परमात्मा को याद करो।
 
          - इसमें टाइम बहुत लगता है।
 
          -  माया याद करने नहीं देती है।        
 
          - नहीं तो वानप्रस्थी के लिए बहुत सहज है।
 
         
       
      -  बाप खुद कहते हैं अभी तुम छोटे-बड़े सबकी 
        
        वानप्रस्थ अवस्था है।
        
          -  एक तरफ विनाश भी होता रहेगा दूसरे तरफ जन्म भी लेते रहेंगे।
 
          -  पुनर्जन्म लेना होगा तो आ जायेंगे। 
 
          - बच्चे भी पैदा होंगे। 
 
          - फिर विनाश भी हो जायेगा।
 
          -  यह 
            
            तो तुम जानते हो - कोई गर्भ में होंगे, कोई कहाँ, सब खत्म हो जायेंगे।
 
          -  सब अपना 
            
            हिसाब चुक्तू कर वापिस जायेंगे।
 
          -  हिसाब-किताब रहा हुआ होगा तो अच्छी रीति सजायें 
            
            खानी पड़ेंगी।
 
          -  फिर वह भी हल्का हो जायेगा। 
 
         
       
      - ऐसे नहीं कि योग में भी रहो और पाप भी 
        
        करते रहो।
        
          -  कई बच्चे एक तरफ चार्ट भी लिखते रहते और फिर कहते माया ने मुँह काला 
            
            कर दिया। 
 
          - माया ने हरा दिया तो कच्चा कहेंगे ना।
 
          -  तो बाप समझाते हैं कि तुम ऐसे 
            
            समझो कि हम थोड़े दिन यहाँ हैं फिर चले जायेंगे।
 
          -  इन सबका विनाश हो रहा है।
 
         
       
      -  बाप 
        
        कहते हैं - मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे, अपना चार्ट देखते रहो - हम कितनों को 
        
        रास्ता बताते हैं और पुरूषार्थ कराते हैं।
        
          -  तन-मन-धन से रूहानी सेवा में मददगार बनना 
            
            पड़े।
 
          -  कहते हैं मन को अमन नहीं कर सकते।
 
          -  आत्मा तो है ही शान्त।
 
         
       
      -  हम आत्मा अपने 
        
        परमधाम में जाकर बैठेंगी।
        
          - कोई दुनिया का संकल्प नहीं आयेगा।
 
          -  ऐसे नहीं कि ऑखे बन्द 
            
            कर अन-कानसेस होना है।
 
          -  ऐसे बहुत सीखते भी हैं। 
 
          - 10-15 दिन अनकानसेस भी हो जाते 
            
            हैं। 
 
          - यह अभ्यास करते हैं फिर इतने समय बाद जाग जायेंगे।
 
          - जैसे टाइम बाम्बस होते हैं 
            
            तो उनका भी टाइम होता है, यह इतने घण्टे बाद फटेंगे।
 
         
       
      -  तुम बच्चों को पता है - हम योग लगा रहे हैं। 
        
          - जब तमोप्रधान किचड़ा निकलेगा हम 
            
            सतोप्रधान बन जायेंगे तो फिर इस शरीर को छोड़ देंगे।
 
          -  हम अभी योग की यात्रा पर हैं।        
 
          - टाइम मिला हुआ है फिर यह शरीर छोड़ना ही है फिर सब खत्म हो जायेगा।
 
          -  टाइम नूँधा 
            
            हुआ है फिर पिछाड़ी में मच्छरों सदृश्य शरीर छोड़ेंगे।
 
         
       
      -  विनाश होगा, तुम कर्मातीत अवस्था 
        
        को पायेंगे फिर विनाश शुरू हो जायेगा।
        
          -  विनाश का बड़ा भारी सीन है।
 
          -  यह ड्रामा में भारी 
            
            नूँध है।
 
          -  तुम जानते हो - हमारी अवस्था एकरस रहेगी।
 
          -  खुशी में सदैव हर्षित रहेंगे।
 
          -  यह 
            
            दुनिया तो खलास होनी ही है।
 
          -  जानते हैं, कल्प-कल्प संगमयुग होता है, तब विनाश होता 
            
            है। 
 
          - सिर्फ बाम्बस नहीं, नेचुरल कैलेमिटीज़ भी मदद करती हैं।
 
         
       
      -  तो बच्चों को यह बुद्धि में 
        
        रहना चाहिए - अभी हमको जाना है।
        
          -  जितना बाबा को याद करेंगे तो विकर्म विनाश होंगे, 
            
            ऊंच पद पायेंगे।
 
          -  चैरिटी बिगन्स एट होम।
 
          -  कोशिश करना चाहिए।
 
         
       
      -  कन्या वह जो पियर घर 
        
        और ससुरघर का उद्धार करे। 
        
          - तो चैरिटी बिगन्स एट होम हुआ ना।
 
          -  सर्विस में लगा रहना 
            
            चाहिए बोलो, शिवबाबा कहते हैं - मुझे याद करो तो वर्सा मिलेगा।
            
          
 
          -  मुझ 
            
            अल्फ को याद करोगे तो स्वर्ग का वर्सा तुम्हारा है।
 
          -  विश्व के मालिक तुम बन जायेंगे।
 
          -  अब वर्सा पाना है तो मुझे याद करो।
 
          -  बच्चों का फर्ज है, यह पैगाम देना।
 
          -  आगे भी दिया 
            
            था।
 
          -  बताना है विनाश सामने खड़ा है।
 
         
       
      -  कलियुग के बाद सतयुग आयेगा। 
        
          - बाप ही आकर 
            
            वर्सा देते हैं।
 
          -  रावण नर्कवासी बनाते हैं।
 
          -  बाप आकर स्वर्गवासी बनाते हैं। 
 
          - कहानी भारत की 
            
            है।
 
          -  भारतवासियों को खड़ा करना है। 
 
          - पहले शिव के मन्दिर में जाकर समझाना है। 
 
         
       
      - यह बाप 
        
        नई सृष्टि रचने वाला है।
        
          -  कहते हैं - मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हों। 
 
          - यह 
            
            निराकार बाबा आये हुए हैं। 
 
          - ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं। 
 
          - अब बाप और वर्से 
            
            को याद करो।
 
          - 84 जन्म पूरे हुए हैं।
 
          - अब हम आपको बताते हैं। 
 
          - अब मानो न मानो, 
            
            तुम्हारी मर्जी।
 
          -  बातें तो बड़ी अच्छी हैं।
 
          -  बाप ही दु:ख-हर्ता, सुख-कर्ता है।
 
          -  थोड़ा ही समझाया 
            
            - यह चला। 
 
          - यह है तुम्हारा धन्धा।
 
          -  मेहनत तो कुछ है नहीं।
 
          - सिर्फ मुख से बोलना है - बाप 
            
            कहते हैं मुझे याद करो।
 
          -  देही-अभिमानी बनो।
 
          -  शिव के पुजारियों पास जाओ फिर 
            
            लक्ष्मी-नारायण के पुजारियों के पास जाओ। 
 
          - उन्हें उनकी जीवन कहानी सुनाओ।
 
         
       
      -  अच्छा।
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी 
        
        बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) तन, मन, धन से रूहानी सेवा में मददगार बनना है।
        
          -  सबको अल्फ का परिचय दे वर्से 
            
            का अधिकारी बनाना है।
 
          -  विनाश के पहले कर्मातीत बनने के लिए बाप की याद में रहना 
            
            है।
 
         
       
      - 2) बाप समान मोह जीत बनना है।
        
          -  आत्मा का आत्मा से जो मोह हो गया है उसे निकाल 
            
            एक बाप से लगन लगानी है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
      - ( All Blessings of 2021)
 
      -  निराकारी स्थिति के अभ्यास द्वारा मैं पन को समाप्त करने वाले निरहंकारी भव
 
      -  वर्तमान समय सबसे महीन और सुन्दर धागा - यह मैं पन है।
 
      -  यह मैं शब्द ही 
        
        देह-अभिमान से पार ले जाने वाला भी है तो देह-अभिमान में लाने वाला भी है।
 
      -  जब मैं 
        
        पन उल्टे रूप में आता है तो बाप का प्यारा बनाने के बजाए कोई न कोई आत्मा का, 
        
        नाम-मान-शान का प्यारा बना देता है।
 
      -  इस बंधन से मुक्त बनने के लिए निरन्तर 
        
        निराकारी स्थिति में स्थित होकर साकार में आओ - इस अभ्यास को नेचुरल नेचर बना दो 
        
        तो निरहंकारी बन जायेंगे।
 
      - स्लोगन:-        
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      - किसी की बुरी वा अच्छी बात सुनकर संकल्प में भी घृणा भाव आना - यह भी परमत है।
 
      
         
     
   
    
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