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                                                                                16-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति  
      "बापदादा" मधुबन   
      "मीठे बच्चे - तुम्हारे पास अविनाशी ज्ञान रत्नों का अथाह खजाना है, तुम उसका दान करो, तुम्हारे दर से कोई भी वापिस नहीं जाना चाहिए''         
      प्रश्नः- 
      
         सर्व सम्बन्धों की सैक्रीन बाप अपने बच्चों को कौन सी श्रीमत देते हैं?         
       
      उत्तर:- 
      
         मीठे बच्चे - अपना बुद्धियोग सब तरफ से हटाए एक मुझे याद करते रहो।  
        दुनिया की कोई भी वस्तु, मित्र सम्बन्धी आदि याद न आयें क्योंकि इस समय सब दु:ख देने वाले हैं। 
         विश्व का मालिक बनना है तो जरूर 63 जन्मों का हिसाब-किताब चुक्तू करने की मेहनत करनी पड़े।  
        सब कुछ भूल अशरीरी बनो तब हिसाब-किताब चुक्तू हो।  
        मैं सर्व संबंधों की सैक्रीन हूँ। 
       
      
              
    
                 
        
      
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      -  
        
       ओम् शान्ति। 
 
      - बापदादा बच्चों से पूछते हैं कि किसकी याद में बैठे हो? 
 
      - (शिवबाबा की) बुलन्द आवाज में कहना चाहिए - शिवबाबा की याद में बैठे हैं।
 
      -  तुम बच्चे अर्थात् आत्माओं का कनेक्शन है शिवबाबा से।
 
      -  तुम शिवबाबा के बनते हो इन द्वारा, क्योंकि शिवबाबा इनके द्वारा ही मिलते हैं। 
 
      - यह बीच में दलाल भी कहा जाता है।
 
      -  तुम्हारा दलाल से कोई कनेक्शन नहीं है।
 
      -  यह तो सिर्फ बीच में मारफत है।
 
      -  लेन-देन का सबका हिसाब-किताब बाप से होना है, इनसे नहीं। 
 
      - इनका भी लेन-देन बाप से है।
 
      -  यह भी उस बाप को कहते हैं - बाबा मेरा सब कुछ आपका है।
 
      -  तुम्हें भी एक तो निश्चय यह है कि हम आत्मा हैं और दूसरा यह भी निश्चय है कि हम आत्मायें अभी परमपिता परमात्मा से वर्सा ले रहे हैं।
 
      -  मन्सा-वाचा-कर्मणा, तन-मन-धन से हम शिवबाबा के मददगार बनते हैं।
 
      -  यह सब कुछ शिवबाबा को अर्पण किया हुआ है।
 
      -  फिर शिवबाबा डायरेक्शन देते हैं - ऐसे-ऐसे यह करो।
 
      -  इनको कहा जाता है श्रीमत। 
 
      - बाप खुद कहते हैं मैं इस पुराने तन में प्रवेश करता हूँ। 
 
      - यह भी पतित से पावन बन रहे हैं।
 
      -  यह किसने कहा? 
 
      - शिवबाबा ने।
 
      -  यह भी पावन बन रहे हैं।
 
      -  इनका भी मेरे साथ हिसाब-किताब है।
 
      -  इनके साथ कोई का हिसाब-किताब नहीं।
 
      -  तुम चिट्ठी लिखते हो - शिवबाबा केअरआफ ब्रह्मा।
 
      -  परन्तु माया ऐसी है जो निरन्तर याद करने नहीं देती है।
 
      -  बुद्धियोग घड़ी-घड़ी तोड़ देती है।
 
      -  अगर यही पक्का पुरूषार्थ करेंगे तो फिर दूसरा सब कुछ भूल जायेगा।
 
      -  शरीर भी भूल जायेगा।
 
      -  यह शरीर होगा परन्तु आत्मा को इन सब चीज़ों से नफरत होगी।
 
      -  यह अवस्था जमाने की प्रैक्टिस करनी होती है।
 
      -  अन्त में हमको अपना शरीर भी याद न पड़े।
 
      -  बाप कहते हैं - अपने को अशरीरी समझ मुझ बाप को याद करो। 
 
      - मैं सदैव अशरीरी हूँ, तुम भी अशरीरी थे। 
 
      - फिर तुमने पार्ट बजाया। 
 
      - अभी फिर तुमको पार्ट बजाना है, यह मेहनत है।
 
      -  विश्व का मालिक बनना कोई कम बात है क्या।
 
      -  मनुष्य ही विश्व का मालिक बन सकता है।
 
      -  यह देवतायें भी मनुष्य हैं परन्तु इनको दैवीगुण वाले देवता कहा जाता है।
 
      -  लक्ष्मी-नारायण विश्व के मालिक थे, इन्हों को अपने बच्चे होंगे।
 
      -  वही उनको माँ-बाप मानेंगे।
 
      -  परन्तु आजकल मनुष्य अन्धश्रद्धा से इन लक्ष्मी-नारायण को त्वमेव माताश्च पिता...कहते हैं।
 
      -  वास्तव में यह महिमा है शिवबाबा की।
 
      -  देवताओं की महिमा गाते हैं आप सर्वगुण सम्पन्न...परन्तु उन्हों की पूजा क्यों करते हैं, यह किसको पता नहीं है। 
 
      - अभी तुम ऐसी महिमा नहीं गायेंगे कि तुम मात-पिता... हाँ तुम जानते हो शिवबाबा वह निराकार परमपिता परमात्मा है।
 
      -  उनसे ही सुख घनेरे मिलते हैं। 
 
      - बाकी जो भी सम्बन्धी आदि हैं उनसे दु:ख ही मिलता है।
 
      -  यह तो एक सैक्रीन है, जिससे सर्व सम्बन्ध की रसना मिलती है इसलिए बाप कहते हैं मामा, काका, चाचा आदि सबसे बुद्धियोग हटाए मामेकम् याद करो।
 
      -  तुम गाते भी हो दु:ख हर्ता सुख कर्ता... सर्व का सद्गति दाता एक ही है, वही हमारा सब कुछ है।
 
      -  लौकिक बाप से भी दु:ख मिलता है।
 
      -  बाकी टीचर है जो किसको दु:ख नहीं देते।
 
      -  टीचर पास जाकर पढ़ने से तुम शरीर निर्वाह करते हो।
 
      -  हुनर सिखाने वाले भी होते हैं। 
 
      - वह सब अल्पकाल के लिए टीचिंग करते हैं।
 
      -  भक्ति में भी महिमा एक राम अथवा परमपिता परमात्मा की ही करते हैं, उनको ही याद करते हैं।
 
      -  वास्तव में भक्ति भी एक की ही करनी है। 
 
      - वह एक ही तुमको पूज्य बनाते हैं। तुम पहले-पहले एक शिवबाबा की पूजा करते हो।
 
      -  उनको सतोप्रधान भक्ति कहा जाता है। 
 
      - फिर आत्मा भी सतोप्रधान से सतो रजो तमो बनती है।
 
      -  तुम समझते हो हम पुजारी बनते हैं। 
 
      - तुम पहले एक शिव की ही पूजा करते हो फिर कलायें कमती होती जाती हैं। 
 
      - भक्ति भी सतोप्रधान से, सतो रजो तमो बन जाती है।
 
      -  सारा ड्रामा तुम्हारे ऊपर ही बना हुआ है।
 
      -  आपेही पूज्य आपेही पुजारी, जो 84 जन्म पूरे लेते हैं, उनकी ही कहानी है। 
 
      - उनको ही बाप बैठ बताते हैं - तुमने 84 जन्म कैसे लिये हैं।
 
      -  हिसाब ही उनका है।
 
      -  जो पहले-पहले पूज्य देवी-देवता बनते हैं, वही पुजारी बनते हैं। 
 
      - बाप कहते हैं - मैं कल्प-कल्प आकर तुमको पढ़ाता हूँ और देवी-देवता धर्म की स्थापना करता हूँ, राजयोग सिखाता हूँ।
 
      -  गीता में भूल से कृष्ण भगवानुवाच लिख दिया है।
 
      -  भगवान तो एक ही होता है।
 
      -  वह तो कहते ठिक्कर भित्तर, कण-कण में परमात्मा है।
 
      -  परन्तु ऐसे तो हो नहीं सकता। 
 
      - भगवान की तो महिमा अपरमअपार है।
 
      -  कहते हैं - हे बाबा तुम्हारी गति मत न्यारी अर्थात् तुम्हारी जो श्रीमत मिलती है, वह सबसे न्यारी है।
 
      -  बाप को कहते ही हैं गति-सद्गति दाता परमपिता परमात्मा, तो बुद्धि ऊपर में जाती है।
 
      -  दु:ख के टाइम उनकी ही याद आती है।
 
      -  अगर राम-सीता बुद्धि में हो फिर तो सारा रामायण बुद्धि में आ जाए।
 
      -  तुम तो पुकारते ही हो, उस एक बाप को।
 
      -  सिवाए एक बाप के कोई भी साकारी मनुष्य वा आकारी देवता से बुद्धि नहीं लगानी है।
 
      -  पतित-पावन है ही एक बाप।
 
      -  कोई भी सतसंग में जाकर यही गाते हैं - पतित-पावन सीताराम, अर्थ कुछ नहीं। 
 
      - यह सब है - भक्ति मार्ग का गायन। 
 
      - सब रावण की जेल में है।
 
      -  भक्ति मार्ग में बहुत भटकते हैं। 
 
      - यहाँ भटकने की कोई बात नहीं।
 
      -  बाप समझाते हैं, बच्चों को प्वाइंट्स बुद्धि में अच्छी रीति धारण करनी हैं, पढ़ाई रेगुलर करनी है।
 
      -  अगर कोई कारण से सवेरे नहीं आ सकते तो दोपहर को आ जाना चाहिए।
 
      -  किसको तंग भी नहीं करना है।
 
      -  सारा दिन पड़ा है। 
 
      - कोई भी समय जाकर पढ़ना है।
 
      -  यह बच्चियाँ सुबह से लेकर शाम तक सर्विस पर हैं। 
 
      - सारा दिन सर्विस स्टेशन खुले हुए हैं। 
 
      - कोई भी आये, उनको रास्ता बताना है। 
 
      - पहले-पहले तो बताना है - विचार करो तुमको दो बाप हैं।
 
      -  दु:ख में पारलौकिक बाप को याद करते हैं ना।
 
      -  अभी शिवबाबा कहते हैं, मामेकम् याद करो।
 
      -  मौत तो सामने खड़ा है।
 
      -  यह वही महाभारत लड़ाई है। 
 
      - भल बड़े पदमपति, करोड़पति हैं, बड़े-बड़े मकान आदि बनाते हैं। 
 
      - परन्तु वह रहने थोड़ेही हैं, यह सब टूट जाने हैं।
 
      -  वह समझते हैं - कलियुग की आयु लाखों वर्ष है।
 
      -  इनको कहा जाता है घोर अन्धियारा। 
 
      - कोई के पास पैसे हैं, पूछते हैं मकान बनायें।
 
      -  बाबा कहेंगे पैसे हैं तो भल बना लो।
 
      -  पैसे भी तो मिट्टी में मिल जाने हैं।
 
      -  यह तो टैप्रेरी हैं।
 
      -  नहीं तो यह सब पैसे भी चले जायेंगे।
 
      -  कुछ भी रहेगा नहीं, भल बनाओ।
 
      -  फिर उसमें गीता पाठशाला का प्रबन्ध रखो। 
 
      - जो तुम्हारे दर पर कोई भी आये उनको भिक्षा ऐसी दो जो उनको एकदम विश्व का मालिक बना दो।
 
      -  तुम्हारे पास अथाह ज्ञान धन है, इतना कोई के पास नहीं है।
 
      -  तुम्हारे पास सबसे साहूकार वह है, जिनके पास बहुत ज्ञान रत्न बुद्धि में भरे हुए हैं।
 
      -  कोई भी आये तो तुम उनकी झोली भर दो।
 
      -  तुम्हारे पास इतना खजाना है।
 
      -  सिर्फ यह बोर्ड लगा दो - आओ तो हम आपको सदा सुखी स्वर्ग का वर्सा पाने का रास्ता बतायें।
 
      -  परन्तु बच्चों में वह नशा नहीं रहता। 
 
      - यहाँ नशा चढ़ता है, बाहर जाने से भूल जाता है।
 
      -  शौक होना चाहिए। 
 
      - कोई भी आये उनको रास्ता बतायें जो बेड़ा पार हो जाए। 
 
      - तुम्हारे पास बहुत भारी धन है। 
 
      - कोई भी भिखारी आये वा लखपति आये तो तुम उनको भी बहुत रत्न दे सकते हो।
 
      -  बाबा यहाँ नशा चढ़ाता है फिर सोडावाटर हो जाता है। 
 
      - बाबा तुम्हारी अविनाशी ज्ञान रत्नों से झोली भर देते हैं।
 
      -  परन्तु नम्बरवार हैं।
 
      -  किसकी तकदीर में है तो पूरी रीति धारण कर लेते हैं।
 
      -  बाबा कहते हैं - कोशिश कर तुम निरन्तर याद में रहो।
 
      -  ऐसे नहीं कि सेन्टर में जाकर एक जगह बैठना है।
 
      -  नहीं, चलते-फिरते जो भी समय मिले बाप को याद करते रहना है।
 
      -  हथ कार डे, दिल अर्थात् बुद्धि का योग बाप के साथ हो। 
 
      - बाप की याद से तुम्हारा बहुत कल्याण होगा।
 
      -  21 जन्म के लिए तुम साहूकार बन जाते हो।
 
      -  बेहद का बाप बेहद का वर्सा देते हैं।
 
      -  भारत स्वर्ग था।
 
      -  अब नर्क है।
 
      -  बाप कहते हैं - अब मुझे याद करो तो तुम्हारी आत्मा सतोप्रधान बन जायेगी।
 
      -  बाप को याद करेंगे तो नशा चढ़ेगा।
 
      -  हमारे जैसा धनवान सृष्टि में कोई नहीं है।
 
      -  बाप ही याद नहीं होगा तो धन कहाँ से आयेगा।
 
      -  स्वर्ग में तो तुम बच्चों को अपार सुख मिलता है।
 
      -  शास्त्रों में तो कितनी दन्त कथायें लिख दी हैं। 
 
      - गाते भी हैं - राम राजा, राम प्रजा...धर्म का उपकार है।
 
      -  फिर कहते राम की सीता चुराई गई, बन्दरों की सेना ली... आगे खुद भी पढ़ते थे, कुछ भी समझते नहीं थे।
 
      -  अब कितना समझ में आता है।
 
      -  कितनी वन्डरफुल बातें लिखी हैं।
 
      -  बाप कहते हैं - मुझे प्रकृति का आधार लेना पड़ता है।
 
      -  त्रिमूर्ति में भी ब्रह्मा, विष्णु, शंकर दिखाते हैं।
 
      -  परन्तु यह भी समझते नहीं कि विष्णु कौन है।
 
      -  कहाँ के रहने वाले हैं।
 
      -  विष्णु के मन्दिर को नर-नारायण का मन्दिर कहते हैं।
 
      -  परन्तु अर्थ कुछ भी नहीं समझते हैं।
 
      -  विष्णु के यह दो रूप लक्ष्मी-नारायण हैं, जो सतयुग में राज्य करते थे। 
 
      - अभी तुम मनुष्य से देवता बन रहे हो।
 
      -  कोई भी आये तो बोलो यह ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ हैं।
 
      -  तो प्रजापिता ब्रह्मा सबका बाप हुआ।
 
      -  बहुत ढेर की ढेर प्रजा है। नाम तो सुना है ना।
 
      -  भगवान ने ब्रहमा द्वारा ब्राह्मण रचे।
 
      -  बाप ने जरूर बच्चों को वर्सा तो दिया होगा ना। 
 
      - तुम बच्चों को विश्व का मालिक बनाते हैं।
 
      -  तुम शिवबाबा से वर्सा पाते हो।
 
      -  एक है लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक बाप। 
 
      - अब यह तुमको अलौकिक बाप मिला है, यह तो जौहरी था।
 
      -  यह थोड़ेही कुछ जानता था।
 
      -  इनके लिए कहते हैं कि इनके बहुत जन्मों के अन्त के जन्म के भी अन्त में इनमें प्रवेश करता हूँ।
 
      -  वानप्रस्थी बनने का रिवाज भी भारत में है।
 
      -  60 वर्ष के बाद गुरू के पास चले जाते हैं। 
 
      - बाप इनमें प्रवेश कर कहते हैं अब तुमको घर चलना है।
 
      -  मुक्ति सब चाहते हैं परन्तु मुक्ति को जानते कोई भी नहीं।
 
      -  ब्रह्म में लीन तो कोई हो नहीं सकते।
 
      -  यह तो सृष्टि का चक्र फिरता ही रहता है, सबको पार्ट बजाना ही है। 
 
      - कहते हैं वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट।
 
      -  यह अनादि ड्रामा बना हुआ है।
 
      -  84 जन्मों का पार्ट तुमको बजाना ही है। 
 
      - यह ज्ञान डांस होती है।
 
      -  वो लोग फिर डमरू दिखाते हैं।
 
      -  अब सूक्ष्मवतन वासी शंकर डमरू कैसे बजायेगा।
 
      -  बाप ने समझाया है - तुम बन्दर मिसल थे।
 
      -  तो तुम बन्दरों की सेना ली।
 
      -  तुम्हारे आगे बाबा ज्ञान का डमरू बजा रहे हैं।
 
      -  तुमको ज्ञान देते हैं।
 
      -  अभी तुम्हारी सूरत और सीरत दोनों पलटा रहे हैं। 
 
      - काम-चिता पर बैठ तुम काले हो गये हो। 
 
      - बाबा फिर तुमको ज्ञान-चिता पर बिठाए सूरत और सीरत दोनों पलटाए सांवरे से गोरा बना देते हैं। 
 
      - यहाँ बाबा कितना नशा चढ़ाते हैं फिर नशा गुम क्यों होना चाहिए। 
 
      - अच्छा!
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      -  धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) बाप ने जो अथाह ज्ञान का धन दिया है, उसे धारण कर स्वयं भी साहूकार बनना है और सबको दान भी करना है।
        
          -  जो भी आये उसकी झोली भर देनी है।
 
         
       
      - 2) बाप की याद से ही कल्याण होना है, इसलिए जितना हो सके चलते-फिरते बाप की याद में रहना है।
        
          -  सर्व सम्बन्धों की रसना एक बाप से लेनी है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
      - ( All Blessings of 2021)
 
      -  सारे वृक्ष की नॉलेज को स्मृति में रख तपस्या करने वाले सच्चे तपस्वी व सेवाधारी भव
 
      -  भक्ति मार्ग में दिखाते हैं कि तपस्वी वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करते हैं।
 
      -  इसका भी रहस्य है।
 
      -  आप बच्चों का निवास इस सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष की जड़ में है।
 
      -  वृक्ष के नीचे बैठने से सारे वृक्ष की नॉलेज बुद्धि में स्वत: रहती है।
 
      -  तो सारे वृक्ष की नॉलेज स्मृति में रख साक्षी होकर इस वृक्ष को देखो।
 
      -  तो यह नशा, खुशी दिलायेगा और इससे बैटरी चार्ज हो जायेगी।
 
      -  फिर सेवा करते भी तपस्या साथ-साथ रहेगी।
 
      - स्लोगन:-
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      -  तन की बीमारी कोई बड़ी बात नहीं लेकिन मन कभी बीमार न हो।
 
         
     
   
    
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