-  ओम् शान्ति। 
 
      - मीठे-मीठे रूहानी बच्चे इस गीत का अर्थ तो समझ गये।
 
      -  हम आत्माओं का वह बाप है।
        
          -  मुख्य है ही आत्मा। 
 
          - अभी तुम बच्चे जानते हो - हमारी आत्मा परमपिता परमात्मा के सम्मुख बैठी है। 
 
          - तुम्हारी सोल, सुप्रीम सोल के सामने बैठी है। 
 
          - तुमको तो अपना शरीर है, इनको लोन लिया हुआ शरीर है।
 
         
       
      -  गुरू लोग मनुष्यों को यात्रा पर ले जाते हैं।
        
          -  भक्ति मार्ग के ढेर गुरू हैं।
 
          -  भारत में तो स्त्री अपने पति को भी गुरू, ईश्वर समझती है।
 
           
       
      -  बाप बच्चों को समझाते हैं - तुम बच्चे हो ना।
        
          -  समझते हो हम बेहद के बाप के बच्चे हैं।
 
          -  बेहद का वर्सा फिर से लेने आये हैं, अभी हमें सद्गति को पाना है। 
 
          - यह तो निश्चय है ना।
 
           
       
      -  सारी दुनिया दुर्गति में है, पतित है।
        
          -  पावन होने के लिए बुलाते हैं तो भारत में कितने ढेर के ढेर गुरू हैं। 
 
          - कोई को 100 फालोअर्स, कोई के 500, कोई के 50 भी होते हैं।
 
          -  कोई के लाखों करोड़ों भी होते हैं।
 
           
       
      -  जैसे खोजों का आगाखां गुरू है।
        
          -  कितने उनके फालोअर्स हैं, कितना उनको रिगार्ड देते हैं। 
 
          - फिर भल कुछ भी करने वाला हो लेकिन उनका मान कितना है।
 
          -  भक्ति मार्ग में गुरू अनेक हैं, फिर वह भी नम्बरवार होते हैं।
 
          -  कोई की कमाई पदमों की होती है।
 
          -  आगाखां की कमाई बहुत है। 
 
          - उनको हीरों में तौलकर दान किया था, उनके शिष्यों ने।
 
          -  एक तरफ हीरे दूसरे तरफ उनका गुरू।
 
          -  हीरे दान करते हैं, कितने हीरे होंगे। 
 
          - आजकल सोने में तो बहुतों को वज़न कर देते हैं।
 
          -  दूसरा प्लेटेनियम होता है, वह सोने से भी ज्यादा कीमती होता है।
 
          -  वह भी वज़न कर दिया था। 
 
          - गुरू का मर्तबा देखो कितना है... ऐसे गुरू लोग तो ढेर हैं। 
 
          - अब इस सतगुरू को तुम क्या देंगे?
 
          -  उनको वज़न करेंगे?
 
          -  हीरे वज़न कर देंगे?
 
          -  उनका वज़न हो सकता है?
 
          -  उनका खुद का ही वज़न नहीं है।
 
           
       
      -  शिव तो है ही बिन्दी, उनका वज़न तुम क्या कर सकेंगे। 
        
          - यह तुम्हारा गुरू कितना वन्डरफुल है, सबसे हल्का।
 
          -  बिल्कुल ही सूक्ष्म है।
 
          -  तुम्हारा गुरू एक है।
 
          -  तुम जानते हो शिवबाबा तो दाता है।
 
           
       
      -  भगवान कभी कुछ ले नहीं सकते, वह तो देते हैं। 
        
          - ईश्वर अर्थ दान सब करते हैं तो समझते हैं - दूसरे जन्म में इसका एवज़ा मिलेगा। 
 
          - कामना तो रखते हैं। 
 
          - अब यह तो है बेहद का बाप।
 
           
       
      -  इन जैसी निष्काम सेवा कोई कर नहीं सकता।
        
          -  निष्काम सेवा भी कैसी है।
 
          -  बच्चों को विश्व का, सुखधाम का मालिक बनाते हैं। 
 
          - बाबा खुद थोड़ेही विश्व का मालिक बनते हैं। 
 
          - उनको कहा जाता है - सुख का सागर, शान्ति का सागर, पवित्रता का सागर।
 
          -  बच्चों को हर एक बात अच्छी रीति समझाई जाती है। 
 
          - एक ही बाप से तुमको जीवनमुक्ति मिल जाती है।
 
           
       
      -  बाबा से स्वर्ग का वर्सा मिलता है।
        
          -  निश्चय किया, बस।
 
          -  बाबा और वर्से को याद करना है। 
 
           
       
      - इनको कहते हैं - ज्ञान का सागर।
        
          -  सारा सागर मस (स्याही) बनाओ।
 
          -  सारा जंगल कलम बनाओ.. तो भी इन्ड नहीं हो सकती। 
 
          - तुम शुरू से लेकर लिखते जाओ तो तुम्हारी ढेर पुस्तकें हो जाएं।
 
           
       
      -  यह नॉलेज तो बहुत वैल्युबुल है जो धारण करने की है।
        
          -  जानते हो यह कोई परम्परा तो चलती नहीं। 
 
          - अभी तुमको तन्त मिलता है। 
 
           
       
      - बाप आकर बच्चों को अपना परिचय देते हैं, वही काफी है। 
        
          - बाप का परिचय देने से, रचता को जानने से रचना का भी ज्ञान आ जाता है। 
 
          - बुद्धि कहती है जो सतयुग में आते होंगे, उनके पुनर्जन्म जास्ती होंगे।
 
           
       
      -  चक्र में जो पहले आये होंगे, वहीं आयेंगे।
        
          -  इस चक्र को भी अच्छी रीति समझना है।
 
           
       
      -  गीत में भी सुना, हमारे तीर्थ न्यारे हैं।
        
          - वह तो जन्म-जन्मान्तर तीर्थ यात्रायें आदि करते आये हैं।
 
          -  यह सिर्फ तुम्हारी एक जन्म की यात्रा है।
 
          -  इस रूहानी यात्रा में जरा भी कोई तकलीफ नहीं।
 
           
       
      -  ज्ञान देने वाला एक ही सतगुरू है।
        
          -  सद्गति तो किसी की भी होती नहीं।
 
          -  वह है सुप्रीम ज्ञान का सागर, सर्व की सद्गति हो जाती है। 
 
          - बाकी क्या चाहिए!
 
          -  तत्व भी सतोप्रधान हो जाते हैं। 
 
           
       
      - यहाँ तमोप्रधान हैं तो वायु आदि भी ऐसी ही तमोप्रधान होती है।
        
          -  कितने अर्थक्वेक आदि होते हैं। 
 
          - सतयुग में तो कोई भी दु:ख देने वाली चीज़ नहीं होगी। 
 
           
       
      - बाप है ही दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
        
          -  तुम उनके बच्चे हो, किसको भी दु:ख नहीं देना है। 
 
          - सबको यह रास्ता बताना है - सुख का वर्सा पाने का।
 
          - अब बाप कहते हैं - तुमको सुख ही देना है। 
 
          - बाबा तुमको आधाकल्प के लिए ऐसा सुख देते हैं - जो वहाँ दु:ख का नाम नहीं रहता।
 
          -  तुम जानते हो - बाप से 21 जन्मों का वर्सा पाने हम यहाँ आये हैं। 
 
          - तुम स्टूडेन्ट हो ना। 
 
          - तुम्हारी दिल में है कि शिवबाबा से स्वर्ग का सुख लेते हैं तो सब दु:ख दूर हो जायेंगे।
 
           
       
      -  बाबा हमको संजीवनी बूटी देते हैं - सुरजीत होने के लिए।
        
          -  फिर 21 जन्म कभी मूर्छित नहीं होंगे। 
 
          - वह संजीवनी बूटी है - मनमनाभव।
 
           
       
      -  सर्व का सद्गति दाता एक ही बाप है, उनको निराकार निरहंकारी कहा जाता है।
        
          -  जिस तन में आते हैं वह भी साधारण है।
 
          -  बाप कहते हैं - डियर चिल्ड्रेन, आई एम योर ओबीडियेन्ट फादर।
 
          -  बड़े आदमी हमेशा ऐसे लिखते हैं।
 
          -  आई एम ओबोडियन्ट सर्वेन्ट। 
 
          - अपने को श्री कभी नहीं लिखेंगे।
 
          -  आजकल तो लिखते हैं श्री-श्री फलाना।
 
          -  आपेही अपने को श्री-श्री लिखते रहते हैं। 
 
          - वह बाप है निराकारी, निरहंकारी।
 
           
         
      -  अब तुम उनके सम्मुख बैठे हो।
        
          -  जानते हो वह हमारा बाप, टीचर, सतगुरू है, बाकी तो सब भक्ति मार्ग के अनेक गुरू हैं।
 
          -  गुरूओं के भी गुरू होते हैं।
 
          -  इनका कोई गुरू नहीं।
 
          -  यह सत बाबा, सत टीचर, सतगुरू है।
 
           
       
      - तुम जानते हो - आत्मा ही संस्कार धारण कर रही है। 
        
          - बाबा भी आत्मा है ना, उनमें भी गुण हैं।
 
          -  तुम्हारे गुण अलग-अलग हो जाते हैं।
 
          -  इस समय जो गुण तुम्हारे में हैं वही बाप के हैं।
 
          -  फिर सतयुग में तुम्हारे दैवी गुण हो जायेंगे।
 
           
       
      -  बाप ज्ञान का सागर, प्यार का सागर है।
        
          -  कृष्ण की महिमा अलग है।
 
          -  शिवबाबा को 16 कला सम्पूर्ण नहीं कह सकते।
 
          -  वह तो स्थिर है ही। 
 
          - बाप कहते हैं - यह टाइटिल तुम मुझे नहीं दे सकते हो।
 
          -  मैं थोड़ेही विकारी बनता हूँ, जो फिर सर्वगुण सम्पन्न बनूँ। 
 
          - मेरी महिमा इन जैसी थोड़ेही करेंगे।
 
           
       
      -  इस नॉलेज को जिन्होंने कल्प पहले सुना है वही आयेंगे, आकर बाप से सुनेंगे और बाप को याद करेंगे।
        
          -  पिछाड़ी को हाय-हाय कर रोते हैं फिर जय-जय कार हो जाती है।
 
           
       
      -  अभी तुमने यात्रा का भी राज़ समझा है।
        
          -  इस यात्रा से फिर तुम कभी मृत्युलोक में लौटते नहीं हो। 
 
          - उन यात्राओं से फिर घर लौट आते हैं।
 
          -  कितने मनुष्य स्नान करने जाते हैं।
 
           
       
      -  भक्ति का विस्तार देखो कितना है। 
        
          - जैसे झाड़ कितना बड़ा अथाह होता है, बीज तो बिल्कुल छोटा होता है।
 
          -  वैसे भक्ति का भी विस्तार कितना है। 
 
          - ज्ञान का एक टुबका भी सद्गति कर देता है।
 
          -  भक्ति में उतरते-उतरते आधाकल्प लग जाता है।
 
          -  यहाँ तुमको सीढ़ी चढ़ने में एक सेकेण्ड लगता है - लिफ्ट कितनी अच्छी है। 
 
          - नीचे से एकदम ऊपर, अपने घर ले जाती है। 
 
          - इसको कहा जाता है चढ़ती कला सर्व का भला।
 
          -  सर्व का सद्गति दाता एक बाप ही है। 
 
          - अब ज्ञान, भक्ति का फ़र्क देखा।
 
           
       
      -  ज्ञान, भक्ति, वैराग्य है ना। 
        
          - संन्यासियों का है हद का वैराग्य।
 
          -  बाप ने समझाया है - वैराग्य दो प्रकार का है - एक है हद का वैराग्य जिससे कोई सद्गति नहीं होती।
 
          -  दूसरा है बेहद का वैराग्य - जिससे तुम्हारी सद्गति हो जाती है। 
 
           
       
      - अभी सद्गति के लिए तुम बच्चों को श्रीमत मिलती है - श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनने की। 
        
          - अब श्रेष्ठ दुनिया की स्थापना हो रही है श्रीमत पर।
 
          -  यह भ्रष्ट दुनिया रावण की मत पर बनी है।
 
          -  हम श्रेष्ठ बन रहे हैं - यह बातें तुम ही जानो। 
 
          - दुनिया बिल्कुल नहीं जानती है।
 
           
       
      -  तुम्हारे लिए तो कहते हैं यह ब्रह्माकुमारियाँ विनाश कराने वाली हैं।
        
          -  सचमुच विनाश तो होना ही है।
 
          -  इससे ही तो कल्याण होना है।
 
          -  कल्याणकारी बाप आते हैं तो महाभारी लड़ाई लगती है।
 
          -  कहेंगे हमने कहा था ना कि ब्रह्माकुमारियाँ विनाश करेंगी।
 
          -  बरोबर विनाश तो होना ही है, पुरानी दुनिया विनाश होगी।
 
          -  हम नई दुनिया स्थापन करते हैं।
 
          -  पुरानी के बाद नई जरूर है ही।
 
          -  कल्प-कल्प विनाश होता है तब ही भारत में स्वर्ग के द्वार खुलते हैं।
 
          -  परन्तु वे लोग समझें कैसे? 
 
          - आगे चलकर बहुत समझेंगे।
 
          -  बाप जब आते हैं तो पुरानी दुनिया सारी स्वाहा हो जाती है।
 
          -  तुम्हारा यह यज्ञ तो वन्डरफुल है, जिसमें आहुति पड़नी है। 
 
          - यह भी तुम जानो और न जाने कोई। 
 
          - विजय तो पाण्डवों की होनी है और सब खत्म हो जायेंगे।
 
          -  बाकी तुम पाण्डव रहते हो फिर नई दुनिया में राज्य करते हो।
 
          -  यह नॉलेज बड़ी वन्डरफुल है।
 
           
       
      -  सबका दु:ख-हर्ता, सुख-कर्ता, सद्गति देने वाला एक ही बाप है।
        
          -  कितना मीठा, कितना प्यारा बाप है।
 
          -  कहते आये हो मीठे बाबा, आप जब आयेंगे तो आप पर हम वारी जायेंगे।
 
          -  मेरा तो आप दूसरा न कोई।
 
          -  इसका मतलब यह नहीं कि घरबार छोड़ यहाँ आकर बैठेंगे।
 
          -  नहीं, गृहस्थ व्यवहार में भल रहो। 
 
          - 7 रोज़ का कोर्स ले फिर कहाँ भी जाओ - मनमनाभव।
 
           
       
      -  बाप को याद करना है और वर्सा पाना है।
        
          -  बस याद की यात्रा में रहना है, इससे ही बेड़ा पार है।
 
          -  यह भी तुम जानते हो - पवित्र रहना है।
 
          -  छी-छी खाना आदि नहीं खाना है।
 
           
       
      -  मुरली तो मिलती ही है। 
        
          - कोई समय मुरली नहीं भी मिलेंगी, आफते आयेंगी, हंगामा आदि हो जायेगा तो मुरली मिल नहीं सकेंगी।
 
           
       
      -  तुम इन आंखों से जो कुछ देखते हो वह नहीं रहेगा, सब भस्म हो जायेगा।
        
          -  प्रलय तो होती नहीं।
 
          -  दुनिया तो एक ही है, नई सो पुरानी होती है। 
 
          - न्यू वर्ल्ड, ओल्ड वर्ल्ड कहा जाता है। 
 
          - अब तो कहेंगे यह ओल्ड वर्ल्ड है, बाकी थोड़ा समय है। 
 
           
       
      - वह कहते हैं कल्प की आयु लाखों वर्ष है।
        
          -  कलियुग के लिए कहते 40 हजार वर्ष पड़े हैं। 
 
          - वास्तव में 5 हजार वर्ष का चक्र है। 
 
          - तुम्हारी बुद्धि में सारी नॉलेज है।
 
          -  मनुष्य तो बिल्कुल पत्थरबुद्धि हैं।
 
          -  एक्टर्स होकर ड्रामा के क्रियेटर, डायरेक्टर को न जानें तो उनको क्या कहेंगे।
 
          -  वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी कैसे रिपीट होती है, यह तो जानना चाहिए ना। 
 
          - जो अच्छी रीति जानते हैं, बुद्धि में धारण कर औरों को धारण कराते हैं, वह ऊंच ते ऊंच पद पाते हैं। 
 
           
       
      - बाप कहते हैं - जो नॉलेज मेरे में थी वह अब तुमको दे रहा हूँ।
        
          -  ड्रामा प्लैन अनुसार मैं रिपीट करता हूँ।
 
          -  मेरा भी ड्रामा में पार्ट है। 
 
          - भक्ति मार्ग में भी पार्ट बजाया, अब तुमको आकर अपना और रचना के आदि-मध्य-अन्त का परिचय देता हूँ।
 
          -  मैं भी ड्रामा के बन्धन में हूँ।
 
          -  मैं आता ही एक बार हूँ।
 
          -  अपना परिचय देने और रचना के आदि-मध्य-अन्त का नॉलेज सुनाने। 
 
           
       
      - अच्छा!
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) बाप समान ओबीडियन्ट बनना है।
        
          -  कभी भी किसी बात में अपना अहंकार नहीं दिखाना है।
 
          -  निराकारी और निरहंकारी होकर रहना है।
 
         
       
      - 2) बाप, टीचर और सतगुरू के कान्ट्रास्ट को समझ निश्चयबुद्धि बन श्रीमत पर चलना है। 
        
          - रूहानी यात्रा पर रहना है।
 
         
       
      -  वरदान:-        
 
      - ( All Blessings of 2021)
 
      - व्यक्त में रहते अव्यक्त फरिश्ते रूप का साक्षात्कार कराने वाले सफेद वस्त्रधारी और सफेद लाइटधारी भव
 
      -  जैसे अभी चारों ओर यह आवाज फैल रहा है कि यह सफेद वस्त्रधारी कौन हैं और कहाँ से आये हैं!
 
      -  ऐसे अब चारों ओर फरिश्ते रूप का साक्षात्कार कराओ - इसको कहा जाता है डबल सेवा का रूप।
 
      -  जैसे बादल चारों ओर छा जाते हैं, ऐसे चारों ओर फरिश्ते रूप से प्रगट हो जाओ, जहाँ भी देखें तो फरिश्ते ही नज़र आयें।
 
      -  लेकिन यह तब होगा जब शरीर से डिटैच होकर अन्त:वाहक शरीर से चक्र लगाने के अभ्यासी होंगे। 
 
      - मन्सा पावरफुल होगी।
 
      - स्लोगन:-
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      -  सर्व गुणों वा सर्व शक्तियों के अधिकारी बनने के लिए आज्ञाकारी बनो।
 
     
     
   
    
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