14-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 
       "बापदादा" मधुबन 
       “मीठे बच्चे - सारी दुनिया को शान्ति देना एक बाप का ही काम है इसलिए कहते हैं हे शान्ति देवा, तो प्राइज़ भी बाप को मिलनी चाहिए'' 
       प्रश्नः- 
      
         कौन से बच्चे बाप को पूरा-पूरा फालो कर सकते हैं?         
       
      उत्तर:-         
      
        जो बाप के समान पावन बनते हैं - वही पूरा-पूरा फालो कर सकते हैं। 
         2- जो पक्के आशिक बनें वही मुझ माशुक को फालो कर सकें। 
         ऐसे आशिकों को ही मैं साथ ले जाता हूँ इसलिए शास्त्रों में दिखाते हैं - गऊ का पूँछ पकड़ने से पार हो जायेंगे। 
         अब यहाँ गऊ की या पूँछ की तो बात ही नहीं है।  
       
      गीत:- तू प्यार का सागर है... 
      
        
      
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      -  ओम् शान्ति।
 
      -  बापदादा दोनों हैं ना। 
 
      - अब यह तो बच्चे जानते हैं कि आत्माओं का बाप शिवबाबा है। 
        
          - यह भी तुम जानते हो कि मैं पतित-पावन हूँ, मैं निराकार हूँ।
 
          -  तुम भी निराकार हो, शान्त स्वरूप हो।
 
          -  निराकार बाप भी शान्त स्वरूप है, आत्मा भी शान्त स्वरूप है। 
 
          - आत्मा का स्वधर्म है ही शान्ति।
 
          -  तुम्हारा निवास स्थान है - शान्तिधाम। 
 
         
       
      - जब यज्ञ आदि रचते हैं तो कहते हैं शान्तिदेवा क्योंकि शान्ति का सागर तो वह परमात्मा है। 
        
          - सारी दुनिया को शान्ति देने वाला वह बाप है। 
 
          - ऐसे बहुत हैं जिसको शान्ति के पीछे प्राइज़ मिलती है।
 
          -  कभी किसको प्राइज मिलती है तो कहेंगे यह शान्ति स्थापन करने के निमित्त बने हुए हैं।
 
          -  इसमें बड़ों-बड़ों के नाम लेते हैं। 
 
          - अब शान्ति तो चाहिए - सारी दुनिया में।
 
          -  नहीं तो अशान्त में रहने वाले औरों को भी अशान्त करेंगे।
 
           
       
      - यह है ही रावण राज्य।
        
          -  रावण दुश्मन है ना, राम को दुश्मन नहीं कहेंगे।
 
          -  राम की कभी एफीजी नहीं जलायेंगे।
 
          -  न त्रेता वाले राम की, न परमपिता परमात्मा की।
 
           
       
      -  रामराज्य तो सब चाहते हैं परन्तु रामराज्य किसको कहा जाता है, यह भी कोई नहीं जानते।
        
          -  सिर्फ कहते हैं नई दुनिया हो, नई देहली में रामराज्य हो। 
 
          - नई देहली कहते हैं, नाम तो बहुत रखे जाते हैं। 
 
           
       
      - देहली सबकी कैपीटल रहती है। 
        
      
 
      -  राधे-कृष्ण को भी वहाँ ही दिखाते हैं।
        
          -  यह दोनों ही मुख्य प्रिन्स और प्रिन्सेज हैं।
 
          -  सिर्फ दोनों नहीं हैं जरूर और भी होंगे।
 
          -  8 राजाई तो गाई जाती हैं, बुद्धि से काम लेना है।
 
          -  सतयुग में जरूर राजाई और भी होगी।
 
          -  यहाँ भी देखो कितनी राजाई है, वृद्धि होते-होते ढेर हो जाते हैं। 
 
          - फलाने-फलाने गाँव का महाराजा, छोटे-छोटे गांव भी बहुत हैं ना। 
 
          - सतयुग में इतने थोड़ेही थे। 
 
          - वहाँ तो लक्ष्मी-नारायण का ही नाम बाला है।
 
          -  2500 वर्ष उन्हों का राज्य चला है।
 
          -  मनुष्य कहते हैं लाखों वर्ष हुए, विचार की बात है।
 
           
       
      -  यह है आत्माओं के लिए भोजन।
        
          -  बाप यह रूहानी भोजन देते हैं - तुम्हारी बुद्धि को, आत्मा को।
 
          -  तुम्हारी बुद्धि का ताला अब खुला है। 
 
           
       
      - ऋषि-मुनि आदि सब कहते थे - हम रचता और रचना को नहीं जानते हैं।
        
          -  अब तुम बच्चे ऐसे नहीं कहेंगे।
 
          -  तुम तो रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त को जानते हो।
 
          -  तुम अपने 84 के चक्र को जान गये हो।
 
           
       
      -  आदि में तुम देवी-देवता थे।
        
          -  फिर मध्य में रावण की प्रवेशता होने से विकारी बन गये हैं।
 
          -  अब है अन्त।
 
          -  तुम जानते हो अभी पुरानी दुनिया का विनाश हो फिर आदि होगी।
 
          -  आदि में होगा - रामराज्य।
 
          -  मध्य से रावण राज्य शुरू होता है। 
 
          - अब रावण राज्य पूरा हो फिर रामराज्य शुरू होगा।
 
           
       
      -  नर से नारायण बनना है ना। 
        
          - यह है सत्य नारायण की कथा।
 
          -  तुम जानते हो - सर्व शास्त्र मई शिरोमणी श्रीमत गीता है।
 
          -  श्रीमत मिलती है - श्रेष्ठ बनने के लिए। 
 
          - श्री कहते हैं श्रेष्ठ को। 
 
           
       
      - बच्चे जानते हैं एक गीता शास्त्र है जिसे देवी-देवता धर्म का शास्त्र कहा जाता है, जिससे देवता धर्म की स्थापना होती है, संगम पर। 
        
          - सतयुग में तो कोई पतित होते नहीं जो पावन बनायें। 
 
          - अब तुमको बाप समझाते हैं गीता को पतित-पावनी कह नहीं सकते।
 
          -  गीता द्वारा पावन नहीं बन सकते हैं।
 
          -  गीता के भगवान को पतित-पावन कहते हैं। 
 
          - यह अच्छी रीति याद करो।
 
          -  गीता है आदि सनातन देवी-देवता धर्म का शास्त्र। 
 
          - गीता के समय ही महाभारी महाभारत लड़ाई भी लगी थी, जिससे अनेक धर्म विनाश हुए और एक धर्म की स्थापना हुई।
 
          -  गीता के लिए कहते हैं - देवी-देवता धर्म का शास्त्र।
 
          -  ब्राह्मणों का शास्त्र नहीं कहते हैं।
 
          -  ब्राह्मणों का नाम गीता में है नहीं।
 
          -  परमपिता परमात्मा ही आकर ब्रह्मा द्वारा इन सभी वेदों शास्त्रों आदि का सार बताते हैं।
 
           
       
      -  अब तुम समझते हो सतयुग में तो ब्राह्मण होते नहीं।
        
          -  वहाँ हैं लक्ष्मी-नारायण, देवतायें, ब्रह्मा के बाद है विष्णु।
 
          -  चित्रों में भी दिखाया है - ब्रह्मा द्वारा स्थापना विष्णुपुरी की।
 
          -  ब्रह्मा और विष्णु इकट्ठे तो नहीं होंगे।
 
          -  ब्रह्मा द्वारा देवी-देवता धर्म की स्थापना होगी।
 
          -  यह डिटेल में समझने की बातें हैं। 
 
          - अभी तुम बच्चे शिवबाबा से स्वर्ग का वर्सा लेते हो।
 
          -  हकदार ठहरे ना!
 
           
       
      -  मुख्य धर्म शास्त्र हैं 4, श्रीमत भगवत गीता है नम्बरवन शास्त्र जिससे नम्बरवन धर्म की स्थापना होती है।
        
          -  फिर होते हैं इस्लामी, बौद्धी। 
 
          - एक गीता ही है - जिसमें श्रीमत भगवत गीता लिखा हुआ है और कोई शास्त्र में श्रीमत नहीं है।
 
          -  श्रीमत इस्लामी वा श्रीमत बौद्धी शास्त्र नहीं गाया जाता।
 
          -  श्रीमत भगवत गीता है ही एक। 
 
          - उससे कौन सा धर्म स्थापन किया?
 
          -  आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना हुई और स्थापना होती है अन्त में।
 
          -  यह समझने की बातें हैं।
 
            
       
      -  अभी बाबा हमको टीचर के रूप में पढ़ाते हैं - यह बुद्धि में रहना चाहिए।
        
          -  बाबा हमारा बाप है और टीचर भी है।
 
          -  बाबा पढ़ाई से सर्व की सद्गति करते हैं तो सतगुरू भी ठहरा।
 
          -  बाप को सभी याद करते हैं। 
 
          - अब गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है। 
 
          - वह तो ज्ञान का सागर है नहीं।
 
          -  उनको ज्ञान के सागर बाप ने ऐसा बनाया है तो वह टीचर भी है।
 
          -  यहाँ तुम नई बातें सुनते हो, शास्त्र आदि तो बहुत पढ़ते सुनते आये।
 
          -  अब तुम बाप द्वारा डायरेक्ट सुनते हो।
 
          -  आगे सब शरीरधारी मनुष्यों द्वारा सुना था।
 
           
       
      -  अभी तुम समझते हो - हम आत्मा असुल में अशरीरी थे।
        
          -  पीछे फिर शरीर धारण किया है। 
 
          - बाबा भी अशरीरी है।
 
          -  शिवलिंग बनाते हैं ना।
 
          -  आत्मा शरीर द्वारा उनको पूजती है।
 
          -  पुकारते भी हैं हे परमपिता परमात्मा आकर हम पतितों को पावन बनाओ।
 
           
       
      -  लिंग की पूजा करते हैं परन्तु यह थोड़ेही समझते हैं कि यह पतित-पावन बाप है, जिसको हम पुकारते हैं।
        
          -  शिव भगवान है, ईश्वर है। 
 
          - बस ऐसे ही याद करते हैं।
 
           
       
      -  उनको बाबा कहें तो बुद्धि में आये कि बाबा से वर्सा मिलना चाहिए।
        
          -  हमको वर्सा मिला है तब हम पूजते हैं।
 
          -  भारतवासियों को वर्सा मिला जरूर है। 
 
          - कब मिला, यह भूल गये हैं। 
 
           
       
      - अब तुम बच्चे समझते हो, बच्चे कहते हैं हम बाबा के पास आये हैं।
        
          - शिवबाबा ब्रह्मा तन में आकर समझाते हैं।
 
          -  त्रिमूर्ति का नाम बाला है।
 
          -  त्रिमूर्ति मार्ग नाम भी रखा है।
 
           
       
      -  बाप की महिमा बहुत है। 
        
          - गीत में भी सुना प्यार का सागर है..., सर्व का सद्गति दाता है।
 
          -  सर्व को सुख शान्ति देने वाला है। 
 
          - सर्व का दु:ख हर्ता, सुख कर्ता है।
 
          -  बहुत प्यारा है ना।
 
          -  उनसे प्यारी चीज़ कोई और होती नहीं।
 
          -  जो बाप स्वर्ग का मालिक बनाये, वह जरूर प्यारा होगा ना।
 
           
       
      -  वह है बेहद का बाप।
        
          -  कहते हैं बच्चों मेरे से स्वर्ग की बादशाही मिलती है ना।
 
          -  तुम आत्मायें भाई-भाई हो। 
 
          - अभी बाप द्वारा सुन रहे हो। 
 
          - सभी आत्मायें बाप को याद करती हैं, बाबा हमको आकर पावन बनाओ।
 
          -  अब आत्मा कहती है बाबा आया हुआ है पावन बनाने।
 
          -  कहते हैं बच्चों, 5 हजार वर्ष पहले तुमको पावन बनाने आया था।
 
          -  अब मुझ बाप को याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और तुम्हारे सब दु:ख दूर हो जायेंगे।
 
          -  पुकारते भी हैं हे पतित-पावन आओ अथवा तालियां बजाते रहते हैं, रड़ियां मारते रहते हैं पतित-पावन सीताराम... तो खुद पतित ठहरे ना।
 
           
       
      -  यह है ही नर्क, इसको रौरव नर्क कहा जाता है।
        
          -  गरूड़ पुराण में तो रोचक बातें बहुत लिख दी हैं कि यह करने से यह बनेंगे, यह होगा... फिर कह देते - गऊ का पूँछ पकड़ने से स्वर्ग में चले जायेंगे।
 
          -  ऐसा कुछ लिखा हुआ है।
 
          -  अब जानवर की तो बात नहीं।
 
          -  तुम गऊ माता हो ना।
 
          -  तुम्हारी पूँछ अथवा तुम्हारी पीठ जब तक कोई न पकड़े तब तक रास्ता मिल न सके।
 
          -  पूँछ तो है नहीं।
 
          -  कहते भी हैं तुम्हारी पूँछ पकड़कर तर जायेंगे।
 
          -  अब यहाँ पूँछ तो पकड़ना नहीं है, परन्तु फालो करना है।
 
           
       
      -  संन्यासियों के फालोअर्स तो बहुत हैं परन्तु फालो करना अर्थात् पवित्र बनना।
        
          - तुम तो सच्चे-सच्चे फालोअर्स हो। 
 
          - शिवबाबा कहते हैं मैं आया हूँ तुम सबको वापिस ले जाने। 
 
          - तुम मुझे याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म हो जायेंगे।
 
          -  पावन बनने बिगर फालो कर नहीं सकेंगे।
 
          -  शिवबाबा को पूरा फालो करना है। 
 
          - तुम यहाँ बैठे हो - फालो करने के लिए। 
 
          - भक्ति मार्ग में भी मुझे याद करते आये हो।
 
          -  तुम जानते हो आत्मायें आशिक हैं - परमात्मा माशूक है।
 
          -  आत्मायें उनको याद करती हैं और वह आये हैं लेने लिए। 
 
          - कहते हैं मुझे फालो करो तो तुम्हारे को साथ ले जाऊंगा।
 
          -  कैसे फालो करो वह भी समझाते हैं - मैं हूँ पावन, तुम हो पतित।
 
          -  तो जरूर पावन बनना पड़े, जरूर फालो करना पड़े।
 
          -  विकारी तो फालो कर न सकें।
 
          -  फालो करने के लिए मेरे समान पवित्र बनो।
 
          -  क्या मैं पतितों को अपने साथ शान्तिधाम ले जाऊंगा।
 
           
       
      -  इतने सब मनुष्य भक्ति, तप, दान-पुण्य आदि करते हैं - मुक्ति पाने के लिए क्योंकि यहाँ दु:ख है और चाहते हैं - हम अपने घर वापिस जायें।
        
          -  बाप कहते हैं - पवित्र जरूर बनना पड़ेगा।
 
          -  मैं पावन हूँ, तब तो तुमको पावन बनाता हूँ।
 
          -  आऊंगा भी ब्रह्मा के तन में।
 
          -  मैं रचता हूँ, मैं इस ब्रह्मा के तन में आता हूँ।
 
          -  दिखाते भी हैं ब्रह्मा द्वारा बाप देवी-देवता धर्म की स्थापना करते हैं।
 
           
       
      -  तुम बी.के. हो।
        
          -  अब जानते हो शिवबाबा को फालो करना है।
 
          -  बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो मैं प्रतिज्ञा करता हूँ - पावन दुनिया में ले चलूँगा। 
 
          - और कोई उपाय है नहीं।
 
           
       
      -  कहते हैं पतित-पावन... या तो दृष्टि ऊपर जाती है या तो पानी के तरफ देखते हैं।
        
          -  गंगा तो पतित-पावनी है नहीं।
 
          -  यह तो सागर से निकली हुई नदियां हैं।
 
          -  अब पूँछ तो तुम्हारा पकड़ना चाहिए।
 
          -  बाप कहते हैं - तुमको पावन बनना है, मेरे को फालो करना है, तब ही साथ चल सकेंगे। 
 
           
       
      - बाप कहते हैं - तुम मेरे साथ रहने वाले थे, अब 84 का चक्र लगाए पतित बने हो।
        
          -  अब फिर मेरे को याद करो तो पावन बनेंगे।
 
          -  संन्यासी भी गृहस्थी को कहते हैं - फालो करना है तो घरबार छोड़ो।
 
           
       
      -  बाप कहते हैं - मैं परमधाम में रहता हूँ, तुम भी चलेंगे या यहाँ ही विषय सागर में रहना अच्छा लगता है।
        
          -  तुम तो पुकारते आये हो - हे पतित-पावन आओ। 
 
          - अब बाप आये हैं साथ ले जाते हैं।
 
          -  कल्प-कल्प आकर तुमको साथ ले जाता हूँ।
 
          -  फिर सतयुग में तुम बहुत सुखी रहते हो।
 
          -  यह लक्ष्मी-नारायण स्वर्ग के मालिक थे ना।
 
          -  इन्हों को इतना सुख देने वाला कौन?
 
          -  हेविनली गॉड फादर।
 
          -  बाप याद दिलाते हैं तुम हमारी जयन्ती मनाते हो।
 
          -  परमपिता परमात्मा की जयन्ती सभी भारतवासी मनाते हैं।
 
          -  हमारा यह बर्थ प्लेस है। 
 
          - क्रिश्चियन थोड़ेही मानेंगे। 
 
          - वह तो क्राइस्ट को मानेंगे।
 
          -  शिव जयन्ती भारतवासी मनाते हैं।
 
          -  यह सर्व के पतित-पावन बाप का बर्थ प्लेस है।
 
          -  बाप सबको सुख देने वाला है।
 
          -  सर्व को लिबरेट करने वाला है। 
 
          - तो भारत कितना ऊंच है।
 
           
       
      -  बाप जानते हैं ड्रामा अनुसार जब हमारे बच्चे बहुत दु:खी हो जाते हैं तब मैं आता हूँ - वर्सा देने।
        
          -  बाप है ज्ञान का सागर, सुख का सागर... बच्चों को वर्सा दे रहे हैं।
 
          -  कहते हैं मुझे फालो करो।
 
           
       
      -  यह जानते हो हम आत्मा विकारी हैं इसलिए शरीर भी विकारी ही है।
        
          -  सतयुग में आत्मा पवित्र है तो शरीर भी पवित्र मिलता है।
 
          -  अब बाप कहते हैं बच्चे पावन बनो।
 
          -  याद से ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेंगे। 
 
           
       
      - अच्छा!
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) बाप से स्वर्ग का वर्सा लेने के लिए “मैं आत्मा भाई-भाई हूँ'' - यह पक्का करना है। 
        
          - बहुत प्यार से रहना है।
 
          -  जैसे बाप प्यारे ते प्यारा है, ऐसे प्यारा बनना है।
 
         
       
      - 2) बाप समान पावन बनकर बाप को पूरा-पूरा फालो करना है।
        
          -  बाप के साथ वापिस घर शान्तिधाम चलने के लिए पावन जरूर बनना है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
      - ( All Blessings of 2021)
 
      -  याद के आधार द्वारा माया की कीचड़ से परे रहने वाले सदा चियरफुल भव
 
      -  कोई कैसी भी बात सामने आये सिर्फ बाप के ऊपर छोड़ दो।
 
      -  जिगर से कहो - “बाबा''।
 
      -  तो बात खत्म हो जायेगी।
 
      -  यह बाबा शब्द दिल से कहना ही जादू है।
 
      -  माया पहले-पहले बाप को ही भुलाती है इसलिए सिर्फ इस बात पर अटेन्शन दो तो कमल पुष्प के समान अपने को अनुभव करेंगे।
 
      -  याद के आधार पर माया के समस्याओं की कीचड़ से सदा परे रहेंगे। 
 
      - कभी किसी भी बात में हलचल में नहीं आयेंगे, सदा एक ही मूड होगी चियरफुल।
 
      - स्लोगन:-        
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      - पवित्रता की धारणा वा धर्म को जीवन में लाने वाले ही महान आत्मा हैं।
 
     
     
   
    
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